तृष्णा का विलोम शब्द या तृष्णा का विलोम , तृष्णा का उल्टा क्या होता है ? Trashna ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
तृष्णा | वितृष्णा, तृप्ति |
Trashna | Vitrashna, Trapti |
तृष्णा का विलोम होता है वितृष्णा, तृप्ति । और इसका दूसरा अर्थ होता है लालसा । यहां पर हम इसको लालसा से समझेंगे। क्योंकि इस शब्द से समझना काफी आसान हो जाता है। तो दोस्तों लालसा हर किसी के अंदर मौजूद है। यह बात अलग है कि कुछ लोगों के अंदर कम लालसा है तो कुछ के अंदर अधिक लालसा मौजूद है। लेकिन लालसा से रहित कुछ भी नहीं है। यह बात अलग है कि कुछ लोग बस अपने जीवन के कल्याण के लिए लालसा रखते हैं तो कुछ लोग फालतू चीजों के लिए लालसा रखते हैं। लालसा किसी भी तरीके की क्यों ना हो । वह आपके लिए घातक होती है।और यदि हम भौतिक चीजों के लिए लालसा रखते हैं तो यह बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है। क्योंकि भौतिक चीजें बस हम उपयोग कर सकते हैं। उनको हम साथ लेकर नहीं जा सकते हैं। आपने कस्तूरी मृग का नाम तो सुना ही होगा । इस मृग की नाभि मे कस्तूरी होती है लेकिन
उसे यह पता नहीं होता है कि उसकी नाभि मे कस्तूरी है।इसलिए वह उससे निकलने वाली तेज गंध के वशीभूत उसकी तलास करता रहता है। यह दशा भी इंसान की होती है। इंसान को पता ही नहीं होता है कि वह जो कुछ बाहर खोजने की कोशिश कर रहा है वह उसके अंदर ही मौजूद है। इसके लिए उसे बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं है।
रोटी कपड़ा और मकान उसकी शरीर की जरूरते हैं।और एक इंसान को हमेशा यह याद रखना होगा कि वह शरीर नहीं है। उसे इस बात का पता होना चाहिए । लेकिन हम सब वासनाओं के अंदर एक कस्तूरी मृग बन जाते हैं। और उसके बाद वासनाओं के पीछे भागते हैं जो शरीर और मन को अच्छा लगता है हम वहीं करने लग जाते हैं।
आप यहां पर रहते हुए उन चीजों को एकत्रित करने लग जाते हैं जोकि किसी काम की नहीं होती हैं। ऐसी स्थिति के अंदर क्या होता है। बाद मे वे आपको बस दुख देने का ही काम करती हैं। अपनी लालसा को सीमित रखें और खुद को एक अच्छा इंसान बनाने का प्रयास करें ।
क्योंकि जितनी अच्छी चीजें आपके अंदर होगी आपके लिए जीवन उतना ही अधिक सरल हो जाएगा । दोस्तो ं यदि आप यह सोचते हैं कि आप बहुत सारा धन एकत्रित करलेंगे तो आप सुखी रहेगे तो आप गलत सोच रहे हैं। आपके पास कम से कम इतना धन हो चाहिए कि आप काम को आसानी से पुरा कर सकें ।
बाकी अधिक लालस आपको रखना नहीं चाहिए ।क्योंकि अधिक लालसा आपको गर्त के अंदर ले जाने का काम करेगी बाकि उससे होगा कुछ नहीं । आप बस माया के अंदर फंसे रह जाएंगे । कहा जाता है कि जब सिंकदर की मौत हुई तो उनके दोनो हाथ अर्थी के बाहर लटका दिये गए थे ।
इसका कारण यह था कि लोगों को दिखाया जा सके कि जब इंसान जाता है तो अपने साथ छोड़कर कुछ भी लेकर नहीं जाता है। सब कुछ यहीं पर छूट जाता है कुछ भी आपके साथ नहीं चलने वाला है। इसलिए फालतू के काम करना बंद कर दिजिए ।
दोस्तों इसका अर्थ होता है तृप्त होना । आपको संतुष्टि मिल जाती है इसका मतलब है। आप इस दुनिया के अंदर एक चीज चाहते हैं कि आपको किसी तरह से संतुष्टी मिल जाए। आप जीवन के हर क्षेत्र मे संतुष्टि प्राप्त करना चाहते हैं। जबकि आप जानते हैं ऐसा होना संभव नहीं है।
पहला तो आप यह चाहते हैं कि आपको अधिक से अधिक पैसा मिल जाए । दूसरा आप यह चाहते हैं कि आपके पास अच्छा सा जीवन हो आपके पास एक सुंदर बीवी भी हो इसके अलावा घर के अंदर बच्चे हो और गाड़ी बंगला सबकुछ हो लेकिन ऐसा होना संभव नहीं होगा ।
इस दुनिया के अदर संतुष्ट होना बहुत ही कठिन है। ठीक ऐसा ही है कि एक ऐसा घड़ा हो जिसके अंदर एक छेद और उसे यह का जाए कि भरना है तो आप उसे कभी भी नहीं भर पाओगे । आपका मन जोकि संतुष्टि खोज रहा है वह घड़े के नीचे छेद की भांति होता है।
जब आप एक चीज को हाशिल करते हो तो आपका मन दूसरी चीज को हाशिल करने का मन कर लेता है उसके बाद आप उस चीज को हाशिल करने का प्रयास करने लग जाते हो । जिससे कि क्या होगा ? इससे बस समस्याएं पैदा होगी और मन अशांत और बेचेन होगा ।
आप अभी तक अपने मन के गुलाम हो । और मन क्या है ? मन एक कचरे का ढेर होता है जोकि बस आपको नचा रहा है। यदि आपको संतुष्टि चाहिए तो आपको खुद को जानना होगा आप क्या हैं ? आपको खुद को पहचानना होगा तभी आपको संतुष्टि मिल सकती है।
वरना आप इस भौतिक संसार के अंदर व्यर्थ ही संतुष्टि को खोज रहे हैं। वह आपको हाशिल नहीं हो सकती है। और यदि आप हाशिल भी कर लेंगे तो दूसरा कोई दुख आ जाएगा ।
असल मे हम लोग वासनाओं को संतुष्ट करना चाहते हैं लेकिन वासनाएं संतुष्ट होना बहुत ही कठिन कार्य होता है।क्योंकि यदि वासनाएं संतुष्ट हो ही नहीं सकती हैं। मान लिजिए कि आप किसी भी स्वादिष्ट चीज को खाते हैं। तो हो सकता है कि एक बार पेट भर आप खा लिये । लेकिन जैसे ही आपका पेटा खाली होगा आप दुबारा उसकी मांग करने लग जाएंगे ।और यही प्रक्रिया बार बार होती रहेगी ।ऐसी स्थिति के अंदर आप क्या करेंगे ? इसका बस एक मात्र ही उपाय होगा कि आप इन सब का त्याग करें और हो सकता है कि कुछ समय के लिए आपका मन आपको काफी परेशानक करें । लेकिन आपको चिंता करने की जरा भी आवश्यकता नहीं है।
आप एक बार अपने मन से लड़ना सीख जाएंगे तो फिर सब कुछ सही हो जाएगा ।हो सकता है कि आपका मन बार बार चीजों की मांग करें। लेकिन चिंता की कोई भी आवश्यकता नहीं है। बस आपको टस कम मस भी नहीं होना है।
धीरे धीरे आपके अंदर से जो मांग उठ रही थी वह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और उसके बाद आपका मन इन चीजों को खाने की इच्छा ही नहीं करेगा । आप जितने अपने असली रूवरूप के करीब होगें आपके लिए उतना ही अच्छा यह होगा ।
और आप जितने अपने असली स्वरूप से दूर जाएंगे आपको परेशानी के अलावा कुछ भी नहीं मिलने वाला है।इसलिए बेहतर यही होगा कि आप अपने असली स्वरूप के करीब होते चले जाएं । यही आपके लिए सही भी होगा ।
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