सागर का पर्यायवाची शब्द या सागर का समानार्थी (sagar ka paryayvachi shabd / sagar ka samanarthi shabd) शब्द के बारे में इस लेख में जानेगे तो इस लेख को पूरा देखे ।
शब्द (shabd) | सागर का पर्यायवाची शब्द या सागर का समानार्थी शब्द (sagar ka paryayvachi shabd / sagar ka samanarthi shabd) |
सागर | सागर, सिन्धु, पयोनिधि, नदीश, नीरनिधि, जलघि, अर्णव, उदघि, रत्नाकर, पारावार, अमूतोद्भव, सरस्त्रान्, जलघाम, अकूपार, अदनवत, सरत्पिति, वारीश, अब्धि, वारिधि, पयोघि । |
सागर in Hindi | saagar, sindhu, payonidhi, nadeesh, neeranidhi, jalaghi, arnav, udaghi, ratnaakar, paaraavaar, amootodbhav, sarastraan, jalaghaam, akoopaar, adanavat, saratpiti, vaareesh, abdhi, vaaridhi, payoghi . |
सागर in English | ocean, sea, briny, deep, profound, pond. |
वह स्थान जहां पर बहुत अधिक मात्रा में पानी पाया जाता है और उसेस मुद्र के नाम से भी जाना जाता है । एक प्रकार का सागर होता है । हिंदी भाषा में सागर का अर्थ समुद्र से होता है जिसका अर्थ है की जहां पर जल की बडी मात्रा पाई जाती है वह सागर होता है ।
सागर वह स्थान होता है जहां पर जल की अधिकतम राशी पाई जाती है और उस जल में अनेक तरह के जीव जन्तु रहते है । इसके साथ ही वह स्थान जहां पर विभिन्न तरह की नदियो का पानी आकर रूक जाता है सागर कहलता है । सागर में इतना अधिक जल होता है की पूरी पृथ्वी पर आराम से छा सके । जिसके कारण से पूरी की पूरी पृथ्वी पानी से ढक सकती है ।
इसके अलावा सागर में नमक की मात्रा अधिक होती है जो पृथ्वी पर फैलाने पर केवल नमक ही नमक दिखाई देता है और पृथ्वी की मिट्टी नमक के 500 फुट नीचे जमा रहती है ।
सागर की गहराई अधिक होने के कारण से यह पानी एक स्थान पर इकट्ठा रहता है क्योकी उस स्थान पर बहुत गड्ढा होता है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की सागर की गहराई अधिक होती है और इस गहराई के अंतिम छोरी का संबध पृथ्वी की अंदर की भूपट्टी से होता है । जिसके कारण से ही ज्वालामुखी भी फटते रहती है
आपकी जानकारी के लिए बता दे की पृथ्वी अभी भी पूरी तरह से ठंडी नही हुई है क्योकी ज्वालामुखी से लावा बाहर आने का मुख्य कारण यही होता है । यानि पृथ्वी के किसी भाग में अभी भी ताप है जिसके कारण से सब कुछ द्रव की तरह बना हुआ है ।
वही सागर की गहराई अधिक होती है और यहां पर किसी प्रकार की रोशनी नही जाती है और यहां पर बहुत ही कम मात्रा में जीव जन्तु रहते है । मगर इस स्थान पर कुछ दरारे देखने को मिलती है जो की ज्वालामुखी का द्वार होता है । वैज्ञानिको ने बताया की अधिकतर ज्वालामुखी सागर के बिच में फटते है ।
एक बार ज्वालामुखी फटने के बाद में ये दरारे उपर से कुछ बंद हो जाती है क्योकी इन पर लावा का अंस जमा हो जाता है । मगर जब भी फिर कभी ज्वालामुखी फटता है तो यहां पर वापस दराद बन जाती है । समुद्र में ज्वालामुखी फटने का मुख्य कारण यही होता है की समुद्र की अधिक गहराई होने के कारण से यह पृथ्वी के अंदर की सतह से लगभग जुडा हुआ है ।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की जब पृथ्वी के लावा वाले भाग में अधिक गर्मी हो जाती है तो यह कम गर्म वाले भाग की और जाने लग जाता है और छोटी सी चीर से निकलने के कारण से वहां पर बहुत ही अधिक तेज गर्मी पैदा हो जाती है । कुछ छोटे सागरो में तो ज्वालामुखी फटने के कारण से एक उंची लहर उठती हुई देखी जाती है ।
सागर में ज्वालामुखी फटने के बाद में सागर के तल मे किचड और विभिन्न तरह की गैसे सामिल हो जाती है जो की समुद्र में जीवन यापन कर रहे जीवो को भी हानी पहुचाने का काम करते है । इसके साथ ही मैग्नीशियम और अन्य प्रकार के खनिज तत्व सागर के तल मे जमा हो जाते है और इस तरह से सागर का लग लगातार भरता जा रहा है ।
सागर में फटने वाले ज्वालामुखी को सागरगत ज्वालामुखी के नाम से जाना जाता है । इस लावा के रूप में बाहर आने वाले प्रदार्थ को मैग्मा कहा जाता है । भूवैज्ञानिक ने एक रिसर्च से पता किया की कुल 10 लाख के करीब सागरगत ज्वालामुखी मौजूद है जो की अलग अलग भागो में इक्ट्ठा हो सकते है ।
जिसके कारण से उत्पन्न होने वाला मैंग्मा सागर के तल मे रहता है और इस तरह से जहा पर मैग्मा होता है वहां पर किसी तरह का जीव रहता नही है । इस तरह से ज्वालामुखी के फटने के कारण से समुद्र का पानी और अधिक गंदा हो जाता है जिसके कारण से मानव इसका उपयोग तक नही कर सकता है । दूसरा की इस पानी में नमक की अधिकता होती है । और यह भी ज्वालामुखी के फटने के कारण से होता है क्योकी इसमें कई तरह की गैसे बाहर आती है और एक रासायनिक क्रिया हो जाती है ।
एक सागर वह स्थान होता है जहां पर बहुत भारी मात्रा में पानी रहता है । इस तरह से पानी वाले स्थान पर दो तरह के जीव देखने को मिल सकते है पौधे तथा प्राणी । एक एक रिसर्च से पता चला की सागर में कुल 2 लाख प्रजातिया रहती है । इनमें पौधे व प्राणी दोनो को सामिल किया गया है ।
सागर में रहने वाले जीव अलग अलग जगहो पर अपना जीव गुजारते है जैसे कुछ जीव ऐसे है जो की सागर के तल पर रहते है तो कुछ ऐसे भी है जो सागर के बिच में रहते है और कुछ उपर पानी पर तैरते रहते है । इस तरह से सागर पर जीव का जीवनयापन होता है ।
सागर की बात आती है तो वहां पर शैवाल के बारे में भी बात आती है क्योकी पानी में शैवाल का पाया जाना एक आम बात है और यह एक प्रकार का पौधा होता है । इसके अलावा सागर में दो तरह के पौधे पाए जा सकते है यानि पहला आदिम समूह थैलोफ़ाइटा और दूसरा कुछ ऐसे पौधे जो की आवृतबीजी हो ।
सागर में पाए जाने वाले शैवाल का रंग अलग अलग होता है यानि लाल हरा व भूरा शैवाल सागर में देखने को मिल सकता है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की सागर में जो पौधे पाए जाते है उनमे किसी प्रकार की जडे नही होती है ।
इन पौधो का उपयोग समुद्र में रहने वाले जीव जन्तु अपने भौजन के रूप में करते है ।
जहां सागर की बात होती है तो वहां पर पाए जोने वाले प्राणियो में मछली एक जरूर होती है । क्योकी यह छोटे से लेकर बडे पानी की जगहो पर आसानी से देखने को मिल जाती है । मगर आपकी जानकारी के लिए बाता दे की सागर में रहने वाले जीव खारे पानी के जीव होते है वे मीठे पानी में पाए जाने वाले जीवो से अलग होते है ।
व्हेल, वालरस, मछली, नक्षत्र–मछली, कछुए , ऑक्टोपस , जलव्याघ्र, तोडफिश, केकड़ा, डॉल्फिन आदी तरह के प्राणी आपको सागर में देखने को मिल सकते है । इन सभी जोवो का भौजन करने का तरीका अलग अलग होता है क्योकी इनमें से बहुत से जीव ऐसे भी होते है जो की पेड़ पौधो को खा कर अपना जीवन चलाते है तो कुछ ऐसे भी प्राणी है जो अपने से छोटे जीवो पर हमला कर कर अपना पेट भरते है । इस तरह से कह सकते है की कुछ प्राणी शाकाहारी तो कुछ मांसाहार होते है ।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की किसी प्रकार के जीव की कई तरह की प्रजाति सागर में पाई जाती है जैसे हम मछली की बात करे तो इस तरह की अनेक प्रजाति भी पाई जाती है जैसे छोटी मछली से लेकर बडी मछली इनमे से बहुत सी ऐसे भी होते है जो शाकाहारी जीवन जीती है और ऐसे भी बहुत है जो मांसाहार जीवन जीती है ।
इस तरह से सागर में पाए जाने वाले जीवो की सख्या अलग अलग होती है ।
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता देते है की समुद्र में इतना अधिक पानी है की अगर इसका सही तरह से उपयोग किया जाए तो पानी की कमी पृथ्वी पर देखने को तक नही मिल पाती है । मगर सागर का पानी मनुष्य अपने जीवन में उपयोग नही ले सकता है क्योकी समुद्र का पानी इतना अधिक अशुद्ध है की अगर इसका उपयोग लिया जाए तो मनुष्य को घात बिमारीयो का सामना करना पड सकता है ।
इसके साथ ही समुद्र में इतना अधिक नमक पाया जाता है की अगर इसे धरती पर फैलाया जाए तो 500 फुट उंची परत बन जाती है । इस कारण से इतना अधिक नमकीन पानी मनुष्य के लिए बहुत ही नुकसान दायक होता है । इसके अलावा व्हेल जैसे विशाल जीवो के द्वारा छोडे जाने वाले मल भी इसी सागर में मिला रहात है साथ जी ज्वालामुखी के फटने से निकलने वाली विभिन्न तरह की गैसे भी इसी सागर में रहती है । जो की पानी को उपयोग के योग्य नही बनाते है । इसी कारण से सागर का पानी पीने योग्य नही माना जाता है ।
दोस्तो आज पृथ्वी पर अनेक तरह के सागर मौजूद है जिनमें पानी की मात्रा की बात करे तो 97 प्रतिशत सामने आता है । क्योकी बाकी का तीन प्रतिशत पानी सागर में नही रहता है और इसी पानी को पीने में काम मे लिया जा सकता है । जैसा की आपको मालूम है की पृथ्वी पर 70 प्रतिशत पानी है और इसी का 97 प्रतिशत सागर में है ।
सागर में जो पानी है उसे पीने के काम में तो नही लिया जा सकता है मगर इसका उपयोग बिजली बनाने के रूप में लिया जा सकता है और ऐसा होता भी है ।
गल्फ की धारा के बारे में आपने कभी न कभी सुना होगा ओर यह सागर में नीचे बताई जाती है अगर आप गल्फ धारा की लम्बाई की बात करे तो यह धारा इतनी अधिक बडी है की आप सोच भी नही सकते है क्योकी पृथ्वी पर बहने वाली अन्य नदियो के आकार को जब आपस में जोड दिया जाता है तो यह धारा बनती तक नही है यानि यह इससे भी बडी होती है ।
इस तरह से हमने सागर का पर्यायवाची शब्द या सागर का समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया है अगर आपके मन में किसी प्रकार का प्रशन है तो आप अपना प्रशन कमेंट बॉक्स में पूछा कसते है ।
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