पुस्तक का पर्यायवाची शब्द या पुस्तक का समानार्थी शब्द (pustak ka paryayvachi shabd ya pustak ka samanarthi shabd and ) के बारे में आज हम इस लेख में जानने वाले है । हम जानेगे की पुस्तक का पर्यायवाची शब्द क्या होते है । मगर इसके अलावा हम पुस्तक के बारे में बात करेगें की इसका मतलब क्या होता है और किस तरह का पुस्तक होता है ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd ya samanarthi shabd) |
पुस्तक | किताब, पोथी, जिल्द, ग्रन्थ, बही |
पुस्तक in Hindi | kitaab, pothee, jild, granth, bahee. |
पुस्तक in english | book, folio. |
दोस्तो पुस्तक का अर्थ होता है किताब, ग्रंथ। यानि कागज की बनी हुई एक ऐसी वस्तु जिसे एक से एक कागज जोड़ कर बड़ी और मोटी वस्तु बना ली जाती है और फिर उसमें हाथ से कुछ लिखा जाता है तो वह पुस्तक होती है ।
इसके अलावा आज के समय में पुस्तक में हाथ से नही लिखा जाता है बल्की कंप्युटर की सहायता से लिख लिया जाता है और फिर एक पुस्तक से अनेक पुस्तक बन जाती है । मगर यह भी कागज की बनी होती है ।
अगर बात करे पुस्तक के अर्थ की तो इसे इस तरह से समझा जा सकता है –
इस तरह से किताब, बही, ग्रंथ और पौथी आदी सभी किताब के अर्थ होते है । ओर यह बात आपको पता होनी चाहिए । क्योकी जब एक शब्द में अर्थ की बात होती है तो यही पुस्तक के अर्थ होगे ।
पुस्तक का नाम आते ही हमे किताब की याद आ जाती है क्योकी पुस्तक जो होती है वह एक किताब ही होती है । जो की कागज के पन्नो से मिलकर बनी होती है । और बहुत सारे पन्ने जोड़ दिए जाते है और उसमें अध्ययन सामग्री लिख दी जाती है तो वह भी एक पुस्तक होती है ।
हालाकी आपको बता दे की पुस्तक अनेक तरह की हो सकती है । मगर सभी में अध्ययन सामग्री लिखी जाती है या लिखी होती है । जैसे की प्राचीन समय में जो ग्रंथ लिखे जाते थे तो वे ग्रंथ भी आज पुस्तक है ।
पुस्तक जो होती है वे कई तरह की होती है और किसी भी पुस्तक को उठा कर देख लिया जाए आपको उसमें अच्छा और उपयोगी ज्ञान ही मिलने वाला है । क्योकी आज के समय में बिना ज्ञान के कोई भी पुस्तक में लिखता नही है और यह आपको पता होना जरूरी है ।
आपको बता दे की पुस्तक काफी दिलचस्प होती है हालाकी यह निर्भर करता है की पुस्तक किसके पास है क्योकी अलग अलग लोगो के लिए जो पुस्तक होती है वे भी एक दूसरे के लिए अलग अलग तरह की होती है ।
पुस्तक कई तरह की होती है । और आपको बता दे की पुस्तक अपनी भाषा के आधार पर भी अलग अलग हो सकती है । वही पर ज्ञान के आधार पर भी अलग अलग होती है । क्योकी पुस्तक में जो ज्ञान लिखा होता है वह अलग अलग तरह का होता है तो पुस्तक भी अलग होती है । तो इस तरह से पुस्तक के प्रकार होते है
आपको बता दे की जो पुस्तक हिंदी भाषा के अंदर लिखा जाती है या फिर लिखी होती है तो उस पुस्तक को हिंदी भाषा की पुस्तक कहा जाता है और यह आपको पता होना चाहिए । आपको बता दे की यह जो पुस्तक होती है जो की हिंदी में लिखी है और यह हिंदी भाषा भारत में काफी अधिक लोकप्रिय भाषा है ।
कहते है की भारत के सभी स्थानो पर हिंदी भाषा को बोला जाता है । आपको बता दे की 100 मिलियन से भी अधिक ऐसे लोग है जो की आज के समय में हिंदी भाषा को बोल रहे है और यह आपको पता होना जरूरी है । दोस्तो आपको बता दे की हिंदी भाषा की पुस्तक आज के समय में भारत में काफी अधिक उपयोग में लाई जाती है और इसका सबसे बड़ा कारण यही है की यहां पर हिंदी भाषा बोलने वाले लोगो की संख्या बहुत अधिक है ।
हिंदी भाषा की किताबें तो बच्चे भी आसानी से पढ़ लेते हैं। और इस बारे में आपको पता होगा । वैसे इसका कारण यही होता है की हिंदी जो भाषा होती है वह भारत के बच्चो के लिए सरल होती है ओर इसे सरलता से सीखा जाता है और बोलने और पढने में एक जैसी होती है । आज बच्चे को स्कूल भेजने से पहले ही अध्ययन करवाया जाने लग जाता है और यह जो भाषा होती है वह हिंदी ही होती है और यही कारण है बच्चे हिंदी भाषा को आसानी से पढ सकते है ।
हिंदी भाषा की पुस्तक पढने में कई तरह के लाभ होते है ओर यह जो लाभ होते है वे काफी अच्छे होते है। हिंदी भाषा की पुस्तक में काफी अच्छा ज्ञान दिया होता है जो की अगर समय पर ग्रहण कर लिया जाता है तो लाभ देखने को मिल जाते है । हिंदी भाषा की पुस्तक जो होती है वह हिंदी में बातचीत करने के जैसे ही होती है । हिंदी भाषा की पुस्तक आपको बहुत ही मदद कर सकती है और खासकर बच्चे जो होते है उन्हे हिंदी भाषा की पुस्तक पढनी चाहिए ।
अगर आपके पास कोई पुस्तक है ओर उसमें आपको अंग्रेजी भाषा में लिखा हुआ मिल जाता है तो उसो अंग्रेजी भाषा की पुस्तक कहा जाता है । समझे नही तो आपको बात दे की अंग्रेजी भाषा की पुस्तक वह होती है जो की पूरी तरह से अंग्रेजी में लिखी होती है
और इस तरह से लिखी जाने वाली पुस्तक को अंग्रेजी भाषा की पुस्तक कहा जाता है ओर यह आपको पता होना जरूरी है । आपको बाता दे की हमारे भारत में हिंदी भाषा तो ज्यादा ही बोली जाती है मगर यहां पर हाल ही के कुछ वर्षों से अंग्रेजी भाषा पर भी काफी अधिक जोर दिया जा रहा है ।
आपको पता होगा की की अब तो भारत में अंग्रेजी सरकारी विद्यालय भी ओपन हो चुके है । जो की यह बाताती है की असल में अंग्रेजी का प्रचार भारत में ज्यादा हुआ है । और जिसका मतलब है की अंग्रेजी को ज्यादा बोला और सिखा जाने वाला है । दोस्तो आपको बता दे की अगर कोई अंग्रेजी भाषा की पुस्तक होती है तो उसमें आपको अंग्रेजी में लिखा हुआ ही मिलता है ।
वैस अंग्रेजी की जो पुस्तक होती है वे अलग अलग तरह की होती है । अगर कोई छात्र अंग्रेजी के लिए नया होता है तो उसके लिए अलग तरह की पुस्तक होती है और वही पर अगर कोई छात्र अंग्रेजी में पुराना है तो उसके लिए अलग तरह की पुस्तक होती है और यह आपको पता होना चाहिए ।
वैसे अंग्रेजी की जो पुस्तक होती है उन्हे आसानी से नही समझा जाता है मगर जब सही तरीके का उपयोग किया जाता है तो यह समझना आसान हो जाता है और इस बारे में आपको पता होना चाहिए ।
अंग्रेजी किताब को पढना आज के समय में लगभग जरूरी ही होता जा रहा है । क्योकी आप स्वयं ही देख ले की जहां पर भी जाते है तो वहां पर एक तो अंग्रेजी भाषा को बोला जाता है और दूसरा यह है की वहां पर अंग्रेजी भाषा को महत्व भी दिया जाता है और इसका मतलब यह है की अंग्रेजी भाषा का उपयोग कुछ ज्यादा ही हो रहा है और यह आपको पता होना जरूरी है ।
संस्कृत एक भाषा है जो की हमारे पुराने भारत में बहुत ही अधिक उपयोग होती थी । अगर आज आप रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथो को पढते हो तो आपको वहां पर केवल संस्कृत भाषा ही देखने को मिलने वाली है । आपको बता दे की मैंने असल में पूरानी गीता की किताब देखी थी जिसमें जो कुछ लिखा गया था वह संस्कृत भाषा में था ओर इसका मतलब यह होता है की जो संस्कृत भाषा होती है वह हमारे प्राचीन भारत में काफी उपयोगी होती थी । आपको बता दे की अगर कोई पुस्तक आज संस्कृत भाषा में लिखी होती है तो उसे हम संस्कृत भाषा की पुस्तक कहते है और यह आपको पता होना चाहिए ।
कई बच्चे संस्कृत की किताबें नहीं पढ़ पाते हैं क्योकी एक तो यह विषय जो होता है वह कठिन होता है और दूसरा की आज के समय में इस विषय को पढाने वाला भी बहुत कम आपको देखने को मिलने वाला है और इस बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए । वैसे बच्चे इसे न पढना चाहते है तो इसका एक कारण यह भी होता है की इस विषय में उनकी रूची कम होती है और जिस विष्य में उनकी रुची नही होती है उसे पढना उनके बस में नही होता है ।
आपको बता दे की बहुत से लोग है जो की बच्चो की तरह ही संस्कृत पुस्त को पढने में अपनी असमर्थता दिखाते है । और इसमें बड़े बडे लोगो को आप सामिल कर सकते है । आपको बात दे की प्राचीन भारत एक मात्र ऐसा स्थान रहा है जहां पर केवल संस्कृत लिखी ही नही जाती थी बल्की बोली जाती थी और इसका काफी अधिक प्रचलन भी था ।
सच में आज जब हम धर्मग्रंथ वेद को देखते है तो वे संस्कृत में ही थे मगर आज हमे यह पढना आता नही है और अगर आता तो हमे इसके अर्थ की जरूरत नही होती थी बल्की हम स्वयं ही अर्थ निकाल सकते थे । पतानही क्या करण रहा था की आज हमारे पास संस्कृत पुस्तको के बारे में ज्ञान कम है ।
इस तरह से पुस्तक का पर्यायवाची शब्द या पुस्तक का समानार्थी शब्द होता है । आशा है की लेख पसंद आया होगा ।
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