पति का पर्यायवाची शब्द या पति का समानार्थी शब्द (pati ka paryayvachi shabd / pati samanarthi shabd) के बारे मे इस लेख में काफी विस्तार से समझाने का प्रयास किया है । अगर आपने इस लेख को सही तरह से पढ लिया तो हम दावा करते है की आप पति के पर्यायवाची शब्दो को कभी नही भूल पाओगे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
पति | शौहर, ख़सम, बलम, अधिपति, सुहाग, स्वामी, मियाँ, प्रीतम, गृहस्वामी, साजन, घरवाला, प्राणाधार, प्राणप्रिय, नाथ, वल्लभ, सैयां, बालम, प्राणेश्वर, कांत, प्राणधन, प्रियतम, आर्यपुत्र, सजन, हृदयेश्वर, भर्ता, प्राणवल्लभ, अधिप आदी |
पति in Hindi | shauhar, khasam, balam, adhipati, suhaag, svaamee, miyaan, preetam, grhasvaamee,Saiyan, Balam, Praneshwar, Kant, Prandhan, Priyatam, Aryaputra, Sajan, Hridayeshwar, Bharta, Pranavallabh, Adhipa etc. |
पति in English | husband, spouse, man, partner, yokefellow, marrow. |
दोस्तो पति का अर्थ होता है स्त्री का जिसके साथ विवाह होता है यानि शौहर या घरवाला । पति को अनेक नामो से जाना जाता है और वे ही असल में पति शब्द के अर्थ होते है । जैसे की बात करे की पति के अर्थ कितने होगे तो ये निम्न है
इस तरह से दोस्तो पति का अर्थ होता है वह पुरूष जिसका महिला के साथ विवाह हो जाता है तो वह महिला का पति होता है । जैसे की आपकी माताजी का आपके पिता के साथ विवाह हुआ है तो आपके पिता आपकी माताजी के पति है ।
इस तरह से दोस्तो पति को अनेक तरह से समझाया जा सकता है ।
दोस्तो पति के बारे में आज हमे आपको बताने की जरूरत नही है । क्योकी आप इस बारे में अच्छी तरह से जानते है । अगर आपका विवाह हो गया है तो आपको निश्चित इस बारे में पता है ।
वही पर अगर आपका विवाह नही हुआ है तो भी आपको पता हो सकता है की पति कोन होता है । क्योकी आपका तो विवाह नही हुआ है मरग आपकी जो माताजी है उसका विवाह तो आपके पिता के साथ हुआ है । तो आपके जो पिता है वे आपकी माताजी के पति है ।
यानि कहा जा सकता है जिसक पुरूष के साथ महिला का विवाह होता है वह पुरूष महिला का पति होता है ।
अगर आप एक महिला हो और आपका जिस पुरूष के साथ विवाह होने वाला है तो वह पुरूष आपका पति है ।
अगर आप पुरूष हो तो आपका जिस महिला के साथ विवाह होगा आप उस महिला के पति होगे ।
कहने का अर्थ है की महिला कभी भी पति नही होती है बल्की महिला पत्नी होती है और पति पुरूष होता है । आज के नव युग के लोगो को तो यह बताने की जरूरत तक नही है की पति कोन होता है । हालाकी प्राचीन समय में कुछ इस तरह की हालात थी की लड़कियो का विवाह 8 से 10 वर्षों के बिच में ही कर दिया जाता था । तो उन्हे यह पता नही होता था की पति कोन होता है और पत्नी कोन होती है । मगर अब सरकार ने विवाह की उम्र 18 और 21 वर्ष के बाद की कर रखी है । और इतनी उम्र के होने के बाद में सभी को मालूम चल जाता है की पति कोन होता है ।
हिंदू धर्म में कहा जाता है की पति परमेश्वर होता है । आखिर ऐसा क्यो कहा जाता है क्या यह बिना किसी वजह से कहा जाता है या इसके पिछे भी कोई धार्मिक महत्व होता है इसा बारे में आपकी पूरी संका दूर करेगे । अब आप हमारे साथ बने रहिएगा ।
दोस्तो पति को परमेश्वर कहने के पिछे एक धार्मिक महत्व होता है । जैसे की आपने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के बारे में जरूर पड़ा होगा । माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणो में रहती है । और उन्हे आदर देती है यहां तक की लक्ष्मी जी भगवान विष्णु को अपना परमेश्वर मानती है ।
पति से पहले कोई और परमेश्वर नही माना जाता है । हालाकी लक्ष्मी माता जी किसी देव को भी अपने पति से बड़ नही मानती है । क्योकी सबसे पहले पति परमेश्वर है फिर बाकी सभी । और कुछ इसी कारण से आज के समय में पति को परमेश्वर कहा जाता है ।
अगर आपको पता नही है तो बता देते है की जब महिला का पुरूष के साथ विवाह होता है तो सात फेरे लिए जाते है । और उन सात फेरो में 7 तरह के वचन होते है । और उन वचनो में से एक वचन यह होता है की महिला अपने पति के साथ हमेशा रहेगी । चाहे सुख हो या दुख हो वह उनका साथ कभी नही छोड़ेगी । और यह वचन भी जीवन का एक आधार माना जाता है ।
क्योकी शिव के अर्धानारिश्वर के रूप में आधार पर कहा जाता है की पुरूष बिना स्त्री के अधूरा है । और स्त्री पुरूष के बाए भाग में वास करती है । इसके बाद ही पुरूष पूर्ण हो पाता है । यह बात बताती है की जीवन में महिला और पुरूष जब एक साथ होते है तभी वे मनुष्य है ।
अगर महिला पुरूष का भाग नही है तो महिला अधूरी है । और बिना परमेश्वर से हर कोई अधूरा होता है । अगर महिला का विवाह हो जाता है तो महिला पूर्ण हो जाती है ।
जैसे की शिव का अधा अंग पार्वती का है । और माता पार्वती भी अपने पति यानि शिव को परमेश्वर मानती है । और इस बारे में आपने पढा होगा ।
और फिर असल रूप में पति का परमेश्वर होना विष्णु और माता लक्ष्मी से जुड़ा होता है । क्योकी लक्ष्मी माता भी विष्णु को परमेश्वर मानती है । तो यही मुल कारण होता है की पति को परमेश्वर कहा जाता है ।
क्योकी जब देवी ही अपने पति को परमेश्वर मान नही है तो इंसानो का तो मानना ही है ।
हालाकी परमेश्वर होने का मतलब यह नही है की महिला को परेशान करने लग जाए । ऐसी स्थिति में महिला के लिए वह पुरूष परमेश्वर नही बल्की राक्षस बन जाता है । क्योकी देव भी अपनी पत्नी को कभी परेशान नही करते है । बल्की उनको अपने समान समझते है । उनको अपना साथी मानते है । हा यह बात अलग है की पति का परमेश्वर मानने के पिछे देवताओ का कोई लेना देना नही है । क्योकी ऐसा देव स्वयं नही मान रहे है बल्की देवी यानि माताओ का मानना है ।
यानि माता लक्ष्मी और अन्य देवी ऐसा मानती है की उनका पति परमेश्वर है न की देव मानते है की वे अपनी पत्नियो के लिए परमेश्वर है ।
ऐसा कहने का कारण यह है की जब महिलाए पुरूष को एक सामान्य दर्जा न देकर परमेश्वर का दर्जा दे रही है तो पुरूष को भी चाहिए की वे महिलाओ का आदर करे । और उनको अपने से कम नही समझे । बल्की देवो की तरह अपनी पत्नी को भी अपने समान समझना चाहिए ।
जब भी किसी महिला का किसी पुरूष के साथ विवाह होता है तो वह महिला जितना अधिक पुरूष के साथ बंधती है उतना किसी और के साथ नही बंधती है । बल्की एक यह भी कारण हो सकता है की पति को परमेश्वर माना जाता है ।
क्योकी एक महिला को जीतना आदर उसका पति दे सकता है ससुराल में शायद कम ही दुसरे लोग दे सकते है । मगर हमारा यह मतलब नही है की पति गलत नही होते है । बहुत से लोगो के लिए पति गलत हो जाते है । मगर इसका मतलब यह तो नही सभी पति गलत है । और पति को परमेश्वर नही माना चाहिए । हां यह आपकी सोच है की आप पति को परमेश्वर माने की नही । इसमें न तो आपका पति कुछ कह सकता है और न ही दुसरा कह सकता है । की आपको पति को परमेश्वर मानना चाहिए । क्योकी माता लक्ष्मी को यह कोई नही कहता की वे भगवान विष्णु को अपना परमेश्वर माने बल्की वे स्वयं ही मानती है । तो इस तरह से पति का परमेश्वर होना या न होना केवल आप पर निर्भर करता है ।
दोस्तो जिस स्त्री का जिस पुरूष के साथ विवाह होता है वह पुरूष उस स्त्री का पति होता है । और वह स्त्री पुरूष की पत्नी होतीहै । क्योकी जब महिला का विवाह हो जाता है तो महिला अपने पति के साथ उसके घर में चली जाती है और उसके साथ ही रहने लग जाती है । क्योकी वह घर किसी और का नही बल्की महिला के पति का होता है । तो यह कहा जा सकता है की महिला का पति घर का स्वामी होता है । क्योकी जो घर का मालिक होता है वही घर का स्वामी होता है ।
क्योकी महिला भी अब विवाह कर लेती है तो वह भी अपने पति के जीवन का आधा हिस्सा रखती है । यह सरकार भी मानती है । पति की संपत्ति पर आधा अधिकर पत्नी का होता है । तो इस तरह से घर पर भी महिला का अधा अधिक होता है । मगर ऐसा बहुत ही कम कहा जाता है । क्योकी असल में कहा जाता है की महिला का ही घर होता है । और इस कारण से घर की स्वामी महिला भी होती है । और महिला को गृहस्वामिनी कहा जाता है । क्योकी महिला के घर का स्वामी होने पर गृह स्वामिनी कहा जाता है तो उसी तरह से पति भी घर का स्वामी होता है तो पति को भी गृहस्वामी कहा जाता है ।
इस तरह से दोस्तो आप समझ सकते है की आखिर पति को गृहस्वामी क्यो कहा जाता है ।
पति के पैर छूने की परमपरा आज से नही बल्की काफी समय पहले से चली आ रही है । और इसके पिछे कोई धार्मिक कारण भी होता है भले ही आज हम उस कारण कोनही जान रहे है मगर इसका मतलब यह नही कउसके पिछे कोई कारण नही है । बल्की इसके पिछे किसी न किसी तरह का धार्मिक कारण होता है
और वह काण यह हो सकता है की भगवान विष्णु जो होते है उनकी पत्नी माता लक्ष्मी हमेशा उनके पैर को छूती है । क्योकी माता लक्ष्मी भी पैर को छू सकती है तो एक साधारण महिला क्यो नही छूती है । दूसरा यह की जब महिला पति को परमेश्वर मान सकती है तो पति के पैर छूना गलत नही है । क्योकी परमेश्वर के पैर छूए जा सकते है । मगर दोस्तो पैर छूने का मतलब यह नही की हम सामने वाले से छोटा हो जाते है । क्योकी यह केवल लोगो की सोच है । जब आप अपने पति के पैर छूते है तो आपको स्वयं को ही पता होगा की आपका पति आपको किस तरह का दर्जा देता है ।क्या आपका पति आपको अपने से छोटा समझता है या फिर अपने से बढकर मानता है । अगर धर्मो की बात करे तो पति और पत्नी को समान कहा गया है । आपने अर्धनारिश्वर रूप में बारे में शुना होगा यह रूप यही बताता है की पति और पत्नी एक दूसर के समान है ।
अगर आप अपने पति को परमेश्वर मान रहे है तो आप छोटे नही है । बल्की आप भी उनके समान है । मगर यह आपकी सोच होती है । अगर आपका पति भी आपको समान समझता है तो आप इस बात को आसानी से मान लोगे ।
वरना इस संसार में ऐसे लोगो की भी कोई कमी नही है जो की यह कहेगे की पैर छूने से छोटा समझा जाता है । ऐसा बहुत से पत्नियो के पति भी समझते है ।
मगर हम फिर से कह रहे है की पैर छूना केवल आप पर निर्भर करता है गर आप नही चाहते चाहते है की आपको पति के पैर छूने चाहिए । तो आप न छूओगे तो इसमें कुछ नही होगा । और ऐसा करने पर पति को भी कोई अतराज नही होना चाहिए । क्योकी इस बात से पति को कोई लेना देना नही होता है की उसकी पत्नी उसके पैर को छूती है की नही ।
अगर वह पैर को नही छू रही है तो इसका मतलब यह नही है की पत्नी धार्मिक नही है । बल्की ऐसा नही है क्योकी पैर छूने से कोई धार्मिक नही बनता है और न छूने पर भी अधार्मिक बन जाता है। बल्की धार्मिक होने की भावना होनी चाहिए ।
अत: अंत में हम कहेगे की यह आप पर निर्भर करेगा की पति के पैर छूने चाहिए की नही ।
इस तरह से दोस्तो आपको फिर से बताते है की हम यहां पर पति के पर्यायवाची शब्दो के लिए आए थे । अगर आपको समझ में आया तो ठिक है वरना एक बार पर्यायवाची शब्दो को रिपीट जरूर करे ताकी याद हो जाए ।
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