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40+ हिंदी में पार्वती के पर्यायवाची शब्द जो काफी महत्वपूर्ण है

दोस्तो इस लेंख में हम जानेगे की पार्वती के पर्यायवाची शब्द parvati ke paryayvachi shabd क्या है और पार्वती के समानार्थी शब्द parvati samanarthi shabd क्या है साथ ही जानेगे की पार्वती थी कोन और इसके नाम का अर्थ क्या होता है। इसके अलावा पार्वती के बारे में और बहुत हीमहत्वपूर्ण जानाकरी इसलेख में ‌‌‌है तो लेख को आराम से पढ कर जानकारी हासिल कर सकते है ।

पार्वती के पर्यायवाची शब्द और पार्वती के समानार्थी शब्द {parvati ke paryayvachi shabd / parvati ka samanarthi shabd}

शब्द {shabd} पर्यायवाची शब्द और समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd}
पार्वतीउमा, ‌‌‌गौरा, कात्यायनी, गौरी, आर्या, काली, हैमवती, कपर्दिनी, ईश्वरी, शिवा, गिरिजा, भवानी, रुद्रागी, शर्वाणी, सर्वमंगला, अपर्णा, दुर्गा, उमा, नूडानी, चण्डिका, आर्या, दाक्षायणी, मेनका, अंबिका, हिमाचलसुता, हिमगिरि-सुता, भवानी, शंकरप्रिया, सती, शैलसुता, शैलनन्दिनी, रुद्राणी, वनदुर्गा, त्रिनेत्र, तपस्विनी, शूलधारिणी, शिवदूती, शाम्भवी, सत्ता, सावित्री, परमेश्वरी, सर्ववाहना, सर्वविद्या, जया, भद्राकाली
ParvatiUma, Gaura, Katyayani, Gauri, Arya, Kali, Hemavati, Kapardini, Ishwari, Shiva, Girija, Bhavani Rudragi, Sharvani Sarvamangala, Aparna, Durga, Uma, Nudani, Chandika, Ambhika, Arya, Dakshayani , Menaka, Ambika, Himachalsuta Suta, Bhavani, Shankarpriya, Sati, Shailsuta, Shailanandini, Rudrani, Vanadurga, Trinetra, Tapaswini, Shooldharini, Shivduti, Shambhavi, Satta, Savitri, Parameshwari, Sarvavahana, Sarvvidya, Jaya, Bhadrakali.
ParvatiGaura, Katyayani, Gauri, Black, Durga, wan,Ishwari, Goddess, Bhavani, Rudrani, Uma, Chandika, ambika, Bhavani, sati, vestal, chaste, Shailsuta, vanadurga, tri eye, ascetic, Bhadrakali, wife of shiva, primordial power, Vishnu sister, Ganesh Maa, BlackGoddess.

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40+ हिंदी में पार्वती के पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट || List of 40+ Synonyms of Parvati in Hindi

1.            उमा (Uma)

2.            गौरा (Gaura)

3.            कात्यायनी (Katyayani)

4.            गौरी (Gauri)

5.            आर्या (Arya)

6.            काली (Kali)

7.            हैमवती (Haimavati)

8.            कपर्दिनी (Kapardini)

9.            ईश्वरी (Ishvari)

10.          शिवा (Shiva)

11.          गिरिजा (Girija)

12.          भवानी (Bhavani)

13.          रुद्रागी (Rudragi)

14.          शर्वाणी (Sharvani)

15.          सर्वमंगला (Sarvamangala)

16.          अपर्णा (Aparna)

17.          दुर्गा (Durga)

18.          नूडानी (Nudani)

19.          चण्डिका (Chandika)

20.          आर्या (Arya)

21.          दाक्षायणी (Dakshayani)

22.          मेनका (Menaka)

23.          अंबिका (Ambika)

24.          हिमाचलसुता (Himachala Suta)

25.          हिमगिरि-सुता (Himagiri Suta)

26.          भवानी (Bhavani)

27.          शंकरप्रिया (Shankarapriya)

28.          सती (Sati)

29.          शैलसुता (Shailasuta)

30.          शैलनन्दिनी (Shailanandini)

31.          रुद्राणी (Rudrani)

32.          वनदुर्गा (Vanadurga)

33.          त्रिनेत्र (Trinetra)

34.          तपस्विनी (Tapasvini)

35.          शूलधारिणी (Shuladharni)

36.          शिवदूती (Shivaduti)

37.          शाम्भवी (Shambhavi)

38.          सत्ता (Satta)

39.          सावित्री (Savitri)

40.          परमेश्वरी (Parameshvari)

41.          सर्ववाहना (Sarvavahana)

42.          सर्वविद्या (Sarvavidya)

43.          जया (Jaya)

44.          भद्राकाली (Bhadra Kali)

पार्वती का हिंदी में अर्थ Meaning of Parvati in hindi –

  1. त्रिदेवियों मे से एक देवी जो शिव की पत्नी है ।
  2. हिंदू धर्म की देवी ।
  3. भोलेभण्डारी की पत्नी ।
  4. ‌‌‌हमेशा तपस्या में लगी रहने वाली यानि तपस्वनी।
  5. ‌‌‌ऐसी देवी जो आदिशक्ति कें रूप मे जानी जाती हो ।
  6. त्रिनेत्रदेवी की अर्धांगिनी ।
  7. पूर्ण- अवतार ।
  8. उलझे हुए बालों वाली देवी ।
  9. खुले मुंह वाली और एक टेढ़ी जीभ वाली देवी ।
  10. भयानक राक्षसो का वध करने वाली महाकाली ।
  11. दुर्गा का ही एक रूप ।
  12. वह परब्रह्म की पूर्ण शक्ति है ।

‌‌‌पार्वती का पर्यायवाची शब्द के वाक्य में प्रयोग, Use of Parvati’s synonym in a sentence

  1. माता गौरी अच्छे लोगो के साथ अच्छी होती है और बुरा करने वाले के साथ महाकाली बन जाती है ।
  • तुम शिवपूजा करने के लिए जा रहे हो और उनकी अर्धांगिनी काली को याद तक नही कर हो यह पूजा तो व्यर्थ जाने वाली है ।
  • महेश जी पुराणो मे बताया गया है ‌‌‌की जब भी शिव की पूजा होती तो माता पार्वती उनके साथ रहती थी ।
  • विश्वाजी ‌‌‌गौरा के बडे भग्त है तभी उन पर किसी प्रकार का कष्ट नही आताहै ।
  • कल एक बाबा ने बताया था की अगर भौलेनाथ के साथ रुद्रागी की पूजा भी करोगे तो तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएगे ।
  • ‌‌‌सरला के घर में आज बडा भण्डारा है क्योकी उसने मन्नत मागी थी की जब उसका बेटा नोकरी लगेगा तो वह हैमवती का भण्डारा करेगी ।
  • ‌‌‌अगर तुमने सच्चे मन से मेनका को याद किया होता तो आज तुम्हारे घर मे इतना कष्ट नही होता ।
  • ‌‌‌जब अकेली लडकी को देख कर बदमाश उसक तरफ आने लगे तो उसने अंबिका का रूप छोड कर काली का रूप धारण किया और सभी को भगा दिया ।
  • इस जमाने मे समय पडने पर काली का रूप लेना ही पडता है ।

‌‌‌पार्वती के बारे मे रोचक तथ्य, Interesting facts about Parvati

  1. ‌‌‌हिंदू पुराणो मे जीसने ब्रहमाण्ड की रचना की थी वह आदि पराशक्ति थी और यह आदि पराशक्ति और कोई नही स्वयं पार्वती ही थी ।
  • जिस तरह से त्रिदेव होते है उनकी पत्नी को त्रिदेविया कहा जाता है और उन्ही में से एक पार्वती है ।
  • प्रजापति दक्ष की ऐसे तो अनेक बेटी थी मगर उनमें से एक देवी पार्वती थी जिससे ‌‌‌शिव ने विवाह किया था ।
  • आपको जान कर हैरानी होगी की शिव और पार्वती जब एक दुसरे मे मिल गए तो उनका एक रूप बन गया और इस रूप को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है ।
  • जब समुंद्री मंथन से हलाहल विष निकला तो उसे शिव ने पी लिया और यही देख की माता पार्वती ने शिव के प्राणो की रक्षा की और हलाहल विष ‌‌‌को वही पर रोक दिया ।
  • प्रजापति दक्ष की पुत्री सती या पार्वती अनेक बार अपनी एकाग्रता खो चुकी थी मगर फिर वह स्वयं ही शिव के पास चली जाती थी ।
  • पार्वती जब भी कही जाती है तो वह अपने वाहन का साहरा लेती है और उसका वाहन शेर व बाघ का सयुक्त रूप है ।
  • आपको जानकारी होगी की अनेक पुराणो मे बताया जाता ‌‌‌है की पार्वती ने विष्णु भगवान को अपना भाई माना है ।
  • पुराणो मे यह भी बताया जात है की पार्वती और महाकाली के शरीर एक होता है मगर उनकी आत्मा अलग होती है क्योकी पार्वती जहां शीतलता का प्रतिक है तो काली वही रुद्र का रूप है ।
  1. जब महाकाली ने क्रोधित होकर राक्षसो का वध करना शुरू किया तो अंत मे वह ‌‌‌इतनी अधिक क्रोधित हो गई की वह शांत होने का नाम ही नही ले रही थी मगर जब शिव उनके पैरो के निचे आए तब काली का क्रोध शांत हो गया ।
  2. महाशिवरात्रि के समय जीस तरह से शिव की पूजा बडी धुम धाम से होती है उसी तरह से पार्वती की उस दिन पूजा बडे धूम धाम से होती है ।
  3. हिंदू धर्म के ग्रंथो और पुराणा मे बताया ‌‌‌है की पार्वती ने अपने बहुत से शक्ति पिठ ‌‌‌स्थापित किए थे ।

  1. आपको जान कर हैरानी होगी की वैदिक साहित्य मे पार्वती शब्द का उपयोग नही किया गया है बल्की दुर्गा, अंबिका, रुद्राणी जैसे शब्दो का उपयोग हुआ है ।
  2. ऐसा माना जाता है की पार्वती ने अपनी शक्तियो से भगवान गणेश को अपने मेल से बनाया था ।
  3. ‌‌‌जब दक्ष प्रजापति ने अपनी ही बेटी पार्वती या सती के सामने उसके पति शिव का अपमान किया तो पार्वती यह सहन नही कर पाई और उसने चल रहे यज्ञ मे अपने प्राण दे दिए ।
  4. जब ‌‌‌सती ने अपने प्राण दे दिए तो महादेव कई वर्षो तक लम्बी तपस्या मे चले गए और जब वे तप से वापस बाहर आए तो उन्हे इस घटना के बारे मे याद ‌‌‌तक नही था मगर पार्वती का दूसरा जन्म होने के बाद भी याद आ गया था ।
  5. ‌‌‌सती रूप मे बाद में पार्वती के अनेक रूपो का जन्म हुआ और शिव ने पार्वती की अनेक बार परिक्षा ली ।
  6. जब शिव और पार्वती का विवाह हुआ तो देवी देवता के अलावा राक्षस भी खुश थे ।
  7. नवरात्री के समय माता पार्वती की बहुत बडी पूजा होती है ।
  • दक्षिण एशिया में पार्वती के बहुत अधिक मंदिरो का वर्णन मिलता है ।

‌‌‌पार्वती का जन्म कैसे हुआ था, how was parvati born

‌‌‌वेदो और पुराणो मे बताया गया है की माता पार्वती का जन्म एक नही बल्की अनेक हुए थे । मगर उनके हर जन्म मे उनका नाम अलग अलग था । पुराणो मे पढने को मिलता है की माता पार्वती का जन्म सबसे पहले सति के रूप में हुआ था और इसके बाद में माता पार्वती का एक जन्म और हुआ था पिता हिमावन और माता मैनावती ‌‌‌ थे इसके अलावा पार्वती के अनेक जन्म हुए थे ।

मगर वह हर बार भगवान शिव की ही आराधना करती थी और उनके पास ही चली जती थी । इन सब रूप में से सती का जो रूप है वह सबसे अधिक मान्य बताया जाता है ।

माता पार्वती का सती के रूप में जन्म, Birth of Mother Parvati as Sati

‌‌‌इस कथा के बारे मे अनेक पुराणो मे पढने को मिलता है और बताया जाता है की भगवती आद्या ने ही माता सति के रूप मे जन्म लिया था । इस जन्म के समय वह दक्ष प्रजापति की पुत्र बनी थी । यह दक्ष प्राजापति वही था जिसके घर मे बहुत सी कन्याओ का जन्म हुआ था ।

अपने घर मे इतनी पुत्री होने के बाद भी जब दक्ष ‌‌‌को लगा की ये सभी इतनी अधिक ज्ञानी और शक्तिमान नही है तो उसने माता आद्या को याद करते हुए तप किया और माता से प्राथना की की उनके घर मे एक ऐसी कन्या का जन्म हो जो मेरी सभी ‌‌‌पुत्रियो से अलग हो ‌‌‌यहां तक वह सर्वशक्तिमान हो ।

माता ने यह सुन कर कहा की प्राजापति दक्ष तुम्हारी यह इच्छा पूरी करने के ‌‌‌लिए किसी और को नही बल्की मुझे ही जन्म लेना पडेगा । इस तरह से कहते हुए प्रजापति दक्ष को वर्दान दे दिया की मैं स्वयं ही तुम्हारे घर मे जन्म लेकर तुम्हारी इच्छा पूरी करूगी । इस तरह से समय के साथ दक्ष के घर मे एक ऐसी कन्या का जन्म हो गया जो सर्वशक्तिमान थी ।

दक्ष ने इसका नाम सती रखा ।  इस तरह से दक्ष प्रजापति के घर मे माता सती का जन्म हुआ था और यह सती और कोई नही बल्की माता पार्वती का ही एक रूप था । जिसे पार्वती के नाम से भी जाना जाता है । और बताया जाता है की माता सती और पार्वती एक ही है दोनो अलग अलग नही है ।

‌‌‌देवी पार्वती का हिमावन के घर मे जन्म, Goddess Parvati was born in the house of Himavan

एक कथा से पता चलता है की माता पार्वती का जन्म हिमावन के घर मे हुआ था और उनकी माता का नाम मैनावती था । देवी पार्वती के पिता हिमावन पहाडो के स्वामी ‌‌‌थे और उन्हे हिमनरेश हिमावन के नाम से जाना जाता है । इस जन्म का कारण सती और विष्णु से जुडा है । क्योकी ‌‌‌सती भगवान विष्णु को अपना भाई मानती थी तो जब सती की मृत्यु हुई तो उन्होने विष्णु जी से केवल एक वर्दान मागा की मैं हर जन्म मे शिव के पास रह सकु ।

विष्णु जी ने माता सती को यह वर्दान दे दिया । जिसके कारण से अगले ही जन्म में भगवान विष्णु ने माता सती का जन्म पहाडो के स्वामी हिमनरेश हिमावन ‌‌‌ के घर हुआ ‌‌‌इस जन्म में माता पार्वती का नाम पार्वती ही था । क्योकी शिव स्वयं पार्वत पर विराजमान रहते थे जिसके कारण से माता पार्वती आसानी से शिव के पास जा सकती थी ।

उनके जन्म के बाद मे उनका विवाह शिव से ही हुआ था । ‌‌‌इस तरह से माता पार्वती का असली जन्म यही है क्योकी इससे पहले का जन्म सती रूप था तो उसे भी पार्वती का जन्म कहा जाता है ।

‌‌‌पार्वती का वाहन क्या होता है, what is the vehicle of parvati

पार्वती देवो के देव शिव की पत्नी है और पार्वती के अनेक रूप बताए जाते है । जीनमे से काली, पार्वती, सती और दुर्गा रूप भी पार्वती के ही है । इन रूपो मे से दुर्गा रूप मे देवी पार्वती के साथ शेर को देखा जाता है इसके अलावा स्वयं पार्वती को भी भगवान शंकर के साथ शेर के ‌‌‌साथ देखा जाता है । साथ ही इस बारे मे पुराणो और ग्रंथो मे भी बताया गया है की माता पार्वती के साथ शेर रहता है । इस कारण से पता चलता है की माता पार्वती का वाहन एक शेर होता है साथ ही दुर्गा रूप मे पार्वती का वाहन भी शेर है ।

शेर माता पार्वती का वाहन कैसे बना, How did the lion become the vehicle of Goddess Parvati?

माता पार्वती के बारे मे पता चलता है की ‌‌‌उन्होने बहुत ही अधिक तप किए थे । और सभी तप बहुत ही कठिन थे । इस तरह के तप मे से एक तप था जिसमे माता पार्वती शिव के रूठ कर वन मे चली गई । और चलते चलते उन्हे एक नदी दिखाई दी जो काफी अधिक सुन्दर थी और उसका पानी इतना अधिक चमक रहा था की माता पार्वती वही बैठ गई ।

इसके अलावा जब पार्वती का ‌‌‌जन्म हिमनरेश हिमावन के घर हुआ तो वे पास की नदियो के पानी के साथ खेला करती थी और नदी के साथ अपना समय बिताती थी । जिसके कारण से माता को नदी का पानी अच्छा लगता था । अब जगल मे इतनी सुन्दर पानी की नदी जा रही थी तो माता वही बैठ गई ।

तब माता पार्वती वही तप करने लग गई । इस तरह से माता को तप करते ‌‌‌हुए समय बित रहा था । क्योकी वह एक जगल में बैठी थी तो वहा पर जगली जानवर भी रहते थे जिनमे से एक शेर कई दिनो से भुख से तडप रहा था । वह अब इतना अधिक भुखा था की वह अपना पेट भरने के लिए किसी को भी मार कर खा सकता था ।

इस तरह से वह शेर अपनी भुख मिटाने के लिए जगल के कोने कोने मे भटक रहा था । ‌‌‌मगर शेर को अपना भोजन नही मिला तभी शेर पानी पीने के लिए नदी के किनारे ‌‌‌गया तो उसने देखा की एक कन्या तप कर रही है । यह देख कर शेर ने सोचा की मैं इसे ही खा कर अपना पेट भर लेता हूं । ऐसा सोचकर शेर उसके पास चला गया ।

मगर तभी उसने सोचा की तप मे लीन होने के कारण से मैं इसे अब नही खा सकता जब यह तप से बहर ‌‌‌आएगी तो मैं इसे खा जाउगा । ऐसा सोच कर शेर माता के तप से बाहर आने का इंतजार करने लगा था । क्योकी माता ने पहले भी बहुत घोर तप किया था तो उसका तप आसान कैसे होता उसका तप कई दिनो तक चलता रहा मगर शेर अब अपनी भुख को रोक कर माता के तप से बहार आने का इंतजार कर रहा था ।

इस तरह से जब माता पार्वती का तप ‌‌‌देख कर भोलेनाथ उन्हे मनाने के लिए आ गए और ‌‌‌उन्होने कहा की पार्वती मैं तुम्हारे तप से प्रशन्न हूं । इस कारण से तुम जो मागना चाहती हो वह माग लो । यह सुन कर पार्वती ने अपनी आंखे खोली और कहा की महादेव मैं काली से गोरी हो जाउ ऐसा वर्दान दो । यह सुन कर माहादेव ने कहा की तथाअस्तु ।

इतना ‌‌‌कहने के बाद मे शिव ने पार्वती से कहा की अब मेरे साथ चलो । तब पार्वती ने कहा की मुझे बहुत समय बित गया है और अब तक मैने स्नान नही किया है तो मैं स्नान कर कर आती हूं आप चलो । इस तरह से शिव चले गए और माता स्नान करने के लिए नदी मे चली गई ।

जब स्नान कर कर बाहर आई तो उसने देखा की एक शेर उसका ‌‌‌इंतजार कर रहा है तभी उसे याद आ गया की यह शेर तो कई दिनो से मेरे तप से बाहर आने का इंतजार कर रहा था । और इसने मुझे तप के समय कोई नुकसान नही पहुचाया था जब की इसे तेज भुख लगी हुई थी ।

यह देख कर माता पार्वती शेर से प्रसन्न हो गई और उसे अपने साथ शिवलोक मे लेकर चली गई । इस तरह से माता ने फिर उसी ‌‌‌शेर को अपना वाहन बना लिया । इस तरह से शेर माता पार्वती का वाहन बन गया था ।

क्या माता पार्वती मानव के लिए उपयोगी है, Is Mata Parvati useful for human

अगर आप शिव भक्त है तो आपके मन में एक बार प्रशन यह जरूर आया होगा की मांता क्या हमारे लिए उपयोगी है ।

तो आपको बता दे की इसका उत्तर हां होगा । क्योकी शिव की तरह ही माता पार्वती है जो है वह एक तरह की योगिनी है जिनके पास अनेक तरह की शक्तिया है और वे भी सृष्टि के लिए कुछ अनोखे काम करती है जो की आज जरूरी है ।

और आपको पता है की हम इसी सृष्टि के अंदर रहते है तो इसका मतलब है की माता हमारे लिए उपयोगी है ।

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