रामरक्षा स्तोत्र के 11 फायदे जानकार चौंक जाएंगे आप कसम से

रामरक्षा स्तोत्र के फायदे ram raksha stotra fayde  के बारे मे हम इस लेख मे जानेंगे रामनवमी के पर्व पर राम को याद नहीं किया जाए ऐसा हो नहीं सकता है। रामनवमी के पर्व पर रामरक्षा स्त्रोत का पाठ किया जाता है। और भगवान राम की पूजा की जाती है। रामरक्षा स्त्रोत काफी अधिक फायदेमंद होता है। भगवान शंकर ने बुधकौशिक ऋषि को स्वप्न में दर्शन देकर इस स्त्रोत को सुनाया था । उसके बाद उन्होंने इस स्त्रोत को लिख लिया था । और भगवान राम की पूजा के समय इसका पाठ किया जा सकता है। हालांकि बहुत से लोगों के मन मे यह सवाल आता होगा कि राम रक्षा स्त्रोत का फायदा क्या क्या होता है ? तो हम आपको यहां पर राम रक्षा स्त्रोत के फायदे के बारे मे बता रहे हैं , जिससे कि आपको पता चल सके कि इससे क्या क्या फायदा हो सकता है ?वैसे आपको बतादें कि राम रक्षा स्त्रोत राम की स्तुति का गुणगान है। और इसके अंदर राम के अनेक नामों का गुणगान किया गया है। यदि आप इसका पाठ करते हैं , तो आपके अपने जीवन के अंदर कई तरह के सुख प्राप्त होते हैं।

रामरक्षा स्तोत्र के फायदे इंसान दीर्घायु होता है ram raksha stotra fayde 

ram raksha stotra fayde

हम सभी यही चाहते हैं कि हमारी आयु किसी तरह से लंबी हो जाए और हम अधिक से अधिक जीवन को जी सकें । तो इसके लिए राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करना काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । माना जाता है कि रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करने से इंसान दीर्घायु होता है। या कहें कि वह एक लंबा जीवन जीता है। तो कुल मिलाकर यह एक अच्छा तरीका है। जिन लोगों को लगता है कि उनकी अकाल मौत हो सकती है। उनको रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है।

class="wp-block-heading">रामरक्षा स्त्रोत के फायदे संतान सुख

कुछ दंपति इस तरह के होते हैं , जिनको अपने जीवन के अंदर संतान सुख नहीं मिलता है। और वे संतान को प्राप्त करने के लिए तरह तरह के जतन भी करते हैं। उसके बाद भी उनको सफलता नहीं मिलती है। तो रामरक्षा स्त्रोत इसके अंदर काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपको भी संतान की चाह है , तो रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करें । ऐसा करने से आपकी संतान को चाहने की मनोकामना पूर्ण हो जाएगी ।

जीवन मे शांति प्राप्त होती है

रामरक्षा स्त्रोत का एक फायदा यह भी है कि इसकी वजह से जीवन के अंदर शांति प्राप्त होती है। यदि आपके जीवन मे भी काफी उथल पुथल मची हुई है , तो आप रामरक्षा स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करने का फायदा यह होगा कि आपके अपने जीवन मे सभी तरह की समस्याओं से छूटकारा मिल जाएगा । और जीवन के अंदर शांति प्राप्त हो जाएगी । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

रामरक्षा स्त्रोत के फायदे जीवन मे सुख प्राप्त होता है

माना जाता है कि यदि आप राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो आपको जीवन के अंदर सुख प्राप्त होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि आप जीवन मे सुख प्राप्त करने मे असफल हो रहे है। आपको किसी भी तरह का सुख नहीं मिल रहा है , तो रामरक्षा स्त्रोत का पाठ आपको करना चाहिए । ऐसा करने से आपको जीवन मे सुख प्राप्त होगा । और आप इस बात को समझ सकते हैं। वैसे भी हर इंसान को अपने जीवन से बस सुख ही तो चाहिए होता है। वह सब कुछ प्रयत्न सुख के लिए ही तो कर रहा है।

‌‌‌यदि आपको भी लगता है ,कि आप सुख प्राप्त करने के लिए काफी कुछ कर रहे हैं , लेकिन उसके बाद भी आपको सुख नहीं मिल रहा है , तो आप यह एक छोटा सा उपाय कर सकते हैं आपको फायदा जरूर होगा ।

समृद्धि  मिलती है

रामरक्षा स्त्रोत का एक फायदा यह भी है कि इसकी वजह से जीवन मे समृद्धि  मिलती है। जिसका अर्थ यह है , कि आपके जीवन के अंदर यदि आर्थिक परेशानियां आ रही हैं। तो इसके लिए आपको रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यदि आप रोजाना पाठ करते हैं , तो आपकी नौकरी के अंदर तरक्की होगी । या आप यदि कोई बिजनेस करते हैं , तो उसके अंदर भी तरक्की होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाएंगे । आप इस बात को समझ सकते हैं।

रामरक्षा स्त्रोत के फायदे जीवन मे विजय होते हैं

आपको पता ही है , कि जीवन के अंदर कई तरह की समस्याएं आती रहती हैं। और हम उन समस्याओं से लड़ते रहते हैं । यदि आप भी जीवन की समस्याओं से लड़ रहे हैं। लेकिन आप विजय नहीं हो रहे हैं , तो आप रामरक्षा स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। यह माना जाता है कि यदि आप इसका पाठ करते हैं , तो बाधाएं आपके उपर हावी नहीं हो सकती हैं। और आप जीवन के अंदर काफी विजय हो सकते हैं।

रामरक्षा स्त्रोत का जाप करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है

जैसा कि हमने आपको बताया कि राम रक्षा स्त्रोत की रचना शिव की वजह से ही हुई थी। यदि आप राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो इसकी वजह से आपको शिव की कृपा प्राप्त होती है। आप इस बात को समझ सकते हैं। रोजाना रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करें । और उसके बाद आपके साथ चमत्कार घटित होने लग जाएंगे ।

हर प्रकार के भय से मिलती है मुक्ति

यदि आप रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो इसकी वजह से इंसान हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। भय तो जीवन के अंदर कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि दुश्मनों का भय , बुरी ताकतों का भय , और भी न जाने कितनी तरह के भय होते हैं। लेकिन इस पाठ को करने से इंसान पूरी तरह से भय से मुक्त होकर निर्भिक होकर जीवन जीता है। आप इस बात को समझ सकते हैं तो यदि आप भी भय मुक्त जीवन जीना चाहते हैं। तो यह कर सकते हैं।

हनुमानजी करते हैं भगतों की रक्षा

यदि आप रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो यह भी माना जाता है कि इसकी वजह से सुरक्षा का एक घेरा बनता है। और हनुमानजी प्रसन्न होते हैं ऐसी स्थिति के अंदर जब भी आप संकट मे होते हैं , तो हनुमानजी आपकी रक्षा करते हैं। कुल मिलाकर यह रामरक्षा स्त्रोत आपकी रक्षा करने मे काफी उपयोगी होता है। या मदद करता है।

राम रक्षा स्त्रोत के फायदे बीमारी को दूर करता है

दोस्तों यदि हम राम रक्षा स्त्रोत के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह बीमारी को दूर करने का काम करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।सबसे पहले किसी ताबें के पात्र के अंदर पानी को भरना होगा । और उसके बाद उस पानी के उपर द्रष्टि को रखें और 11 बार राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें । उसके बाद उस पानी को रोगी को पिला देना चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं , तो काफी अधिक फायदा होगा । और समस्याएं दूर हो जाएंगी । रोगी भी ठीक हो जाएगा ।

मंगल ग्रह का कु प्रभाव समाप्त हो जाता है

दोस्तों यदि आपको मंगल ग्रह का दोष है , तो फिर आपको रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । माना जाता है कि यदि राम रक्षा स्त्रोत का पाठ किया जाता है , तो ऐसा करने से मंगल ग्रह का प्रभाव समाप्त हो जाता है। हालांकि आप और भी उपाय कर सकते हैं। जोकि आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।

राम रक्षा स्त्रोत

रामरक्षा स्तोत्र के फायदे

दोस्तों यदि आप राम रक्षा स्त्रोत के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको हम यहां पर फायदे बता चुके हैं। अब हम आपको यहां पर राम रक्षा स्त्रोत के बारे मे बता रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा प्रयास काफी अधिक पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है , तो आप हमें बता सकते हैं।

विनियोगः

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप्‌ छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ।

अथ ध्यानम्‌:

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ । वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम ।

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌ ।

स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥3॥

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।

स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।

उरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्‌ ॥8॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।

पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्‌ ।

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥10॥

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।

न दृष्टुमति शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्‌ ।

नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्‌ ।

यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।

अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥14॥

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।

तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्‌ ।

अभिरामस्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूप सम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्र्र्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।

रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥20॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।

गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दूवार्दलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्‌ ।

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌ ।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम

श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम

श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि

श्रीरामचन्द्रचरणौ वचंसा गृणामि ।

श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि

श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः

स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयलुर्नान्यं

जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनन्दनम्‌ ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम ।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्‌ ।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्‌ ।

तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम्‌ ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रामेशं भजे

रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं

रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।

सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

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