सिद्ध कुंजिका स्तोत्र 13 के फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे siddha kunjika stotram ke fayde के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं।सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का नाम तो आपने सुना ही होगा । सिद्ध कुंजिका स्तोत्र सभी प्रकार के स्त्रोतों का सार होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जिस तरह से उपनिषदों का सार गीता है। उसी प्रकार से यह सिद्ध कुंजिका स्तोत्र है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के बारे मे यह कहा जाता है कि इसकी रचना भगवान शिव ने की थी । और यह भगवान ने माता पार्वती को बताया था । इसके बारे मे शिव कहते हैं कि मैं जिस कुंजिका स्तोत्र के बारे में तुम्हें बता रहा हूँ। वह समस्त ऋषि मुनि तपस्वी देव दानव मानव आदि समस्त प्राणियों के लिए अत्यन्त दुर्लभ है। और इसके समान कोई दूसरा मंत्र नहीं है। बहुत से लोग इस स्त्रोत का पाठ करते हैं। जिसका काफी अधिक फायदा देखने को मिलता है। यदि आप भी कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो आपको इसके फायदे के बारे मे भी पता होना चाहिए । यदि आपको नहीं पता है , तो हम आपको यहां पर बता रहे हैं।
कुंजिका स्तोत्र के बारे मे भगवान ने बताया है , तो हम मानव इसके पूरे लाभ के बारे मे नहीं जान सकते है। फिर भी हम आपको यहां पर कुंजिका स्तोत्र के लाभ के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं , ताकि आपको चीजों के बारे मे सही सही जानकारी हो जाएगा । और आपको पता चल सके ।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे धन प्राप्त करने के लिए siddha kunjika stotram ke fayde
दोस्तों सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि धन प्राप्त करने मे यह काफी अधिक मदद करता है। जिन लोगों के यहां पर धन की समस्या रहती है। उनको इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यदि वे ऐसा करते हैं , तो काफी अधिक फायदा मिलेगा । और धन प्राप्त होगा । गरीबी दूर हो जाएगी । वैसे आपको पता ही है कि आजकल बिना धन के कुछ भी नहीं होता है। यह युग अर्थ का है। और जिस किसी के पास अर्थ है वही सब कुछ कर सकता है। तो यदि आप भी गरीबी से परेशान हैं , तो आप यह छोटा सा उपाय कर सकते हैं। इससे आपको काफी अधिक फायदा होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
दोस्तों सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे पुत्र को प्राप्त करने मे भी होते हैं। आपको पता ही है कि आजकल भले ही सरकार इस बात को मानती है , कि पुत्र और पुत्री बराबर हैं। लेकिन कहीं से भी यह लागू नहीं होता है। रियल धरातल पर इसका दूर दूर तक कोई संबंध नहीं दिख रहा है। यह बात सच है कि सरकार पुत्री को भी महत्व दे रही है। लेकिन एक माता पिता के बूढ़ापे का सहारा पुत्र ही होता है। पुत्री तो ससुराल चली जाती है। और यहां तक कि वह अपनी मर्जी से अपने गांव तक नहीं आ सकती है। अब यदि किसी दंपति को पुत्र नहीं होगा तो फिर समस्या होगी । और रात बिरात महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। भारत के कई राज्यों मे रेप मे नंबर वन स्थान आ रहा है। कहने का मतलब यही है कि यदि किसी दंपति को पुत्र नहीं है। तो उनको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । ऐसा करने से उनके घर मे पुत्र प्राप्त होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सही होगा ।
यदि आप भी पुत्र को प्राप्त करने के लिए काफी अधिक परेशान हैं , तो आपको यह उपाय करना चाहिए । यह उपाय आपको काफी अधिक फायदा दे सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
रोगों को दूर करने मे
दोस्तों रोग इस शरीर की एक काफी बड़ी समस्या होते हैं। यदि आपको भी रोग काफी अधिक परेशान करते हैं , तो आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होंगे । अक्सर कई इस तरह के लोग होते हैं , जोकि रोगों से बहुत अधिक परेशान रहते हैं। और बीमारी उनका पीछा ही नहीं छोड़ती है। यदि आप भी बीमारियों से काफी अधिक परेशान हैं , तो आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । और इससे आपकी बीमारी काफी आसानी से दूर हो जाएगी ।
यदि आप तंत्र मंत्र आदि के अंदर भरोशा करते हैं , तो ही यह चीजें काम करती हैं। यदि आप तंत्र मंत्र के अंदर भरोशा नहीं करते हैं , तो उसके बाद यह चीजें आपके लिए नहीं होगी । और काम नहीं करेंगी ।
कुंजिका स्तोत्र के फायदे मनोकामना को पूर्ण करता है
कुंजिका स्तोत्र के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह आपकी मनोकामना को पूर्ण करने का काम करता है। यदि आपकी कोई मनोकामना है। और वह काफी समय से पूर्ण नहीं हो रही है। तो आपको रोजाना कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं , तो उसके बाद जल्दी ही आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी ।इस तरह के बहुत सारे लोग होते हैं , जोकि जीवन से कुछ चाहते हैं। औश्र कई बार वे उस चीज को पाने के लिए प्रयास भी काफी अधिक करते हैं। लेकिन उसके बाद भी उनको कुछ मिलता नहीं है , तो फिर उनको भगवान की शरण मे आना पड़ता है।
कुंजिका स्तोत्र से मन को शांति मिलती है
यदि हम इंसान की सबसे बड़ी परेशानी के बारे मे बात करें , तो आपको बतादें कि इंसान की सबसे बड़ी परेशानी उसका मन ही होता है। यहां पर मन ही सबको परेशान करता है। कई बार मन किसी वजह से अशांत हो जाता है , तो उसके बाद हम भी अशांत हो जाते हैं। यदि आप किसी तरह की मानसिक समस्या जैसे तनाव डिप्रेशन आदि से परेशान हैं। आपको मन की शांति चाहिए तो आपको कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक उपयोगी हो सकता है। और आपके मन को शांत करने मे सक्षम होता है।
यदि आपको लगता है कि आप मानसिक रूप से अशांत होते जा रहे हैं। इसके पीछे चाहे जो कारण हो लेकिन आपको यह पाठ करना चाहिए । कुछ दिन लगातार जब यह पाठ करेंगे तो आपको इसका फायदा जरूर ही मिलेगा ।
धन की समस्याएं दूर हो जाएंगी
दोस्तों यदि आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते हैं, तो आपके यहां की धन की समस्याएं दूर हो जाएंगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपका धन रूका हुआ है। वह मिल नहीं रहा है। तो आप यह उपाय कर सकते हैं। यह काफी छोटा सा उपाय है , जोकि आपको काफी अधिक फायदा दे सकता है। धन के बिना आपको पता ही है , कि आजकल कुछ भी नहीं होता है। यदि धन नहीं है , तो इसका मतलब कुछ नहीं है।यही कारण है कि आजकल किसी भी तरह से इंसान धन को कमाने के बारे मे सोचता है।
काला जादू की समस्याओं को दूर करने मे मदद करता है
दोस्तों सिद्ध कुजिंका स्त्रोत काला जादू की समस्याओं को दूर करने मे काफी हद तक मदद करता है। काला जादू के बारे मे तो आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। जिसके अंदर किसी को परेशान करने के लिए तांत्रिक क्रिया की जाती है। और इस क्रिया की वजह से इंसान काफी परेशान हो जाता है , उसको आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि आपको भी लगता है , कि आपके उपर किसी ने काला जादू किया है , तो आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। काले जादू से होने वाली सभी तरह की समस्याएं दूर हो जाएगी ।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के फायदे नकारात्मक उर्जा को दूर करता है
असल मे घर मे नकारात्मक उर्जा का प्रवेश होना आम बात होती है। और हर कोई अपने जीवन के अंदर कई बार नकारात्मक उर्जा की वजह से काफी अधिक परेशान होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। नकारात्मक उर्जा का मतलब होता है , कोई ऐसी उर्जा जोकि अहित करने के लिए जानी जाती है। जैसे कोई इंसान मर जाता है और मरने के बाद वह भूत प्रेत बन जाता है , तो वह अहित करता है। इसी को नकारात्मक उर्जा के नाम से जाना जाता है। और घर मे जब इस तरह की उर्जा का प्रवेश हो जाता है , तो उसके बाद यह घर के अंदर बीमारी , और आर्थिक परेशानी आदि को पैदा करने लग जाता है।यदि आपके घर मे आपको लगता है कि नकारात्मक उर्जा प्रवेश कर चुकी है , तो आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं । यह आपको काफी अधिक फायदा दे सकता है।
आपके भाग्य खुल सकते हैं
कुछ लोगों को भाग्य की समस्या होती है। असल मे वे जो भी काम करते हैं , बस उसके अंदर उनको असफलता ही मिलती है। सफलता मिलने के कोई चांस नहीं होते हैं। यदि ऐसा है , तो आपको समझना होगा कि आपके भाग्य आपका साथ नहीं दे रहे हैं। इसी वजह से आपको बार बार असफलता मिली रही है। ऐसी स्थिति के अंदर आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा ।इसकी वजह से आपके भाग्य की समस्याएं दूर हो जाएंगी ।
siddha kunjika stotram ke fayde पीछले जन्म के कर्म दोष
आपको पता ही है कि कर्म का एक सिद्धांत होता है। आज हम जो भी कर्म कर रहे हैं , उसका फल हमें एक ना एक दिन मिलना ही होता है। इसके अंदर कोई शक नहीं है। ऐसी स्थिति के अंदर कई बार पीछले जन्म के अंदर हमने कुछ बुरे कर्म किये होते हैं। और यही बुरे कर्म हमें इस जीवन के अंदर काफी अधिक परेशान करते हैं। यदि आपको लगता है , कि आपको भी पीछले जन्म के कर्म काफी अधिक परेशान कर रहे हैं , तो आप यह एक छोटा सा उपाय कर सकते हैं। आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। जिससे बुरे कर्मों का फल कट जाएगा ।
पितर दोष होने की समस्या होना
पितर दोष का मतलब होता है , कि आपके जो मरे हुए पूर्वज होते हैं , वे प्रेत योनी के अंदर चले जाते हैं। और इसकी वजह से उनको भी कष्ट होता है , और आपको भी इसकी वजह से काफी कष्ट उठाना पड़ता है। यदि ऐसा है , तो फिर आपको चीजों को समझना होगा । और पितर की मुक्ति के लिए कुछ उपाय करना होगा । हालांकि इसके लिए अनेक उपाय होते हैं , जिनको आप कर सकते हैं। इसी तरह के उपायों के अंदर एक उपाय सिद्धकुंजिका स्त्रोत का उपाय भी है। और यदि आप सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते हैं , तो इससे आपको काफी अधिक फायदा होता है। और पितर दोष से मुक्ति मिलती है।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के फायदे ग्रह दोष को दूर करता है
ग्रह दोष भी एक प्रकार की बड़ी समस्या होती है। यदि किसी के उपर ग्रह दोष है , तो उसकी वजह से जीवन के अंदर के अंदर कई तरह की परेशानी आने लग जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ऐसी स्थिति के अंदर आप कुछ उपाय कर सकते हैं। ग्रह दोष चाहे किसी भी तरह का हो सिद्ध कुंजिका स्त्रोत उसके अंदर काफी अधिक फायदा देता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत से नकारात्मक उर्जा आपके घर मे नहीं आ सकती है
दोस्तों सिद्ध कुंजिका स्त्रोत एक प्रकार से तांत्रिक मांडल बनाता है। आमतौर पर जब आपके घर की बुरी उर्जा दूसरों के घर मे और दूसरों के घर की बुरी उर्जा आपके घर मे आती है , तो ऐसी स्थिति के अंदर सिद्ध कुंजिका तांत्रिक मंडल का प्रयोग किया जाता है। जिसकी मदद से पड़ोसियों की बुरी उर्जा आपके यहां प्रवेश नहीं कर सकती है।
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
अथ मंत्र :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
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