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तरल का विलोम शब्द taral ka vilom shabd

तरल का विलोम शब्द taral ka vilom shabd, तरल का उल्टा

‌‌‌आइए जानते हैं तरल शब्द और इससे जुड़े अर्थ के बारे मे ।

शब्द (word) विलोम (vilom)
तरल‌‌‌ठोस
TaralThos
Liquid Solid

तरल का विलोम शब्द ‌‌‌  और अर्थ (Liquid)

‌‌‌तरल का मतलब होता है बहने वाला भौतिक के अंदर तरल के अंदर गैस और लिक्वीड दोनो ही आते हैं क्योंकि यह दोनो ही बहने वाले होते हैं।और विज्ञान की जिस शाखा के अंदर तरल का अध्ययन होता है उसे तरल यांत्रिकी के नाम से जाना जाता है। ‌‌‌जैसे थ़र्मोमीटर में इस्तेमाल होने वाला पारा एक तरल धातु है जो पानी की तरह बहती है और जिसे उडेला जा सकता है।

एक तरल लगभग असंगत तरल पदार्थ होता है जो इसके कंटेनर के आकार के अनुरूप होता है लेकिन दबाव से स्वतंत्र (लगभग) स्थिर मात्रा रखता है। जैसे, यह पदार्थ की चार मूलभूत अवस्थाओं में से एक है।आपको बतादें कि अधिकांश तरल पदार्थ संपिडन का विरोध करते हैं लेकिन कुछ को संकुचित किया जा सकता है।

तरल पदार्थ के चार प्राथमिक अवस्थाओं में से एक है , जिसमें अन्य ठोस, गैस और प्लाज्मा हैं ।  एक ठोस के विपरीत, एक तरल में अणुओं को स्थानांतरित करने के लिए बहुत अधिक स्वतंत्रता है। एक ठोस में अणुओं को एक साथ बाँधने वाली शक्तियाँ केवल एक तरल में अस्थायी होती हैं, जिससे एक तरल पदार्थ प्रवाहित हो सकता है जबकि एक ठोस कठोर रहता है।

‌‌‌तरल के कण काफी मजबूती से बंधे होते हैं लेकिन यह ठोस के जितनी मजबूती से बंधे नहीं होते हैं । वरन आपने आस पास घूमने मे सक्षम होते हैं।और जैसे जैसे तरल के ताप को बढ़ाया जाता है। अणुओं के बीच की दूरी के अंदर बढ़ोतरी होती जाती है।

‌‌‌तरल के कण काफी मजबूती से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं। हालांकि यह ठोस पदार्थ के जैसी मजबूती से एक दूसरे के साथ नहीं जुड़े होते हैं। जब तापमान को बढ़ाया जाता है तो अणुओं के बढ़े हुए स्पंदन से अणुओं के बीच दूरियां बढ़ती हैं। जब एक तरल अपने उबलते बिंदु पर पहुंचता है , तो चिपकने वाला बल जो अणुओं को एक साथ बांधता है, एक साथ टूट जाता है, और तरल अपनी गैसीय अवस्था में बदल जाता है।‌‌‌इसके अलावा यदि तापमान को कम किया जाता है तो अणुओं के बीच की दूरी कम हो जाती है और तरल अपने हिमांक तक पहुंच जाता है।

तापमान और दबाव के लिए मानक स्थितियों में केवल दो तत्व तरल होते हैं : पारा और ब्रोमिन । चार और तत्वों में कमरे के तापमान से थोड़ा ऊपर पिघलने के बिंदु होते हैं फ्रेंशियम , सीज़ियम , गैलियम और रुबिडियम  धातु के अलॉयज़ जो कमरे के तापमान पर तरल होते हैं

‌‌‌ठोस का मतलब Solid

‌‌‌पदार्थों की एक अवस्था ठोस भी होती है।जिसकी पहचान पदार्थ की संरचनात्मक दृढ़ता और विकृति की मदद से होती है। जो ठोस पदार्थ होते हैं उनके अंदर उच्च अपरूपता मापांक होते हैं।इसके अलावा तरल पदार्थ निम्न अपरूपता मापांक वाले होते हैं। ‌‌‌विज्ञान की जिस शाखा के अंदर ठोस पदार्थों का अध्ययन किया जाता है उसको ठोस भौतिकी के नाम से जाना जाता है।

ठोस पदार्थों के कुछ लक्षण भी होते हैं जोकि इस प्रकार से हैं।

  • यह निश्चित द्रव्यमान आयतन और आकार के होते हैं।
  • इनमें अंतराआण्विक दूरियाँ लघु होती हैं।
  • इनमें उच्चअंतराआण्विक बल प्रबल होते हैं।
  • इनको संपिड़ित नहीं किया जा सकता है।

क्रिस्टलीय ठोस एक निश्चित आकार के अंदर होते हैं और इनके अंदर प्रत्येक का एक निश्चित ज्यामितिय आकार होता है।क्रिस्टीलिय के अंदर परमाणु ,अणुओं और आयनों का क्रम व्यवस्थित होता है। क्रिस्टलीय ठोसो का गलनांक निश्चित होता है। क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक प्रकृति के होते हैं। ‌‌‌अधिकतर धातु इसी प्रकार की प्रकृति के होते हैं जैसे लोहा, ताँबा और चाँदी; अधात्विक तत्व; जैसे-सल्फर, फॉसफोरस और आयोडीन एवं यौगिक जैसे सोडियम क्लोराइड, जिंक सल्पाइड और नेप्थेलीन क्रिस्टलीय ठोस हैं। ‌‌‌यह पदार्थ विधुत का गुण दिखाते हैं। और इनका गलनांक भी उच्च होता है। क्रिस्टलीय ठोस को गर्म करने पर एक निश्चित ताप पर ही द्रव में बदलते हैं।

अक्रिस्टलीय ठोस असमान आकृति के कणों से बने होते हैं और अक्रिस्टलीय ठोस ताप की एक निश्चित मात्रा के साथ ही नरम हो जाते हैं और आसानी से सांचे के अंदर ढाले जा सकते हैं।गर्म करने पर किसी एक तापमान पर यह क्रिस्टलीय बन जाते हैं।

‌‌‌इन पदार्थों के उदाहरण हैं काँच, रबर, प्लास्टिक हैं।रबर और प्लासिटक तो ऐसे पदार्थ हैं जोकि काफी उपयोगी और लोचदार होते हैं। जिनकी मदद से कई प्रकार के लोच वाले सामान बनाए जाते हैं। जिसके अंदर रस्सी ,टौकरी ,थैली आदि ।

  • क्रिस्टल जालक में घटक कणों की व्यवस्था निश्चित व नियमित नहीं होती है।
  • इनको काटने पर यह प्लेन नहीं होते वरन खुदरे रह जाते हैं।
  • और इनका गलनांक अनिश्चित होता है।

परिष्कृत धातुओं का इतिहास लगभग 11,000 साल पहले तांबे के उपयोग से शुरू होता है। 5 वीं सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में कांस्य के पहले ज्ञात स्वरूप से पहले सोना, चांदी, लोहा (उल्कापिंड लोहा के रूप में), सीसा और पीतल का उपयोग किया गया था।

‌‌‌आप अपने आस पास जो भौतिक वस्तुए देख रहे हैं वे जो किसी पात्र के अंदर नहीं रखी हुई हैं। सभी ठोस ही हैं। जैसे आपका मकान और आपका मोबाइल ठोस ही है। इसके अलावा घर मे रखा हुआ तेल और पानी तरल पदार्थ के अंदर आते हैं। इसके अलावा घी गर्म होने पर तरल हो जाता है और ठंडा होने पर ठोस होता है।

‌‌‌इस प्रकार से हर पदार्थ को पिघलने के लिए एक तापमान की जरूरत होती है। कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जोकि बहुत ही कम तापमान पर पिघल जाते हैं जैसे बर्फ वहीं कुछ पदार्थ अधिक तापमान पर पिघलते हैं जैसे लौहा । ‌‌‌आप तरल और ठोस के अंतर को भी काफी बेहतर तरीके से समझ गए होंगे ।आमतौर पर तरल और ठोस बस तापमान के बदलाव के कारण होते हैं। एक तापमान ऐसा भी होता है जहां पर सब कुछ तरल हो जाता है।

‌‌‌ठोस का विलोम शब्द लेख के अंदर हमने ठोस पदार्थ के बारे मे जाना इसके अलावा तरल पदार्थ के बारे मे भी जाना । उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका कोई सवाल है तो कमेंट करें ।

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