संसार का पर्यायवाची शब्द या संसार का समानार्थी शब्द (sansar ka paryayvachi shabd / sansar ka samanarthi shabd) के बारे मे इस लेख मे बडे ही विस्तार से चर्चा करेगे, इसके साथ ही संसार शब्द से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी हासिल करेगे तो लेख को देखे।
शब्द (shabd) | संसार का पर्यायवाची शब्द या संसार का समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
संसार | जगत, भुवन, लोक, विश्व, जगती, भव, जग, भूलोक, भुव, सृष्टि, ब्रह्माण्ड, दुनिया |
संसार in hindi | jagat, bhuvan, lok, vishv, jagatee, bhav, jag, bhoolok, bhuv, srshti, brahmaand, duniya |
संसार in English | World, cosmos, macrocosm, universe. |
दोस्तो हिंदी भाषा में संसार का अर्थ एक ऐसे स्थान से होता है जहां पर जन्म–मरण चलता रहता है । यानि वह चक्र जिसमे जन्म–मरण चलता है संसार कहा जाता है । इसके अलावा यह भी कह सकते है की पूरे जगत को संसार कहा जाता है ।
अगर एक शब्द में अर्थ की बात करे तो होता है
संक्षिप्त में संसार शब्द के अर्थो की बात करे तो वही होते है जो की इसके पर्यायवाची शब्द है ।
दोस्तो अलग अलग धर्म के लोगो की संसार पर परिभाषा भी अलग अलग होती है और सभी इसे अपने धर्म के अनुसार बताते है ।
बुद्ध धर्म के लोगो का मानना है की संसार वह होता है जो की एक भौतिक दुनिया है जिसमे मनुष्य नोकरी और पैसे जैसे भौतिक चिजो में अपना जीवन गुजारता है । इसके परे आध्यात्मिक दुनिया होती है जो की एक संसार के रूप मे नही मान सकते है ।
इस दुनिया में मनुष्य के अंत होने के बाद में आध्यात्मिक संसार की प्राप्ती होती है । साथ ही यह भी मान सकते है की आध्यात्मिक संसार में मनुष्य को ज्ञान हो जाता है और जिस मनुष्य को इस भौतिक संसार में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो जाता है वह आध्यात्मिक संसार को प्राप्त हो जाता है ।
आपने यह सुना होगा की संसार में जो कुछ है वह सब संसार की श्रेणी में आता है । इसी तरह से कुछ हिंदू धर्म के लोगो का मानना होता है । यानि हिंदू धर्म के लोगो का मानन है की संसार दो रूप में बटा हुआ है जिनमें से पहला पुरूष और दूसरा प्रकृति होता है ।
पहले पुरूष रूप का अर्थ व्यक्तिगत जागरूक आत्म होता है । और वही प्रकृति का अर्थ ऐसा संसार जीसमें सभी प्रकार के जीव जन्तु अपना जीवन गुजार रहे है । इन दोनो के संयुक्त रूप को ही संसार कहा जाता है ।
इसलाम धर्म के लोगो का माना है की संसार वह जीवन होता है जिसमें मनुष्य सांसारिक चिंताओं में फंसा रहता है यानि आध्यात्मिक संसार के बिल्कुल उल्टा । इसके साथ ही कुछ इस्लामीक लोगो का मानना है की संसार वह स्थान है जहां पर मनुष्य को संसारिक सुख प्राप्त होते है ।
दोस्तो यह प्रशन लगभग सभी के मन में रहता है । अपको जानकारी होगी की दुनिया में जो देश किसी देश के अधिन होते है वे दोनो देश एक ही देश के रूप में माने जाते है । यही कारण है की दुनिया में कुल 240 देश बताए जाते है ।
मगर इनकी गणना करने पर पता चलता है की कुल 195 देश ही संसार में है । बाकी के देश अन्य देशो के अंधिन होने के कारण से उन देशो की गणना अलग अलग नही की जाती है । अब इन 195 देशो में से भी दो देशो को नही गिना जाता है । यानि दुनिया में कुल 193 देश ही माने जाते है । बाकी के दो देश वैटिकन सिटी और ताइवान है जो की सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य के रूप में नही जोडा गया है । इस तरह से कुल 193 देश ही सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य है और कुल 195 देश इस संसार में है ।
दोस्तो संसार में मनुष्या का जन्म कैसे हुआ यह एक अहम प्रशन है और इस प्रशन के उत्तर की तलाश में अनेक विद्वानों ने अपना योगदान दिया था और कठिन परिश्रम किया था । तब जाकर यह पता चल सका की संसार में मनुष्य कितने वर्षो से जीवन यापन करता आ रहा है ।
दोस्तो मनुष्य के जीवन के बारे में जानकारी को हासिल करने के लिए विद्वानों ने ऐसे स्थानो के बारे में जानकारी हासिल की जहां पर मनुष्य काफी लंबे समय से अपना जीवन जीता आ रहा है । ऐसे स्थानो की तलाश करने के बाद में विद्वानो ने उन स्थानो को खोदना शुरू किया ।
ताकी धरती कें अंदर दबे कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य हालिस किए जा सके जिससे पता चल सके की मनुष्य का जीवन पृथ्वी पर कब से है । इस तरह से खुदाई का कार्य शुरू किया गया और उन्हे काफी कोशिशो के बाद में मनुष्य के शरीर की हड्डियां प्राप्त हुई ।
जिसके बाद में उन हड्डियो की जाच पडताल करने के बाद में पता चला की ये काफी अधिक पूरानी है और इसी प्रक्रिया से पता चल सका की आज से लगभग 40 लाख वर्ष पूर्व मनुष्य था । इस तरह से मनुष्य का जन्म संसार में 40 लाख वर्ष पूर्व था ।
दोस्तो जैसा की हमने जानकारी हालिस कि की मनुष्य के बारे में कैसे पता चला की वह 40 लाख वर्ष पूर्व भी था । उसी तकनिक के साथ ही हड्डियो की जाच पडताल की गई और विभिन्न प्रकार के जीवो से मिलाया गया तो पता चला की मनुष्य की हड्डियां बंदरो की परजातियो से बहुत ही अधिक मिलती है ।
और बताया जाता है की उस समय बंदर आज की तुलना में अधिक ज्ञानी थे । और कठिनाईयो का सामना करते हुए अपने शरीर में परिर्वतन पैदा करते गए । यह परिवर्तन आने वाली पिढियो में भी था । इस तरह से चलते हुए आखिर में बंदर की एक ऐसी प्रजाती का जन्म हुआ था जो आधुनिक मानव का जनक था । यानि वह आज के 40 लाख वर्षो के पूर्व का मानव था । इस तरह से पता चला की मानव का जन्म संभवत बंदरो की परजातियो से ही हुआ होगा ।
दोस्तो इस संसार में कितने ही ऐसे जीव जन्तु है जो एक दूसरे के लिए लाभदायक होते है और इस तरह से जीवो का लाभदायक होना एक दूसरे जीव को जीवित रखने का काम करते है । जिस तरह से हम सांप की बात करे तो वह अपने से छोटे जीव जन्तुओ को खा कर अपना पेट भरता है जिससे अन्य जीव सांप के लिए लाभदायक हुए । इसी तरह से एक दूसरे से जुडे हुए इस संसार में लाखो की संख्या में जीव है ।
एक बार वैज्ञानिको ने जानकारी हालिस करते हुए बाताया की अभी तक संसार में जीतने भी प्रकार के जीवो की जानकारी हासिल हुई है उससे पता चलता है की संसार में लगभग 87 लाख प्रजातियां जीवो की है । इसके साथ ही वैज्ञानिको ने दावा किया है की आने वाले एक हजार वर्षो में लगभग सभी प्रकार के जीवो के बारे में जानकारी हासिल हो जाएगी । क्योकी अभी भी ऐसे बहुत से जीव है जिनके बार में किसी प्रकार की जानकारी नही है ।
इसके साथ ही एक घटना होती रहती है जिसके कारण से समय समय पर जीवो की संख्या में कमी भी होती है और वह जीवो का लूप्त होना होता है ।
हालाकी वैज्ञानिको ने यह भी बताया की पृथ्वी पर जीवो की संख्या बताई जा सकती है मगर यह सख्या सटिक नही हो सकती यानि पूरी तरह से से सही नही मान सकते है । इसका कारण यही रहता है की अनेक जीव हमारी नजर मे नही आते है और उन जीवो को इस संख्या मे नही जोडा जाता है ।
अंत मे वेज्ञानिको ने बताया की इस संसार में अभी तक 87 लख प्रजातियो के बारे मे ही पता चला है । अत: हम कह सकते है की इस संसार में कुल 87 लाख प्रजातियो के जीव है ।
दोस्तो जैसा की आपको पता है की संसार पूरी प्रकृति को कहा जाता है और इस प्रकृति मे जो भी कुछ है वह सब संसार का एक भाग है । दूसरे शब्दो में पृथ्वी को भी संसार के रूप में जाना जाता है । इस तरह से संसार शब्द का प्रयोग मानव जीवन में होना एक आम बात है क्योकी अगर किसी देश की दुनिया में तुलना होती है तो वह संसार में कुछ अलग ही देश है ऐसा कहा जा सकता है । यानि संसार ही दुनिया है और जहां पर मानव दुनिया शब्द का प्रयोग करता है वहां संसार शब्द का प्रयोग हो सकता है ।
संसार शब्द का प्रयोग एक अलग रूप में भी हो सकता है यानि जब कोई व्यक्ति दुनिया में अपने लिए कुछ कहता है तो वह कहता है की मैं इस संसार में कुछ अलग हूं । कहने का अर्थ है की संसार शब्द का प्रयोग मानव समय समय पर करता आ रहा है और इस शब्द का प्रयोग होना आम बात होती है। क्योकी यह मानव जीवन के साथ पूरी तरह से जुडा हुआ है।
दोस्तो आपने संसार के बारे में अभी तक यह तो जान लिया होगा की संसार का अर्थ क्या होता है । यानि इसका अर्थ पूरी दुनिया से है और जीस दुनिया को हम संसार कह रहे है उसमें हम भी आते है । अगर यह संसार नही होगा तो हम भी नष्ट हो जाएगे यानि हम भी यहां पर नही होगे । संसार की हर उस चिज का महत्व मानव जीवन में है जो उसके लिए लाभदायक होती है ।
जैसे प्रकृति में आने वाले विभिन्न प्रकार के पेड पौधे और जीव जंन्तु आदी सभी संसार के ही भाग है जिससे मनुष्य किसी न किसी रूप मे जुडा हुआ है । अत: यही कारण है की कहा जाता है की संसार का मानव जीवन में महत्व है ।
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