दोस्तो हम इस लेंख मे जानेगे की सरस्वती का पर्यायवची शब्द saraswati ka paryayvachi shabd या सरस्वती का समानार्थी शब्द saraswati ka samanarthi shabd क्या होते है साथी जानेगे की सरस्वती कोन थी और इसके बारे में रोचक तथ्य और भी बहुत कुछ तो इस लेख को ध्यान से पढते है ।
शब्द {shabd} | पर्यायवची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
सरस्वती | विद्या की देवी, ब्राह्मी, भारती, गो, गिरा, सुष्टु, वागीश, महाश्वेता, भाषा, वाचा, विधात्री, धनदा, धनेश्वरी, श्री, बाक्, इग, ईश्वरी, वर्णमातृका, सन्ध्येश्वरी, वाक्येश्वरी, वाक्, वाणी, शारदा, इला, वोणापाणि, काव्य प्रतिभा, गंभीर विचार, कवित्व–शक्ति, भारतीय माता, हिंदू देवी, वीणा की देवी, ज्ञान की देवी। |
Saraswati | vidya kee devi, Brahmi, Bharati, Go, Gira, Sushtu, Vagish, Mahasweta, Bhasha, Vacha, Vidhatri, Dhanda, Dhaneshwari, Sri, Bak, Ig, Ishwari, Varnamatrika, Sandhyeswari, Vaakeshwari, Vak, Vani, Sharda, Ila, Vonapani, kaavy pratibha, gambheer vichaar, kavitv-shakti, bharatiy mata, hindu devi, vina kee devi, gyan kee devi. |
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1. विद्या की देवी (Goddess of Knowledge)
2. ब्राह्मी (Brahmi)
3. भारती (Bharati)
4. गो (Go)
5. गिरा (Gira)
6. सुष्टु (Sushtu)
7. वागीश (Vagish)
8. महाश्वेता (Mahashweta)
9. भाषा (Bhasha)
10. वाचा (Vacha)
11. विधात्री (Vidhatri)
12. धनदा (Dhanada)
13. धनेश्वरी (Dhaneshwari)
14. श्री (Shri)
15. बाक् (Bak)
16. इग (Ig)
17. ईश्वरी (Ishvari)
18. वर्णमातृका (Varnamatruka)
19. सन्ध्येश्वरी (Sandhyeshwari)
20. वाक्येश्वरी (Vakyeshwari)
21. वाक् (Vak)
22. वाणी (Vaani)
23. शारदा (Sharada)
24. इला (Ila)
25. वोणापाणि (Vonapani)
26. काव्य प्रतिभा (Kavya Pratibha)
27. गंभीर विचार (Gambhir Vichar)
28. कवित्व-शक्ति (Kavitva-Shakti)
29. भारतीय माता (Bharatiya Mata)
30. हिंदू देवी (Hindu Devi)
31. वीणा की देवी (Veena Ki Devi)
32. ज्ञान की देवी (Gyan Ki Devi)
सरस्वती को हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी माना जाना जाता है जिसे वीणा की देवी भी कहा जाता है क्योकी इनके हाथों मे वीणा हमेशा ही देखने को मिल जाती है । इसके अलावा सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी भी कहा जाता है और इनकी पूजा की जाती है ।
देवी सरस्वती के बारे मे अनेक ग्रंथो मे अनेक बाते पता चलती है । किसी ग्रंथ मे कहा गया है की सरस्वती मां भगवान ब्रह्मा की पत्नी है तो कोई ग्रंथ कहता की वह उकनी पुत्र है साथ ही यह भी सुनने को आता है की विष्णु की पत्नी भी सरस्वती है । इन सब बातो के चलते कुल तीन सरस्वती मानी जाती है । जिनमें से ब्रह्मा के द्वारा उत्पन्न हुई सरस्वती के बारे मे बहुत कुछ जानकारी पुराणो मे मिल जाती है ।
पुराणो मे पढने को मिलता है की जब ब्रहमाजी को भगवान विष्णु ने अपनी नाभी से प्रकट किया और उन्हे सृष्टि निर्माण की आज्ञा दे दी । तो ब्रहमाजी सृष्टि निर्माण की आज्ञा का पालन करते हुए सृष्टि निर्माण करने लगे थे । पुराणो और ग्रंथा मे बताया जाता है की जब ब्रहमाजी ने पहला जीव बनाया तो वह एक मनुष्य का जीवन था । इसके बाद में धीरे धीरे अन्य जीव बनाए गए थे ।
इस तरह से सृष्टि में जीवन की शुरूआत हो गई । मगर अभी भी इन सभी में एक कमी रह गई थी । सभी बोल नही पा रहे थे सभी अपने आप में उदासी महसुस कर रहे थे । यह देख कर ब्रहमाजी को लगा की उनकी सृष्टि निर्माण में भी अभी बहुत कमी रह गई है ।
इस तरह से सोचा तो ब्रहमजी को ख्याल आया की वह एक ऐसा और जीवन बनाएगा जिसके कारण से सारी की सारी सृष्टि खिल उठेगी । ऐसा सोच कर ब्रहमजी ने तुरन्त ही कमंडल से जल लेकर पृथ्वी पर छिडक दिया और भगवान विष्णु की ध्यान किया ।
जीसके कारण से इससे एक महिला की उत्पत्ति हुई । इसके हाथो में सबसे पहले ब्रहमाजी को वीणा नजर आई फिर इन्हे इसके बाकी के हाथ दिखाई दिए और उनमें पुस्तक व माला नजर आई । यह एक बहुत ही सुन्दर देवी थी जिसे आज सरस्वती कें नाम से जाना जाता है । जब ब्रहमाजी ने यह सब देखा तो उन्हे वीणा सुनने की इच्छा हुई ।
जब इस बारे मे सरस्वती को कहा तो उन्होने वीणा बजानी शुरू कर दी । इस वीणा की आवाज इतनी मधुर थी की सुनने मात्र पूरी की पूरी पृथ्वी में चहल पहल हो गई और सभी जीव जन्तुओं मे आवाज आ गई । यह देख कर ब्रहमाजी बडे खुश हुए क्योकी उन्होने इसी के लिए तो सरस्वती का जन्म किया था जो अब पूरा हो गया था ।
इस तरह से ब्रहमा जी ने ही माता सरस्वती का जन्म किया था । जीस दिन मांता सरस्वती का जन्म हुआ वह दिन वसंत पंचमी का होने के कारण से ही माता की पूजा वसंत पंचमी के दिन बडी जोरो सोरो से होती है ।
इस कथा के बारे मे मत्स्य पुराण में पढने को मिलता है । इसमें बताया गया है की ब्रह्मा जब विष्णु की आज्ञा से सृष्टि निर्माण करना शुरू किया तो सबसे पहले उन्होने एक महिला को जन्म दिया । यह महिला और कोई नही बल्की स्वयं सरस्वती थी । क्योकी यह ब्रहमा से उत्पन्न हुई थी जिसके कारण से यह उन्हे अपने पिता मानती थी ।
मगर ब्रहमा सृष्टि निर्माण करना चाह रहे थे जिसके कारण से उन्होने ही इससे विवाह कर लिया और फिर सृष्टि निर्माण के लिए सबसे पहले एक बालक को जन्म दिया । यह बालक विष्णु और ब्रहमा दोनो के गुणो से मिलकर बना था क्योकी ब्रहमा में विष्णु की शक्तिया थी । जिसके कारण से इन्हे सरस्वती ने ही शंभु नाम दिया ।
यह बालक या शंभु पहले पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य बने थे । इस तरह से ब्रहमा ने जीसकी उत्पत्ति की उसी को अपनी पत्नी बना लिया गया जिसके कारण से ही ब्रहमा के बारे मे कहा जाता है की सरस्वती उनकी पत्नी है ।
जब ब्रह्मा ने सरस्वती का जन्म किया तब उनके हाथों मे एक वीणा थी । जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। इस वीणा को देख कर ब्रहमा ने सरस्वती को वीणा बजाने के लिए कहा । ब्रहमा की आज्ञा का पालन करते हुए सरस्वती ने इस वीणा को बजाया । जिसके कारण से ब्रहमा तो खुश हुए थे ही मगर साथ में पूरी की पूरी सृष्टि खुश हो गई ।
सरस्वती की वीणा में इतनी शक्ति थी की हर जीव जन्तु में वाणी आ गई वे सभी बोलने लग गए थे । जिसके कारण से पूरी सृष्टि में चहल पहल मच गई । जब ब्रहमा ने यह देखा तो सरस्वती को वरदान देते हुए कहा की आज से तुम्हे सृष्टि में वीणा की देवी के नाम से जाना जाएगा । उसी दिन कें बाद मे सरस्वती को वीणा की देवी कहा जाने लगा ।
अनेक ग्रंथो में बताया गया है की जब सरस्वती का जन्म हुआ तो वह दिन वसंत पंचमी का था साथ ही बताया जाता है की सरस्वती के जन्म के समय से ही उनके हाथों मे वीणा और पुस्तक व माला थी । क्योकी जब किसी के पास किसी प्रकार का ज्ञान नही था मगर उनके हाथों मे जो पुस्तक थी वह ज्ञान देने का काम करने लगी तो इसे विद्या के देवी के नाम से जाना जाने लगा ।
और धिरे धिरे इनकी पूजा होने लगी थी । वर्तमान में सरस्वती की पूजा विद्या ग्रहण करने के लिए बहुत अधिक होती है । साथ ही इनके जन्म दिन के समय यानि वसंत पंचमी के दिन अगर किसी छोटे बच्चे को पहली बार कुछ शब्द लिखाए जाते है तो माना जाता है की सरस्वती उस पर अपनी कृपा कर कर उसे विद्या देती है । यही कारण है की इसे विद्या की देवी के नाम से जाना जाता है ।
इस बारे में कुछ जगहो पर पढने को मिला है की जीस जीस ने सरस्वती की पूजा की है उसे ज्ञान हासिल हुआ है । और वह मंद बुद्धि का होने के बाद भी विद्धवान जैसे कार्य करने लगे थे । जिस तरह से महाकवि कालिदास, वरदराजाचार्य, वोपदेव आदि के बारे मे बताया जाता है की यह सभीमंद बुद्धि के लोग थे ।
मगर इन्होने माता सरस्वती की पूजा की थी जिसके बाद में ये इतने विद्धवान बन गए थे । यह बात कितनी सच है यह तो पता नही मगर ऐसा माना जाता है की जो भी इनकी पूजा करता है वह सच में विद्धवान बनता है । और यही कारण है की वसंत पंचमी के दिन आज सरस्वती की पूजा होती आ रही है ।
हां, क्योकी माता सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है और ज्ञान की देवी होने के कारण से माता सरस्वती हमे काफी कुछ ज्ञान देने का काम करती है । हमे यह बताती है की कैसे बोलना है और कब क्या करना है यह बताती है ।
इसके अलावा जीवन में सफल होने के लिए भी आज के समय में इस ज्ञान की जरूरत होती है तो इसका मतलब है की माता सरस्वती मानव के लिए जरूरी है।
इतना ही नही बल्की इसके अलवा माता सरस्वती विणा की देवी है जो की अनेक तरह के राग और ध्वनी के बारे में हमे ज्ञान देती है और यह सभी हमारे लिए जरूरी है तो इसका मतलब है की माता लक्ष्मी मानव के लिए उपयोगी है ।
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