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राजा का विलोम शब्द raja ka vilom shabd

राजा का विलोम शब्द raja ka vilom shabd, राजा का उल्टा

शब्द (word) विलोम (vilom)
राजा‌‌‌रंक . ‌‌‌रानी,
rajarank
KingQueen

‌‌‌राजा का विलोम शब्द और अर्थ ( king)

राजा का विलोम शब्द होता है । रंक या रानी। खैर राजा शब्द के बारे मे आप को बहुत पहले से ही पता रहा है। क्योंकि पूरी दुनिया के अंदर राजाओं का इतिहास रहा है। राजा एक ऐसे इंसान को कहा जाता है जो किसी विशेष भू भाग पर अपना शासन करता है। प्राचीन काल के अंदर अनेक राजा ‌‌‌हुए हैं। इन महान राजाओं के अंदर महाराणा प्रताप का नाम आता है। जिनका नाम सबने सुना ही होगा । जिन्होंने अपनी मातृ भूमी के लिए घास की रोटी भी खाई थी। और कभी भी अकबर के दरबार के सामने नहीं गए थे ।अकबर से डट डट कर लौहा लेते रहे ।

‌‌‌जिस प्रकार से राजा के अधीन एक भूभाग होता है। उसी प्रकार से  राजा के पास सेना भी होती है। जिसकी मदद से वह अपने उस भूभाग की रक्षा करता है। आमतौर पर प्राचीन काल की बात हो या आज कि केवल कुछ राजाओं को छोड़ दें तो एक किसी भी राजा ने मानव धर्म नहीं निभाया । वह जैसे ही किसी दूसरे राजा के राज्य पर ‌‌‌अपना अधिकार कर लेता । वैसे ही वहां की महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार करना शूरू कर देता था। यही वजह थी कि एक राजा अपने राज्य को बचाने के लिए प्राणों की बाजी भी लगा देता था।

‌‌‌रंक का मतलब और अर्थ

रंक वर्ड भी आपे बहुत ही सुना होगा ।राज और रंक की कहानी बहुत अधिक प्रचलित है। रंक का मतलब होता है जिसके पास कुछ भी नहीं हो । रंक एक तरह से ऐसा इंसान होता है जिसके पास ना खोने के हो । असल मे जब कोई राजा अपने पद से हट जाता था तो उसके लिए यह वर्ड प्रयोग मे लाया जाता था कि ‌‌‌ समय का चक्र ऐसा है जिसके अंदर राजा को रंक बनते हुए देर नहीं लगती ।

‌‌‌इस प्रकार से आप रंक का मतलब समझ गए होंगे । रंक तो वैसे कोई बनना नहीं चाहता है लेकिन समय ऐसा बना देता है।सब कुछ समय के ही तो अधीन है।

‌‌‌रानी का मतलब

असल मे रानी का मतलब तो आपको बताने की जरूरत नहीं है।रानी का अर्थ है राजा की पत्नी । राजा की पत्नी को रानी के नाम से जाना जाता है।

‌‌‌राजा और रंक की कहानी Story of Raja and Rank

‌‌‌प्राचीन काल की बात है।एक राज्य के अंदर वसुधेव नामक एक क्रूर इंसान राज्य करता था। उसकी क्रूरता इतनी अधिक थी कि प्रजा उसकी वजह से काफी अधिक दुखी थी। लेकिन प्रजा कुछ कर नहीं पाती थी । इसका कारण यह था कि यदि राजा को यह पता चल जाता कि प्रजा विद्रोह करने वाली है तो वह पहले ही विद्रोहियों ‌‌‌को सेरेआम मरवा देता था।एक बार राज्य के अंदर कुछ संत आए और एक सभा का आयोजन किया लेकिन जैसे ही राजा को पता चला कि संत सभा का आयोजन कर रहे हैं तो उसने सारे संतों को पकड़ा और जेल के अंदर डाल दिया ।

‌‌‌उसके बाद दूसरे दिन संतों को दरबार के अंदर पेश किया गया ।

……….देखिए राजन तुम यह गलत कर रहे हो ।तुमको अपने कुकर्मों की सजा अवश्य ही मिलेगी । समझे संतों ने कहा था।

……..अरे कौन देगा मुझे अपने कर्मों की सजा । आज तक ऐसा पैदा नहीं हुआ है। और मूर्ख राजा हंसने लगा ।

…….. ‌‌‌विधि का विधान है।आज तू राजा है और तुझे अपने राजा होने का अहंकार हो गया है लेकिन कल तू रंक होगा और तेरा साथ कोई नहीं देखा । तू नहीं जानता है काल चक्र की गति को । समझ जा और यह अत्याचार बंद करदे ।

——— ‌‌‌मूर्ख संत तू राजा को समझाता है।तेरी हैसियत नहीं है मुझसे बात करने की । सैनिकों इस संत का सर काट डालो ।

राजा का आदेश पाते ही कुछ सैनिक दौड़े और संत का सर काट डाला ।

……क्यों बोला था ना संत की मेरे सामने ज्ञान मत झाड़ लेकिन मेरी नहीं मानी तो मारा गया ।राजा जोर से हंसा

…….. ‌‌‌मूर्ख राजा तेरा विनाश होके रहेगा । एक अन्य संत काफी तेजी से बोला और यह सुनकर राजा को गुस्सा आया और उसने संत का सर काटने का आदेश दिया ।

‌‌‌इस प्रकार से राजा ने दो संत को मौत के घाट उतार दिया और बाकी को जेल के अंदर बंद कर दिया ।लेकिन इस घटना की वजह से राजा काफी डरने लगा था। क्योंकि उसने सुन रखा था कि संतों पर अत्याचार का परिणाम काफी भयानक होता है।

‌‌‌उसी रात जब राजा सो रहा था तो उसी के छोटे भाई ने राजा की दोनों आंखों को फोड़ डाला और कारागार मे डाल दिया । और खुद राज करने लगा सभी संतों को भी मुक्त कर दिया ।

वसुधेव दैव काफी हैरान और परेशान जेल के अंदर पड़ा था। संत उसके पास आए और बोले ……..मूर्ख आज तू हमको नहीं देख सकता लेकिन हम तेरे को देख सकते हैं। तू आज जान गया कि समय बलवान होता है। वह राजा को भी रंक बनाने की क्षमता रखता है। उसी वक्त तूने समझ लिया होता तो आज तुझे यह दिन नहीं देखने पड़ते । ‌‌‌आज तुझे तेरे पापों का दंड मिल चुका है।लेकिन अभी और बहुत कुछ होगा ।अब तेरा राजपाट समाप्त हो चुका है। तेरे भाई का जमीर जाग गया था जो उसने तुझे सही स्थान पर पहुंचा दिया । यदि तू संतों पर अत्याचार ना करता तो शायद तेरी यह दशा नहीं होती ।

‌‌‌ऐसा कहकर संत तो वहां से चले गए लेकिन राजा बेचारा जेल के अंदर बैठा खून के आंसू बहाता रहा । उसे अब बहुत पछतावा हो रहा था लेकिन अब उसकी कोई सुनने वाला नहीं था। क्योंकि उसने अपने पूरे जीवन के अंदर इतने अधिक गलत काम किये थे कि अब उसके उपर कोई भरोशा भी नहीं कर सकता था।

‌‌‌इस प्रकार से समय सबसे बलवान होता है।जो इंसान घमंड के अंदर चूर रहता है और दूसरों पर अत्याचार करता है। समय उसको सब अवश्य ही सीखाता है।

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