सजीव का विलोम शब्द या सजीव का विलोम , सजीव का उल्टा क्या होता है ? Sajiv ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
सजीव | निर्जीव |
Sajiv | Nirjiv |
सजीव का मतलब होता है जिसके अंदर चेतना होती है।या जिनके अंदर जीवन का स्त्रोत सक्रिय रूप से होता है वे अपने पास अनुभव करने की क्षमता रखते हैं वे सजीव होते हैं। या जिनके पास ऐसी ज्ञानेंद्रियां और कर्मेंद्रियां होती है जोकि अनुभव करने के लिए होती हैं वे सारे सजीव ही होते हैं लेकिन जिनके पास अनुभव करने की क्षमता नहीं होती है वे सजीव नहीं होते हैं।काफी समय पहले पेड़ पौधों को सजीव नहीं माना जाता था। लेकिन बाद मे वैज्ञानिक रिसर्च से यह पता चला कि पेड़ पौधे सजीव होते हैं। उनके अंदर भी अनुभव करने की क्षमता होती है।
अब इस अनुभव करने की क्षमता का आधार चेतना होती है।चेतना क्या होती है ? इसके बारे मे सही सही ज्ञात नहीं है लेकिन असल मे यह माना जाता है कि चेतना एक तरह की उर्जा होता है। मानव शरीर के अंदर अनुभव करने की क्षमता तब तक होती है जब तक कि उसमे चेतना होती है। जैसे ही चेतना शरीर से अलग हो जाती है ।मानव शरीर अपने अनुभव करने की क्षमता को खो देता है।उसके बाद मानव शरीर एक पूतले से अधिक कुछ भी नहीं होता है। वह एक निर्जीव वस्तु ही बनकर रह जाता है।
वैसे यदि हम सजीव के लक्षणों की बात करें तो यह सांस लेते हैं।इस दुनिया के अंदर हर जीव सांस लेता है और उसके अंदर ऑक्सीजन अपने अंदर लेता है और कार्बनडाई ऑक्साइड को बाहर छोड़ देता है। और सजीव का दूसरा लक्षण होता है कि यह भोजन बनाता है।भले ही हर सजीव का भोजन बनाने का तरीका और भोजन अलग अलग हो लेकिन यह भोजन अवश्य ही बनाता है।और सजीव का एक लक्षण उर्त्सजन भी होता है। जिसका मतलब यह है कि यह अपने शरीर से कुछ बेकार के पदार्थ को बाहर निकालता है। इस प्रकार से सजीव एक मशीनरी होता है जो कुछ चीजों को अंदर लेता है और उसके बाद कुछ को बाहर निकाल देता है।
वैसे आपको बतादें कि प्रकृति को मानव जैसा बेहतरीन सजीव इंसान को बनाने मे करोड़ों अरबों साल लगे और इसके लिए एक बेहतरीन डिएनए का विकास हुआ है। माना जाता है कि पहला सजीव पानी के अंदर उत्पन्न हुआ और उसके बाद धीरे धीरे उत्परिवर्तन के द्धारा नए जीव आए ।
वैसे आपको बतादें कि उत्परिवर्तन के सिद्धांत को भले ही डार्विन ने दिया हो लेकिन इसका जिक्र पुराणों और गीता के अंदर आ चुका है। गीता के अंदर यह लिखा है कि इंसान अपनी जरूरत के अनुसार शरीर की रचना करता है। और यही बात डार्विन ने कही है कि जिन अंगों की आवश्यकता नहीं होती है वे धीरे धीरे
विलुप्त हो जाते हैं।
दोस्तों निर्जीव का मतलब होता है जो ना तो सांस लेता है ना भोजन करता है और ना ही उत्सर्जन करता है। आप अपने घर के अंदर रखी टेबल को देख सकते हैं । क्या आपने उसे कभी भोजन करते हुए देखा है ? नहीं आपने नहीं देखा होगा । इसी प्रकार से आपका मोबाइल भी निर्जीव ही है । भले ही वह सजीव की तरह व्यवहार करता हो ।इसी प्रकार से आपके आस पास पड़े कंकड पत्थर भी निर्जीव ही हैं। ऐसा माना जाता है कि निर्जीव चीजों से ही तो सजीव की उत्पति हुई। पहले धरती निर्जीव थी और उसके बाद विशेष क्रियाओं से सजीव बने ।
वैसे निर्जीव सजीव किस प्रकार से बने इसको समझना बहुत ही कठिन कार्य है। प्रक्रति के अंदर डिएनए किस प्रकार से आए जो अपनी प्रतिकृति बनाने मे सक्षम हैं पता नहीं है।
वैसे आपको बतादें कि भारत के अंदर तंत्र क्रिया बहुत अधिक प्राचीन है। और आज भी हमारे यहां पर अनेक ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं कि सहसा इसपर विश्वास करना मुश्किल होता है। लेकिन दुनिया सिर्फ इतनी ही नहीं है जितनी की आप आंखों से देख पाते हैं। दुनिया इससे बहुत बड़ी है।
यह मात्र कहानी नहीं है वरन एक रियल घटना है।खालासी के एक इंसान को कोरोना हुआ था। उसका नाम तो मुझे याद नहीं है। जब कोरोना हुआ तो पहले बुखार चढ़ी उसके बाद बुखार तो 4 दिन बाद ठीक हो गई लेकिन उसे नहीं पता था कि उसे कोरोना हो गया है।
कोरोना होने के 5 दिन बाद ऑक्सीजन लेवल कम होना शूरू हो गया लेकिन उसे पता नहीं चला । लगभग 11 दिन बाद उसे पता चला कि उसकी सांसे तेज तेज चल रही है। उसके बाद उसको एक कजोड़ नामक इंसान ने एक गाड़ी के अंदर बैठाया और झुझनूं के एक अस्पताल के अंदर भर्ति करवा दिया । उधर डॉक्टर ने उसका ऑक्सीजन लेवल चैक किया तो वह 50 प्रतिशत से भी कम हो चुका था। अब डॉक्टर ने भी कह दिया कि इसका बचना मुश्किल है। और अब कुछ नहीं हो सकता है।
अब उन्हीं के घर के अंदर एक रणजीत नामक एक पितर देवता जिसको पवित्र आत्मा कहा जाता है थे। सब लोगों ने गुहार लगाई कि अब वही उनकी मदद कर सकते हैं। और उस पवित्र आत्मा ने मदद करने का वचन दिया । दूसरे दिन जब डॉक्टर ने उसका ऑक्सीजन लेवल चैक किया तो वह 80 के लगभग आ चुका था।
यह देखकर डॉक्टर भी बुरी तरह से हैरान रह गया और बोला ……यह कोई चमत्कार से कम नहीं है। बहुत से लोग इतने ऑक्सीजन लेवल के बाद बच नहीं पाते । पहली बार ऐसा लगा है कि भगवान है। इसको किसी भगवान ने बचाया है।
दोस्तों इस प्रकार से जहां कुछ लोग कोरोना से लड़कर वापस आ रहे हैं तो कुछ मर भी रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि यदि आप भगवान को मानते हैं तो वे आपकी मदद जरूर करते हैं।
बहुत से महामूर्ख इन सबको अंधविश्वास मानेंगे लेकिन उन महामूर्खों को यह नहीं पता कि विकसित देश अमेरिका के अंदर भूत विज्ञान को पढ़ाया जाता है । और सब तंत्र मंत्र किया जाता है। लेकिन इसका जिक्र कोई नहीं करता है।
इस कहानी को बताने का यही उदेश्य है कि यदि आप विश्वास रखते हैं तो पत्थर के अंदर भी भगवान है। और यदि विश्वास नहीं है तो भगवान आपके सामने आए तो भी आप उसे नकार देंगे ।
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