संकट का विलोम शब्द या संकट का विलोम , संकट का उल्टा क्या होता है ? sankat ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
संकट | बाधारहित‚ असंकट |
दोस्तों संकट का मतलब मुश्बित होता है। संकट का विलोम शब्द असंकट होता है। जिसका मतलब होता है संकट का नहीं होना । वैसे तो जीवन अपने आप मे ही संकट ही है। क्योंकि संकट जीवन के साथ ही शूरू हो जाता है। जब बच्चे का जन्म होता है तो वह बीमार हो जाता है । उसके ईलाज के लिए पैसे खर्च किये जाते हैं।यदि घर के अंदर पैसा नहीं है तो फिर पैसा मांगने का संकट । और इस संकट के अंदर कुछ लोग तो इतने अधिक फंस जाते हैं कि उनको मरने के सिवाए कुछ भी नहीं दिखता है। और अंत मे सब कुछ भी नहीं सूझता है तो मौत को गले लगा लेते हैं।
एक महाशय की बीवी भाग गई उनके लिए यह एक बड़ा संकट था। बेचारे मारे मारे फिर रहे थे । कभी पुलिस स्टेशन के अंदर जाते तो कभी कहां पर जाते । बेचारे अपनी बीवी से बहुत अधिक प्यार जो करते थे । इस प्रकार के संकट बहुत से लोगों के उपर आये हुए हैं। कुछ लोगों को शादी नहीं हो रही है। यह भी उनके लिए एक बड़ा संकट है। और वे इस संकट से उभरने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि जिनकी शादी हो गई है। उनके लिए बड़ा संकट यह है कि उनके पास बीवी को देने के लिए पैसा नहीं है। और अब कुछ तो ऐसे हैं जो अपनी बीवी से छूटकारा पाना चाहते हैं क्योंकि अब उनके लिए बीवी खुद ही एक संकट बन गई है।
वैसे यदि आप देखेंगे तो दुनिया के अंदर हर चीज एक संकट ही है। सारे संकट आपके जीवन से ही शूरू होते हैं। बच्चे के लिए पास होने का संकट हमेशा बना ही रहता है। बच्चों को बेचारों को काफी डराया जाता है कि यदि पास नहीं हुए तो तुम्हारी जिदंगी तबाह हो जाएगी ।
और इस मामले मे कई बच्चे तो इतना अधिक डर जाते हैं कि फैल होने के संकट से बचने के लिए सुसाइड तक कर लेते हैं।इसी प्रकार से जीवन के अंदर रोजगार के संकट सबसे बड़ा संकट है। अक्सर संकटमोचक लोग चिल्लाते रहते हैं कि रोजगार दो रोजगार दो लेकिन जनसंख्या जितने बड़े संकट पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि भारत को बरबाद करने मे राजनिति का जितना हाथ है।
उतना हाथ किसी का भी नहीं है। यही राजनिति अमेरिका को ही नहीं पुरी दुनिया को बरबाद कर रही है। और अब तो भारत के नष्ट होने और अनेक टुकड़ों के अंदर टूटने का संकट उत्पन्न हो गया है।
और आप जानते ही हैं कि सरकारें खुद देश के लिए एक संकट हैं। आप संकट पैदा करने वाले नेताओं को चुनते हैं। वे आपके संकट को हरने की बजाये आपके संकट को बढ़ा रही हैं। और जनता उनको फिर चुन चुन कर भेजती है।वैसे अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।इस प्रकार के नेताओं को किसी भी प्रकार की शर्म नहीं होती है। यह जनता को बेचकर अपनी कुर्सी को पूरी तरह से सेफ रखते हैं।
असंकट का मतलब कोई भी संकट नहीं हो ।बिना किसी बाधा के । वैसे देखा जाए तो असंकट की स्थिति कभी आती ही नहीं है। पग पग पर शरीर के नष्ट होने का संकट खड़ा रहता है। हो सकता है मकान गिर जाए या फिर सांप डस जाए यह सब संकट ही होता है।बहुत से लोग तो अपनी सोच से ही संकट पैदा कर लेते हैं। कुछ लोग बिना काम का संकट पैदा करते हैं। हालांकि कई बार हमको यह भ्रम भी हो जाता है कि हम संकट मे नहीं हैं। ऐसी स्थिति को ही तो हम कहेंगे कि अब असंकट है।
जैसे कि अभी आपके उपर एक बहुत बड़ा संकट आया था लेकिन अब वह संकट टल गया है ।तब आप यह अनुभव कर सकते हैं कि यह असंकट ही है। लेकिन असल मे असंकट बस संकट आने की नई तैयारी मात्र होता है। ऐसा नहीं हो सकता है कि संकट आना बंद हो जाए । समुद्र के शांत होने का मतलब यह नहीं है कि उसके अंदर तूफान नहीं आ सकता है। यह बस समुद्र की कुछ समय की स्थिति होती है।
दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक राजा को कोई संतान नहीं था राजा जगह जगह मंदिरों मे चक्कर लगा रहा था कि उनको संतान हो जाए ।काफी जगह घूमने के बाद राजा की मनोकामना भगवान की क्रपा से पूर्ण हो गई । राजा के पुत्र का जन्म हुआ तो पूरे राज्य के अंदर खुशियां मनाई गई । और राजा ने पूरे राज्य के अंदर भौज आयोजित किया । पूरा राज्य इस भोज के अंदर काफी खुशियों से शामिल हुए । और राजा भी काफी खुश था कि आखिर उसका वारिस आ गया और अब उसकी चिंता खत्म हो गई कि उसके मरने के बाद राज्य कौन सम्हालेगा ।
इस प्रकार से कुछ दिन बीत गए और राजा का बेटा काफी बड़ा हो गया । एक दिन राजा ने अपने बेटे के भविष्य के बारे मे पता करने के लिए एक तांत्रिक को बुलाया और पूछा कि उसका बेटा बड़ा होकर कैसा बनेगा ?
…..महाराज आपके बेटे के उपर एक संकट आया हुआ है ।
…..कैसा संकट आया है ? राजा ने व्याकुल होकर पूछा।
—-महाराज आपके बेट की आयु कम है। इसलिए बड़ी पूजा करनी होगी ।और इसके लिए काफी पैसा खर्च होगा
……तुम पैसा कि चिंता मत करो । लेकिन मेरा बेटा सही सलामत रहना चाहिए ।
और उसके बाद तांत्रिक ने पूजा शूरू करदी । यह पूजा लगातार चलती रही । और यह 7 दिन तक की गई। उसके बाद तांत्रिक बोला ….महाराज अब आपके बेटे पर कोई खतरा नहीं है।और उसके बाद तांत्रिक अपनी दान दक्षिण लेकर चल पड़ा । कुछ दूर जाने के बाद एक कुए के अंदर गलती से गिर गया और उसी के साथ ही उसके प्राण निकल गए ।
जब राजा को इस बात का पता चला कि यहां से जाने वाला तांत्रिक किसी पास ही के कुए को नहीं देख सका और उसके अंदर गिर गया तो वह काफी हंसा और उसे समझ आ गया कि दूसरों के संकट को दूर से देखने वाला अपने इतने पास के संकट को नहीं पहचान सका ।
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