सुलभ का विलोम शब्द है Sulabh ka vilom shabd kya hai ?
सुलभ का विलोम शब्द या सुलभ का विलोम , सुलभ का उल्टा क्या होता है ? Sulabh ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
सुलभ | दुर्लभ |
Sulabh | Durlabh |
सुलभ का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों सुलभ का विलोम शब्द होता है ,जो आसानी से मिल जाए वह सुलभ होता है। जैसे कि आप बाजार मे जाते हैं और अनाज आपको बिना किसी परेशानी के मिल जाता है तो यह आपके लिए सुलभ होता है। और जो चीज सुलभ होती है। उसकी कोई खास कद्र नहीं होती है लेकिन जो चीज दुर्लभ होती है। उसकी सच मायेने मे काफी कद्र होती है।बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं जो हमे आसानी से मिल जाती हैं जिसकी वजह से हम उनकी कद्र करना बंद कर देते हैं। एक पैसे वाला इंसान जिसके पास बहुत अधिक पैसा होता है। उसके लिए कुछ रूपये मायेने नहीं रखते हैं लेकिन वही पैसे यदि किसी गरीब के पास हो तो यह काफी मायेने रखता है।
क्योंकि एक गरीब के पास बहुत ही कम पैसा होता है।और कम होने की वजह से यह उसके लिए दुर्लभ हो जाता है मतलब आसानी से नहीं मिलता है तो वह उसकी कद्र करता है।
सुलभ चीजें बहुत कुछ तय करती हैं। यदि आज से हजारों साल पहले की बात करें तो हर इंसान के लिए इतनी अधिक जमीन थी कि वह खुद जमीन के बारे मे सोचता ही नहीं था लेकिन आज वह दौर समाप्त हो चुका है। आज एक देश दूसरे देश से जमीन के लिए लड़ रहा है। और जमीन के लिए तो भाई भाई एक दूसरे का गला काट रहे हैं।आप सम झ सकते हैं कि जमीन कितनी सुलभ है। इसी प्रकार से पानी की बात आती है। पानी का महत्व हम जैसे लोगों को पता नहीं है क्योंकि हमारे पास खूब पानी आता है। लेकिन उन लोगों को पता है जिनके पास पानी नहीं आता है।
सुलभता कई बार पुर्वजों से हासिल होती है तो कई बार अपने दमों पर हाशिल करनी पड़ती है। यदि आप एक नौकरी का प्रयास कर रहे हैं ताकि पैसों की सुलभता आपके पास आ जाए लेकिन यदि आप नौकरी लग जाते हैं तो यह सुलभता इस वजह से आई है क्योंकि आपने नौकरी लगने के लिए काफी मेहनत की है।
यदि आप नौकरी लगने के लिए मेहनत करते हैं तो फिर सुलभता आना ही है।लेकिन कई बार क्या होता है कि हम बस रोना रोते रहते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि सुलभता आए मतलब हम उसके लिए उचित मेहनत नहीं कर पाते हैं। और हमारे अंदर भी सुधार नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर सुलभता आना काफी कठिन होता है।
बहुत से लोग यह सोचते हैं कि बिना मेहनत के ही वे सब कुछ हाशिल करलेंगे तो वे गलत सोचते हैं। बिना मेहनत के कुछ भी हाशिल नहीं किया जा सकता है। यदि आप बिना मेहनत के हाशिल करेंगे तो संभव है कि आप बस ईलिगल काम करेंगे जोकि बहुत से लोग करते हैं। लेकिन इस काम को करने के लिए भी आपके पास पर्याप्त संसाधन होने चाहिए।बिना संसाधनों के आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे ।
बेहतर यही होगा कि मेहनत करें । बिना मेहनत के सक्सेस हाशिल करना संभव नहीं है। जितना मेहनत करेंगे उतना ही आगे बढ़ते हुए चले जाएंगे। इसलिए मेहनत ही अंतिम उपाय है।
दुर्लभ का विलोम शब्द
दोस्तों दुर्लभ का मतलब है जो आसानी से नहीं मिलता है। या जिसको मिलने मे समय लगता है। या जिनकी संख्या कम होती है उसे दुर्लभ कहा जाता है। आजकल अच्छे इंसान मिलना दुर्लभ होते जा रहे हैं।जिस प्रकार से काले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।वैसे वैसे ही सफेद लोगों की संख्या कम होती जा रही है। काले लोगों का मतलब यह है जो काली ताकतों को पूजते हैं या जो सदा वासनाओं मे ही लगे रहते हैं । उनकी संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
आपने देखा कि अच्छे इंसान के मिलने की दुर्लभता को तो इसका कारण यही है कि जैसे जैसे संसाधन सीमित होते जाएंगे जीवन को चलाने के लिए बुराई की मदद लेना आसान हो जाएगा तो बुराई तेजी से बढ़ेगी । आप आज से 10 हजार साल पहले चले जाएंगे तो आप पायेंगे कि धरती पर इतनी बुराई नहीं थी।
क्या आपने सोच की कलयुग और सत युग क्यों घटित होते हैं ? तो इसका कारण भी संसाधनों की दुर्लभता है। मान लें एक इंसान चोर है दुनिया के अधिकतर हिस्सों मे लोग मर गए और वह बच गया । क्या आपको लगता है कि वह चोरी करेगा ।नहीं वह दूसरे लोगों की लाशों के पास बैठा रहकर मर जाएगा ।
यह चोरी वोरी तभी उसे अच्छी लगेगी ।जब उसके पास कुछ नहीं होगा । और वह बस भोगना चाहेगा लेकिन यदि उसे सब कुछ देदिया जाए तो वह चोरी नहीं करेगा । क्योंकि चोरी करने का उसे कोई फयदा भी नजर नहीं आएगा ।
इन सबके अलावा आप देख रहे हैं कि इंसानों की संख्या इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि वे जानवरों के आवासों पर कब्जा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति के अंदर आप देख सकते हैं कि जानवर दुर्लभ होते जा रहे हैं। हमारे इलाके मे कभी मोर बहुत हुआ करते थे आज मोर बस गिने चुने ही दिखाई देते हैं क्या आप जानते हैं कि इतने सारे मोर कहां गए तो आपको बतादें कि सारे मोर मारे जा चुके हैं। आजकल खेतों के अंदर बीजों मे जहर दिया जाता है और जब यह जहरीला दाना मोर खाते हैं। तो उनकी मौत होना तय होता है।अब यदि इसी तरह से चलता रहेगा तो मोर समाप्त हो जाएंगे। और इसी प्रकार से तेजी से दूसरी जानवरों की प्रजातियां भी समाप्त हो रही हैं। यदि इसी प्रकार से चलता रहेगा तो एक दिन इंसान का नंबर भी आएगा ।
बहुत से लोगों को यह पता भी चल गया होगा कि यह एक नैचुरल नियम है कि एक समय ऐसा होता है जब धरती पर किसी एक प्रजाति का राज होता है और उसके बाद दूसरा समय ऐसा होता है कि किसी दूसरी प्राजति का राज होता है। अभी तक इंसानों की 6 से अधिक प्राजातियां समाप्त हो चुकी हैं। और एक समय मे होमो सिपियंस भी समाप्त हो जाएंगे ।तो आप यह ना सोचें की दूसरे जीवों के दुर्लभ करने से क्या होगा । एक दिन आप खुद भी दुर्लभ हो जाएंगे ।