सपूत का विलोम शब्द या सपूत का विलोम , सपूत का उल्टा क्या होता है ? Saput ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
सपूत | कपूत |
Saput | Kaput |
दोस्तों सपूत का मतलब होता है जो अच्छा पुत्र है उसे सपूत कहते हैं और जो खराब पुत्र होता है उसे कपूत कहते हैं। सपूत का मतलब अच्छा पूत होता है। अब यदि हम बात करें कि अच्छा पुत्र होता कैसा है तो अच्छा पुत्र वह होता है जोकि अपने माता पिता का सम्मान करता है। और बुढ़ापे मे उनकी जरूरतों का ध्यान रखता है वही अच्छा पुत्र होता है।इसके अलावा अच्छे पुत्र के कई सारे गुण होते हैं जैसे कि वह अपने माता पिता के नाम को कभी भी खराब नहीं करता है। वरन उनके नाम को उंचा उठाने का काम करता है। वह अपने माता पिता की इज्जत की परवाह करने वाला होता है।
एक अच्छा पुत्र मिलना दुर्लभ होता है।आप समझ सकते हैं कि इस काले संसार मे सफेद मिलना कठिन हो रहा है। खैर एक अच्छा पुत्र माता पिता के लिए किसी हीरे से कम नहीं होता है। यदि कोई सौ कपूत जन्मता है तो उसका कोई फायदा नहीं होगा । वही यदि एक सपूत जन्म लेता है तो उसके हजारों फायदे होते हैं।
लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि सीधे तौर पर हम यह तय नहीं कर सकते हैं कि हमारा पुत्र कैसा होगा लेकिन हमारे संस्कार की तो उसे प्रभावित करते हैं। आपने देखा होगा कि जब महिला गर्भवति होती है तो उसके कमरे के अंदर बड़े बड़े महापुरूषों की फोटो को टांगा जाता है।
ऐसा करने का मकसद यह होता है कि उनके घर मे एक अच्छा बच्चा पैदा हो एक ऐसा बच्चा जो इन महापुरूषों की तरह दिखता हो । कोई बेकार का बच्चा पैदा ना हो । यदि आपके विचार ही खराब होंगे तो आपके गर्भ मे एक अच्छी आत्मा का प्रवेश कभी भी नहीं हो सकता है।
यदि कोई बड़े इंसानों को जन्म देना चाहता है तो पहले उसे खुद बड़ा होना होगा तभी कुछ संभव हो सकता है। अन्यथा ऐसा नहीं होगा। यदि आप अपनी सोच को बेकार सा बनाकर रखते हैं तो आप भले ही अच्छे पुत्र की उम्मीद करें । वैसा नहीं हो सकता है। आपको वैसी ही सोच का पुत्र मिलेगा ।
यह बस अपने आप हो रहा है कोई इसको करने वाला नहीं है। इसमे बस यह फंडा काम करता है कि आत्माएं आपकी सोच से आकर्षित होती हैं।
अब आपका पुत्र कैसा है ? इस बारे मे तो आप ही जानते हैं।और आप ही उसे अधिक अच्छा बना सकते हैं। एक खराब संस्कार वाले इंसान को भी आप अच्छा बना सकते हैं। बस आपको इसके अंदर प्रयास करते रहना होगा तभी कुछ अच्छा होगा। आप उसे सो फीसदी नहीं बदल सकते हैं लेकिन आप 70 फिसदी तक प्रयास से बदल सकते हैं।
लेकिन अधिकतर माता पिता के साथ यही समस्या है कि वे अपने पुत्र को कपूत ही बने रहने देना चाहते हैं।वे उसके अंदर बदलाव नहीं करना चाहते हैं लेकिन बाद मे उनको पछताना पड़ता है। पर उसके बाद कुछ नहीं हो सकता है।
दोस्तों सपूत के बारे मे जाना जो अच्छा पुत्र होता है वह सपूत होता है लेकिन जो बुरा पुत्र है उसको कपूत के नाम से जाना जाता है।कपूत का अर्थ है एक ऐसा पुत्र जो दुराचारी है जो अपने माता पिता की कद्र नहीं करता है। आजकल आप कपूतों की कहानी खूब पढ़ते ही होंगे । और सुनते ही होंगे फलाने कपूत ने अपने माता पिता को घर से निकाल दिया है।एक कपूत पुत्र सिहांसन के लिए अपने बाप को भी जेल मे बंद कर सकता है। इस प्रकार से कपूत पुत्र अपने माता पिता को मारता है। और कुछ कपूत तो ऐसे होते हैं जो अपने माता पिता की हत्या तक कर देते हैं।
कपूत का मतलब एक ऐसा पुत्र जोकि अपने माता पिता का नाम खराब करता है उनकी इज्जत को मिट्टी मे मिलाता है। असल मे अधिकतर पुत्र यही करते हैं कि पत्नी के आने के बाद वे माता पिता की सुध लेना बंद कर देते हैं। और खुद पत्नी के वश मे पूरी तरह से हो जाते हैं। वह जो कुछ भी कहती है उसी को करते रहते हैं।
और कई बार तो इस चक्कर मे वह माता पिता को घर से निकाल देते हैं। अब तक हमने कपूत के लक्षणों की बात की । अब हम आपको यह बता देते हैं कि कपूत बनते कैसे हैं ? आपको यह पता होना चाहिए कि हम जो हमारे बच्चो को पढ़ाते हैं वह एक ही चीज सीखाता है कि पैसा कमाना चाहिए बस । संस्कार जैसी उसमे कोई चीज नहीं और माता पिता भी आजकल इतने अधिक बिजी रहते हैं कि अपने बच्चों को संस्कार देना भूल चुके हैं। और उसके बाद जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो फिर उनके अंदर भी संस्कार कहां से आएं । हमारे यहां पर भींव ,भुगान नामक दो व्यक्ति थे ।
पहले यह दोनो आपस मे लड़ते थे । उसके बाद भुगान के दो पुत्र बड़े होकर आपस मे रोजाना लड़ने लगे अब उनके पुत्र आपस मे लड़ते हैं तो यह सब गलत संस्कार का ही तो परिणाम है। अक्सर माता पिता अपने बच्चे को यह नहीं सीखाते हैं कि उसको कैसे रहना चाहिए ? यदि वे अपने बच्चे को सही संस्कार सीखाए तो ऐसा नहीं हो पाएगा । और आजकल के बच्चों की नजरों मे हीरो भी वो लोग होते हैं जो टीवी पर प्यार की मिसाल पैस करते हैं और रियल लाइफ मे रोज औरते बदलते हैं। फटे कपड़े पहनकर नाचने वाले लोगों को हीरों मानेंगे तो वही बच्चा बड़ा होकर करेगा ।
यदि आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़ा होकर कपूत ना बनें तो फिर आपको उसे अच्छी चीजों को सीखाना होगा । यदि आप उसे केवल किताबी ज्ञान सीखा रहे हैं तो फिर आपको उससे अच्छे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ।जब आप अपने बच्चे को अच्छा कुछ सीखा ही नहीं रहे हैं तो आप उससे अच्छे की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। यदि आप खेत मे बीज अच्छा नहीं डालेंगे तो क्या आप अच्छा फल खा पाएंगे ।
तो यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपके साथ अच्छा बना रहे तो आपको उसको अच्छी चीजों को सीखाना होगा तभी आपके लिए यह सब चीजें फायदे मंद हो सकती हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको सब कुछ पसंद आया होगा ।
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