दोस्तो इस लेंख में हम जानेगे की पार्वती के पर्यायवाची शब्द parvati ke paryayvachi shabd क्या है और पार्वती के समानार्थी शब्द parvati samanarthi shabd क्या है साथ ही जानेगे की पार्वती थी कोन और इसके नाम का अर्थ क्या होता है। इसके अलावा पार्वती के बारे में और बहुत हीमहत्वपूर्ण जानाकरी इसलेख में है तो लेख को आराम से पढ कर जानकारी हासिल कर सकते है ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द और समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
पार्वती | उमा, गौरा, कात्यायनी, गौरी, आर्या, काली, हैमवती, कपर्दिनी, ईश्वरी, शिवा, गिरिजा, भवानी, रुद्रागी, शर्वाणी, सर्वमंगला, अपर्णा, दुर्गा, उमा, नूडानी, चण्डिका, आर्या, दाक्षायणी, मेनका, अंबिका, हिमाचलसुता, हिमगिरि-सुता, भवानी, शंकरप्रिया, सती, शैलसुता, शैलनन्दिनी, रुद्राणी, वनदुर्गा, त्रिनेत्र, तपस्विनी, शूलधारिणी, शिवदूती, शाम्भवी, सत्ता, सावित्री, परमेश्वरी, सर्ववाहना, सर्वविद्या, जया, भद्राकाली। |
Parvati | Uma, Gaura, Katyayani, Gauri, Arya, Kali, Hemavati, Kapardini, Ishwari, Shiva, Girija, Bhavani Rudragi, Sharvani Sarvamangala, Aparna, Durga, Uma, Nudani, Chandika, Ambhika, Arya, Dakshayani , Menaka, Ambika, Himachalsuta Suta, Bhavani, Shankarpriya, Sati, Shailsuta, Shailanandini, Rudrani, Vanadurga, Trinetra, Tapaswini, Shooldharini, Shivduti, Shambhavi, Satta, Savitri, Parameshwari, Sarvavahana, Sarvvidya, Jaya, Bhadrakali. |
Parvati | Gaura, Katyayani, Gauri, Black, Durga, wan,Ishwari, Goddess, Bhavani, Rudrani, Uma, Chandika, ambika, Bhavani, sati, vestal, chaste, Shailsuta, vanadurga, tri eye, ascetic, Bhadrakali, wife of shiva, primordial power, Vishnu sister, Ganesh Maa, BlackGoddess. |
1. उमा (Uma)
2. गौरा (Gaura)
3. कात्यायनी (Katyayani)
4. गौरी (Gauri)
5. आर्या (Arya)
6. काली (Kali)
7. हैमवती (Haimavati)
8. कपर्दिनी (Kapardini)
9. ईश्वरी (Ishvari)
10. शिवा (Shiva)
11. गिरिजा (Girija)
12. भवानी (Bhavani)
13. रुद्रागी (Rudragi)
14. शर्वाणी (Sharvani)
15. सर्वमंगला (Sarvamangala)
16. अपर्णा (Aparna)
17. दुर्गा (Durga)
18. नूडानी (Nudani)
19. चण्डिका (Chandika)
20. आर्या (Arya)
21. दाक्षायणी (Dakshayani)
22. मेनका (Menaka)
23. अंबिका (Ambika)
24. हिमाचलसुता (Himachala Suta)
25. हिमगिरि-सुता (Himagiri Suta)
26. भवानी (Bhavani)
27. शंकरप्रिया (Shankarapriya)
28. सती (Sati)
29. शैलसुता (Shailasuta)
30. शैलनन्दिनी (Shailanandini)
31. रुद्राणी (Rudrani)
32. वनदुर्गा (Vanadurga)
33. त्रिनेत्र (Trinetra)
34. तपस्विनी (Tapasvini)
35. शूलधारिणी (Shuladharni)
36. शिवदूती (Shivaduti)
37. शाम्भवी (Shambhavi)
38. सत्ता (Satta)
39. सावित्री (Savitri)
40. परमेश्वरी (Parameshvari)
41. सर्ववाहना (Sarvavahana)
42. सर्वविद्या (Sarvavidya)
43. जया (Jaya)
44. भद्राकाली (Bhadra Kali)
वेदो और पुराणो मे बताया गया है की माता पार्वती का जन्म एक नही बल्की अनेक हुए थे । मगर उनके हर जन्म मे उनका नाम अलग अलग था । पुराणो मे पढने को मिलता है की माता पार्वती का जन्म सबसे पहले सति के रूप में हुआ था और इसके बाद में माता पार्वती का एक जन्म और हुआ था पिता हिमावन और माता मैनावती थे इसके अलावा पार्वती के अनेक जन्म हुए थे ।
मगर वह हर बार भगवान शिव की ही आराधना करती थी और उनके पास ही चली जती थी । इन सब रूप में से सती का जो रूप है वह सबसे अधिक मान्य बताया जाता है ।
इस कथा के बारे मे अनेक पुराणो मे पढने को मिलता है और बताया जाता है की भगवती आद्या ने ही माता सति के रूप मे जन्म लिया था । इस जन्म के समय वह दक्ष प्रजापति की पुत्र बनी थी । यह दक्ष प्राजापति वही था जिसके घर मे बहुत सी कन्याओ का जन्म हुआ था ।
अपने घर मे इतनी पुत्री होने के बाद भी जब दक्ष को लगा की ये सभी इतनी अधिक ज्ञानी और शक्तिमान नही है तो उसने माता आद्या को याद करते हुए तप किया और माता से प्राथना की की उनके घर मे एक ऐसी कन्या का जन्म हो जो मेरी सभी पुत्रियो से अलग हो यहां तक वह सर्वशक्तिमान हो ।
माता ने यह सुन कर कहा की प्राजापति दक्ष तुम्हारी यह इच्छा पूरी करने के लिए किसी और को नही बल्की मुझे ही जन्म लेना पडेगा । इस तरह से कहते हुए प्रजापति दक्ष को वर्दान दे दिया की मैं स्वयं ही तुम्हारे घर मे जन्म लेकर तुम्हारी इच्छा पूरी करूगी । इस तरह से समय के साथ दक्ष के घर मे एक ऐसी कन्या का जन्म हो गया जो सर्वशक्तिमान थी ।
दक्ष ने इसका नाम सती रखा । इस तरह से दक्ष प्रजापति के घर मे माता सती का जन्म हुआ था और यह सती और कोई नही बल्की माता पार्वती का ही एक रूप था । जिसे पार्वती के नाम से भी जाना जाता है । और बताया जाता है की माता सती और पार्वती एक ही है दोनो अलग अलग नही है ।
एक कथा से पता चलता है की माता पार्वती का जन्म हिमावन के घर मे हुआ था और उनकी माता का नाम मैनावती था । देवी पार्वती के पिता हिमावन पहाडो के स्वामी थे और उन्हे हिमनरेश हिमावन के नाम से जाना जाता है । इस जन्म का कारण सती और विष्णु से जुडा है । क्योकी सती भगवान विष्णु को अपना भाई मानती थी तो जब सती की मृत्यु हुई तो उन्होने विष्णु जी से केवल एक वर्दान मागा की मैं हर जन्म मे शिव के पास रह सकु ।
विष्णु जी ने माता सती को यह वर्दान दे दिया । जिसके कारण से अगले ही जन्म में भगवान विष्णु ने माता सती का जन्म पहाडो के स्वामी हिमनरेश हिमावन के घर हुआ इस जन्म में माता पार्वती का नाम पार्वती ही था । क्योकी शिव स्वयं पार्वत पर विराजमान रहते थे जिसके कारण से माता पार्वती आसानी से शिव के पास जा सकती थी ।
उनके जन्म के बाद मे उनका विवाह शिव से ही हुआ था । इस तरह से माता पार्वती का असली जन्म यही है क्योकी इससे पहले का जन्म सती रूप था तो उसे भी पार्वती का जन्म कहा जाता है ।
पार्वती देवो के देव शिव की पत्नी है और पार्वती के अनेक रूप बताए जाते है । जीनमे से काली, पार्वती, सती और दुर्गा रूप भी पार्वती के ही है । इन रूपो मे से दुर्गा रूप मे देवी पार्वती के साथ शेर को देखा जाता है इसके अलावा स्वयं पार्वती को भी भगवान शंकर के साथ शेर के साथ देखा जाता है । साथ ही इस बारे मे पुराणो और ग्रंथो मे भी बताया गया है की माता पार्वती के साथ शेर रहता है । इस कारण से पता चलता है की माता पार्वती का वाहन एक शेर होता है साथ ही दुर्गा रूप मे पार्वती का वाहन भी शेर है ।
माता पार्वती के बारे मे पता चलता है की उन्होने बहुत ही अधिक तप किए थे । और सभी तप बहुत ही कठिन थे । इस तरह के तप मे से एक तप था जिसमे माता पार्वती शिव के रूठ कर वन मे चली गई । और चलते चलते उन्हे एक नदी दिखाई दी जो काफी अधिक सुन्दर थी और उसका पानी इतना अधिक चमक रहा था की माता पार्वती वही बैठ गई ।
इसके अलावा जब पार्वती का जन्म हिमनरेश हिमावन के घर हुआ तो वे पास की नदियो के पानी के साथ खेला करती थी और नदी के साथ अपना समय बिताती थी । जिसके कारण से माता को नदी का पानी अच्छा लगता था । अब जगल मे इतनी सुन्दर पानी की नदी जा रही थी तो माता वही बैठ गई ।
तब माता पार्वती वही तप करने लग गई । इस तरह से माता को तप करते हुए समय बित रहा था । क्योकी वह एक जगल में बैठी थी तो वहा पर जगली जानवर भी रहते थे जिनमे से एक शेर कई दिनो से भुख से तडप रहा था । वह अब इतना अधिक भुखा था की वह अपना पेट भरने के लिए किसी को भी मार कर खा सकता था ।
इस तरह से वह शेर अपनी भुख मिटाने के लिए जगल के कोने कोने मे भटक रहा था । मगर शेर को अपना भोजन नही मिला तभी शेर पानी पीने के लिए नदी के किनारे गया तो उसने देखा की एक कन्या तप कर रही है । यह देख कर शेर ने सोचा की मैं इसे ही खा कर अपना पेट भर लेता हूं । ऐसा सोचकर शेर उसके पास चला गया ।
मगर तभी उसने सोचा की तप मे लीन होने के कारण से मैं इसे अब नही खा सकता जब यह तप से बहर आएगी तो मैं इसे खा जाउगा । ऐसा सोच कर शेर माता के तप से बाहर आने का इंतजार करने लगा था । क्योकी माता ने पहले भी बहुत घोर तप किया था तो उसका तप आसान कैसे होता उसका तप कई दिनो तक चलता रहा मगर शेर अब अपनी भुख को रोक कर माता के तप से बहार आने का इंतजार कर रहा था ।
इस तरह से जब माता पार्वती का तप देख कर भोलेनाथ उन्हे मनाने के लिए आ गए और उन्होने कहा की पार्वती मैं तुम्हारे तप से प्रशन्न हूं । इस कारण से तुम जो मागना चाहती हो वह माग लो । यह सुन कर पार्वती ने अपनी आंखे खोली और कहा की महादेव मैं काली से गोरी हो जाउ ऐसा वर्दान दो । यह सुन कर माहादेव ने कहा की तथाअस्तु ।
इतना कहने के बाद मे शिव ने पार्वती से कहा की अब मेरे साथ चलो । तब पार्वती ने कहा की मुझे बहुत समय बित गया है और अब तक मैने स्नान नही किया है तो मैं स्नान कर कर आती हूं आप चलो । इस तरह से शिव चले गए और माता स्नान करने के लिए नदी मे चली गई ।
जब स्नान कर कर बाहर आई तो उसने देखा की एक शेर उसका इंतजार कर रहा है तभी उसे याद आ गया की यह शेर तो कई दिनो से मेरे तप से बाहर आने का इंतजार कर रहा था । और इसने मुझे तप के समय कोई नुकसान नही पहुचाया था जब की इसे तेज भुख लगी हुई थी ।
यह देख कर माता पार्वती शेर से प्रसन्न हो गई और उसे अपने साथ शिवलोक मे लेकर चली गई । इस तरह से माता ने फिर उसी शेर को अपना वाहन बना लिया । इस तरह से शेर माता पार्वती का वाहन बन गया था ।
अगर आप शिव भक्त है तो आपके मन में एक बार प्रशन यह जरूर आया होगा की मांता क्या हमारे लिए उपयोगी है ।
तो आपको बता दे की इसका उत्तर हां होगा । क्योकी शिव की तरह ही माता पार्वती है जो है वह एक तरह की योगिनी है जिनके पास अनेक तरह की शक्तिया है और वे भी सृष्टि के लिए कुछ अनोखे काम करती है जो की आज जरूरी है ।
और आपको पता है की हम इसी सृष्टि के अंदर रहते है तो इसका मतलब है की माता हमारे लिए उपयोगी है ।
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