33+ राक्षस का पर्यायवाची शब्द rakshas ka paryayvachi shabd
दोस्तो आपको इस लेंख मे राक्षस का पर्यायवाची शब्द या राक्षस का समानाथी शब्द के बारे मे जानकारी मिलेगी साथ ही लेख मे राक्षस के बारे मे बहुत कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी तो लेख को आराम से देखे । {raksha ka paryayvachi shabd kya hai, raksha ka paryayvachi shabd kya hoga, raksha ka paryayvachi shabd hindi mein, raksha ka paryayvachi in hindi, raksha ka paryayvachi word}
राक्षस का पर्यायवाची शब्द या राक्षस का समानार्थी शब्द { raakshas ka paryayvachi shabd ya raakshas ka samanarthi shabd}
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
राक्षस | दानव, रात्रिचर, पिशाच, प्रेत, कौणप, निशिचर, निशाचर, पुण्यजन, शतुघन, क्रव्याद, मनुजाद, अस्त्रप, आशर, निकषात्मज, रजनीचर, अदेव, कर्बुर, यातु, रक्ष, क्षपाट, सन्घ्याबल, कीलाप, नृचश, पलाश पलाशी, भूत, नीलाम्बर, कलमषा, कटप्रू, अगिर, कीलालय, नरघिष्मण, असुर, औघड़ । |
raakshas | Raatrichar, daanav, pishaach, pret, Kaunap, Nishichar, Nishachar, punyjan, Shatughan, Kravyad, Manujad, Astrap, Ashar, Nikashatmaj, Rajnichar, Adev, Karbur, Yatu, Rakshasa, Kshapat, Sangyabal, Keelap, Nrichash, Plash, Plashi, bhoot, Nilambaru, Kalasha, Agir, Keelaya, Narghishman, Asura. |
Demon | Virtuous, scrathc, cannibal , ogre, rabbitfish, giant, monster, devil, beelzebub, his sable majesty, vampire, ghoul, boggard, bogle, eidolon, ghost , hellhound, sprite, Belial, Beelzebub, goblin, dickens, skipper, spook, apparition, Old Nick, old scratch, nocturnal, noctivagant, noctivagous, Oghad, sea-urchin, pooka, phantom, Manitou, kobold, been, waff, Evil, spirit. |
33+ राक्षस का पर्यायवाची शब्दो की लिस्ट, List of 33+ synonyms for monster
1. दानव (Danav)
2. रात्रिचर (Ratrichar)
3. पिशाच (Pishach)
4. प्रेत (Pret)
5. कौणप (Kaunap)
6. निशिचर (Nishichar)
7. निशाचर (Nishachar)
8. पुण्यजन (Punyajan)
9. शतुघन (Shatughan)
10. क्रव्याद (Kravyad)
11. मनुजाद (Manujad)
12. अस्त्रप (Astrap)
13. आशर (Ashar)
14. निकषात्मज (Nikshatmaj)
15. रजनीचर (Ranjichar)
16. अदेव (Adev)
17. कर्बुर (Karbur)
18. यातु (Yatu)
19. रक्ष (Raksh)
20. क्षपाट (Kshapata)
21. सन्घ्याबल (Sanghyabal)
22. कीलाप (Kilap)
23. नृचश (Nrishash)
24. पलाश (Palash)
25. पलाशी (Palashi)
26. भूत (Bhoot)
27. नीलाम्बर (Neelambar)
28. कलमषा (Kalmasha)
29. कटप्रू (Katpru)
30. अगिर (Agir)
31. कीलालय (Kilalay)
32. नरघिष्मण (Narghishman)
33. असुर (Asur)
34. औघड़ (Aughad)
राक्षस क्या है What is a monster in hindi –
राक्षस एक प्रजाति का नाम होता है जो प्राचीन समय मे थी इस जाति के लोग हमेशा ही हडप कर खाने की भावना रखते थे । ये राक्षस विधान और मैत्री में विश्वास नहीं रखता है । इनका धर्म रक्ष धर्म था जिन्हे यह बहुत मानते थे । साथ ही इन्हे बदसूरत और भयानक रूप मे जाना जाता है ।
राक्षस का हिंदी में अर्थ क्या होता है Meaning of monster in hindi
- रक्ष धर्म को मानने वाले ।
- प्राचीन समय की एक प्रजाति ।
- हडप हडप कर अपना पेट भरने वाले ।
राक्षस का अर्थ वही होते है जो इसके पर्यायवाची होते है मगर इन्हे सही तरह से समझाया जाता है तो समझ में आ जाते है जैसे
- हमेशा क्रूर भावना और दुष्ट कार्य करने वाले ।
- ऐसी आत्मा जो दुष्ट होती है और धर्म का विरोधी होती है राक्षस कहा जाता है ।
- धरती पर उस व्यक्ति को राक्षस कहा जाता है जो दुसरो का बुरा करता है यानी पापी व्यक्तिक्षस होता है ।
- असुर का एक प्रकार जो देवता का विरोधी होता है ।
- दुष्ट और क्रूर व्यक्ति जो दूसरो को हमेशा कष्ट ओर पीडा देता रहता हो ।
- अपने धर्म का आदर न करने वाला ।
- एक प्रकार का दानव जो हमेशा दानव जैसा स्वभाव रखता है ।
- रात को बुरा काम करने वाला यानि रात्रिचर ।
- एक प्रकार का पिशाच जो दूसरो का खुन पीत रहते है ।
राक्षस का पर्यायवाची शब्द का वाक्य में प्रयोग, use synonyms of monster in a sentence
- कल मैंने रास्ते मे एक ऐसे व्यक्ति को देखा जो बहुत ही डरावना और विशाल लग रहा था जरूर वह कोई राक्षस ही होगा ।
- रावण की माता एक राक्षस की बेटी थी जिसके कारण से भगवान रावण में भी राक्षस के गुण मौजुद थे ।
- कल मैं रात के 12 बजे काम से घर आ रहा था की मेरे पीछे एक भूत पड गया जिसने काफी दूरी तक मेरा पीछा किया मेरा तो डर डर का बेकार हाल हो गया था ।
- पास के गाव मे एक आदमी जिंदा ही लोगो को खा जाता है मानो की वह कोई पीशाच हो ।
- पिताजी को कल रात सपने में भयानक राक्षस दिख गया तभी से ये डर हुए है ।
- भगवान करे तुम्हे कभी दुष्ट आत्मा नजर तक न आए ।
- अरे हरामखोर तुम लोगो को जींदा कैसे जला सकते हो ऐसा कोई राक्षस ही कर सकता है ।
- जरूर पिछले जन्म में यह कोई भयानक राक्षस था जो आज हम लोगो के साथ बदला ले रहा है ।
राक्षस के बारे मे रोचक तथ्य, interesting facts about monster
- आपको जान कर हैरानी होगी की राक्षस किसी विधाता या भगवान को नही मानते है बल्की वे तो रक्ष धर्म को ही मानते है ।
- अनेक ग्रंथो मे राक्षस का वर्णन देखने पर पता चलता है की राक्षस बदसूरत होने के साथ साथ विशाल और भयानक होते है ।
- पुराणो मे बताया गया है की राक्षस दो नुकीले मुंह होते है ।
- आपकेा जान कर हैरानी होगी की राक्षस कभी भी अपना पेट भरने के लिए मेहनत नही करते थे बल्की वे दूसरो से छिन कर ही खाना जानते थे ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की वर्तमान मे राक्षस उसे कहा जाता है जो क्रूर होने के साथ साथ पापी भी होता है ।
- प्राचीन समय के राक्षसो को पर भी पाए जाते थे जो उनसे राक्षस उडते थे ।
- राक्षस मे इतनी अधिक शक्ति होती थी की वे अपने आप का रूप तक बदल लेते थे और किसी की पहचान में भी नही आते थे ।
- रामायण मे रावण का वर्णन मिलता है और बताया जाता है की वे एक राक्षस थे ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की राक्षस की प्रजाती रामायण के समय भी मोजूद होती थी ।
- कुछ जगहो पर वर्णन मिलता है की राक्षस जीदा ही लोगो को पकड पकड कर खा जाते थे जिसके कारण से इन्हे आदमखोर कहा जाता है।
- आपको जान कर हैरानी होगी की वर्तमान मे जो मरने के बाद में भी भटकता रहता है जिसे भूत कहते है वह भी एक प्रकार का राक्षस होता है ।
- राक्षस अक्सर अंधेरे के प्रतिक होते थे ।
- रक्ष धर्म जिसे राक्षस मानते थे उनका किसी और ने नही बल्की महान विशाल रावण ने ही जन्म किया था ।
- कुछ राक्षस तो ऐसे भी होते थे जो भगवान का तप कर कर उनसे वर्दान पा लेते थे और फिर उन वर्दानो से पापी का काम करने लग जाते थे ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की कुछ राक्षस ब्रहमा से ज्ञान ले लेते थे फिर ब्रह्मा राक्षस के नाम से जाने जाते थे ।
- रामायण मे राम और रावण के बिच हुए युद्ध में बहुत अधिक राक्षसो का वद हुआ ।
- राक्षस केवल पुरूष ही नही होते थे बल्की स्त्री भी राक्षस होती थी जिस तरह से रामायण मे ताडका राक्षसी का वर्णन मिलता है ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की महर्षि कश्यप की पत्नी दिति के गर्भ से राक्षसो की उत्पत्ति हुई थी ।
- हिरण्याक्ष भी एक राक्षस था जो न तो दिन मे मर सकता था और न ही रात में न भीतर न बहार ।
राक्षसों की उत्पत्ति कैसे हुई rakshaso ki utpatti kaise hui
राक्षसो की उत्पत्ति के दो कारण माने जाते है जो यह बताते है की राक्षसो की उत्पत्ति इन्होने ही की है । मगर फिर भी दोनो कारणो मे सबसे पहले वाला कारण सबसे ज्यादा माना जाता है जिसका कारण यह है की उसने ही बाकी सभी सक्तियो का जन्म दिया है ।
सुरसा के गर्भ से असुरो की उत्पत्ति, Origin of Asuras from Sursa’s womb
प्राचीन काल मे कई प्रकार की जाती पाई जाती थी जो अपने आप में एक विचित्र जाती थी । उन जातियों को देखकर यह नही कहा जा कसता था की यह वर्तमान की मानव जाती से मिलती है । इस तरह की जातियों मे असुर, दानव और राक्षस जाती भी सामिल थी । जिनकी उत्पत्ति एक ही पिता की पत्नीयों से हुई थी । यह पिता स्वयं राक्षस जाती का न था बल्की यह तो एक ऋषि था जिसे आप कश्यप ऋषि के नाम से जानते है ।
कश्यप ऋषि की एक पत्नी का नाम सुरसा था । जो स्वयं राक्षस स्वभाव की थी जब इसके गर्भ से बच्चो को जन्म हुआ तो वे भी समय के साथ साथ अपने माता से भी बढ कर दुष्ट होने लगे । क्योकी उनमें इतनी ताक्त थी की वे आराम से किसी को भी मार सकते थे । मगर यह ताक्त उन्होने अच्छे के लिए उपयोग मे नही लाई बल्की बुरे काम के लिए लेकर आए थे ।
यह बात कश्यप ऋषि को अपने बेटो के बचपन मे ही दिखाई दे दिया था । मगर हो क्या सकता था जब बच्चे बडे हुए तो वे सभी बहुत ही क्रुर स्वभाव और देखने में भयानक दिखाई देने लगे । और जब वे प्राणियो को कष्ट देने लगे तो उसने राक्षस कहा जाने लगा और इन राक्षसो की मात का नाम सुरसा था जिसके कारण से सुरसा और कश्यप ऋषि से राक्षसो का जन्म माना जाने लगा ।
ब्रह्मा ने की राक्षसो की उत्पत्ति , Brahma created the demons
ब्रह्मपुराण जैसे कुछ पुराणो मे यह सुनने को भी मिलता है की इन राक्षसो की उत्पत्ति स्वयं ब्रह्मा ने की थी । कथा के अनुसार बताया जाता है की ब्रह्माजी को एक बार प्राणियो के जीवन की चिंता होने लगी । जिनकी रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने इधर उधर ध्यान किया तो इन प्राणियो की रक्षा करने वाला उन्हे कोई नजर नही आया था । तब ब्रह्मा जी ने अनेक जाती की उत्पत्ति कर दी । जिनमें से कुछ ने समुंद्र के जीवो के लिए रक्षा की और कुछ को अन्य किसी की रक्षा का कार्य दिया ।
उन्ही जाती में से किसी एक को प्राणियो की रक्षा का कार्य ब्रहमा जी ने सोपा था । जिनको आज राक्षस के नाम से जानते है। यही कारण है की रक्ष और यक्ष दो नाम की प्रजाती पहले सुनने को मिली थी । रक्ष वे ही राक्षस थे जो रक्षा करने का काम करते थे । इस कथा के अनुसार राक्षसो की उत्पत्ति स्वयं ब्रह्माजी ने की थी ।
राक्षसों का जीवन कैसा था, how was the life of the demons
जब राक्षसो की उत्पत्ति हुई तो वे इतने अधिक भायनक न थे बल्की इन्हे दो जाती में बाटा गया जो है रक्ष और यक्ष । इन दोनो ही जातियों को रक्षा का काम सोपा गया था । मगर रक्ष जाती प्राणियो की रक्षा करने का काम करती थी जिसके कारण से धिरे धिरे उन्होने लोगो की रक्षा न कर कर उन्हे कष्ट देने लगे । इस तरह से कष्ट देने के कारण से इन्हे राक्षसो के नाम से जाना जाने लगा ।
अब राक्षसो का जीवन बडा ही भयानक बन गया था । वे हर समय मारकाट की भावना रखने लगे थे । अब वे लोगो की रक्षा न करते थे । राक्षस स्वयं ही बडे भयानक जीवन जीते थे वे देखने मे इतने भयानक और विशाल थे की आज के समय मे उन्हे देखने पर भयभित होते देर नही लगती है । मगर आखिरकार उनका अंत हो गया और नई जाती का विकाश हुआ ।
राक्षसों का राजा कोन था, who was the king of the demons
रामायण में बताया गया है की रावण और कुबेर नाम के दो भाई थे । यह रावण वही है जसने राम से युद्ध किया था और कुबेर वही है जो धन के देवता है । इन दोनो भाईयो में से कुबेर को साफ साफ शब्दो में बताया जाता है की यक्ष जाती के राजा कुबेर को बनाया गया था । अब बचे राक्षस तो उनका भी राजा था जो बहुत बलशाली रावण था ।
इस बारे में यह भी बातया जाता है की जब युद्ध हुआ यानि राम और रावण के बिच में युद्ध हुआ तो रावण ने अपने राक्षसो को बुलकार युद्ध किया था । क्योकी रावण उनका राजा था जिसके कारण से उनकी बात वे जरूर मानकर आते थे । इस बात से समझ में आ जाता है की रावण राक्षसो का एक बलशाली राजा था ।
राक्षसो का अंत कैसे हो गया, how did the demons end
राक्षस प्रजाती प्राणियो को कष्ट पहुंचाने का काम करती थी इसके अलावा वे अपने आप को बलशाली समझ कर अनेक युद्ध में भाग भी लेती थी । इन युद्ध के कारण से ही अनेक राक्षसो का वध हो गया था ।
रावण और कुबरे में युद्ध से राक्षसो का अंत, The end of the demons due to the war between Ravana and Kubera
कुबरे और राक्षस दोनो भाई थे मगर दोनो में बहुत ही अधिक भिन्नता थी । क्योकी कुबरे यक्षो का राजा था जो की कोई राक्षस न थे बल्की वे एक बलशाली प्रजाती थी। इनके पास शक्तियां या माया न थी । बल्की इसके विपरीत रावण और उसकी सेना थी । क्योकी रावण राक्षसो का राजा था जिसके पास स्वयं बहुत अधिक शक्ति मोजुद थी ।
अपनी शक्तियो के कारण से रावण ने देवताओ पर भी हमला किया और देवताओ को हिला कर रख दिया । जब यह सब कुबेर ने देखा तो उन्होने रावण को समझाने के लिए अपने एकदुत को भेजना चाहा और सही समय को देख कर कुबेर ने अपने दूत को समझा दिया की तुम्हे रावण को यह सब करने से मना करने का संदेश देना है ।
दूत को जैसा कहा गया वैसा का वैसा ही उसने रावण को कहा जीसे सुन कर रावण ने दूत से कहा वह मेरा कुछ नही बिगाड सकता और वह मुझे समझाने के लिए अपना दूत भेज रहा है । यह सून कर दूत को वहा से चला जाना चाहिए था मगर वह न जाकर रावण को फिर समझाने लगा । जिस पर रावण क्रोधित हो गया और दूत को पकड कर नष्ट करने का आदेश अपने राक्षसो को दे दिया ।
जिसके कारण से राक्षसो ने रावण की अज्ञा का पालन करते हुए उस दुत को नष्ट कर दिया । इसी बात को लेकर रावण और कुबेर में युद्ध हुआ । क्योकी दोनो बलशाली थी मगर रावण और राक्षस दोनो ही माया के खेल खलते थे जिसके कारण से उन्होने यक्षो को नष्ट कर दिया । यक्ष बलशाली थे जिसके कारण से उन्होने भी कई राक्षसो का वध किया । इस युद्ध में यक्षो का खात्मा हुआ तो राक्षसो का भी अंत हुआ था ।
रामायण में राक्षसो का अंत, end of demons in ramayana
रामायण मे श्री राम जी देखने में एक साधारण से लगते थे मगर उन्हे युद्ध कला बडी अच्छी तरह से आती थी । जिसके कारण से जब रावण ने माता सीता का हरण किया और राम माता को छुटवाने के लिए गए तो एक भयकर युद्ध हुआ था जिसमें बहुत संख्या में राक्षसो का वध हुआ था ।
युद्ध में श्री हनुमानजी का भी वर्णन मिलता है जिन्होने अनेक राक्षसो का वध अपनी गधा से किया था । इसके अलावा श्री लक्ष्मण भी कम नही थे उन्होने अपने तीर कमान से अनेक राक्षसो का वध कर दिया । इस तरह से युद्ध कें अत तक राक्षसो की लगभग प्रजाती नष्ट हो गई थी यहां तक की राक्षसो का राजा यानि रावण का अंत भी श्री राम ने कर दिया था ।
क्या राक्षस मानव के लिए उपयोगी है , Are monsters useful to humans
नही, राक्षस जो होते है वे मानव के लिए कभी भी उपयोगी न तो हुए है और न ही होगे ।
क्योकी आपने जैसा की लेख में पढा था की राक्षसो ने ही रामायण में युद्ध लड़ा था जो की रावण की और थे तो आपको उससे समझ जाना चाहिए की जो राक्षस होते है वे मारकाट की भावनाओ को अपने अंदर रखते है ।
दोस्तो आपको बता दे की पहले के समय में राक्षस को लोगो पर कष्ट करने वाले, और देवो को परेशान करने वाले के रूप में जाना जाता है
और आज भी इस धरती पर जो लोगो को बेवजह परेशान करता है उसे राक्षस कहा जाता है । तो आप ही समझे की क्या यह जरूरी है तो अंदर से उत्तर आएगा नही ।