रूप का विलोम शब्द या रूप का विलोम , रूप का उल्टा क्या होता है ? rup ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
रूप | कुरूप ,बदसूरत |
rup | kurup |
दोस्तों रूप का विलोम शब्द होता है । कुरूप होना । रूप का मतलब होता है जो सुंदर हो उसके लिए रूप शब्द का प्रयोग किया जाता है। रूप शब्द किसी एक तरह की सुंदरता को डिसाइड नहीं करता है। रूप का मतलब वह जो सुंदर है। इसके अंदर सारे क्षेत्र आ जाते हैं।
जब हम सुंदर शब्द की बात करते हैं तो फिर सबसे पहले हमारे दिमाग मे लड़कियों की सुंदरता की बात आ जाती है। अक्सर लड़के लड़कियों की सुंदरता को ही देखते हैं। और सुंदरता ही उनके लिए मायेने रखती है।
और लड़कियां भी इस चीज को अच्छी तरह से जानती भी हैं।और इसके लिए वे काफी कुछ प्रयास भी करती हैं ताकि सुंदर दिखें । वे इसके लिए क्रीम पाउडर का प्रयोग करती हैं।
वैसे यदि आज के संसार मे आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि सब कुछ सुंदरता के लिए ही हो रहा है। आप कपड़े जब बाजार से खरीदने के लिए जाते हैं तो आप यह देखते हैं कि वे आपके उपर कितने सुंदर लगेंगे । इसी प्रकार से आप बाजार से कोई भी सामान अपने घर के लिए लाते हैं तो उसकी सुंदरता को पहले देखते हैं। इसी प्रकार से आप जूते भी खरीदते हैं तो सबसे पहले उसकी सुंदरता को देखते हैं कि यह कितने सुंदर लगेंगे। बेकार और भदृी शक्ल के जूते कोई भी लेना पसंद नहीं करेगा ।
आप मकान बनाते हैं तो अपने मकान को इस प्रकार से बनाने की कोशिश करते हैं कि वह सुंदर लगे ।अपने मकान मे सुंदरता बढ़ाने के लिए आप बहुत कुछ करते हैं। जैसे कि मकान के अंदर टाइल्स लगाते हैं या फिर मकान मे पेपर भी लगाते हैं। ऐसा करने से मकान की सुंदरता बढ़ जाती है।
और आजकल तो सुंदरता को बढ़ाने के लिए पी वी सी टेप भी आती है।इसी प्रकार से आप किसी भी छोटे बच्चे को देख सकते हैं। वह सुंदरता को बढ़ाने के लिए भी बहुत कुछ करता है। एक 3 साल का बच्चा भी यही प्रयास करता है कि वह सुंदर दिखे । इसके लिए जब भी उसे नए कपड़े मिलते हैं तो वह खुश हो जाता है।और उनको पहनकर सबको यह दिखाता है कि वह कितना सुंदर दिख रहा है ? खैर आज के समय मे सुंदरता और चमकदार चीजों को दिखावा करना एक फैसन बन चुका है। आज कल महिलाएं आधे कपड़े पहनती हैं। यह अंग पदर्शन बन चुका है।
जबकि पुरूषों के लिए अंग पदर्शन मायेने नहीं रखता है।आप समझ सकते हैं कि आज के समय मे सुंदरता कितनी उपयोगी चीज हो चुकी है। सुंदरता के बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। यदि हम एक सुंदर लड़की की बात करें तो सुंदर लड़की के आगे पीछे अनेक लड़के घूमते हैं। लेकिन एक बदसूरत लड़की के आगे पीछे कोई भी नहीं घूमता है। सब सुंदरता का ही तो कमाल होता है। यदि आप सुंदर नहीं हैं तो आप महत्वपूर्ण हैं लेकिन दुनिया की नजरों मे आपको अन्य तरीके से साबित करना होगा ।
दोस्तों नेचुरली रूप से कोई भी बदसूरत नहीं है। बदसूरत शब्द नेचर की डिक्सनरी मे नहीं है। बदसूरत तो हमारी डक्सनरी के अंदर है। बदसूरत का मतलब है जो सुंदर नहीं है। कोई भी चीज जो सुंदर नहीं होती है वह बदसूरत ही होती है।
यदि आप बाजार से कोई भी चीज खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले यह देखते हैं कि वह बदसूरत तो नहीं है ? और यदि वह बदसूरत है तो हम उसको नहीं खरीदेंगे । खैर दोस्तों बदसूरत किसी को भी पसंद नहीं होता है।
भले ही सारे लोग बाहर से खुद को सुंदर दिखाने का प्रयास करते हैं।वो अंदर से उतने ही अधिक जाहिल होते हैं। इसमे कोई शक नहीं है। और जो अंदर से सुंदर है वह बस बाहर से खुद को सुंदर दिखाने के लिए कुछ खास नहीं करता है। क्योंकि वह जानता है कि शरीर की सुंदरता का कोई महत्व नहीं है। मन सुंदर होना चाहिए । यदि मन सुंदर होगा तो फिर शरीर की सुंदरता का क्या लाभ । क्या आपको पता है कि एक योगी तपस्या ध्यान क्यों करता है। वह नहाता नहीं है क्योंकि उसे मन की सुंदरता चाहिए होती है। मन यदि कचड़े मे फंसा है तो फिर उसका लोक तो नरक बन ही जाएगा परलोक भी नरक हो जाएगा ।
बहुत से लोग शरीर की सुंदरता के लिए नए कपड़े पहनते हैं , सेंट लगाते हैं , और न जाने कितनी तरह के क्रिम पाउडर तन की सुंदरता को बढ़ाने के लिए उपलब्ध हैं ।लेकिन आपको एक भी क्रीम या पाउडर ऐसा नहीं मिलेगा जो मन की गंदगी को साफ करता हो ।
यह जो बार बार तन के उपर गदंगी चिपक जाती है इसका कारण भी आपका मन ही होता है।क्योंकि आपका मन ही आपको यह बातात है कि आपके तन के उपर गंदगी जमा हो चुकी है। खैर जिस दिन मन समाप्त हो जाएगा । आप अपने मन को काबू मे करलोगें फिर आपको किसी तरह के कष्ट झेलने के लिए आना नहीं पड़ेगा इसमे कोई भी शक नहीं है। लेकिन असल मे हम अपनी दों आंखों पर अधिक भरोशा करते हैं और जो आंखों से परे की चीजें होती हैं उनको मानते ही नहीं हैं। और ना ही जानने का प्रयास करते हैं।
इस संबंध मे एक कहानी याद आ गई । एक गुरू के पास दो बालक आए और बोले गुरूदेव आप हमे अपने शिष्य बना लिजिए । गुरूदेव ने कहा जाओ पहले गदंगी को साफ करके आओ तुम्हारे अंदर से गदंगी की बूदबू आ रही है। और उसके बाद दोनो चले गए ।
इनमे से एक लड़के का नाम संभू तो दूसरे का गंगू था।संभू दूसरे दिन जल्दी उठा और अपने पूरे शरीर को रगड रगड़ के धोया । उसके बाद सेंट वैंट लगाया और खुद को अच्छा दिखाने के लिए अच्छे कपड़े पहने । गंगू सुबह उठने के बाद गांव के बाहर जंगल मे चला गया और 41 दिन तक ध्यान मे रहा । जिससे कि मरने जैसा हो गया ।उसके बाद दोनो गुरू के पास गए । गुरू ने गंगू को आते ही गले लगा लिया और बोला वास्तव मे तुम महान हो तुमने अपने मन के रहस्य को जाना मन ही सब दुखों का कारण है।और उसके बाद संभू को यह कहा कि अभी तुम्हें और अधिक परीक्षा देनी होगी जाओ ।
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