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Sevak ka vilom shabd  ‌‌‌सेवक का विलोम शब्द क्या है?

‌‌‌सेवक का विलोम शब्दपापी शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, ‌‌‌सेवक का उल्टा Sevak ka vilom shabd , Sevak ka opposite in hindi

शब्द (word) विलोम (vilom)
‌‌‌सेवकस्वामी
SevakSwami

‌‌‌सेवक का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों सेवक का विलोम शब्द होता है स्वामी ।दोस्तों यदि हम सेवक के अर्थ और मतलब की बात करें तो इसका मतलब होता है जो सेवा करता है वह सेवक होता है। आप किसी की भी सेवा करते हैं तो आप अपने आप ही उसके सेवक हो जाते हैं। जैसे कि आप बड़े अधिकारी हैं तो ‌‌‌ आपके नीचे जो लोग काम करते हैं वे आपकी सेवा करते हैं। और इसकी वजह से वे आपके सेवक हो गए । इसी प्रकार से यदि कोई इंसान अपने गुरू को बना लेता है तो उसके बाद वह अपने गुरू की सेवा करता है। इसकी वजह से वह सेवक हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि सेवक आजकल काफी मिलना कठिन होता है जोकि दिल से सेवा करता है। यदि आप एक पैसे वाले इंसान हैं तो आपके आस पास कई तरह के सेवक मिल जाएंगे । और वे आपकी सेवा करते हैं और आपकी बात भी मानते हैं। कारण यह है कि यदि वे आपकी बात को नहीं मानेंगे तो उसके बाद ‌‌‌आप उनको नौकरी से निकाल सकते हैं। इसकी वजह से उनके मन मे एक तरह का डर बना रहता है कि कहीं आप उनको छोड़कर ना चले जाएं । आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसलिए आजकल पैसे वालों के सेवक बहुत अधिक मिल जाते हैं। और करें बात नेताओं की तो वैसे तो नेता जनता के सेवक होते हैं लेकिन

‌‌‌यह बस नाम के ही सेवक होते हैं और अधिकतर केस के अंदर अपने घर को भरने मे लगे होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और अधिकतर नेता तो बस जनता के पास वोट मांगने के लिए आते हैं। जैसे ही वोट का समय चला जाता है।

‌‌‌उसके बाद वे जनता को मुंह दिखाने के लिए भी नहीं आते हैं। यही जनता की असली सेवक होते हैं। खैर एक जमाना था जब गुरू और शिष्यों की परम्परा चलती थी। उस समय इंसान सच्चा सेवक होता था। और अनेक लोग एक महान गुरू के शिष्य बनने के इच्छुक होते थे ।

‌‌‌और कुछ लोग तो सन्यास भी लेलेते थे । और उसके बाद अपने गुरू की सेवा करते हुए घूमते थे । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। लेकिन आज यह परम्परा नष्ट हो चुकी है। हालांकि पूरी तरह से नष्ट अभी भी नहीं हुई है लेकिन नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुकी है।

‌‌‌और अब तो देश के अंदर अंग्रेजी शिक्षा आ चुकी है। ऐसी स्थिति के अंदर गुरू शिष्य परम्परा का कोई खास फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता भी होना चाहिए ।

‌‌‌लेकिन गुरू शिष्य परम्परा का कोई भी मुकाबला नहीं कर सकता था। यह एक बेहतर शिक्षा होती थी लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं रहा है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌स्वामी का अर्थ और मतलब

दोस्तों स्वामी का मतलब होता है जो नौकरों का मालिक होता है वह स्वामी कहलाता है। मतलब किसी भी चीज का कोई मालिक है तो उसको स्वामी के नाम से जाना जाता है। यदि आप एक पैसे वाले इंसान हैं तो कोई ना कोई आपका भी मालिक होगा तो आप एक नौकर होंगे और आपका जो मालिक होगा  वह ‌‌‌स्वामी होगा ।

आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। तो स्वामी का मतलब आप समझ ही गए होंगे । पहले राजा महाराजा हुआ करते थे और राजा महाराजा के यहां पर बहुत सारे नौकर भी हुआ करते थे । राजा स्वामी होता था और उसके नौकर सेवक के नाम से जाने जाते थे । इसके बारे मे ‌‌‌आपको पता ही होगा । और आप समझ सकते हैं। स्वामी और राजा का रिश्ता जो होता है वह देन पर टिका होता है। हालांकि भारत के अंदर भी दास प्रथा हुआ करती थी। जिसके अंदर स्वामी जिसके पास अधिक धन दौलत हुआ करता था। वह दूसरे लोगों को खरीद लेता था। मतलब कुछ गुलाम होते थे उनको खरीद लेता था ।और उसके बाद ‌‌‌वह उनसे मनचाहा काम करवाता था। यह प्रथा काफी पुरानी है और आज भले ही इसका पालन नहीं किया जाता है क्योंकि इंसान काफी अधिक विकास कर चुके हैं तो इस तरह की प्रथा का कोई भी मतलब नहीं रह जाता है। लेकिन जब जंगलों के अंदर इंसान रहा करते थे उस समय दास प्रथा काफी अधिक प्रचलित हुआ करती थी।

‌‌‌जब दो कबिलों के बीच काफी अधिक झगड़ा होता था तो यदि एक कबिला जीत जाता था तो वह युद्ध मे जीवित बचे लोगों को बंदी बना लेता था और उसके बाद उनसे काफी अधिक काम करवाया जाता था। इसके बाद इन दासों को दूसरे किसी दौलत मंद इंसान को बेच दिया जाता था।

‌‌‌और इस तरह से यह काम चलता रहता था। दोस्तों दास प्रथा एक कु प्रथा थी । असल मे हम इंसान हैं और हमे किसी को बंदी नहीं बनाया जाना चाहिए । यह सही नहीं है। हर इंसान को अपने जीवन को जीने का अधिकार है। यदि हम किसी को बंदी बना लेते हैं तो उसके बाद हम उसके जीवन जीने के अधिकार को छीन लेते हैं।

‌‌‌हालांकि इंसानों के अंदर यह समझ आज विकसित हुआ है। लेकिन एक समय ऐसा था जब इंसानों के पास किसी तरह की शिक्षा नहीं थी। उस समय इंसान इसी तरह की कई सारी बुरी प्रथाओं का पालन करता था लेकिन आज इंसानों के पास समझ हो चुकी है तो आज यह सब करना लगता है। और कई तरह के संगठन भी इस मामले मे आ चुके हैं।

‌‌‌उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका इस संबंध मे कोई विचार है तो आप हमें बता सकते हैं। और यदि आपको लेख पसंद आया तो भी आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

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