Sugandh ka vilom shabd सुगंध का विलोम शब्द ?
सुगंध का विलोम शब्द, सुगंध शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, सुगंध का उल्टा Sugandh vilom shabd
सुगंध का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों सुगंध का विलोम शब्द होता है दुर्गंध ।सुगंध का मतलब खुशबू जो हमारे मन को भाति है वही हमारे लिए सुगंध होती है। सुगंध को महक के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि सुगंध की एक सही परिभाषा देना बहुत कठिन होता है क्योंकि कुछ सेंट ऐसे भी होते हैं जो भले ही सुगंध के नाम से जानते जाते हैं।लेकिन वे कुछ लोगों के लिए दुर्गंध जैसे होते है। खैर सुगंध की दुनिया बहुत ही अलग है। इत्र के अब तो मार्केट के अंदर एक से बढ़कर एक ब्रांड आपको मिल जाएंगे । और सस्ते से लेकर महंगे तक मिल जाएंगे ।
असल मे हमारा दिमाग सालों पहले सूंघी गई सुगंध को पहचान लेता है। यह हमारे दिमाग के एक कोने के अंदर पड़ी रहती है और जब वैसी ही खुशबू हमें मिलती है तो हम उसे पहचान लेते हैं।इत्र को बनाने का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह माना जाता है कि सबसे पहले इत्र को मेसोपोटामियन, फारस और मिस्र आदि के अंदर बेबीलोन मेसोपोटामिया में ताप्पुती नामक महिला कैमिस्ट ने सुगंध, तेल और फूलों को मिलाकर पहला इत्र बनाया था।इसके अलावा आज से 4000 साल पहले मिस्र के अंदर शिक्षित लोग रहा करते थे जो जंगलों से इत्र को बनाने की सामग्री को एकत्रित करते थे और उसके बाद उसका इत्र बनाते थे ।
वे धार्मिक अनुष्ठान से लेकर रोजमर्रा के कार्यों के अंदर भी इत्र का इस्तेमाल करते थे ।सन 2007 में पुरातत्वविदों को साइप्रस में 2,000 ईसा पूर्व के एक इत्र बनाने वाले कारखाने के बारे मे पता लगाया था। और यह माना जाता है कि यहां पर फूलों की मदद से इत्र बनाया जाता था।
एक अनुमान के मुताबिक, 100 ई. में रोमन खुशबू के लिए सालाना 2800 टन लोबान का इस्तेमाल करते थे। प्राचीन ग्रीक और रोमन लोग इत्र की मदद से पूजा पाठ करते थे और धार्मिक कार्यों के अंदर भी इसका इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा इनके यहां पर इत्र बनाने की प्रक्रिया के बारे मे लिखा हुआ मिलता है।
- एम्बरग्रीस नामक एक तत्व काफी सुगंधित और मूल्यवान होता है जोकि व्हेल के पेट के अंदर पैदा होता है। कौन जानता था कि व्हेल की उल्टी भी इनती संगंधित हो सकती है।
- अक्सर आपने देखा होगा कि इत्र को लोग अपनी त्वचा के उपर छिड़कते हैं लेकिन यह जगह सही नहीं है। आपको बालों पर इत्र को छिड़कना चाहिए जोकि खुशबू को बहुत ही अच्छे तरीके से फैला सकता है।
- कस्तूरी वास्तव में शक्तिशाली, लाल-भूरे रंग का पदार्थ है जो नर कस्तूरी मृग द्वारा स्रावित होता है। और इसको प्राप्त करने के लिए जानवर को मारना होता है। आधुनिक सेंट के अंदर इसका प्रयोग नहीं होता है। इत्र मे कस्तूरी के जैसे ही दूसरे पदार्थ जैसे परफ्यूमर्स एम्ब्रेट आदि का प्रयोग होता है।
- 1921 में, मोलिनार्ड ने हबनिता नामक एक सुगंध जारी की जिसका उद्देश्य सिगरेट को सुगंधित करना था। आज भी आपको सुगंधित सिगरेट मार्केट के अंदर देखने को मिलेंगे ।
- एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी परफ्यूमर जीन कार्ल्स ने मिलियन डॉलर के लिए अपनी नाक का बीमा करवाया था।
- सुगंधों में कई चमेली के नोट वास्तव में इंडोल नामक एक सिंथेटिक सामग्री का उपयोग करके उत्पादित किए जाते हैं, जो कि कोयला टार से प्राप्त होता है।
- दुनिया में सबसे महंगा परफ्यूम क्लाइव क्रिश्चियन्स इंपीरियल मेजेस्टी है , जिसकी कीमत 16.9 औंस के लिए 215,000 डॉलर है । यह 18 कैरेट सोने के कॉलर और पांच कैरेट हीरेकी बोतल के अंदर आता है।
दुर्गंध क्या होती है ?
दुर्गंध का मतलब होता है जो हमे मानसिक या वैचारिक रूप से बेकार लगती है वही दुर्गंध है। असल मे सुगंध और दुर्गंध हमारे नाक और दिमाग की प्रतिक्रिया मात्र होती है। नेचुरली रूप से कोई भी सुगंध या दुर्गंध नहीं होती है।जब हम बच्चे होते हैं तो हमे सीखाया जाता है कि मरे हुए जानवर की जो दुर्गंध आती है वही दुर्गंध है। इसी प्रकार से खराब चीजों से निकलने वाली गंध दुर्गंध होती है।जबकि अच्छी चीजों से जो निकलती है वही सुगंध होती है।
अंदर और बाहर की सुगंध कहानी
प्राचीन काल की बात है।एक बार दो व्यक्ति अंदरी और बाहरी गुरू की तलास के अंदर निकले ।दोनो एक अच्छे गुरू की खोज मे कई दिन घूमें । फिर एक दिन उनको एक जंगल के अंदर ध्यान करते हुए एक साधु मिले । वे उनके पास गए और पैरों मे गिरकर बोले …..महाराज आप हमको अपना शिष्य बना लिजिए ।
……ठीक है लेकिन शिष्य बनाने से पहले मे आप दोनों की परीक्षा लेना चाहता हूं ।
उसके बाद दोनो व्यक्ति तैयार हो गए । गुरू ने कहा इस दुनिया की सबसे सुगंधित वस्तु क्या है ? उसे मेरे पास लेकर आओ ।
गुरू की आज्ञा मानकर दोनो अंदरी और बाहरी चल पड़े । बाहरी हर जगह घूमा और दुनिया के बेहतरीन इत्र को एकत्रित करता रहा ।इस प्रकार से उसने कई सारे इत्रों को एकत्रित किया और अब उसे यह लगा कि उसने दुनिया की सबसे सुगंधित वस्तु एकत्रित करली है। तो वह गुरू के पास चला आया ।
उधर अंदरी कई इत्र को खरीदा और उनको अपने शरीर पर लगाकर देखा लेकिन कोई भी इत्र अधिक समय तक नहीं चल सका । कुछ समय तक वह अपने मन को सकून देता लेकिन उसके बाद उसका प्रभाव समाप्त हो जाता ।उसके बाद जब उसने हजारों इत्र ट्राई करलिए लेकिन उसे ऐसा एक भी इत्र नहीं मिला जिसकी खूशबू समाप्त ना हो ।तब वह वहीं पर किसी दूसरे संत के पास गया और बोला …….महाराज हमे कोई ऐसा इत्र बताइए जिसकी खूशबू कभी भी समाप्त नहीं होती हो ।
——–बेटा इस नश्वर संसार के अंदर ऐसी कोई चीज नहीं है। ऐसी बस एक ही चीज है जिसकी सुंगंध कभी भी समाप्त नहीं होती है लेकिन उसको हर कोई अनुभव नहीं कर सकता है। और वह आत्मा है।
और यह जानकर अंदरी अपने गुरू के पास खाली हाथ लौट आया ।
…..तो अंदरी तुम खाली हाथ कैसे लौट आए कारण बताओ ।
…..गुरू देव ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो सबसे अधिक सुगंधित हो । सब भौतिक वस्तुओं को एकत्रित करने का कोई लाभ नहीं है। सबसे सुगंधित और मूल्यवान जो है वह तो हम सबके भीतर है। जिसको पाने के बाद नश्वर संसार की नश्वर चीजों की कोई भी कीमत नहीं रह जाती है।
उधर बाहरी सब कुछ समझ गया था। और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया कि वह अभी भी फालतू चीजों से चिपका है।