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सूर्य क्या है What is sun –
सौर मंडल के केन्द्र मे रहने वाला यह एक सबसे बडा पिंड या तारा है । जिसके चारो ओर पृथ्वी के साथ साथ अन्य सौरमंडल में पाए जाने वाले अव्यय घुमने का काम करते है । इसे एक उर्जा के भण्डारण के रूप मे भी जाना जाता है । जिसमे बहुत अधिक मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम गैसे पाई जाती है ।
सूर्य यासूरज केबोरमे 20रोचकतथ्य surya ya suraj ke bare me 20 rochak tathya
हाइड्रोजन (70%) और हीलियम (28%) सूर्य मे पाई जाने वाली सबसे अधिक गैस है बाकी 0.3 प्रतिशत अन्य गैस है ।
सूर्य बाहर की तुलना मे अंदर से बहुत अधिक ठंडा है यानि सूर्य का अंदर का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है ।
जब पृथ्वी का निर्माण नही हुआ था उस समय सूर्य मोजुद था यानि वर्तमान से 4.6 अरब पहले सूर्य का जन्म हुआ था ।
क्योकी आज सूर्य के कारण से ही पृथ्वी पर दिन व रात बना हुआ है । मगर यह रोशनी जब सूर्य से पृथ्वी पर आती है तो इसे आने मे 8मिनट 20सेकंड लग जाती है ।
सूर्य केंद्र मे रहता है और पृथ्वी इसके चारो ओर चक्कर लगाने का काम करती है साथ ही पृथ्वी सूर्य से लगभग 109 गुना छोटी है ।
सूर्य का द्रव्यमान प्रथ्वी की तुलना मे लगभग 330,000 गुना अधिक है । साथ ही द्रव्यमान अधिक होने के कारण से इसमे दस लाखा तक पृथ्वी आराम से समा जाती है ।
पृथ्वी की तरह से सूर्य का भी एक गुरूत्वाकर्षण बल होता है जो पृथ्वी के बल की तुलना मे 28 गुना मजबुत होता है । जिसके कारण से ही पृथ्वी सूर्य के चारो और चक्कर लगा रही है वरना भ्रमाण्ड मे सूर्य से पृथ्वी दूर होने मे देर नही लगाती ।
सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने का काम करती है ओजोन परत करती आ रही है ।
सूर्य मे इतना अधिक ताप होता है की पृथ्वी पर आज उससे बिजली उत्पन्न होती है । solar system के द्वारा इस सूर्य की उर्जा को बिजली मे बदल दिया जाता है और फिर पृथ्वी पर रहने वाले वाले मानव इसका उपयोग करते है ।
5 अरब साल तक सूर्य इसी तरह से चमक सकता है क्योकी वेज्ञानिको ने दावा किया है की 5 अरब साल बाद मे सूर्य की चमक नष्ट होने लगेगी ।
भ्रमाण्ड मे सूर्य सौर हवा को उत्पन्न करने का काम करती है। जिसके कारण से ही भ्रमाण्ड मे छोटे से लेकर बडे कण सभी तेरते रहते है। ।
कई संस्कृतियों में सूर्य को देखता के रूप मे पूजने की प्रथा चलती है और उन्हे सूर्य देव के नाम से जानते है ।
जीस दिशा मे पृथ्वी सूर्य के चारो ओर घूमती है बिलकुल उसके विपरीत दिशा मे सूर्य घूमता है ।
सूर्य बहुत अधिक मात्रा मे उर्जा उत्पन्न करता है ।
सूर्य की गति 220 किमी प्रति सेकंड है ।
सूर्य और पृथ्वी के बिच मे 150 मिलियन किमी की दुरी होने के कारण से सूर्य पृथ्वी को बहुत अधिक नुकसान नही पहुंचा पाता है । वरना हर तरफ आग के गोले नजर आते दिखाई देने लगते ।
सौर हवाएं उत्पन्न करने के आता है काम सूर्य ।
सूर्य के पास एक चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण से यह यह चुंबकीय उर्जा भी उत्पन्न करता है ।
पृथ्वी और सूर्य की खगोलीय इकाई हर वर्ष बदलने का कारण पृथ्वी का अंडाकार होना है । क्योकी जब भी पृथ्वी अपने अंडाकार मे सूर्य के चारो और चक्कर लगाती है तो वह प्रति वर्ष कम से कम 140 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक बदल जाती है । इस कारण से सिद्ध हो जाता है की पृथ्वी से सूर्य दूर हो रहा है ।
सूर्य अन्य तारो के मुकाबले मे काफी अधिक बडा है और यह आकश से 25000 प्रती वर्ष दूर रहता है ।
सूर्य रात को भी चमकता है
अलास्का मे रात को बर्फ को चमकता हुआ देखने पर मनुष्य बडा आनन्दित होता है । इस तरह से बर्फ का चमकना सूर्य की रोशनी बर्फ पर पडने के कारण से होता है । क्योकी अलस्का मे मई से जुलाई के महिनो तक सूरज कभी नही डुबता है वह दिन व रात मे दिखाई देता रहता है ।
आपको जान कर हैरानी होगी की 10 मई से जुलाई तक यूरोप मे स्थित आइलैंड पर भी सूरज को रात मे देखा जा सकता है ।
कनाडा के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से मे 50 दिनो तक सूरज को आसानी से चमकता हुआ देखा जाता है ।
सूर्य अस्त होने के कारण से दिन व रात बन जाता है जिसके कारण से मानव रात मे आराम करता है और दिन मे जब रोशनी होती है तो वह कार्य करने लग जाता है मगर आर्क्टिक सर्कल मे 76 दिनो तक सूर्य अस्त नही होता है । यह सूरज मई से जुलाई के बीच मे अस्त नही होता है । जिसके कारण से यहां पर रात मे सूरज को को देखने का मोका मिल जाता है ।
फिनलैंड मे भी 72 दिनो तक आसानी से सूरज को चमकता हुआ देखा जा सकता है । यहां पर भी सूरज रात को दिखाई देता है ।
सूर्य से जुडी घटना surya se judi ghtna
सूर्य को अगर नंगी आंखो से कुछ समय तक देखा जाता है तो आंखो मे दर्द होने लगता है । क्योकी सूर्य की किरणे बहुत भारी होती है जिन्हे आंख सहन नही कर पाती है ।
दूरबीन से सूर्य को कभी नही देखना चाहिए क्योकी दूरबीन से सूर्य को देखने के कारण से आंखो की रेटिना पूरी तरह से नष्ट हो सकती है या हो सकता है की आंखो की रोशनी कम हो जाए ।
आंशिक सूर्य ग्रहण देखने के कारण से भी आंखो को नुकसान पहुंच सकता है । क्योकी आंख मे पाई जाने वाली पुतली इस असामान्य दृश्य को देखने के अनुकूल नही है।
सूर्य की तस्वीर पास से लेना कोई आम बात नही होती है क्योकी पास जाने पर सूर्य उसे जला कर नष्ट कर देता है । मगर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा ने सूर्य की सबसे नजदीक तस्वीर लेकर अपना नाम दुनिया मे कर दिया ।
क्योकी सूर्य मे चुंबकीय क्षेत्र पाया जाता है जो कभी कभी विस्फोट का कारण बन जता है । जिसके कारण से सूर्य फट जाता है और उसके फटने के कारण से आग के गोले इधर उधर जाने लगते है उन ही गोलो मे से कुछ गोले पृथ्वी पर भी आ सकते है ।
सुर्य के कारण से कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और फ्लेयर्स जैसी घटनाए हो जाती है ।
सूर्य की उत्पत्ति कैसे हुई surya ki utpatti kaise hui
यह तो आपको पता चल गया होगा की सूर्य मे सबसे अधिक हाइड्रोजन और हीलियम ही पाया जाता है । 4567 अरब साल वर्ष पहले सूर्य का जन्म शुरू हुआ था उस समय उल्का पिंड कुछ अलग थे क्योकी उस समय अल्पकालिक समस्थानिकों के स्थिर पुत्री नाभिक के निशान के बारे मे बताया जाता है । इस तरह का रूप जीन सितारो या उल्कापिंडो मे पाया जाता है वे विस्फोट पैदा करने की क्षमता रखते है । इस कारण से इस तरह के सुपरनोवा बहुत अधिक मात्रा मे सूर्य के पास के स्थान पर पहुंच गए होगे ।
वहां पर आणविक बादल भी थे जो सुपरनोवा के पास के शॉक वेब इन बादलो को संकुचित करने लगे थे । जिसके कारण से आणविक बादल संकुचित होने लगे । साथ ही इसके कुछ क्षेत्रो मे गुरूत्वाकर्षण बल भी मोजुद था जिसके कारण से आस पास के क्षेत्रो को अपने गुरूत्वाकर्षण बल का उपयोग कर कर उन्हे ढहाने का काम करने लगे । इस तरह से आणिवक बादल और इन क्षेत्रो के कारण से इस बनने वाले सूर्य को गति प्रदान हो गई ।
क्योकी बादल बार बार संकुचित हो रहा था तो इसका टुकडा ढहने मे देर नही लगा सका और जब बादल का टुकडा ढह गया तो वह सूर्य के साथ गति प्रदान हो गया और घूमने लगा था । बादल कोणीय गति के कारण से सूर्य के साथ घूम रहा था । अब सूर्य का द्रव्यमान बहुत अधिक था जिससे द्रव्यमान का बहुत बडा भाग सूर्य के केंद्र की ओर जाने लगा और एक समय बाद केंद्र मे जमा हो गया । मगर अभी भी कुछ द्रव्यमान का भाग बच गया था जो एक डिस्क मे चपटा हो गया था ।
इस डिस्क के कारण से बाकी मंडल के पिडो का जन्म हो गया होगा । क्योकी बादल अभी भी सूर्य के कोर के चारो और घूम रहा था जिसके कारण से सूर्य मे गर्मी पैदा होने लगी । और जब बादल कई वर्षो तक इसी तरह से घूमता रहा तो अपने आस पास स्थित पदार्थ को जमा करता गया और सूर्य के अंदर भेजता गया । मगर अभी भी सूर्य का जन्म नही हुआ था ।
अभी तो बादल पदार्थो को सूर्य में भेज कर सूर्य की उर्जा बढा रहा था । अब सूर्य के अंदर इतने अधिक प्रदार्थ एकत्रित हो गए जिसके कारण से सूर्य की उर्जा बढ कर पृथ्वी के भी 100 हिस्से के बाराबर आ गया था । मगर अभी तक सूर्य का आधा भाग भी नही बना । जिसके कारण से सूर्य मे आगे की प्रक्रिया भी चलती रही । अभी तक सूर्य तारे के जैसा तक नही हुआ था ।
बल्की सूर्य को एक तारा बनने मे लगभग 10 अरब वर्ष लग गए थे । क्योकी 10 अबर वर्ष बहुत अधिक समय होता है जिसके कारण से तारे मे अधिक मात्रा मे चमक पैदा हो गई और अब सूर्य का आकार भी बढ गया था । मगर अभी सूर्य अपने पूर्ण आकर का 30 प्रतिशत ही हुआ था । अभी 70 प्रतिशत सूर्य का बनना भी बाकी थी ।
जिसके कारण से सूर्य का बादल बाहरी प्रदार्थ को अपने अंदर समाता जा रहा था जिससे न केवल सूर्य का आकर बढ रहा था बल्की सूर्य की उर्जा भी बढती जा रही थी साथ ही सूर्य मे चमक भी बढ रही थी । सूर्य की कोर पर अब हीलियम परमाणू एकत्रित हो गया था । जब हीलियम का आणविक भार अधिक होना शुरू हो गया तो कोर का सिकुडना भी जारी हो गया । इस तरह से कोर के सिकुडने के कारण से सूर्य की बाहर जितनी भी परत होती है वह केंद्र की तरफ बढती जा रही थी ।
परत के इस तरह से केंद्र की तरफ जाने के कारण से सूर्य के अंदर से उर्जा बाहर निकलने लगी थी । जिसके कारण से आस पास का भ्रमाण्ड चमकने लगा । इस समय जो उर्जा निकल रही थी उसे गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा के नाम से जाना जाता है । जब सुर्य से गुरूत्वाकर्षण उर्जा बाहर निकलती है तो सूर्य का आधा हिस्सा गर्म होता रहता है । अब सूर्य से उर्जा निकलने की गति बढती जा रही थी । इस तरह से सूर्य का जन्म हुआ ।
विश्व के द्वारा सूर्य पर किए गए मिशन
सूरज जिसे सूर्य के नाम से भी जाना जाता है यह एक आग का गोला है जिसके कारण से मानव इसके नजदीक नही जा सकता है । मगर सबसे पहले 1959 और 1968 मे नासा मे चार प्रकार की जांच लॉच की गई थी । नासा के द्वारा की गई इन जाचो को पायनियर्स 6 , पायनियर्स 7, पायनियर्स 8, पायनियर्स 9 नाम दिए गए थे । इसके बाद मे हेलिओस अंतरिक्ष यान स्काईलैब अपोलो टेलीस्कोप माउंट ने 1970 मे सूर्य के बारे मे नई जानकारी प्रदान की थी ।
1980 मे फिर नासा ने सूर्य की मदद से एक नया सोलर मैक्सिमम मिशन लॉन्च किया । मगर अभी यह पूरी तरह से सही नही था जिसके कारण से इसे फिर स्थिर कर दिया और 1984 मे पुन जारी कि गया । अब इस मिश्न ने 1989 मे सुर्य के नए डेटा प्रदान किए ।
1991 मे जापान ने भी इसके आकडे दुनिया के सामने रखने मे मदद की ।
2 दिसंबर 1995 मे यूरोप और नासा ने संयुक्त रूप से एक मिशन लॉच किया जिसे सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला नाम दिया । यह अब तक का बससे बडा मिशन बताया जाता है ।
2006 मे स्टीरियो ने सौर स्थलीय संबंध वेधशाला मे मिशन लॉच किया । इस मिशन ने त्रिविम इमेजिंग प्रदान करने का काम किया ।
2018 पार्कर सौर जांच मिशन लॉच किया गया ।
भारत सरकार ने भी 2020 मे एक मिशन लॉच किया । इस मिशन को लॉच करने का काम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने किया था ।
सूर्य वह होता है जिसके कारण से हम आज इस धरती पर आसानी से रह पा रहे है । क्योकी यह तो आपको भी पता है की सूर्य प्रकाश फैलाने का काम रहा है । मरग इस प्रकाश के कारण से बहुत कुछ ऐसा होता है जो की हमारे उपयोग में फायदेमंद हो रहा है । जैसे की हम भोजन की बात करे तो आपको पता ही होगा की यह भोजन फसलो से प्राप्त होता है जो की सूर्य के कारण से ही भोजन दे पाती है।
यानि जब फसल को सूर्य की रोशनी मिलती है तो वे भोजन बना लेते है और इसके कारण से फिर जो भोजन होता है वह अन्न बनाता है और फिर यह अन्न हमारे लिए उपयोगी हो जाता है तो इस तरह से सूर्य भी हमारे लिए उपयोगी है ।