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शिष्य का समानार्थी ‌‌‌इस तरह से याद करे

शिष्य का पर्यायवाची शब्द या शिष्य का समानार्थी शब्द (shishya ka paryayvachi shabd ya shishya ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में काफी विस्तार से जानने वाले है । तो साथियो आप भी शिष्य के बारे में जानना चाहते है तो लेख को देखे ।

शिष्य का पर्यायवाची शब्द या शिष्य का समानार्थी शब्द (shishya ka paryayvachi shabd ya shishya ka samanarthi shabd)

शब्द (shabd)पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd ya samanarthi shabd)
शिष्यछात्र, अनुयायी, चट्टा, अनुगामी, चेला, शागिर्द, विद्यार्थी, शिक्षार्थी, मुरीद, चटिया
शिष्य in Hindichhaatr, anuyaayee, chatta, anugaamee, chela, shaagird, vidyaarthee, shikshaarthee, mureed, chatiya .
शिष्य in Englishdisciple, pupil, schoolboy, learner, scholar, fosterling.

‌‌‌शिष्य का अर्थ हिंदी में

दोस्तो शिष्य का अर्थ होता है चेला या विद्यार्थी । एक रूप मे शिष्य की परिभाषा इस तरह से हो सकती है की वह जो अपने गुरु के बताए गए रास्ते पर चलता है, अपने गुरु की हर बात मानते हुए ज्ञान ग्रहण करता है शिष्य होता है ।

दोस्तो ‌‌‌वर्तमान में अगर शिष्य की बात करे तो शिष्य वह होता है जो की पाठशाला में अध्ययन करने के लिए जाता है जिसे विद्यार्थी के नाम से जाना जाता है । हालाकी प्राचीन समय में और आज के समय में शिष्य अलग अलग होते है ।

वैसे दोस्तो शिष्य शब्द के अर्थ को हम अनेक तरह से समझा सकते है जो है –

‌‌‌वह जो गुरु का चेला होता है यानि शिष्य होता है ।

वह जो गुरु के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलता है शिष्य होता है ।

वह जो वर्तमान में पाठशाला में अध्ययन करने के लिए जाता है यानि छात्र, शिष्य होता है ।

वह जो शिक्षार्थी के नाम से जाना जाता है ।

वह जो चटिया पर बैठ का अध्ययन करता है ‌‌‌शिष्य होता है ।

वह जो शिक्षा ग्रहण करता है शिष्य होता है ।

इस तरह से दोस्तो जो अध्यापक के पास जाकर उनसे शिक्षा को ग्रहण करता है वह शिष्य के रूप में जाना जाता है ।

शिष्य शब्द का वाक्य में प्रयोग

हजारी जी आपने तो हमे बताया तक नही की आपका शिष्य एक डॉक्टर है ।

मेरे बहुत से ‌‌‌शिष्य आज बड़ी पोस्ट पर सरकारी नोकरी करते है ।

महेश ने शिष्य के रूप में रामलाल के पास अध्ययन किया था और आज वह एसआई बन गया है ।

अरे भाई दिवाली आ रही है हम सभी शिष्य अपने गुरू से मिलने के लिए चलते है ।

शिष्य के पर्यायवाची शब्दो का वाक्य में प्रयोग

रामलाल जी आजकल के ‌‌‌चेला अपने शिष्य का आदर करना भुलते जा रहे है ।

हमारे गाव के सभी छात्र अपने गुरुओ का आदर करना जानते है ।

खिलाड़ीचंद जी पाठशाला में जो भी कुछ पढाते है वह विद्यार्थीयो को समझ में आ जाता है ।

हमारे शहर के सभी चट्टा पाठशाला में अध्ययन करने के लिए जाते है ।

शिष्य कौन होता है ?

‌‌‌दोस्तो शिष्य वह होता है जो की ज्ञान ग्रहण करता है । जैसे की प्राचीन समय में क्या होता था की बच्चे ज्ञान ग्रहण करने के लिए आचार्य के पास जाते थे । जो की गुरुकूल में उनको अध्ययन करवाते थे । उस अध्ययन के समय सभी छात्र वही पर गुरुओ के पास रहते थे । और उन छात्रो को शिष्य के रूप में जाना जाता ‌‌‌है ।

शिष्य और गुरु के बारे में आज लगभग सभी को मालूम है । क्योकी जहां पर गुरु होता है वही पर शिष्य भी होता है । असल में शिष्य वह होता है जो की गुरु का चेला होता है । जैसे की आज के समय में बच्चे पढने के लिए विद्यालय में जाते है । तो वहां पर जो शिक्षक उनको पढाता है वह तो गुरु होता है ओर ‌‌‌बच्चे गुरु के शिष्य होते है । हालाकी दोस्तो आज के समय में शिष्य शब्द का प्रयोग बहुत ही कम प्रयोग में लिया जाता है ।

एक रूप में शिष्य उसे भी कहा जाता है जो की संत लोगो को अपना गुरु मानता है । और स्वयं उनका चैला बन जाता है । यानि धर्म के आधार पर अगर शिष्य की बात होती है तो शिष्य वह ‌‌‌होता है जो की गुरु बना लेता है या फिर किसी को अपना गुरु मान लेता है ।

‌‌‌मगर जो भी कहो शिष्य एक तरह का विद्यार्थी या छात्र होता है। चाहे किसी भी मायने में देखे एक तरह का छात्र ही माना जाएगा ।

‌‌‌1. प्राचीन समय का शिष्य

दोस्तो प्राचीन समय में जो शिष्य होता था वह आज के समय का शिष्य के बिल्कुल विपरित होता है । दोस्तो आपको शायद पता होगा की प्राचीन समय में बच्चे ज्ञानग्रहण करने के लिए किसी विद्यालय में नही जाते थे । बल्की उस समय गुरूकूल का समय हुआ करता था और सभी वही पर पढने के ‌‌‌लिए जाते है ।

उस समय आचार्य थे जो की एक शिक्षक के रूप में जाना जाता है । और वे ही गुरुकुल को चलाते थे । जैसे की आपने सुना होगा की भगवान श्री कृष्ण और सुदामा अध्ययन करने के लिए गुरुओ के पास जाते है।

ठिक वैसे ही आपने अनेक कहानियो में सुना होगा की लोग राजा महाराजओ की जो संतान होती थी वह ‌‌‌अध्ययन करने के लिए गुरुकूल में जाते थे तो वहां पर उन्हे विद्यार्थी नही कहा जाता था बल्की उस समय उनको ही शिष्य कहा जाता था ।

वर्तमान में भी ऐसा कुछ आपको देखने को मिल जाता है मगर प्राचीन समय में जो कुछ था वह आज के समय मे आपको कुछ भिन्न देखने को जरूर मिलने वाला है । ‌‌‌और उसी प्राचीन समय की गुरुकूल के शिष्य और गुरू की तरह ही आज के समय में विद्यार्थी और शिक्षक का जन्म हुआ है ।

उस समय गुरूकुल ज्यादा दूर होते थे मगर आज हर जगह पर विद्यालय देखने को मिल जाती है । तो आज के समय में जो शिष्या और गुरू यानि शिक्षक और शिक्षार्थी है ठिक वैसे ही प्राचीन समय मे ‌‌‌गुरू और शिष्य होते थे ।

‌‌‌2. शिष्य एक चेले के रूप में

दोस्तो एक शिष्य वह भी होता है जो की साधू लोगो का चेला हेाता है । जैसे की आपने आज के समय में देखा होगा की बहुत से साधू संत ऐसे है जिनके आस पास बहुत सारे चेले रहते है । जो की साधू या संत की सेवा करने में लगे रहते है । अक्सर हिंदू धर्म में आज ऐसा देखा जाता है  । और ‌‌‌इसके अलावा बौद्ध धर्म में तो इस तरह की प्रथा चलती है । और वहां पर गुरु और चेला होता है ।

अगर हमारे धर्म की बात करे तो यहां पर आपको अनेक महान संत देखने को मिल जाते है। जो की शिव, कृष्ण आदी भगवान के भक्त होते है । तो इन गुरूओ के पास बहुत सारे ऐसे चेले होते है जो की काम करते है और गुरु जैसा कहता ‌‌‌है वैसा ही करते है तो इन्हे भी एक रूप में शिष्य कहा जाता है ।

अगर असल शिष्य की बात करते तो शिष्य का प्रयोग यही पर होता है । आज मानव मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु बनाता है तो जो लोग गुरु बना लेते है वे लोग स्वयं शिष्य बन जाते है । तो इस तरह से शिष्य होते है ।

‌‌‌3. वर्तमान में शिष्य

दोस्तो वर्तमान के समय में अगर शिष्य की बात होती है तो शिष्य वह होता है जो की शिक्षा ग्रहण करने के लिए पाठशाला में अध्ययन करने के लिए जाता है । और हमारे देश के हर शहर से लगभग सभी बच्चे अध्ययन करने के लिए पाठशाला में जाते है। तो वहां पर उन्हे ज्ञान देने के लिए कुछ ‌‌‌व्यक्ति होते है जिन्हे अध्यापक कहा जाता है । आज के समय में ये जो अध्यापक या अध्यापिका होती है वे ही गुरू होते है ।

कहते है की गुरु का आदर करना चाहिए तो ऐसा प्राचीन समय से कहा जा रहा है क्योकी उस समय ऐसा किया जाता था । और आज भी बच्चे अपने अध्यापक को गुरु मानते हुए उनका आदर करते है ।

‌‌‌जब हम छोटे हुआ करते थे और विद्यालय में जाते थे तो वहां पर बहुत सारे अध्यापक होते थे और हम सभी को बारी बारी कर कर उनका आदर करते और उनका पैर छूते थे ।

ऐसा हमारे धर्म में करना कहा गया है मगर उस समय हमे ऐसा कुछ मालूम नही था बल्की यह केवल संस्कार होते है । और केवल मैं ही नही बल्की मेरे सभी ‌‌‌सार्थी ऐसा करते थे ।

हालाकी समय बितता गया तो इसमें बदलाव होता गया और आज वह समय आ चुका है की जब शिक्षक को देखा जाता है तो उनका आदर कम होता है । हालाकी कुछ शिक्षक ऐसे भी होते है जिनको देखने मात्र उनका आदर किया जाता है । तो उन शिक्षको को ही असल में हम और बाकी सभी गुरू मानते है ।

ऐसे जो भी ‌‌‌शिष्य होते है । वे सभी एक शिक्षक  के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होते है । और यही असल में शिष्य है । क्योकी शिष्य होना और गुरू का होना केवल मन से माना जाता है ।

हालाकी एक साधारण रूप में बात की जाए तो आज के समय में जो भी बच्चे अध्ययन करने के लिए पाठशाला में जाते है वे सभी शिष्य होते है ‌‌‌। जैसे की आप स्वयं अब अध्ययन करने के लिए पाठशाला में जाते हो तो आप शिष्य हो ।

मगर आज के समय में शिष्य शब्द का प्रयोग कम होता है । मगर इसका मतलब यह तो नही है की आप शिष्य नही हो । बल्की असल में आज के जीवन में एक छात्र ही शिष्य होता है और एक शिक्षक गुरू होता है ।

‌‌‌इस तरह से दोस्तो हमने यह जाना की शिष्य कोन होता है । मगर हमारा महत्वपूर्ण ‌‌‌टॉपीक शिष्य का पर्यायवाची शब्द या शिष्य का समानार्थी शब्द था । अगर आपको शिष्य के ये पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द याद नही हुए है तो आप एक बार फिर से देख ले आपको पूरी तरह से याद हो जाएगे ।

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