पति का नाम लेने से क्या होता है pati ka naam kyu nhi lena chahiye इसके बारे मे हम आपको बता रहे हैं।दोस्तों प्राचीन काल से ही यह कहा जाता है , कि पत्नी को पति का नाम नहीं लेना चाहिए । इसके पीछे कई सारे कारण होते हैं। हालांकि वर्तमान मे यह सब बदल चुका है। आजकल लव मैरीज वैगरह होती है , तो वहां पर दुल्हन पति को अपने नाम से ही बुलाती है। और लड़कियां अब इन सब चीजों को अंधविश्वास मानती हैं। हालांकि एक कहानी यह भी है , कि प्राचीन काल के अंदर स्त्री केवल अपने पति के उपर निर्भर हुआ करती थी। उसको कहीं पर भी बाहर काम करने की अनुमति नहीं थी । लेकिन अब लड़कियों को आसानी से बाहर काम करने की अनुमति मिल जाती है। तो उनके लिए भगवान को भी भगवान मानने की जरूरत नहीं है। पहले आज की तरह तलाक नहीं हुआ करते थे , लेकिन आजकल तलाक लेना आम हो चुका है।
ऐसा नहीं है कि सभी लड़कियां इन सब चीजों को नहीं मानती हैं। यदि आप गांव दैहात के अंदर जाती हैं , तो वहां पर आपको पता चलेगा कि वहां कोई भी महिला अपने पति का नाम नहीं लेती है। यह सब पम्परा आज भी मौजूद है। मगर यदि आप मोर्डन शहर के अंदर देखेंगे तो वहां पर ऐसा कुछ नहीं है। यह लोग अंग्रेजी संस्कृति को अपना चुके हैं। और यहां पर सब कुछ अंग्रेजों वाला सिस्टम चलता है।
अब बहुत ही महिलाओं के मन मे यह सवाल आता है , कि पति का नाम लेना चाहिए या फिर नहीं ? तो इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। मगर यहां पर कुछ मान्यताएं मौजूद हैं। जिसके बारे मे आपको जरूर जानना चाहिए । और उसके बाद आप खुद यह तय कर सकती हैं। कि आपको पति का नाम लेना चाहिए या फिर नहीं लेना चाहिए ।
दोस्तों ऐसा माना जाता है कि पति और पत्नी एक ही आत्मा के दो हिस्से होते हैं। बस उनका शरीर अलग अलग होता है। इसकी वजह से एक पत्नी पति को अपने आप से अलग नहीं मानती है। इसकी वजह से पत्नी अपने पति को उसके नाम से नहीं बुलाती है। यह माना जाता है कि वे एक जान दो जिस्म हैं। तो इसकी वजह से भी पति को उनके नाम से नहीं बुलाया जाता है।
पति को नाम से बुलाने के बारे मे एक मान्यता यह भी मौजूद है। कि यदि कोई पत्नी पति को उसके नाम से बुलाती है , तो उसकी वजह से पति की उम्र घटने लग जाती है। ऐसा स्कंद पुराण के अंदर लिखा गया है। तो कौन पत्नी यह चाहेगी कि उसके पति की उम्र घटने लग जाए । भले ही आज के समाज के अंदर महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। लेकिन बिना पति के महिलाओं को आज भी बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। और यदि कोई महिला ससुराल मे है , तो पति के रहते महिला को कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन किसी वजह से यदि पति की मौत हो जाती है , तो उसके बाद महिला को ससुराल भी छोड़ना पड़ता है।
दोस्तों यह भी कहा जाता है कि भारत के अंदर किसी सम्माननिय व्यक्ति को उसके नाम से नहीं पुकारा जाता है। और पत्नी अपने पति का सम्मान करती है। और इसकी वजह से वह अपने पति का नाम नहीं लेती है। यदि आप रियल धरातल पर आप देखेंगे तो हमसे बड़े लोगों को हम किसी तरह की उपाधी के साथ बोलते हैं , उनका नाम नहीं लेते हैं। तो यह सिद्धांत यहां पर भी लागू होता है।
दोस्तों कुछ जगहों पर यह भी माना जाता है , कि यदि कोई महिला अपने पति का नाम लेती है , तो उसकी वजह से पति को अहंकार हो जाता है। वरन पत्नी को यह बताना चाहिए कि वह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है। वरन उसका पति भी है।
दोस्तों यह भी कहा गया है , कि यदि कोई महिला अपने पति का नाम लेती है। तो उसकी वजह से अमंगल होता है। मतलब पति का बुरा होता है। इसकी वजह से भी स्त्री को पति का नाम नहीं लेना चाहिए । वैसे भी कौन स्त्री चाहेगी कि उसके पति का अहित हो तो इस वजह से किसी भी स्त्री को पति का नाम नहीं लेना चाहिए ।
दोस्तों पति पत्नी के सुख दुख का साथी होता है। जिन महिलाओं के पति की मौत शादी के बाद हो जाती है। उनके लिए काफी बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है। क्योंकि ससुराल के अंदर बहुत अधिक ताने मारे जाते हैं। जिसकी वजह से जीना हराम हो जाता है।और कई बार तो पति की मौत के बाद महिलाओं को घर से बाहर निकाल दिया जाता है। जिसकी वजह से उनको आकार मायेके के अंदर रहना पड़ता है। मायेके के अंदर भाई भाभी की चलती है। और कोई महिला यह नहीं चाहेगी कि उसकी भाभी उसके उपर हुक्म चलाए । यही कारण है कि हर महिला अपने घर मे रहना पसंद करती है।
दोस्तों आज का समय काफी अधिक बदल चुका है। प्राचीन काल के अंदर स्त्री अपने पति पर ही निर्भर थी । और बिना पति के उसके जीवन की गाड़ी चलना बहुत अधिक कठिन होता था । हालांकि आज भी ऐसा ही है। यदि कोई स्त्री का पति मर जाता है , तो उसके बाद यदि उस स्त्री के पास आय का दूसरा कोई साधन नहीं है , तो फिर बहुत ही बड़ी समस्या हो सकती है। और उस स्त्री के घर की गाड़ी चलना पूरी तरह से कठिन हो जाएगा । इसके अलावा तरह तरह के लोग उस महिला को अपने भोग विलास की वस्तु बनाने की कोशिश करेंगे ।
एक पति के बिना आज भी किसी भी महिला का जीवन उतना अधिक आसान नहीं दिखाई देता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। तो वर्तमान मे भी हर कार्य को करने के लिए महिला को अपने पुरूष साथी की जरूरत होती ही है।
देखिए यह सब प्राचीन काल की बातें होती है। इसका कारण यह है कि अब इस तरह के लोग मिलना भी काफी कठिन हैं। जिनके अंदर सच मुच बहुत ही अच्छे गुण मौजूद हैं। और यदि आपके पति काफी अच्छे हैं , तो फिर आप कभी भी उनको खोना नहीं चाहेंगी । क्योंकि आपको पता है कि उनकी तरह के पति का मिलना काफी अधिक कठिन होता है। इसलिए आप अपने पति का सम्मान अपने आप ही करने लग जाएंगी । पहले वाले पति इस तरह के नहीं होते थे , जोकि महिलाओं को मारते पिटते थे या फिर उनको गालियां देते थे । वरन पहले वाले पतियों के द्धारा अपनी पत्नी का पूरा सम्मान किया जाता था ।
लेकिन आजकल क्या है ? कि सब उल्टा फुल्टा हो रहा है , ना तो अब वैसी महिलाएं बची हैं , जोकि अच्छी होती हैं। हालांकि अपवाद हर जगह पर होते हैं। अब बस कुछ महिलाएं ही हैं। और कुछ पति ही हैं , जोकि सही मायेने के अंदर पति पत्नी कहे जा सकते हैं। वरन अधिकतर केस के अंदर तो पति और पत्नी किसी तरह से अपने जीवन की गाड़ी को चला रहे हैं। समाज की नजर मे वे पति और पत्नी हैं , लेकिन रियल मे उनके अंदर ऐसा कुछ भी नहीं है।
हां पति के चलते ही पत्नी का समाज के अंदर सर उंचा रहता है। भले ही यह प्राचीन मान्यता है। लेकिन यह सब चीजें आज भी धरातल पर मौजूद हैं। यदि किसी महिला का पति मर जाता है , तो उसके बाद उस महिला को ससुराल के अंदर कोई भी पसंद नहीं करता है। बहुत सी महिलाएं तो यह तक कह देते हैं कि यही अपने पति को खा गई है। तो कुल मिलाकर हम कह सकते हैं। कि आज भी पति के रहते पत्नी का सर उंचा रहता है।
दोस्तों पुराणों के अंदर पतिव्रता स्त्री के कई सारे लक्षण बताए गए हैं। इसके अंदर यह कहा गया है कि एक ऐसी स्त्री जोकि पति से पहले उठती है। और पति के खाने के बाद भोजन करती है। और पति यदि उससे दूर रहता है , तो वह कभी भी श्रृगार नहीं करती है। इस तरह की स्त्री को पतिव्रता स्त्री के नाम से जाना जाता है। हालांकि आपको बतादें कि आज भी इस तरह की स्त्री मौजूद हैं। जिनके अंदर इस तरह के सभी लक्षण पाये जाते हैं। तो यह लेख आपको कैसा लगा ? यदि आपके मन मे कोई सवाल है , तो आप हमें पूछ सकते हैं।
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