parishram ka vilom shabd kya hai परिपरिश्रम का विलोम शब्द है ?
परिपरिश्रम का विलोम शब्द, परिपरिश्रम शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, परिपरिश्रम का उल्टा parishram vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
परिपरिश्रम | विश्राम |
parishram | विश्राम |
parishram ka vilom shabd kya hai परिपरिश्रम का विलोम शब्द है ?
यदि हम बात करें परिपरिश्रम के विलोम शब्द की तो इसका विलोम शब्द विश्राम होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
परिश्रम की परिभाषा निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है। यह अक्सर विभिन्न समाजों और उनके मानकों के सापेक्ष होता है। सामान्यतया, परिश्रम किसी भी गतिविधि को संदर्भित करता है जो जीविकोपार्जन के उद्देश्य से की जाती है। इसमें खेत में काम करने से लेकर ऑफिस में काम करने तक सब कुछ शामिल है।
परिश्रम के कई अलग-अलग प्रकार हैं, और प्रत्येक की अपनी विशिष्ट आवश्यकताएं हैं। उदाहरण के लिए, शारीरिक परिश्रम के लिए शक्ति और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है, जबकि लिपिकीय कार्य सटीकता और अच्छी लिखावट पर बहुत अधिक निर्भर करता है। विभिन्न प्रकार के परिश्रम भी हैं जिनके लिए विभिन्न कौशल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, चिकित्सा पेशेवरों को शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान के ज्ञान की आवश्यकता होती है, जबकि लेखाकारों को उत्कृष्ट गणित कौशल की आवश्यकता होती है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई किस प्रकार का परिश्रम करता है, यह हमेशा चुनौतियों और जिम्मेदारियों का एक सेट लेकर आता है।
दोस्तों जब बात होती है परिश्रम की तो यह काफी बड़ी चीज होती है। क्योंकि यदि आप जीवन के अंदर परिश्रम नहीं करेंगे तो फिर आप कुछ भी हाशिल नहीं कर सकते हैं।और आजकल तो जीवन भी पहले जैसा नहीं रहा है आप इस बात को समझ सकते हैं। क्योंकि विश्व की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है। वैसे वैसे यह जीवन जीना काफी कठिन होता जा रहा है। क्योंकि संसाधन पहले भी उतने ही थे और आज भी उतने ही हैं। लेकिन उनका उपभोग करने वाले काफी अधिक हो चुके हैं। दोस्तों आपको एक जीवन को ठीक तरह से चलाने के लिए काफी अधिक परिश्रम करना पड़ रहा है। और काफी मेहनत करने के बाद भी जीवन ठीक तरह से नहीं चल पा रहा है। आप अपने आस पास इस तरह के लोग को देख सकते हैं जोकि सुबह काम पर जाते हैं और शाम को उन पैसों से आटे दाल लेकर आते हैं। मतलब यही है कि महंगाई आसमान छू रही है और कोई कुछ नहीं कर रहा है। जो लोग सरकारी नौकरी करते हैं उनकी स्थिति अच्छी होती जा रही है ।
और जो गरीब होते हैं उनकी स्थिति काफी अधिक खराब होती जा रही है आप इस बात को समझ सकते हैं। हम अपने जीवन को काफी बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। उपर से भ्रष्ट तंत्र इतना अधिक हो चुका है कि जो लोग बुरे कर्म करते हैं वे काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं और अपनी जिदंगी काफी अधिक सकून से जी रहे हैं लेकिन कुछ लोग इस तरह के हैं जोकि अच्छा पैसा नहीं कमा पाते हैं लेकिन ईमानदारी का काम करते हैं वे अच्छी तरह से अपनी जिदंगी को नहीं गुजार पा रहे हैं। यह सब हो रहा है आप मे यह भले ही नहीं हो रहा हो ।
लेकिन आप अपने आस पास इन सब चीजों को देख सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा आप इस बात को समझ सकते हैं।
इस तरह से दोस्तों यदि हम कमाई की बात करते हैं तो आज कोई भी इंसान जी तोड़ मेहनत करके अच्छा पैसा नहीं कमा सकता है। और यदि कोई ईमानदारी काम करता है तो उसको जीने नहीं दिया जाता है। कुछ दिनों पहले ही एक कंबल वाले बाबा का विडियो आ रहा था। और मिडिया वाले इसको उछाल रहे थे कि देखो देखो बाबा अंधविश्वास फैला रहा है। अरे भाई जब फ्री के अंदर जब कुछ लोगों के ठीक होने का दवा कर रहे हैं। एक पैसा ही नहीं लिया जा रहा है तो इसके अंदर बुराई क्या है? लेकिन आपको पता ही है कि माफियाओं को यह कभी भी रास नहीं आता है कि सब कुछ फ्री के अंदर ठीक हो जाए ।
और हकीकत के अंदर आपको सच बताउं तो मेरी बीबी को एक गांठ हो गई थी और हमको किसी ने रामदेव बाबा के बारे मे बताया हम वहां पर गए और कुछ किया और गांठ ठीक हो गई बिना कुछ किये धरे तो आप समझ सकते हैं कि यह सब होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
असल मे मिडिया वाले कोई दुध के धुले नहीं है। यह अपने ऐजेंडे को चलाते हैं पता नहीं सरकार इनको बैन क्यों नहीं करती है।
असल मे इन लोगों को जो समझ नहीं आता है वह अंधविश्वास हो जाता है। इनको तंत्र का त तक नहीं आता है और यह साबित करने के लिए लगें हैं कि देखो देखों अंधविश्वास है। अरे भाई जो तंत्र का ज्ञाता है वह यदि यह बात कहता तो बात कुछ जच सकती थी। इनको पता ही नहीं है कि तंत्र मंत्र होता क्या है ? और उससे क्या हो सकता है ? और क्या नहीं हो सकता है ? यह तो वही बात हो गई कि कुछ लोग एक गाड़ी देखने अब उनको पता ही नहीं है गाड़ी चलाते कैंसे हैं और यह करते घूम रहे हैं कि गाड़ी चल ही नहीं रही है इसके गियर की पता नहीं कैसे काम करते हैं।
लेकिन जानता भी समझदार होती है उनकेा इस तरह के लोगों की परवाह नहीं है। मुझे मालूम था कि मेरी पत्नी को यदि गांठ ठीक होगी तो इसी तरह से होगी अन्य कोई इलाज नहीं था और हुई भी तो दोस्तों जब इंसान को फायदा होता है तो फिर क्यों ना जाएं ।
वैसे भी मिडिया के असली चेहरे को लोग जान चुके हैं। इनके ऐजेंडे मे जो फिट होता है वे इसको कवर करते थें । यही चीज यदि अमेरिका के अंदर होती तो भारतिय मिडिया गीत गाता कि देखो देखो अमेरिका के वैज्ञानिक लोगों को सही कर रहे हैं।