सहयोग का विलोम शब्द या सहयोग का विलोम , सहयोग का उल्टा क्या होता है ? Sanyog ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
सहयोग | वियोग / असहयोग |
Sanyog | Viyog |
दोस्तों सहयोग का मतलब होता है कि किसी कार्य मे मदद करना या हाथ बंटाना जैसे कि आपने देखा ही होगा कि अक्सर घर के अंदर एक महिला दूसरी महिला के कार्य मे सहयोग करती है ताकि घर का काम जल्दी से पूरा हो जाए । सहयोग का मतलब होता है एक दूसरे की मदद करना । दोस्तों जीवन के अंदर सहयोग बहुत अधिक जरूरी होता है क्योंकि बिना सहयोग के कुछ भी नहीं किया जा सकता है। एक परिवार के अंदर पति पत्नी और उनके बच्चे होते हैं। पति घर के बाहर कमाकर लेकर आता है तो पत्नी घर मे रहकर पति के लिए खाना बनाती है। यह सब सहयोग ही तो होता है।
जबकि बच्चे भी माता पिता को काम के अंदर हाथ बांटा देते हैं। बाहर का सामान लाना अक्सर बच्चे करते हैं। गांवों किसान होते हैं तो खेत मे भी बच्चे अपने माता पिता का हाथ बंटा देते हैं। तो आप समझ सकते हैं कि जीवन मे सहयोग काफी जरूरी होता है। बिना सहयोग के कुछ नहीं होता है।आप यदि एक काम करते हैं तो आप बिना सहयोग के नहीं कर सकते हैं।जब आप घर से बाहर निकलते हैं तो आपको शहर जाने के लिए बस की आवश्यकता होती है। भले ही बस वाले आपसे किराया वसूलते हैं लेकिन यह एक सहयोग ही तो होता है।
तो दोस्तों सहयोग करना बेहद ही जरूरी होता है।इसलिए सहयोग करिये । यदि आप सुबह उठकर जानवरों के लिए दाना डालते हैं तो वह भी एक पुण्य का काम है। ऐसा माना जाता है कि जब आप अच्छे कर्म करते हैं तो फिर आपके मन मे अच्छी चीजों की छवि बनती है और आपको उसके बदले अच्छे फल भी मिलते हैं।
क्योंकि अच्छे कर्मो की वजह से आपके मन मे अच्छी चीजें बनती हैं। और यह प्रकृति का रूल ही है कि यदि आप धरती मे अच्छा बीज बोते हैं तो वह अच्छा ही उगेगा और यदि आप धरती मे खराब बीज बोते हैं तो वह खराब ही उगेगा । सो इस बात को हमेशा याद रखिए कि आपकी बुराई सिर्फ दूसरों को ही परेशान नहीं करेगी वरन आपकी बुराई आपके लिए भी काफी नुकसान दायी होगी । दूसरों से अधिक यह आपके लिए नुकसानदायी होगी ।
बहुत दर्दनाक था मोहम्मद अली जिन्ना का अंत यह बात बीसीसी ने छापी थी जिन्न एक ऐसा इंसान था जिसकी वजह से लाखों लोगों को मारा गया ।यह सिर्फ जिन्ना की कहानी नहीं है। यह सभी के साथ होगा ही जो बुरा करता है। बुरा करने वाले बुरे फल भगुतेंगे । यह कोई चमत्कार नहीं है। जीवन के अंदर यदि आप सहयोग करते हैं तो आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। सहयोग करना एक इंसान के लिए मायेने रखता है।
दोस्तों अधिक से अधिक लोगों का सहयोग करिये जो सहयोग करने के लायक है आप उसका सहयोग करें ताकि वह भी आपसे प्रेरित होकर सहयोग कर सके ।सहयोग को आप कई तरीकों से कर सकते हैं। जैसे कि किसी को पैसा देकर मदद कर सकते हैं तो किसी को रोटी या खाना देकर मदद कर सकते हैं।
वियोग के कई सारे मतलब होते हैं जैसे कि अलगाव ,अभाव और छूटकारा दोस्तों सहयोग और वियोग दोनो अलग अलग असल मे है। सहयोग का उल्टा असहयोग होता है। आपको पता ही होगा कि गांधीजी ने असहयोग आंदोलन चलाया था।जिसके अंदर वे लोगों को अंग्रेजी सरकार का सहयोग करने के लिए मना करते थे वैसे आंदोलनों के मामले मे गांधी महान थे । खैर असहयोग का मतलब है कि आप मदद नहीं करते हैं। जैसे कि रोड़ पर कोई एक्सीडेंट हो गया है और आप बस उसे खड़े देख रहे हैं तो यह असहयोग ही तो है।
इसी प्रकार से आप किसी सरकारी तंत्र मे जाते हैं और वहां पर जो सरकारी कर्मचारियों का रैवया होता है वह भी असहयोग वाला ही तो होता है। वहां पर कोई भी आपका सहयोग नहीं करने वाला होता है। कुछ साल पहले जब मैं एक कॉलेज मे अपनी मार्कशीट निकलवाने के लिए गया तो उस जानवर इंसान ने मुझे लगातार 3 दिन तक चक्कर कटवाए जबकि उसके दो कदम दूर मेरी मार्कशीट थी।यह सब असहयोग ही तो था। इसी प्रकार कई बार बच्चे माता पिता की मर्जी के खिलाफ काम करते हैं तो यह सब भी असहयोग के अंदर ही आता है। क्योंकि इस दशा के अंदर माता पिता बच्चों का साथ नहीं देते हैं।
आपको यह पता होना चाहिए कि अंग्रेजों ने सिर्फ भारत को लूटा ही नहीं था वरन पूरी तरह से बरबाद कर दिया था। और आज भारत उसी स्थिति के अंदर वापस आ चुका है कुछ ही सालों मे भारत की हालत खराब हो सकती है। असल मे अंग्रेजों के साथ सहयोग करने के चक्कर मे यहां के लोगों की मानसिकता ही अंग्रेजो की गुलाम हो गयी ।
उसके बाद क्या था। अधिक तर लोग खुद की सांस्कृति को भूल गए और अंग्रेजी संस्कृति को पकड़ लिया । यह सब कुछ अंग्रेजों का प्रयोग था। आज आप जिस संविधान को मानते हो वह सब अंग्रेजो ने बनाया है।
आपको यह पता होना चाहिए कि कोई भी देश तब तक बचा रहता है जब तक कि उसकी संस्कृति बची रहती है। भारत की खुद की संस्कृति तेजी से लुप्त हो रही है और विदेशी चीजें लोगों के दिमाग मे घुस चुकी हैं तो फिर क्या होगा ?
खैर सहयोग और असहयोग दो ऐसे शब्द हैं जोकि काफी प्रचलित होते हैं। भारत के लोग हमेशा उन लोगों का सहयोग करना पसंद करते हैं जो उनको ही चूना लगाते हैं। एक बेहतरीन इंसान को समझने की परख उनमे कब की खत्म हो चुकी है। निश्चिय ही मानवता का पत्न तेजी से हो रहा है। यदि इसी प्रकार से चलता रहा तो आने वाले कुछ ही सालों के अंदर भारत की बढ़ती जनसंख्या अपराध को जन्म देगी और देश के अंदर बहुत अधिक अस्थिरता हो जाएगी । फिर सहयोग नहीं असहयोग आंदोलन होगा । और शरीफों का जीना बहुत अधिक कठिन हो जाएगा ।
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