शाश्वत का विलोम शब्द, शाश्वत शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, शाश्वत का उल्टा Shaswat vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
शाश्वत | क्षणिक |
Shaswat | Kshanik |
शाश्वत का मतलब होता है जिसको कोई भी मिटा नहीं सकता है। वह शाश्वत होता है।और शाश्वत सत्य का दूसरा नाम होता है। क्योंकि सत्य को कोई भी मिटा नहीं सकता है। सत्य तो अमर होता है। जैसे जो पैदा हुआ है उसे मरना होगा यही शाश्वत है।
इसी प्रकार से सूर्य से प्रकाश निकलता है यही शाश्वत है। इस प्रकार से हम समझ सकते हैं कि शाश्वत का मतलब सत्य होता है जिसको मिटाया नहीं जा सकता है। अक्सर लोग कहते हैं कि कर्म कैसे भी करो जो कुछ होता है यहीं पर हो जाता है मरने के बाद किसने देखा है लेकिन यह असल मे झूठ है।
इस प्रकार के लोग उन लोगों मे से होते हैं जो कर्म के सिद्धांत को नहीं समझ पाते हैं। कर्म का सिद्धांत भी शाश्वत होता है। असल मे जब आप कुछ भी करते हैं तो उसकी स्मृति हमारे दिमाग मे अंकित होती जाती है यही कर्म है। और जब हम मर जाते हैं तो इसी स्मृति को पकड़ रहते हैं।
यदि अपने अच्छी स्मृति बनाई है तो यह आपको दुख नहीं देगी लेकिन यदि अपने बुरी स्मृति बनाई है तो यह आपको ही परेशान करना शूरू कर देती है। यह एक बहुत ही कॉमन बात है। और शाश्वत सत्य भी है।
लेकिन हम मौत के सत्य को नहीं जानना चाहते हैं और ना ही मरने वाले इंसानों से सबक ही लेते हैं।क्योंकि हम मौत मे यकीन नहीं रखते हैं। मौत को झूठ मानते हैं तो एक ना एक दिन जब हमारा सामना मौत से होता है तो फिर हमारे लिए काफी भयंकर स्थिति पैदा हो जाती है।
इसलिए मौत एक शाश्वत सत्य है। जिसपर आपको यकीन करना चाहिए ।और मौत का सामना करना तो हर किसी को आना चाहिए । क्योंकि यही अंतिम सत्य है।
वैसे इस दुनिया के अंदर बहुत सारी चीजें हैं जिनके उपर आपको संदेह हो सकता है कि वे घटित होंगी या घटित नहीं होंगी लेकिन आपको मौत के उपर संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शाश्वत सत्य है जिसको कोई भी नहीं बदल सकता है।
इसी प्रकार से जो बदलता नहीं है वह इस पुरी दुनिया के अंदर बस एकमात्र आत्मा ही होता है जो कभी भी बदल नहीं सकता है। वरना तो इस नश्वर संसार के अंदर सब कुछ तेजी से बदल रहा है। इंसान जवान से बूढ़ा और बूढ़े से फिर जवान हो जाता है। आत्म ही सत्य है।
क्षणिक का मतलब होता है जो बहुत ही कम समय के लिए है।जीवन भी क्षणिक ही तो है। कब जीवन का अंत हो जाए किसी को कुछ भी पता नहीं चल पाता है। क्योंकि जीवन क्षणिक ही है। समुद्र के अंदर उठने वाले बुलबुले के समान ही तो जीवन होता है। आप जिस जीवन के उपर इतना यकीन करते हो वह आपको एक ना एक दिन धोखा ही देने वाला है। आपको उससे कुछ भी नहीं मिलेगा । जिस तरह से आप खाली हाथ आए थे अब आप खाली हाथ जाने भी वाले ही हो ।
बहुत से लोगों को जीवन से मोह हो जाता है लेकिन यही मोह अंत मे दुख का कारण बनता है क्योंकि जीवन क्षणिक है। यहां पर सुख की कल्पना करना ही बेकार हो । यदि कोई इंसान जीवन मे सुख की कल्पना करता है तो वह मूर्ख ही है।
प्राचीन काल की बात है।एक राजा के 3 पुत्र थे ।राजा महा विद्धान और महा प्रतापी था।वह अपने पुत्रों की योग्यता की परीक्षा लेना चाहता था। उसने अपने तीनों पुत्रों को बुलाया और बोला …….आप तीनों मे से जो शाश्वत सत्य की खोज करके लायेगा । उसे ही यह गदृदी दी जाएगी ।
सबसे बड़े पुत्र का नाम जगमोहन था।वह एक मूर्ख इंसान था। अधिकतर दुराचारी कर्मों के अंदर लिप्त रहता था।वह कई जगह घूमा और जो भी संत मिलता या कोई अन्य इंसान मिलता तो वह उससे जरूर पूछता की शाश्वत सत्य क्या है ? काफी घूमने फिरने के बाद उसको उत्तर मिले और उनमे से कुछ उत्तर उनको ठीक लगे ।
उसके बाद दूसरे पुत्र का नाम अराजक था। वह अपने ही नाम के अनुसार उदंड था। और फालतू कार्यों के अंदर समय व्यतीत करता था। अधिक नशे के अंदर धुत रहता था। वह कहीं पर भी नहीं गया और उसे लगा कि वह ऐसे ही पिता को बेवकूफ बना देगा ।
अब बचा सबसे छोटा बेटा जिसका नाम सूरज था। उसका स्वाभाव काफी अच्छा था। वह कई साधु संत के पास घूमा तो एक जगह पर उसे अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया । और उसने कठिन साधना के बाद सब कुछ जान भी लिया ।
समय आने पर सारे पिता के सामने पहुंचे और अपने अपने उत्तर को बताया । लेकिन पिता ने दोनो बड़े बेटों के उत्तर को नकार दिया । उसके बाद अंतिम बेटे से पूछा ……..हा तो सूरज तुम बताओ शाश्वत क्या है ?
——— पिताजी आत्मा ही शाश्वत है।यही वह चीज है जो कभी भी बदलती नहीं है। यही वह जो अरबों सालों से एक जैसी ही है। आप मैं और यह सब उसी आत्मा की सत्ता से ही जिंदा हैं। जिस दिन आत्मा शरीर से बाहर निकल जाएगी । उस दिन शरीर मात्र मिट्टी के टुकड़े से अधिक कुछ नहीं होता ।
आत्मा अजर अमर है।कोई भी शास्त्र उसे काट नहीं सकता है। कोई भी आग उसे जला नहीं सकती है। और कोई भी वायु सुखा नहीं सकता है। वह नित्य है। आत्मा की अमरता ही तो हमारी अमरता को सिद्ध करती है। आत्मा अमर है यह जानकर अमर हो जाओ । आत्मा मे रमण करने वाले योगीगण पुन इस धरती पर लौटकर नहीं आते हैं।इसलिए आत्मा को जानों उससे श्रेष्ठ कुछ भी नहीं हैं। जो आत्मा को जान लेता है वह यह भी जान लेता है कि इस जीवन के अंदर कुछ भी नहीं है। नश्वर संसार के अंदर सब कुछ नश्वर ही तो है।हमारी समस्या यही है कि हम नश्वर संसार को सत्य और सत्य को झूठ मानते हैं और एक दिन सत्य सामने आ जाता है तो फिर सामना करने की हिम्मत हमारे अंदर नहीं होती है।
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