संपर्क का विलोम शब्द या संपर्क का विलोम , संपर्क का उल्टा क्या होता है ? Sampark ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
संपर्क | असंपर्क |
Sampark | aSampark |
दोस्तों संपर्क का नाम तो आपने सुना ही होगा संपर्क का विलोम शब्द होता है। असपंर्क संपर्करहित । संपर्क का मतलब संचार करना या सूचना का आधान प्रदान करना ।यदि आप किसी के साथ सूचना का आदान प्रदान कर रहे हैं तो उसको हम संपर्क ही कहेंगे । आप सूचना के आधान प्रदान करने के लिए किसी भी माध्यम का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कि टेलिफोन या फिर टीवी या इंटरनेट आदि का उपयोग आप कर सकते हैं। सूचना को भेजना और प्राप्त करना संपर्क ही है।
दोस्तों समय के साथ संपर्क के तरीकों के अंदर भी काफी अधिक सुधार हो चुका है। आपको पता ही होगा ।एक जमाना हुआ करता था कि उस समय संचार के इतने अधिक साधन मौजूद नहीं थे । यदि पास के गांव के अंदर सूचना को भेजना होता था तो इसके लिए कबूतर का उपयोग किया जाता था।
कबूतर के गले के अंदर कागज को बांध दिया जाता था और उसके बाद कबूतर उस कागज को लेकर उड़ जाता था और वह गंतव्य स्थान पर बैठ कर सूचना प्राप्त करता था। मोबाइल और टेलिफोन तो बहुत बाद मे आए थे । पहले जो लोग विदेश जाते थे उनका पत्र आया करता था यह मुझे आज भी याद है। इस वक्त फोन वैगरह नहीं थे तो पत्र को विदेश से यहां पर पहुंचने मे काफी अधिक समय लगता था। हालांकि अब जमाना बदल चुका है। आज सूचना का आदान प्रदान करना बहुत ही आसान हो चुका है।
बस आपको एक नंबर दिया जाता है। उस नंबर को डायल करों और उस इंसान के पास फोन पहुंच जाता है। और आप चाहे उस इंसान से कितनी भी दूरी पर क्यों ना हो बात कर सकते हैं।
अब जमाना तेजी से बदल रहा है। अब सिर्फ बात तक ही सीमित नहीं है। आज आप विडियो कॉल भी कर सकते हैं। जिसकी मदद से आप यह देख सकते हैं कि वह इंसान क्या क्या कर रहा है। असल मे यह पूरी तरह से गुप्त रहता है। इस तरह से सूचना के संसाधनों ने सबको बहुत ही कम दूरी पर लाकर खड़ा कर दिया है।
अब हम सबके पास इस तरह के डिवाइस मौजूद हैं जिसकी मदद से आप आसानी से अपने से दूर बैठे इंसान से संपर्क कर सकते हैं। यह अपने आप मे बहुत ही अच्छी बात है। इसके अलावा फेसबुक जैसे सोसल मिडिया आ चुके हैं जिसकी मदद से आप दुनिया भर के लोगों से जुड़ सकते हैं।
पहले विदेशों के अंदर क्या होता है ? इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चल पाता था लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। विदेशों के अंदर किस तरह के हालात हैं ? इसकी खबर तुरंत ही हमें पता चल जाती हैं। इंटरनेट और भी एंडवास सिस्टम है जिसकी मदद से हम बहुत ही जल्दी सूचना को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह से आज के समय मे संपर्क के बहुत सारे साधन मौजूद हैं जिसकी मदद से आप कहीं पर भी संपर्क स्थापित कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
संपर्क रहित का मतलब होता है जिसका कोई संपर्क नहीं हो । या जिससे संपर्क नहीं हुआ हो । जैसे कि आप किसी को संपर्क करना चाहते हैं और वह आपसे दूर हैं लेकिन आपके पास उससे संपर्क करने का कोई तरीका नहीं है तो उसके लिए हम संपर्क रहित शब्द का ही प्रयोग करेंगे । दोस्तों आजकल बड़े बड़े ज्ञानी बनकर बैठ गए हैं और यह दवा करते हैं कि वे भगवान से संपर्क करना जानते हैं। मतलब वे आपकी बात को भगवान तक पहुंचा सकते हैं और लोग उनकी बातों पर काफी अधिक भरोशा कर लेते हैं एक तरह से यह काफी तगड़ा धंधा हो चुका है। और इस चक्कर के अंदर बाबा लोग काफी अधिक पैसा कमाते हैं। और ऐसी के अंदर रहते हैं।
असल मे इस तरह के लोग मे से कुछ ही लोग होते हैं जो कि सच मे भगवान से संपर्क करवा सकते हैं। उनके पास इस तरह की क्षमताएं होती हैं। लेकिन इस तरह के लोग दुनिया के सामने कम ही आना पसंद करते हैं। क्योंकि इनकी अपनी ही दुनिया होती है और यह उसी दुनिया के अंदर मस्त रहते हैं।
असल मे जो किताबों के अंदर लिखी बातों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं और चीजों को तोड़मरोड़ कर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं उन लोगों को यह समझना चाहिए कि यह गलत बात है। और आजकल तो हमको भी कोई इस प्रकार का गुरू चाहिए होता है जोकि सीधी हमें परलोक की टिकट देता हो । और एक बार जब हमको वह परलोक की टिकट दे देता है। तो उसके बाद हम भी निश्चित हो जाते हैं कि हमकों परलोक की टिकट मिल चुकी है। अब किसी भी तरह की चिंता की बात नहीं है। हम आसानी से परलोक चले जाएंगे । इस तरह के भगत गण भी अपने गुरू पर पुरा भरोशा करते हैं जोकि खुद परलोक जाने की क्षमता नहीं रखता है।
अब तो इस तरह के कलयुगी पैदा हो गए हैं जोकि भगवान को चैलेंज देने लगे हैं भले ही उनकी औकात दो कोड़ी की भी नहीं होगी । सुना ही कि कलयुग के अंदर भूत प्रेत की पूजा होगी और वही तो हो रहा है। लोग असली देवता को काफी तेजी से भूलते जा रहे हैं। और उनकी पूजा करने मे जूटे हैं जो भूत प्रेत है।
अब आप यह तो बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं कि भूत प्रेत आपका कभी भी भला नहीं कर सकते हैं ।क्योंकि उनका खुद का भला नहीं हुआ वे अपने भला करने की क्षमता नहीं रखते हैं तो भला दूसरों का भला कैसे कर सकते हैं। आपके अंदर गुरू को पहचान करने की क्षमता नहीं होती है। लेकिन एक सच्चे गुरू के पास अपने शिष्य को पहचान करने की क्षमता होती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । खैर जो भी हो इस दुनिया के अंदर संपर्क असपंर्क तो हमेशा ही चलता रहेगा । कुछ लोग बुरे पैदा होंगे तो कुछ लोग सही भी पैदा होंगे ।
आप कितनी भी कोशिश क्योंना करलें आप बुराई को कभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते हैं। आज तक ऐसा कोई भी इंसान पैदा नहीं हुआ है जोकि बुराई को पूरी तरह से समाप्त कर पाया है क्योंकि नेचर ही बुराई को पैदा करने वाली होती है वही अच्छाई को बनाने वाली होती है।
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