Sadak ka vilom shabd सड़क का विलोम शब्द?
सड़क का विलोम शब्द, सड़क शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, सड़क का उल्टा Sadak ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
सड़क | कच्चा रस्ता |
Sadak | Kacha rasta |
सड़क का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों सड़का का विलोम शब्द होता है कच्चा रस्ता ।वैसे तो सड़क के बारे मे आपको कुछ बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप सभी सड़क के बारे मे बहुत ही अच्छी तरह से जानते ही हैं। सड़क उस मार्ग को कहते हैं जिसको समतल करके उसके उपर माल को इस प्रकार से बिछाया गया हो ताकि सही तरीके से यातायात के साधन जा सकें।
विकसित सड़कों पर विपरीत दिशाओं में जाने वाले वाहनों को सड़क विभाजित करके अलग लेनों में भी डाला जाता है। पैदल चल रहे व्यक्तियों की सुविधा के लिए अक्सर सड़कों के साथ-साथ फ़ुटपाथ भी बनाए जाते हैं।
सड़क की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि कम शक्ति और खर्च के अंदर माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंचाया जा सके । सड़क परिवहन की मदद से ही सबसे अधिक माल की सप्लाई होती है क्योंकि यह अन्य परिवहन की तुलना मे काफी सस्ता पड़ता है।
भारत के अंदर सड़कों का निर्माण कंक्रिट और डामर की मदद से किया जाता है।वैसे सड़क के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे । जब घर से बाहर निकलते हैं तो सड़क पर ही बाइक चलाते हैं।
भारत में सड़कें हाथों के श्रम से, या यंत्रों से, बनाई जाती है। देश में मजदूर बहुतायत से मिलते हैं जिसके कारण शारीरिक श्रम का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है।
भारत के अंदर सड़क बनाने का आसान तरीका यह है कि सबसे पहले पुरानी सड़क यदि है तो उसको तोड़ा जाता है या फिर उस सड़क के उपर जो मिट्टी आ चुकी है उसको अच्छी तरह से साफ किया जाता है। उसके बाद उसके उपर डामर और कंक्रिट से बनी हुई माल को अच्छी तरह से बिछा दिया जाता है। उसके बाद उसके उपर रोलर चलाया जाता है ताकि वह अच्छी तरह से जम जाए । इसके अलावा यदि कच्चे रस्ते पर सड़क बना रहे हैं तो पहले रस्ते को समतल करना होता है। उसके बाद उसके उपर पानी डालना होता है।फिर रोलर की मदद से मिट्टी को दबाया जाता है।
कंक्रिट की सड़क भी होती है जिसके अंदर डामर का प्रयोग नहीं किया जाता है।इसमे सीमेंट का प्रयोग किया जाता है । यह काफी महंगी पड़ती है लेकिन इस प्रकार की सड़क का निर्माण ऐसे स्थान पर होता है जहां पर डामर सड़क जल्दी ही क्षतिग्रस्त हो जाती हो ।
वैसे आपको बतादें कि आज भी भारत के अंदर अनेक ऐसे ईलाके हैं जिनके अंदर सड़क नहीं है। गांवों के अंदर सड़क नहीं बन पाई है। इस प्रकार के गांवों का कोई विकास आज तक नहीं हुआ ।सड़क का फायदा उन गांवों को अधिक हुआ है जोकि शहर के आस पास मौजूद हैं।
- सड़क के किनारे आपने मील के पत्थरों के बारे मे तो आपने देखा ही होगा ।भारत के अंदर 3 अलग अलग रंग के मील के पत्थरों का प्रयोग किया गया है।राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए पीले और सफेद रंग का कोड दिया गया है, राज्य राजमार्गों के लिए हरे और सफेद और अंतिम रूप से शहर के राजमार्गों के लिए काले और सफेद रंग का कोड है।अबकि बार जब आपकी यात्रा हो तो आप इनको चैक कर सकते हैं।
- लेह-मनाली राजमार्ग उच्चतम ऊंचाई वाला मोटर राजमार्ग है जो हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर को जम्मू और कश्मीर के लेह से जोड़ने का कार्य करता है। यह उबड़ खाबड़ पहाडियों के अंदर बना हुआ है।
- भारतीय सड़क नेटवर्क की कुल लंबाई 1,31,899 किलोमीटर है।और भारत के पास 200 से अधिक राष्ट्रय राजमार्ग हैं।
कच्चा रस्ता
दोस्तों सड़का का उल्टा होता है कच्चा रस्ता ।कच्चा रस्ता एक ऐसे रस्ते को कहा जाता है जिसके उपर सड़क नहीं होता है। बस मिट्टी पड़ी होती है। भारत के अंदर तो लगभग हर जगह कच्चा रस्ता मिल जाएंगे ।कच्चे रस्ते पर सफर करना आसान नहीं होता है। कच्चे रस्ते पर उंटों की मदद से सफर किया जाता है। रेतिले ईलाकों मे चलने के लिए उंटों का प्रयोग किया जाता है। आज भी भारत के जवान राजस्थान के बार्डर ईलाकों की निगरानी करने के लिए उंट का प्रयोग करते हैं। क्योंकि उंट आसानी से रेतिले इलाकों मे चल सकता है।
सरकार सड़कों के क्षेत्र में निजी और विदेशी क्षेत्र के निवेश के लिए विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान की गई है। भूमि परिवहन के क्षेत्रों में राजमार्ग पुलों, टोल सड़कों, और वाहनों से होने वाले सुरंगों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान की है।
सड़क टोल टेक्स क्या होता है ?
अक्सर आपने देखा होगा कि जब आप किसी हाइवे पर सफर करते हैं तो आपको कुछ टोलस मिलते हैं। जिसके अंदर कुछ युवक बैठे होते हैं और वे आने जाने वाली गाड़ी को रोकते हैं और उससे पैसा वसूल करते हैं। इसको टोल टेक्स कहते हैं। असल मे इसको रोड़ टेक्स के नाम से भी जाना जाता है। यह हर राज्य के अंदर अलग अलग होता है। कुछ राज्य के अंदर कम टोलटेक्स होता है तो कुछ राज्य मे अधिक टोलटेक्स होता है।आमतौर पर एक सड़क की सुरक्षा और रखरखाव के लिए सरकार को पैसे की जरूरत होती है जोकि सरकार टोलटेक्स की मदद से पूरा करती है।
राजमार्गों की मदद से एक इंसान दूसरे राज्य के अंदर आ जा सकता है। गांव के अंदर आ जा सकता है। सफर की सुरक्षा करने के लिए भी टोलटेक्स लिया जाता है।
वैसे आपको बतादें कि टोल टेक्स हर राज्य का अलग अलग होता है।एक बड़े हाइवे पर कई सारे टोल टेक्स बने होते हैं। और वहां पर गाड़ी को रोकने के लिए गेट भी लगाये जाते हैं। लेकिन कुछ खास प्रकार के व्यक्तियों को सड़क कर मे छूट भी होती है जो इस प्रकार से हैं।
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधान मंत्री
- भारत के उपराष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- भारत के किसी राज्य का राज्यपाल
- संघ के राज्य मंत्री
- संसद के सदस्य
- भारत में किसी भी केंद्र शासित प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर
- चीफ ऑफ स्टाफ एक पूर्ण सामान्य या समकक्ष रैंक रखता है
- किसी राज्य की विधान परिषद के अध्यक्ष
- भारत के किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष
- एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के किसी राज्य का राज्यपाल
- लोक सभा के अध्यक्ष
- संघ के कैबिनेट मंत्री
- एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- आर्मी कमांडर या वाइस-चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
- राजकीय यात्रा पर विदेशी गणमान्य
- राज्य सरकार के मुख्य सचिव
- भारत सरकार के सचिव
- सचिव, राज्यों की परिषद
- सचिव, लोक सभा
यदि हम पहाड़ी सड़क की बात करें तो यह पहाड़ों को काट कर बनाई जाती हैं।गाड़ी चलाने के लिए इस प्रकार की सड़क बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होती हैं। यदि कोई अनजान इस प्रकार की सड़क पर गाड़ी चलाता है तो वह पहाड़ी से गिर सकता है क्योंकि यहां पर संतुलन गड़बड़ होने का डर हमेशा ही बना रहता है।
यदि आपने कभी पहाड़ी इलाके मे गाड़ी नहीं चलाई है तो आप पहाड़ी इलाके की उबड़ खाबड़ सड़कों को देखकर काफी डर सकते हैं। इसके अलावा खराब मौसम के अंदर इन इलाकों मे गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं होता है।
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