स्वतंत्र का विलोम शब्द swatantra ka vilom shabd

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शब्द (word) विलोम (vilom)
स्वतंत्र परतंत्र  
swatantraPartantra
Freedom        

‌‌‌स्वतंत्रता का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों स्वतंत्रता का मतलब होता है आजादी । हालांकि स्वतंत्रता की कोई भी एक परिभाषा नहीं दी जा सकती है लेकिन स्वतंत्रता का अर्थ बंधनों से मुक्ति है। अब बंधन की बात करें तो यह कई तरह के बंधन हो सकते हैं। तो हर इंसान के लिए स्वतंत्रता की परिभाषा अलग  ‌‌‌अलग हो सकती है।जैसे एक योगी के लिए स्वतंत्रता का मतलब मन के बंधनों से मुक्ति है तो एक कैदी के लिए स्वतंत्रता का मतलब कैद से मुक्त होना हो सकता है। इस प्रकार से स्वतंत्रता का अर्थ बंधनों से मुक्त होना ही होता है।

‌‌‌भारत की स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को हुई थी और उस समय भारत के उपर अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेज यहां के लोगों को कंट्रोल करते थे । हालांकि भले ही हम आज आजाद हो चुके हैं लेकिन अभी भी बुरे लोगों की सत्ता तक पहुंच है। और बुराई का अच्छाई पर शासन है।

स्वतंत्र का विलोम शब्द

‌‌‌वैसे स्वतंत्रता किसी को प्यारी नहीं होती है।क्योंकि स्वतंत्रता के अंदर ही तो हम काफी अच्छा महसूस करते हैं। हम खुल कर जी पाते हैं। खुल कर जीने के लिए आपके पास स्वतंत्रता होनी चाहिए ।एक राजा के पास जितनी स्वतंत्रता होती है उतनी प्रजा के पास नहीं होता है । यही कारण है कि अधिकतर लोग एक ‌‌‌राजा की तरह जीना चाहेंगे ।क्योंकि इस प्रकार से जीने के अंदर जो आनन्द है वह काफी अधिक है। एक कैदी की तरह कोई नहीं जीना चाहेगा ।

‌‌‌आपने देखा होगा कि पिंजरे के अंदर बंद पक्षी उतना खुश नहीं रह पाता है जितना की वह आकाश के अंदर उड़ता हुआ रहता है क्योंकि वह आकाश मे स्वतंत्रता का अनुभव कर सकता है।

‌‌‌परतंत्रता का अर्थ

दोस्तों स्वतंत्रता का उल्टा परतंत्रता होती है।परतंत्रता का मतलब होता है बंधनों के अधीन होना ।बंधनों के अंदर रहना ही परतंत्रता है। वैसे यह एक मनोवैज्ञानिक शब्द है।

 जिसका अर्थ यह है कि यदि आपको अपनी परतंत्रता का एहसास है तो यह आपके लिए परतंत्रता होगी अन्यथा  ‌‌‌आपके लिए इसके कोई मायने नहीं हैं।वैसे आपको पता ही है कि कोई भी इंसान परतंत्रता के अंदर नहीं रहना चाहता है। कारण यह है कि परतंत्रता मे दुख है। बहुत से लोग प्राइवेट नौकरी को भी एक परतंत्रता समझते हैं क्योंकि इसके अंदर रूल बहुत ही सख्त होते हैं। लेकिन सरकारी नोकरी करने वाले लोग ऐसा नहीं मानते।

‌‌‌इसी प्रकार से यदि किसी को कैद के अंदर रखा जाता है तो यह उसके लिए परतंत्रता ही होती है। वह चाहता है कि वह जल्दी से जल्दी इस कैद से आजाद हो जाए ताकि जल्दी से जल्दी खुली हवा के अंदर सांस ले सके ।‌‌‌और जब कोई भी कैदी जेल से बाहर आता है तो उसके लिए यह एक बहुत ही बड़ा खुशी का दिन होता है । उसे लगता है कि आज वह आजाद हो चुका है।

‌‌‌स्वतंत्रता का महत्व कहानी

प्राचीन काल की बात है ।एक गांव के अंदर एक चिड़ीमार रहता था। वह रोजाना जंगल के अंदर जाता और वहां पर दाने डालता फिर जाल बिछा देता और जंगल से बहुत सारी चिड़ी को पकड़ कर ले आता है। और अपने घर पर रखता और कुछ को बाजार मे जाकर बेच आता था।

उसका यह कार्य बहुत पूराना हो ‌‌‌चुका था। और वह इस कार्य से कुछ अधिक पैसा तो नहीं कमा पाता लेकिन अपने घर को आसानी से चला पाता था। एक बार जब वह जंगल के अंदर चिड़िया को पकड़ने के लिए गया तो उसे एक बहुत ही सुंदर

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‌‌‌पक्षी दिखा । उसने जाल बिछाया और उस पक्षी को पकड़ कर ले आया ।वह पक्षी देखने मे बहुत ही सुंदर था तो चिड़ीमार ने सोचा कि वह इस पक्षी को पिंजरे के अंदर रखेंगे और बेचेंगे नहीं । और फिर चिड़ीमार उस पक्षी की अच्छी देखभाल करता ।‌‌‌उसे अच्छे से अच्छा खाना देता लेकिन उसके बाद भी वह पक्षी चिड़ीमार को हमेशा उदास ही दिखाई देता । इसी प्रकार से कुछ दिन बीत गए । एक दिन चिड़ीमार का किसी दूसरे इंसान के साथ झगड़ा हो गया तो राजा के सेनिकों ने उसको जेल मे डाल दिया क्योंकि उसने उस इंसान की पिटाई करदी थी।

‌‌‌चिड़ीमार को जेल के अंदर काफी अच्छा खाना और सोने के लिए दिया जाता था। एक दिन तो उसे लगा कि यह सब काफी अच्छा है लेकिन 2 दिन बाद ही उसे काफी परतंत्रता अनुभव होने लगी । उसे लगा कि उसकी स्वतंत्रता छीन गई है। लेकिन अब चिड़ीमार कुछ कर नहीं सकता था। उसने कई बार राजा को संदेश भिजवाया लेकिन ‌‌‌राजा ने उसको छोड़ने से मना कर दिया ।कुछ दिन बाद चिड़ीमार की भी यही हालत हो चुकी थी। उसे अच्छा से अच्छा खाना मिलता लेकिन वह भी उदास रहने लगा था।उसे अब यह एहसास हो चुका था कि स्वतंत्रता का मूल्य क्या होता है ?

अब वह सब कुछ समझ चुका था। कुछ दिन तक इसी तरह से वह जेल के अंदर रहा । जब राजा ‌‌‌को लगा कि वह सुधर गया है तो फिर राज ने उसको छोड़ दिया।  चिड़ीमार सीधा उस पक्षी के पास गया जिसको वह पिंजरे मे बंद करके आया था। उसने देखा कि पक्षी पिंजरे मे बंद है। उसके घरवाले उसकी सेवा कर रहे हैं। उसने पिंजरे को खोल दिया । और पक्षी आकाश मे उड गया ।

‌‌‌अब चिड़ीमार स्वतंत्रता का महत्व समझ चुका था। उसे यह एहसास हो चुका था कि स्वतंत्रता की कीमत क्या होती है। उसने पक्षियों को पकड़ने का अपना कार्य बंद कर दिया । क्योंकि  उसे इसके अंदर बहुत ही बुरा फील हुआ । अब उसने खेती करने का निश्चय किया ।

‌‌‌यह कहानी इस बात की सीख देती है कि जब किसी इंसान को जेल मे कैद किया जाता है तो वही इंसान इसको अन्याय कहता है और जब वही इंसान अपने से कमजोर पक्षियों को कैद रखता है तो यह अन्याय नहीं होता है। असल मे अन्याय तभी है जब बुरा इंसान के साथ होता है। बाकि जीव तो बेचारे ऐसे ही बलि का बकरा होते हैं।

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