रोगी का विलोम शब्द, रोगी शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, रोगी का उल्टा Rogi ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
रोगी | निरोगी |
Rogi | Nirogi |
Patient | Healthy |
रोगी का विलोम शब्द निरोगी या स्वस्थ होता है। वैसे रोगी का अर्थ होता है जिसके शरीर को किसी रोग ने पकड़ लिया है वही रोगी होता है। वैसे आपको रोग के बारे मे अधिक बताने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि हम कभी ना कभी रोगी रह ही चुके हैं। जुकाम होना बुखार होना यह सब रोग ही तो होते हैं।रोग आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं एक होता है शारीरिक रोग जो शरीर को पकड़ता है और यह रोग किसी वायरस या फिर परजीवी से फैलता है। बहुत सारे शारीरिक रोग होते हैं। जिनका नाम बताना यहां पर संभव नहीं है। और इन रोगों के अंदर बहुत सारे रोग तो ऐसे हैं जो इंसानों के द्धारा ही पैदा किये हुए है। विकास के नाम पर जो इंसान बकवास करता है वही इसी तरह के रोगों को जन्म देता है। जैसे कोरोना ,कैंसर और भी नजाने क्या क्या । अब तो रोग खुद इंसान लैब के अंदर बनाता है और उसके बाद उसकी मदद से दूसरे इंसान को मारता है।
इसी प्रकार से हार्ट अटैक के मामलो अब भारत के अंदर भी बढ़ रहे हैं लेकिन यदि आप 1995 के अंदर जाएंगे तो आपको लगभग ना के बराबर मामले मिलेंगे । हार्ट अटैक जैसे रोग भी इंसान ने ही अपने लालच के चलते पैदा किये । असली चीजों के अंदर नकली चीजें मिलाकर ।
इन सबके अलावा कुछ रोग ऐसे होते हैं जोकि नैचुरली रूप से पैदा होते हैं लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि नैचुरली रूप से पैदा होने वाले रोग इतने घातक नहीं होते हैं। उनका आसानी से ईलाज हो जाता है लेकिन जिनको इंसान खुद पैदा करता है ऐसे रोगों का ईलाज संभव नहीं होता है।
अब कैंसर को ही ले लिजिए । यह इंसान के खान पान मे मिलावटी चीजों की वजह से पैदा होता है। आप जितना अधिक नैचर से दूर भागते हैं। वैसे वैसे आपके अंदर कैंसर जैसे घातक रोग विकसित हो जाते हैं। और कैंसर जैसे रोग का ईलाज करना बहुत ही कठिन होता है। जिनके पास करोड़ो रूपये होते हैं वे विदेश जाकर इसका ईलाज करवाते हैं। और जिनके पास कुछ पैसा ही नहीं है।वे बैचारे इन रोगों का ईलाज कैसे करवा सकते हैं। इन सबके अलावा एक होता है मानसिक रोग जो शारीरिक रोग से भी घातक होता है। मानसिक रोग ही विनाश का कारण बनता है।
आज आप देख रहे हैं कि पूरी दुनिया विनाश की तरफ बढ़ रही है।और वह कुछ मानसिक रोगी इंसानों की वजह से हो रहा है। मानसिक रोग की वजह से इंसान एक दूसरे से कुत्तों की तरह लड़ते हैं और उसके बाद खुद का ही विनाश कर लेते हैं। हालांकि इंसान एक नैचुरल मशीन होता है। इसी वजह से उसके अंदर यदि गलत फीड होता है तो वह विनाश का कारण बनता है।और यदि उसके अंदर सही फीड होता है तो वह अच्छी चीजें लेकर आता है। बात सिर्फ उसके अंदर चीजों को सही तरीके से फीड करने की जरूरत है।
पहला सुख निरोगी काया । यह कथन हमारे यहां पर बहुत अधिक प्रचलित है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना ही निरोग होता है। और यदि आपका शरीर बीमारी से ग्रस्ति है तो आप मानसिक रूप से भी सुखी नहीं हो सकते हैं।इसलिए हर इंसान को चाहिए कि वह अपने शरीर का ध्यान रखे ।यदि आप शरीर का सही तरीके से शरीर का ध्यान रखते हैं तो फिर आपको कोई भी कष्ट नहीं होगा ।
वर्तमान मे निरोगी रहने के लिए लोग बहुत कुछ करते हैं।लेकिन असल मे उसके बाद भी निरोगी नहीं रह पाते हैं। क्योंकि दवाओ और कैमिकलों की वजह से इंसान अंदर से खोखले हो चुके हैं। आज इंसान मशीनों के आ जाने से मेहनत नहीं कर रहा है। जिसकी वजह से आने वाले बच्चे भी कमजोर पैदा हो रहे हैं।
यदि आप काफी साल पीछे जाकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि पहले वाले इंसान कितने अधिकताकतवर होते थे । लेकिन समय के साथ इंसान बस टैबलेट के सहारे जिंदा रहते हैं। और आप तो जानते ही है कि टेबलेट का जोर कितने समय तक रहता है।
इसके अलावा कुछ ऐसे इंसान भी होते हैं।जोकि बस अपनी पूरी जिंदगी फालतू की चीजों के अंदर गुजार देते हैं। वे सारी उम्र बस शराब पीते हैं। और अंत मे खुद को शराब का इतना आदि बना लेते हैं कि वही शराब उनके शरीर को पूरी तरह से बरबाद कर देती है।
यदि आप भारत के अंदर शराबियों की हालत देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे । क्योंकि शराबी का काम ही यही होता है कि वे पूरे दिन शराब के नशे के अंदर रहते हैं। भले ही उनके घर के अंदर खाने को एक दाना भी ना हो । मैं खुद ऐसे कई शराबियों को जानता हूं जिन्होंने अपने जीवन का मकसद ही शराब बना लिया है।
तो इस प्रकार के शराबियों के बारे मे आप निरोगी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। असल मे यह शराबी शराब के नशे मे अपने शरीर को गला देते हैं। और तो और कुछ कैंसर के शिकार हो जाते हैं।
आपको यह पता होना चाहिए कि जैसे जैसे हम अपनी सभ्यता से दूर होते जा रहे हैं । वैसे वैसे हम नष्ट होते जा रहे हैं। बहुत से लोगों को विकास चाहिए। जिसके अंदर प्रदूषण हो । लेकिन असल मे यही विकास हमारे पतन का कारण बनता है। सही मायेने मे ऐसी जगह होनी चाहिए जहां हम नेचर के करीब जा सकें ।
आज भी आप देखेंगे कि जो इंसान नेचर के काफी करीब हैं और असली खाना खाते हैं जिसके अंदर किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग नहीं किया गया है। उसका कोरोना वायरस कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया है।
लेकिन जो इंसान काफी अधिक पैसे वाले थे और ब्रांड चीजें खरीदते थे । उनपर अटैक अच्छा किया । भले ही आप ब्रांड खरीदते हैं लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि वे नैचुरल हैं। और ना ही आपके पास इसका पता लगाने का कोई तरीका ही होता है।
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