उड़ने की शक्ति कैसे प्राप्त करें udne ki shakti kaise paye के बारे मे जानकारी , दोस्तों उड़ने की शक्ति हर कोई प्राप्त करना चाहता है। लेकिन यह सब प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं है। बहुत से लोगों को यह विश्वास नहीं होता है , कि इस तरह की भी शक्तियां होती हैं। लेकिन यह सच है , कि इस तरह की शक्तियां मौजूद होती हैं। रामायण के अंदर रावण के पास उड़ने की शक्ति मौजूद थी । और इसी तरह से उड़ने की क्षमता भगवान हनुमान के पास भी मौजूद थी ।और भी कई सारे दुर्लभ योगी हुए हैं , जिनके पास उड़ने की शक्ति मौजूद थी। हमारी समस्या यह होती है , कि हम आमतौर पर किसी चीज को जानने का प्रयास करते नहीं हैं। या हमारे अंदर साधना करने की क्षमता है नहीं और विश्वास हम कर नहीं सकते हैं। तो इस तरह के लोगों को लगता है कि उड़ने की शक्ति जैसी कोई चीज नहीं होती है। यह सब अंधविश्वास होता है। लेकिन यह एक सच्चाई है। उड़ने की शक्ति होती है। आप भले ही इसको माने या ना माने आपके मानने या फिर ना मानने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
इस लेख के अंदर हम आपको उड़ने की शक्ति हाशिल करने की खास मुद्राओं के बारे मे बताने वाले हैं। लेकिन इनको आप खुद नहीं कर सकते हैं। आपको ऐसे गुरू की तलास करनी होगी , जिसके पास यह शक्ति मौजूद है। और आपको पता होना चाहिए , कि इस तरह के साधक काफी अधिक दुर्लभ होते हैं।
वैसे भी आजकल कलयुग चल रहा है , तो कलयुग के अंदर सारे आराम पसंद करते हैं , कौन जंगलों के अंदर जाकर भूख प्यास को सहकर साधना करने मे अपना समय नष्ट करेगा । अधिकतर लोगों को लगता है , कि पैस ही सब कुछ है , तो पैसे के लिए ही वे अपनी पूरी उम्र को गुजार देते हैं।
दोस्तों आपने खेचरी मुद्रा का नाम तो सुना ही होगा । खेचरी मुद्रा योगियों के लिए भी दुर्लभ होती है। आपको पता होगा कि भगवान हनुमान को वायु वेग से उड़ने की शक्ति प्राप्त थी । जिसकी वजह से उनको सबसे बड़ा खेचर कहा जाता है। यदि कोई इंसान खेचरी मुद्रा को सिद्ध कर लेता है , तो उसको उड़ने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। हालांकि यह साधना काफी अधिक कठिन होती है। और हर कोई इस साधना को कर नहीं सकता है। इसके लिए काफी अधिक अभियास करना पड़ता है।
माना जाता है कि इस मुद्रा को करने से इंसान देवताओं के समान सुंदर शरीर को प्राप्त कर लेता है।इसको सिद्ध करने से जीभ पर अमृत की बरसात होने लग जाती है। और योगी अचानक आनन्द को महसूस करता है।यह हमारे संस्कारों को नष्ट कर देता है। और सूक्ष्म शरीर को काफी अधिक संबल बनाने का काम करता है।और यह भी माना जाता है , कि इसकी वजह से शरीर के सारे ही रोग पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
और यह भी कहा जाता है , कि एक बार खेचरी मुद्रा किसी को सिद्ध हो जाती है , तो वह अपनी इच्छा से ही मौत को प्राप्त कर सकता है। वह अपने प्राणों को एकत्रित करने के बाद अपने आप ही शरीर से बाहर निकल जाता है।
खेचरी मुद्रा के अंदर जीभ को मोड़ा जाता है , और फिर तालू के आस पास एक मांस जैसा लटकता है। जिसको आपने भी देखा होगा । अपनी जीभ को इस मांस से स्पर्श करने का प्रयास किया जाता है।यदि यह रोजाना अभियास किया जाता है , तो कुछ ही दिनों के अंदर जीभ लंबी हो जाती है। और आसानी से पीछे की तरफ जाती है।उसके बाद जीभ से सटे कपाल के अंदर प्राण का संचार होने लग जाता है , और फिर सहस्रदल कमल के अंदर स्थिति अमृत झरने लग जाता है , जिसकी वजह से काफी अधिक आनन्द महसूस होता है।
खेचरी मुद्रा से भगवान का साक्षात्कार भी कर सकते हैं। और यह एक तरह से सिद्धियां भी प्रदान करती है। इसलिए तो भगवान शिव कहते हैं , कि मुझे खेचरी मु्द्रा प्राणों से भी अधिक प्रिय है।माना जाता है , कि यदि कोई इंसान भले कितना भी अधिक पापी क्योंना हो यदि उसे खेचरी मुद्रा सिद्ध हो जाती है , तो फिर वह इस संसार सागर से पार हो जाता है। और दिव्य भोगों को प्राप्त करता है। यदि उसे फिर से जन्म लेना पड़े तो भी वह हमेशा अच्छे कुल मे ही जन्म लेता है।
आपको बतादें कि खेचरी मुद्रा से आपको सिर्फ उड़ने की शक्ति की प्राप्त नहीं होती है। वरन आपको इसकी मदद से और भी कई सारे फायदे होते हैं । उन फायदों के बारे मे आप जान सकते हैं। और खेचरी मुद्रा का अभियास कर सकते हैं।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है , कि इसकी मदद से भूख प्यास और आलस्य दूर हो जाता है।
जो साधक खेचरी मुद्रा को सिद्ध कर लेते हैं , उनको किसी भी तरह की मौत क्षय या फिर रोग नहीं सता सकते हैं ।
इसकी वजह से एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता है। जिसकी वजह से शरीर काफी अधिक दिव्य बन जाता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
जिन साधकों को खेचरी मुद्रा सिद्ध होती है। उनके उपर किसी भी तरह के जहर का असर नहीं होता है। वे सांप आदि के काटने के बाद भी जिंदा रहते हैं।
दोस्तों शांम्भवी मुद्रा के बारे मे तो आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे । और आपने इस मुद्रा का नाम सुना ही होगा । शाम्भवी मुद्रा भी एक प्रकार की शक्तिशाली मुद्रा होती है। जिसकी मदद से इंसान काफी अधिक शक्तिशाली हो सकता है। लेकिन इस तरह की साधनाएं सुनने मे जितनी आसान लगती हैं , उतनी होती नहीं हैं।
यदि आप शाम्भवी मुद्रा को करना चाहते हैं , तो आपको सबसे पहले एक गुरू की तलाश करनी होगी ।यदि गुरू आपके पास नहीं है , तो फिर आप इस साधना को नहीं कर सकते हैं। आप भटक सकते हैं। शाम्भवी मुद्रा को करने के लिए आपको काफी अभियास करना होगा ।
आपको बतादें कि शाम्भवी मुद्रा के बारे मे उल्लेख पतंजलि योग सूत्र के अंदर मिलता है।इसके अंदर सांस लेने की क्षमता मे सुधार किया जाता है , और सांस को साधने का प्रयास किया जाता है।अब यदि हम शाम्भवी मुद्रा को साधने के तरीके के बारे मे बात करें , तो हम आपको यहां पर कुछ विधि बता रहे हैं। जिसकी मदद से शाम्भवी मुद्रा को आप कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं। इसके बारे मे ।
सबसे पहले आपको एक शांत स्थान को खोज लेना है। वह इस प्रकार का होना चाहिए , कि आप वहां पर आसानी से ध्यान लगा सकें । और वहां पर किसी भी तरह का सौर नहीं होना चाहिए ।
पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या स्वस्तिकासन जैसे किसी भी ध्यान आसन में बैठें । और अपनी उंगलियों को ज्ञान मुद्रा के अंदर ले आएं ।और हथेलियां को घुटनों पर रखे ।
उसके बाद आपको दूसरे चरण मे शांति से बैठ जाना होगा । और अपनी आंखों की मदद से भौं पर ध्यान लगाना होगा । ध्यान लगाने के बारे मे आपको कोशिश करनी होगी ।
उसके बाद दोनो भौंह को मिलाने वाली वी आकार की रेखाओं के बीच ध्यान को केंद्रित करना होगा । और ऐसा आप जब तक कर सकें , तब तक आपको यह करना होगा । इस तरह से आप कर सकते हैं।
उसके बाद यदि आपको असहज महसूस हो रहा है , तो फिर आपको अपनी सामान्य स्थिति के अंदर फिर से आना होगा । और अपनी आंखों को आराम देना होगा । इस तरह से आप कर सकते हैं। और आपको काफी अधिक फायदा देखने को मिलेगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
जैसे जैसे आप ध्यान करते हैं , वैसे वैसे आपकी सांस काफी अधिक धीमी होती चली जाएगी । और यह और अधिक सूक्ष्म होती चली जाएगी । और बाद मे आप गहरे ध्यान मे पहुंच जाएंगे । हालांकि गहरे ध्यान के अंदर पहुंचने के लिए आपको काफी अधिक मेहनत करनी होगी । रोजाना अभियास करना होगा तभी आप गहरे ध्यान मे पहुंच सकते हैं।
दोस्तों यदि हम शांभवी मुद्रा के लाभ के बारे मे बात करें , तो आपको बतादें कि इस मुद्रा के अनगिनत लाभ होते हैं। और बहुत से दुर्लभ लाभ होते हैं। जिसके बारे मे हर कोई जानता ही नहीं है। अधिकतर केस के अंदर हम सिर्फ भौतिक लाभ के बारे मे ही जानते हैं।
सबसे पहला लाभ तो यही होता है , कि इसकी मदद से आप अपने मन को नियंत्रित करने मे सफल हो जाते हैं। आपके मन की जो इधर उधर भागने की आदत होती है , वह दूर हो जाती है। आप अपने मन को नियंत्रित करने मे सक्षम होते हैं।
इसके अलावा यह आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। जिससे कि आपके शरीर मे रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है।
यदि हम शाम्भवी मुद्रा के अन्य फायदे के बारे मे बात करें , तो आपको बतादें कि यह आपके मन और दिमाग को शांत करने का काम करता है। यदि आप किसी तरह से तनाव के अंदर हैं , तो यह आपके मन को दिमाग को काफी सकून देता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
इसके अलावा शाम्भवी मुद्रा आपकी चेतना को उपर उठाने का काम करती है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
इस तरह से दोस्तों इस तरह की क्रियाओं को करने के लिए गुरू की जरूरत होती है। यदि आपके पास गुरू नहीं है , तो उसके बाद आप इस तरह की क्रियाओं को कर नहीं सकती हैं। तो सबसे पहले आपको एक अच्छे गुरू की तलास करनी होगी । और उसके बाद ही कर सकते हैं।
दोस्तों यदि आप उड़ने की शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं , तो फिर आपको अगोचरी मुद्रा करना चाहिए । हालांकि यह काफी शक्तिशाली मुद्रा होती है। और माना जाता है कि इस मुद्रा को करने से इंसान को कई तरह की शक्तियां मिलती हैं।इसमुद्रा की खास बात यह होती है , कि इसके अंदर उंगलियों से कान को बंद कर दिया जाता है। और उसके बाद अंदर की ध्वनी को सुना जाता है। और उसको सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है।
इसकी वजह से ज्ञान बढ़ता है। और चित्त भी स्थिर होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।दोस्तों यदि आपको यह मुद्रा को सीखना है , तो आप इसको कई तरीके से सीख सकते हैं। आजकल युटुब पर भी कई तरह के योगी मिल जाते हैं , जोकि आपको चीजों को सीखाने का काम करते हैं। या फिर आप किसी ऐसे इंसान से पर्शनली मिल सकते हैं , जोकि इस तरह की मुद्रा की सिद्धि को रखता हो । और उसकी मदद से आप सीख सकते हैं।
उड़ने की शक्ति कैसे प्राप्त करें ? लेख आपको पसंद आया होगा । यदि आपके मन मे किसी तरह का कोई सवाल है , तो आप हमें बता सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे । और इस बात के लिए भी सावधान करते हैं , कि गलत तरीके से साधनाएं ना करें नहीं तो नुकसान होगा ।
खेचरी मुद्रा की वजह से योगी आमतौर पर काफी अच्छा करता है। और मौत जैसी चीजें भी उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती हैं।
खेचरी मुद्रा सिद्ध हो जाने के बाद योगी अपने भौतिक शरीर से अलग हो सकता है। और उसके बाद अपने सूक्ष्म शरीर की यात्रा पर निकल सकता है। वह सूक्ष्म जगत के आनन्द को ले सकता है।
डोपामाइन जैसे न्यूरो-ट्रांसमीटर की रिहाई को उत्तेजित करता है। ये शांत और सुखदायक हैं। इसके साथ, अभ्यासकर्ता को शांति और कल्याण की गहन स्थिति का अनुभव होता है।
इस तरह से खेचरी मुद्रा के अनेक फायदे होते हैं। लेकिन इसके साथ समस्या यह है , कि ऐसा कोई जानकार मुझे नहीं मिला जिसको खेचरी मुद्रा आती है। हालांकि इस तरह के योगी होते हैं , पर वे इन सब चीजों के बारे मे बात नहीं करते हैं। तो नए लोगों को इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चल पाता है।
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