प्रसन्नता का विलोम शब्द, प्रसन्नता शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, प्रसन्नता का उल्टा , prasanta ka vilom shabd,
प्रसन्नता को दूसरे शब्द मे खुशी व्यक्त करना कहा जाता है। दसरअल हम किसी बात को लेकर खुशी व्यक्त करते हैं। जैसे यदि कोई नौकरी लग गया है तो हम प्रसन्न होंगे क्योंकि यह हमारे लिए खुशी की बात है। इसके अलावा शादी होना , सक्सेस होना , बिजनेस के अंदर आगे बढ़ना आदि खुशी व्यक्त करने के बारे मे ही है।
प्रसन्नता काफी बेहतरीन शब्द है। हर कोई प्रसन्न रहना चाहता है लेकिन यह संभव नहीं है कि हर कोई प्रसन्न हर समय रह पाए । क्योंकि जीवन के अंदर सुख और दुख प्रसन्नता और और अप्रसन्नता एक पहिये की भांति हैं जो आते जाते रहते हैं।
यदि आज आप प्रसन्न हैं तो आपको यह ज्ञात रखना चाहिए कि भले ही आज आपके अच्छे दिन चल रहे हैं लेकिन कल बुरे दिन भी आएंगे । वैसे कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं जोकि बुरे समय के अंदर भी प्रसन्न रह सकेते हैं। क्योंकि उनको यह पता होता है कि बुरा समय हमेशा नहीं रहने वाला है। एक ना एक दिन बुरा समय जाएगा ही । वैसे प्रसन्नता का मतलब होता है खुश होना ।
दोस्तों खेद का अर्थ होता है। दुख व्यक्त करना । जब किसी की मौत हो जाती है तो हम दुख व्यक्त करते हैं। और आमतौर पर दुख को व्यक्त करने के लिए उसके घर पर भी जाते हैं। हमारे यहां पर तो इस बात का प्रचलन है कि खेद को व्यक्त करने के लिए 12 दिन किये जाते हैं और उस समय सारे रिश्तेदार घर आते हैं और खेद व्यक्त करते हैं। खेद तब व्यक्त किया जाता है जब कोई बुरी घटना होती है। जैसे किसी की मौत हो जाती है तो उसके लिए खेद व्यक्त किया जा सकता है। या फिर किसी के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो भी खेद व्यक्त किया जाता है। तलाक भी खेद का विषय है।
खेद एक ऐसा शब्द है जिसको बुरा माना जाता है।असल मे खेद को कोई नहीं चाहता है। कि यह उनकी जिंदगी के अंदर आए । लेकिन उसके बाद भी यह आ ही जाता है। लेकिन खेद का भी आपको सामना करना होता है।क्योंकि यदि आप खेद का सामना करने मे सफल नहीं होते हैं तो आप उसके बाद आने वाली खुशी का कभी भी मुंह नहीं देख सकते हैं।
इसलिए जब भी खेद का वक्त हो या दुख का वक्त हो तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।वरन बस आपको इंतजार करना है सही समय का ताकि खेद का वक्त निकल जाए । और एक बार जब यह वक्त निकल जाता है तो उसके बाद वापस खुशियों का समय आ जाता है।
वैसे आपको बतादें कि खेद कई तरह की समस्याओं को पैदा करता है।जब आप अधिक समय तक खेद मे रहते हैं तो फिर आप मानसिक रूप से प्रताड़ित हो सकते हैं या आप डिप्रेसन के अंदर जा सकते हैं। बहुत से लोग खेद को या दुख को झेल नहीं पाते हैं जिसकी वजह से वे बेहोश हो जाते हैं और कई तो अपने जीवन को समाप्त तक कर लेते हैं।
प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर दो भाई रहते थे एक का नाम खेद था तो दूसरे का नाम प्रसन्नता था। दोनों अपने नाम के अनुसार ही थे। खेद बस हर बात के उपर खेद प्रकट कर देता था। भले ही कितना भी अच्छा कार्य क्यों ना हो खेद तो बस खेद ही प्रकट करता था। उसकी इस हरकत की वजह से लोग काफी नाराज होते थे।
एक बार गांव के अंदर शादी हो रही थी।और खेद वहां पर गया । उसने देखा कि आने वाले कुछ दिनों के अंदर दुल्हा मर जाएगा । और दुल्हन की मांग से सिंदूर नहीं रहेगा । तो यह देखकर वह काफी दुखी होते हुए लोगों से बोला ……….अरे भाई तुम खुशियां मना रहे हो यह दुल्हा तो 5 दिन के अंदर मर जाएगा ।
खेद की बात सुनकर किसी ने उसको डांटा और वहां से भगा दिया । उसके बाद शादी के पांच दिन ही हुए थे कि दुल्हा मर गया । उसके बाद यह बात गांव के अंदर आग की तरह फैल गई की खेद जो कहता है वह सच ही कहता है।क्योंकि वह हर समय बस खेद की ही बात करता है। यही कारण था कि उसके पास कोई भी इंसान जाने से डरता था।क्योंकि कोई भी अपना घिनौना भविष्य नहीं जानना चाहता था।
उधर एक तरफ प्रसन्न था वह कभी भी खेद की बात नहीं करता था। वह जहां पर भी जाता । बस प्रसन्नता की ही बातें करता था। कारण यह था कि उसकी प्रवृति ही उसी प्रकार की थी।
एक बार प्रसन्न एक घर के अंदर गया जहां पर बच्चे का जन्म हुआ था तो वहां पर उसका जोरदार स्वागत हुआ और पूछा गया ……यह होने वाला बच्चा कैसा होगा ?
…….यह काफी महान होगा और काफी पैसे वाला भी होगा । आपके लिए यह बच्चा बहुत ही शुभ होगा ।
लेकिन उसी वक्त प्रसन्न का भाई वहां पर पहुंच गया और बोला ……..चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह बच्चा जब 5 साल का होगा तो इसके उपर बड़ा संकट आएगा लेकिन यह उसमे बच जाएगा । और कल इस घर मे आग लगने वाली है लेकिन कुछ नुकसान नहीं होगा ।
यह सब सुनकर वहां पर खड़े लोग काफी गुस्सा हो गए और उसके पीछे भागे । खेद वहां से भाग गया और बोल गया ……..सत्य को सुनने की आदत इंसान को डाल लेनी चाहिए । तुम सिर्फ अच्छाई चाहते हो बुरा तुम कुछ भी सुनना ही नहीं चाहते हो लेकिन क्या करें ।अच्छा और बुरा तो बस प्रक्रति का खेल है।यह सब बुरा करने वाला मैं नहीं हूं । मैं तो बस आपके सामने रख रहा हूं कि आप समस्या के लिए पहले से तैयार रहें। यदि आपको नहीं पसंद तो कोई बात नहीं है।
अब गांव वाले समझ गए की खेद और प्रसंसा दोनों सिक्के के दो पहलू हैं जो बदलते रहते हैं उनको रोका नहीं जा सकता है।
प्रसन्नता का विलोम शब्द prasanta ka vilom shabd लेख के अंदर हमने प्रसन्नता और खेद के विलोम शब्द और उनके अर्थ के बारे मे जाना ।
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