प्रतिकूल का विलोम शब्द Pratikul ka vilom shabd kya hai ?
प्रतिकूल का विलोम शब्द या प्रतिकूल का विलोम , प्रतिकूल का उल्टा क्या होता है ? Pratikul ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
प्रतिकूल | अनुकूल |
Pratikul | Anukul |
प्रतिकूल का विलोम शब्द
दोस्तों प्रतिकूल का विलोम शब्द अनुकूल होता है। जब आप कहीं पर जा रहे हैं और मौसम यात्रा के अनुकूल नहीं होता है तो उसे प्रतिकूल मौसम के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार से यदि र्काई भी चीज आपके अनुरूप नहीं है तो वह अपने आप ही प्रतिकूल हो जाती है। प्रतिकूल चीजें हमेशा ही नुकसानदायी होते हैं।कारण यह है कि यह चीजें वैसी नहीं होती हैं जैसा कि हम इनसे चाहते हैं सो प्रतिकूल चीजों से लड़कर हमे उनको जितना चाहिए । जैसे कि आप अपने बिजनेस को आगे बढाना चाह रहे हैं लेकिन आपके कम्पीटिटर आपके राह मे बड़ा रोडा हैं तो आप उनको किस प्रकार से परास्त करेंगे उसके लिए आपको कुछ सोचना होगा ।वैसे आपको बतादें कि जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है उतनी ही तेजी से संघर्ष बढ़ रहा है और इस संघर्ष की वजह से प्रतिकूल समय भी तेजी से आ रहा है। कुछ साल पहले जहां पर एक दुकान थी वहीं अब सो दुकान खुल चुकी हैं और बुखमरी को दूर करने के लिए अनाज मे अनैचुरल चीजें डाली जा रही हैं । जिसका परिणाम घातक कैंसर जैसे रोग पैदा हो रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि यह घातक कैंसर रोग अधुनिक युग के अंदर कैसे तेजी से बढ़ रहा है ? इसका कारण भी एक तरह से जनसंख्या ही है। तो यदि आप सोच रहे हैं कि आपके अनुकूल परिस्थितियां होंगी तो आप गलत सोच रहे हैं।
यदि आप प्रतिकूल परिस्थितियों के अंदर खुद को खड़ा रख पाते हैं तो फिर कोई कारण नहीं है कि आप सफल नहीं हो सकते हैं। क्या आप बाबा रामदेव को जानते हैं जो पतंजली के मालिक हैं। उनके बारे मे यह कहा जाता है कि कभी वे साइकिल पर जड़ी बूंटी बेचा करते थे । और आज उनकी कम्पनी का करोड़ों का टर्न ओवर है। इसका कारण यह है कि जब उनके पास प्रतिकूल समय था तो उन्होंने हार नहीं मानी और निरंतर समय को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करते रहे । यह तो सभी जानतें हैं कि इंसान अपनी मेहनत से समय को भी जीत सकता है। तो एक दिन बाबा रामदेव सबसे सक्सेस इंसान बन गए ।
यदि आप प्रतिकूलता से लड़ना जानते हैं तो फिर आप एक ना एक दिन सक्सेस जरूर होंगे । यदि आप अभावों से लड़ना जानते हैं तो आपको सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता है। आप यह समझते हैं कि प्रतिकूलता अपने आप ही सही आ जाएगी तो आप गलत सोच रहे हैं।
बहुत बार ऐसा होता है कि समय अपने आप ही आपके अनुकूल नहीं होता है वरन आपको समय को अपने अनुकूल बनाना पड़ता है। जैसे कि आप यदि कोई एग्जाम देने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको उसके बारे मे पढ़ना होगा । यदि आप पढ़कर नहीं जाएंगे तो फिर आप किसी भी हालत मे परीक्षा मे पास नहीं हो सकेंगे ।
वैसे आपको बतादें कि अनुकूलता और प्रतिकूलता मानव जीवन के दो पहलू हैं।यह हमेशा बदलते रहते हैं लेकिन कुछ मामलों मे हमे इनको बदलने का प्रयास भी करना होता है।
अनुकूल का मतलब
अनुकूल का मतलब होता है जो आपके पक्ष मे हो ।जैसे किसी बात को लेकर आपके मित्र आपके पक्ष मे हैं तो यह मित्रों के लिए अनुकूल होगा। जैसे कि आप मकान बनाते हैं तो उसके लिए अनुकूल महुर्त देखते हैं और उसके बाद ही मकान बनाते हैं।उसी प्रकार से अनुकूल का मतलब होता है आपके लिए जो फायदेमंद हो । जैसे आप कहीं पर पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं और आपका वैसा वहां पर काफी समय बाद डबल हो जाता है तो यह आपके लिए अनुकूल ही होगा ।
वैसे आपको बतादें कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जोकि अपनी मेहनत से समय को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखते हैं।और यही वजह है कि वे एक दिन जीवन के अंदर काफी सक्सेस इंसान भी बन जाते हैं खैर समय को अपने अनुकूल बनाने की कोशिश करें तभी आप सफलता हाशिल कर पाएंगे ।
प्रतिकूल से सफलता की ओर
दोस्तों बहुत प्राचीन कहानी है।एक बार एक राजा था उसके उपर किसी दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया और उसके पूरे राज पाट पर अपना अधिकार कर लिया । राजा अपने कुछ सैनिकों को लेकर जंगलों मे चला गया । कुछ दिनों बाद राजा ने दुबारा सेना एकत्रित की और फिर अपना खोया हुआ राज्य पाने के लिए आक्रमण किया लेकिन इस बार भी राजा को हार का मुंह देखना पड़ा ।और उसके बाद राजा यह मान बैठा था कि अब उसे अपना राज्य कभी भी नहीं मिल सकता है। वह एक गुफा के अंदर बैठा था ।
उस गुफा मे एक बड़ी सी मकड़ी थी। वह एक चट्टान पर चढ़ने का प्रयास कर रही थी लेकिन बार बार नीचे गिर जाती लेकिन काफी बार गिरने के बाद भी अंत मे वह उस चट्टान पर चढ़ने मे सफल हो गई ।राजा उस मकड़ी को ध्यान से देख रहा था। राजा के मन मे विचार आया कि एक छोटी सी मकड़ी होने के बाद इतना साहस उसके अंदर और अंत तक प्रयास करती है । यदि मैं भी लगातार प्रयास करता हूं तो मेरा राज्य मिल सकता है।
उसको बाद राजा वहां से उठा और नई सेना गठन पर काम किया फिर जब राजा के पास काफी मात्रा मे सैनिक हो गए तो राजा ने उस राज्य पर हमला करना शूरू कर दिया । राजा सीधे हमला नहीं कर सकता था । वरन चोरों की तरह राजा पर हमला करता । पूरे राज्य के अंदर हाहाकार मच गया और वहां का राजा बौखला गया ।
और फिर उस राजा ने एक बड़ी सैना जंगलों की तरफ भेजी लेकिन जंगलों मे भेजी गई सेना को पहले से ही छुपकर बैठे सेनिकों ने मार डाला और मौका पाकर राजा ने अपना राज्य वापस ले लिया ।
इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है कि यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते हैं तो आपको सफलता अवश्य ही मिलती है। राजा को ही देखें राजा ने एक मकड़ी से प्रेरणा ली और उसके बाद प्रयास किया और उसे अपना राज्य वापस मिल गया ।प्रयास करना छोड़ देना ही तो हार है।