पूजा का विलोम शब्द, पूजा शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, पूजा का उल्टा , puja ka vilom shabd,
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
पूजा | अपुजा या जो पूजा नहीं करता |
pooja | Apooja |
prayer | Non prayer |
पूजा का दूसरा मतलब होता है प्रार्थना करना ।जब आप भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवान आप हमारा कल्याण करें तो यह पूजा ही होती है।पूजा का मतलब यथेष्ट आदर सत्कार, आव भगत। जब आपके घर के अंदर कोई अतिथि आता है और आप उसका आदर सत्कार करते हैं तो वह भी एक प्रकार की पूजा ही होती है।
पूजा को हम आमतौर पर भगवान के आगे सर झुकाने और उनके आगे दीपक जलाकर आरती करने से जोड़कर भी देखा जाता है। उसी को पूजा भी कहते हैं।पूजा करने का तरीका हर धर्म का अलग अलग हो सकता है जैस कुछ धर्म के लोग खड़े खड़े पूजा कर सकते हैं या कुछ धर्म के लोग चलते फिरते भी पूजा करते हैं।
अक्सर पूजा वर्ड का प्रयोग भगवान से प्रार्थना करने मे किया जाता है। पूजा के अंदर अक्सर हम एक पूजा की थाली का प्रयोग करते हैं जिसके अंदर दीपक वैगरह जलाया जाता है और उसके बाद भगवान की आरती उतारी जाती है।
अपूजा का मतलब होता है पूजा का नहीं होना । या जो भक्ति पूजा से रहित है वह अपूजा ही तो है।वैसे देखा जाए तो पूजा का उल्टा अपूजा ही होता है। जहां पर पूजा नहीं होती है। या आप यदि किसी की पूजा नहीं करते हैं तो यह अपूजा है।
ऐसे इंसान जिनके लिए अपूजा वर्ड का प्रयोग किया जा सकता है।जो कि पूजा के अंदर विश्वास नहीं करते हैं। आमतौर पर जो इंसान पूजा पाठ नहीं करता है। वह अपूजा के जैसा ही हो जाता है। अपूजा यदि आपके अंदर है तो आपका मन भी उसी प्रकार का हो जाता है। एक पूजा करने वाले इंसान का मन काफी दया और करूणा से भरा होता है। और वह दूसरों के साथ भी उसी प्रकार से अच्छा व्यवहार करता है लेकिन जिस इंसान के अंदर अपूजा होती है। वह उसी प्रकार का हो जाता है। उसके अंदर दया और करूणा का होना काफी कठिन होता है।
अधिकतर लोग जो दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं वे अपूजा वाले ही होते हैं। बस वे अधिक से अधिक धन कमाने की चिंता करते हैं और उनको किसी भी तरह की चिंता नहीं होती है। अपूजा वह प्रवृति है जो इंसान को एक इंसान नहीं रहने देती है। इंसान के अंदर आज जो आप गलत गुणों को देख रहे हैं वे ऐसे ही नहीं है।वरन यह सब अपूजा की वजह से ही तो हो रहा है।
प्राचीन काल की बात है। एक राजा की दो रानियां थी एक रानी का नाम पूजा था और दूसरी रानी का नाम अपूजा था। दोनों के अंदर पूरी तरह से विपरित गुण थे । वे दोनों कभी भी एक दूसरे के साथ नहीं रह सकती थी।
राजा ने उन दोनों को अलग अलग महल बनाकर दे रखा था। और राजा दोनों के बार अपना समय व्यतीत करता था। राजा की दशा भी काफी बुरी थी । वह जब अपूजा के साथ समय बिताता तो वह अपूजा के गुणों से भर जाता है और जैसे ही पूजा के पास जाता वह पूजा के गुणों से भर जाता ।
एक बार राजा के महल मे आग लग गई तो राजा अपूजा के महल मे था। तो किसी सैनिक ने राजा से कहा …….महाराजा महल के अंदर आग लगी है ?
…….राजा वहां से भागा और महल की आग को देखा । उसके बाद सैनिकों ने किसी तरह से आग बुझाई । उसके बाद राजा ने यह ऐलान किया कि जिस किसी ने इस आग मे लापरवाही बरती है उसको सजाए मौत होगी ।
राजा के इस फैसले से महल के अंदर काम करने वाले लोग घबरा गए । और उसके बाद जांच की गई तो पता चला कि यह लापरवाही राजा के बहिन के बेटे से हुई थी।
चूकिं यह घोषणा राजा पहले ही कर चुका था। तो तय दिन तक उस अबोध बालक को फांसी के लाया गया । राजा की बहन अपने बेटे को फांसी से बचाने के लिए गुहार लगा रही थी। जब राजा की बहन को पता चला कि अब उसका बेटा नहीं बचेगा । तो वह सबसे पहले अपूजा के पास गई और बोली ……भाभी आप मेरे बेटे को बचालें । वरना मेरा भाई उसको फांसी चढ़ा देगा ?
…….कोई फर्क नहीं पड़ता है । मर जाने दो एक इंसान कम हो जाएगा ।
उसके बाद वह पूजा के पास गई और बोली ……..भाभी मेरे बेटे को बचालो और उसने पूजा के सारी बात बताई। उसके बाद पूजा तेजी से राजा के सामने गई और बोली …….महाराज आप इस निर्दोष और अबोध बालक को छोड़दें । वरना मैं अपना प्राणांत यहां पर कर लूंगी । यह सरा सर अन्याय है कि आप इस बच्चे को फांसी दें ।
———– तुम कौन होती हो राजा के काम मे दखल देने वाली और सैनिकों इसके हाथ से चाकू छीन लो और पकड़ लो ।
लेकिन जैसे ही सैनिक पूजा की तरफ लपके उसने अपना चाकू पेट मे उतार लिया । यह देख राजा बहुत व्याकुल हो गया और बोला ……… पूजा तुमने यह गलत किया है।मैं अपने भतीजे को मुक्त करता हूं । यही मेरा आदेश । और उसके कुछ ही समय बाद पूजा एक दम सही हो गई राजा ने देखा कि पूजा ने रियल मे कोई चाकू नहीं मारा था। यह बस आंखों का धोखा था।
……… यह तो एक धोखा है ।
………किसी निर्दोष की जान यदि किसी धोखे से बचती है।तो यह सबसे अच्छा ही होगा ।आपने निर्दोष इंसान की हत्या का गलत निर्णय दिया था। क्या यह गलत नहीं था। राजा अपने निर्णय पर शर्मिंदा था। और सभा के अंदर बैठे लोग पूजा की विद्धवता के उपर मुग्ध हो गए । और यह देख रहे थे कि एक स्त्री ने राजा को हरा दिया । सब पुरूषों का ज्ञान वास्तव मे यहां पर व्यर्थ साबित हो गया ।
पूजा का विलोम शब्द puja ka vilom shabd kya hai लेख के अंदर हमने पूजा के विलोम के बारे मे जाना और इसके उपर एक सामान्य कहानी देखी कि किसी प्रकार से एक पूजा करने वाला इंसान पूजा ना करने वाले से काफी बेहतर होता है
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