संकोच का विलोम शब्द, संकोच शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, संकोच का उल्टा Sankoch ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
संकोच | निसंकोच |
Sankoch | Nisankoch |
दोस्तों संकोच का विलोम शब्द निसंकोच होता है।यदि हम संकोच के मतलब की बात करें तो संकोच का मतलब होता है शर्म होना या लाज होना । दोस्तों संकोच एक तरह से संदेह होता है। जैसे कि आप को उस समय यह समझ नहीं आता है कि आप अमुक काम करें या नहीं करें ?
दोस्तों संकोच का क्या उपयोग होता है ? यह आपके दिमाग मे भी आता होगा ।असल मे संकोच कुछ मामलों मे उपयोगी होती है। खास कर महिलाओं के लिए संकोच का महत्व होता है तो पुरूषों के लिए भी इसका महत्व होता है। संकोच की वजह से आप कुछ भी गलत करने से बच जाते हैं।
यदि आपको कहीं पर कोई सामान पड़ा दिख जाता है तो आप उसे तब उठाने का प्रयास करते हैं जब आपको कोई नहीं देख रहा होता है। यही सब संकोच की वजह से ही तो होता है। इसके अलावा जब किसी के घर के अंदर भी चोर चोरी करने के लिए लिए जाता है तो उसे इस बात का संकोच ही रहता है कि कहीं उसे देखना ले । कुछ हद तक संकोच अंदर बैठे डर की वजह से उपजता है।
यदि आप अपने अंदर बैठे डर को समाप्त करदेत हैं तो फिर आपके अंदर संकोच कैसे रह जाएगा । अब आपके अंदर किस तरह का डर है यह तो आप जानते ही हैं। यह संकोच के पीछे डर ही काम करता है। और यदि आपके मन मे एक बार डर समाप्त हो जाता है तो संकोच भी खत्म हो जाता है। हम नए इंसान से जब मिलते हैं तो उसके सामने कुछ भी बकवास नहीं करते हैं क्योंकि हमे इस बात का संकोच होता है कि सामने वाले इंसान को बुरा ना लग जाए । लेकिन जब हम उसे अच्छी तरह से जान जाते हैं तो फिर यह नहीं सोचते हैं
क्योंकि हमारा संकोच खुल जाता है और हमे पता चल जाता है कि सामने वाला किस बात पर नाराज होता है और किस बात पर नाराज नहीं होता है।
यदि हम संकोच की बात ही कर रहे हैं तो एक और घटना का उल्लेख हम कर देते हैं। एक बार हम बारात मे गए थे । और वहां पर रस्ते में 100 का नोट गिरा हुआ था और अंधेरा था। एक अन्य व्यक्ति भी हमारे साथ था । और हमने उस नोट को उठाने के बारे मे सोचा लेकिन ऐसा नहीं करसके क्योंकि सोचने लगे कि दूसरे लोग क्या कहेंगे । वैसे तो यह एक तरह का अजीब संकोच था। लेकिन क्या कर सकते हैं ? इस प्रकार के संकोच भी आपको कोई काम करने से रोक लेते हैं।
इस प्रकार से संकोच एक प्रकार का प्रतिबंध ही होता है जोकि आपको किसी काम को करने से रोकता है और आप कई बार संकोच की वजह से ही चुप रहते हैं। यदि संकोच समाप्त हो जाता है इसका परिणाम आप अपने आस पास भी देख सकते हैं। इसके बारे मे हमें बताने की आवश्यकता नहीं है।
यदि हम बात करें निसंकोच की तो इसका मतलब होता है जिसको किसी भी प्रकार का संकोच नहीं हो उसे निसंकोच कहते हैं। जैसे बात करें चोरों की तो चोरों का चोरी करने का धंधा होता है। उनको चोरी करने मे किसी प्रकार का संकोच नहीं होता है।कुछ दिन पहले यह न्यूज आई थी कि हमारे इधर ही दो ग्वाले अपनी बकरियों के साथ खेत मे सो रहे थे तो कुछ चोर आए और उन ग्वालों को जान से मार दिया उसके बाद उन बकरियों को पकड़ कर ले गए ।
यह चोर और हत्यारे निसंकोच ही थे।एक आम इंसान जिसने कभी चुहा तक नहीं मारा हो वह इंसानों को कैसे मार सकता है ? असल मे चोर जब निसंकोच हो जाते हैं तो फिर उनको किसी भी प्रकार का डर नहीं होता है। वे बस अपनी मस्ती मे चोरी करते हैं।
आपको यह पता होना चाहिए कि निसंकोचता कुछ हद तक सही रहती है। जैसे कि कोई इंसान किसी लड़की को छेड़ रहा है और वह संकोच के मारे खड़ी है तो यह गलत है। आजकल अकेली लड़कियां जाती हैं उनके साथ कुछ भी हो सकता है तो निसंकोच होकर नहीं रहना चाहिए जवाब देने के लिए ।
लेकिन यदि आप पूरी तरह से निसंकोच हो जाते हैं तो फिर समस्याएं होती हैं।उसके बाद आप एक तरह से अपराधी हो जाते हैं। बात करें दिल्ली के पार्कों की तो वहां पर आपको लड़के लड़कियां किस्स करते नजर आएंगे । यदि आप अपने माता पिता के साथ हैं तो आप वहां पर से नहीं निकल सकते हैं ।
यह सब आधुनिकता के नाम पर हो रहा है।लोगों के दिमाग मे आधुनिकता का जहर भरा जा रहा है। एक तरफ तालिबान सिर्फ इसलिए लड़की को मार देता है क्योंकि उसने टाइट कपड़े पहने थे । तालिबान नहीं चाहता है कि उसकी सभ्यता नष्ट हो जो 1400 साल पुरानी है।
हमारे कहने का मतलब यही है कि अति खतरनाक होती है। यदि आप अति की बात करते हैं तो फिर वह उपयोगी नहीं है। कुछ मामलों मे आपको संकोची होना चाहिए लेकिन यदि आप हर मामले मे संकोची जो जाते हैं जहां आप गलत नहीं हैं तो फिर आपको लोग दबाने लग जाएंगे ।
हाल ही मे वायरल हुए एक विडियो मे एक लड़की जिसका नाम प्रियदर्शनी था ने एक कैब ड्राइवर को इतने अधिक थप्पड मारे और उसका मोबाइल तोड़ दिया । अब बैचारे का इतना अधिक नुकसान हुआ कि कुछ कहा नहीं जा सकता जबकि उसकी इतनी बड़ी गलती नहीं थी।
यह प्रियदर्शनी की निसंकोचता है जो अधिक हो गई।आपने एक तराजू तो देखा ही होगा । उसके अंदर माल तभी तुलता है जब दोनो तरफ बराबर होता है। यदि एक बॉक्स के अंदर भी अधिक हो गया तो फिर माल नहीं तुलेगा । वैसे ही संकोच और निसंकोच एक ही चीज के दो पहलू हैं लेकिन दोनों एक दूसरे के विपरित हैं।
यदि आप इन दोनों को संतुलन मे रखते हैं तब तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही आप इनको संतुलन से हटा देते हैं वैसे ही सब कुछ गड़बड़ हो जाता है। क्योंकि एक अधिक होता है तो वह नुकसान करता है और दूसरा कम होता है तो भी वह नुकसान ही करता है।
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