उचित का विलोम शब्द क्या होता है ? उचित का उल्टा ,उचित का विपरित शब्द क्या होता है ? uchit ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम(apposition) |
उचित | अनुचित |
Uchit | Anuchit |
उचित का मतलब होता है जो आपके लिए सही हो ।जो आप करते हैं उनमे से अधिकतर काम उचित ही होते हैं। लेकिन वास्तव मे जो उचित है उसको निर्धारित करना बहुत ही कठिन होता है। या जो धर्म कहता है कुछ लोग उसे भी उचित मानते हैं। लेकिन सही उचित क्या है ? इसके बारे मे पता लगाना बहुत ही कठिन कार्य है।इसी प्रकार से एक ही चीज कुछ जगह के लिए उचित हो सकती है तो कुछ जगह पर अनुचित हो सकती है।
जैसे कि चाइना मे चोरी करने वाले को गोली मारदी जाती है वहां कि सरकार के अनुसार उचित है। वहीं भारत के अंदर चोर को जेल मै बैठाकर पुलिस उसका आदर करती है। क्योंकि यहां पर चोर को गोली मार देना अनुचित है। यदि आप ऐसा करेंगे तो मिडिया वाले सड़क पर आकर रोना पिटना शूरू कर देंगे कि हाय राम एक चोर ही तो था। कुछ लाख ही तो चुराए थे । यह सरकार ही किसी काम की नहीं है। यह सूट बूट की सरकार है।
यदि उचित की परिभाषा हम एक व्यक्ति के संदर्भ मे देते हैं तो इसका मतलब यह है कि जो आपको ठीक लगता है वही उचित होता है। जो दूसरो को ठीक लगे वह उसके लिए उचित है। लेकिन जरूरी नहीं है कि जो दूसरो को उचित लगे वह आपको भी उचित लगे यह आपके लिए अनुचित भी हो सकता है।
अनुचित का मतलब है जो आपको ठीक नहीं लगता है वही अनुचित है।जैसे आपको किसी को मारना ठीक नहीं लगता है तो यह अनुचित होगा । सही मायने के अंदर जो अनुचित आपको लगता है आप उसको बहुत ही कम या मजबूरी के अंदर ही फोलो करते हैं। सीधा सिद्धांत यही कहता है।
लेकिन समस्या यह है कि बहुत से लोग यह मानने को तैयार नहीं होते हैं । वे बुरा काम करते हैं लेकिन असल मे यह उनके लिए उचित ही होता है। शराब आज बहुत से लोग पीते हैं यह उनके लिए उचित ही होता है। जिस दिन यह उनके लिए अनुचित हो जाएगा वे उसको पीना छोड़देंगे । इस प्रकार से एक अच्छा इंसान वह होता है जो अपने उचित के अंदर दूसरों का भी उचित देखता है।यदि आप अपने उचित को लेकर चलोगे तो आप कभी भी दूसरों की नजर मे अच्छे नहीं बन पाओगे ।
प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर मोर्डन जमाने की हवा बह रही थी। आज जो हो रहा है वह बहुत पहले ही होने लगा था।उस समय गुरूकुल चला करते थे और वहां पर गुरू अपने शिष्यों को पढ़ाया करते थे । और गुरू अपने शिष्यों को धर्म की शिक्षा भी देते थे । जिससे शिष्यों को उचित अनुचित का ज्ञान भी होता था लेकिन समय के साथ सब विलुप्त होने लग गए ।एक बार जब कुछ मोर्डन लोग जो खुद को मोर्डन कहा करते थे कुछ गुरूकुल के शिष्यों के साथ हो गए । जो पहले उनके सहपाठी रह चुके थे ।
उनमे से एक का नाम रमेश था जो गुरू के पास पढ़ा था जबकि दूसरे का नाम कुमावत था जो खुद को आधुनिक कहा करता था। यह बचपन के गहरे दोस्त थे । दोनों जब मिले तो हालचाल पूछा फिर कुमावत ने अंग्रेजी झाड़ते हुए कहा कि मुझे तो दुनिया की बेहतरीन भाषा आती है।
——— लेकिन मुझे दुनिया की बेहतरीन भाषा की जरूरत नहीं है।मैं तो खुद की भाषा से प्यार करता हूं ।
कुछ आगे निकले तो वहां पर उनको एक बूढ़ी महिला दर्द से कहराते हुए मिली और बोली ……..भाई लोगों कोई है तो मेरी मदद करे । मैरे पैर मे घाव बन गया है । मुझे अपने घर तक छोड़दे ।
……रमेश काहे लफड़े मे पड़ता है। हमे इस महिला से क्या मतलब हम जानते ही नहीं हैं इसको ?
——– नहीं इस प्रकार से किसी महिला को अकेला छोड़कर जाना अनुचित है। और रमेश ने महिला को अपने कंधों पर उठाया और कुछ दूर घर मे उसे छोड़ दिया ।
वे दोनों कुछ ही दूरी पर चले थे कि उनको एक गाय देखी जोकि एक कांटेदार बाड़ के अंदर फंस गई थी।
—– अरे देखो कुमावत गाय को बैचारी दर्द से तड़प रही है इसको निकाल आते हैं।
…….नहीं हमे लेट हो रहा है और कुमावत काफी तेजी से चलने लगा । उसके बाद रमेश गाय के पास गया और उसको किसी तरह से कांटेदार बाड़ से निकाल कर आ गया । उसके बाद बोला ……..तुमने विदेशी भाषा के ढ़ाई अक्षर भले ही सीख लिये हैं।लेकिन आज भी तुम्हारे अंदर इंसानियत नहीं है।अरे जिस इंसान को धर्म अधर्म का ही ज्ञान नहीं है और ना ही वह उसे फोलो करता है उसे हम इंसान नहीं कह सकते हैं । वह तो इंसान से भी अधिक खतरनाक हो जाता है।
आज बहुत से लोग मोर्डन बनने के चक्कर मे बड़ी बड़ी डिग्री ले लेते हैं लेकिन उसके बाद भी उनके पास संस्कार नहीं होते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है ?
इस प्रकार से समाज के अंदर पैदा होने वाले बच्चे भी बीमार मानसिकता के होंगे । और वे क्या समाज को देंगे यही चोरी ,रेप बलात्कार और डकैती ।आधुनिक शिक्षा ही तो है तभी तो आपके पड़ोस मे रहने वाले कौन हैं ? इस बात का भी आपको पता आपको नहीं चल पाता है क्योंकि आपके अंदर अविश्वास मौजूद है।और यह अविश्वास कहां से आता है ? गलत नितियों के कारण और कुछ स्वार्थी लोगों की वजह से ।
और उसके बाद रमेश वहां से चला गया ।कुमावत सोचता रहा कि रमेश सही बोल रहा है आज बहन भाई का रेप कर रहा है और माता बेटे के साथ संबंध बना रही है यह पाप कर्म कहीं से तो आया ही है ? सच मायने मे आधुनिक शिक्षा ने हमारे संस्कारों को नष्ट कर दिया तो उसके बाद हमारे समाज का पतन होता गया और आज यह हालत हो चुकी है कि हम भी विदेशी हो चुके हैं। 7 जन्म का साथ निभाने वाली बीवी रात आते ही बदल जाती है। अब समाज ही नहीं बचेगा तो देश का बचना कठिन होगा ।
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