ऊंट का पर्यायवाची शब्द या ऊंट का सामनार्थी शब्द (unt ka paryayvachi shabd / unt ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में इस तरह से जानेगे ताकी आपको बहुत ही सरल तरीके से समझ में आ सके ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या सामनार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
ऊंट | कमेलक, महाड्ग, मय, दीर्घगति, बली, करम, घूसर, लम्बोष्ठ, रवण, महाजंघ, जीव, जांघिक, दीर्घ, श्रृंखलक, महाग्रीवी, महानाद, महाध्वज, महापृष्ठ, बलिष्ठ, दीर्घजंघ, ग्रीवी, धूम्रक, शरम, कण्टकाशन, बहुकर, भीली, अध्वग, वक्रग्रीवी, वासन्त, कुलनाश, मरूप्रिय, दुर्गलंघन, भूतघ्न, दासेर, दीर्घग्रीव, उष्ट्र। |
ऊंट (महत्वपूर्ण) | उष्ट्र, क्रमेलक, शुतुर , लंबोष्ठ, करभ, कंटकाशन, कमेलक, |
ऊंट in Hindi | kamelak, mahadg, may, dirghagati, bali, karam, ghoosar, lamboshth, ravan, mahajangh, jiv, janghik, dirgh, shrrnkhalak, mahagrivi, mahanad, mahadhvaj, mahaprshth, balishth, dirghajangh, grivi, dhoomrak, sharam, kantakashan, bahukar, bhili, adhvag, vakragrivi, vasant, kulanash, maroopriy, durgalanghan, bhootaghn, daser, dirghagriv, ushtr. |
ऊंट in English | camel |
रेगिस्तान में पाया जाने वाला खुरधारी पशु जीसे रेगिस्तान का जंहाज कहा जाता है । ऊंट होता है । यह वह पशु होता है जिसे पालतू के रूप में रखा जाता है और यह सवारी और सामान ढोने के काम में आते है । ऊंट के चार पैर होते है जिसके कारण से ही इसे चौपाया कहा जाता है । इस तरह से ऊंट के अनेक अर्थ है जो है
ऊंट देखने में काफी लंबे और मोटे होते है । इनकी गर्दन लंबी होती है जिसका मुख्य कारण यह होता है की यह आसानी से पेड़ पौधो को जमीन पर खडे होकर अपना भोजन कर सकते है । ऊंट के दो नेत्र पाए जाते है और दो ही कान होते है । ऊंट का मुंह कुछ विशेष तरह का होता है क्योकी यह कंटो वाले पौधो को भी खाते है जिसके कारण से ऊंट का मुंह घायल नही होता है बल्की यह इन पोधो को आसानी से खा सकता है ।
ऊंट के चार पैर पाए जाते है जिसके कारण से इन्हे चार पैर वाला जीव कहा जाता है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की ऊंट के शरीर पर जो त्वचा पाई जाती है वह काफी अधिक मोटी होती है जिसके कारण से ऊंट को गर्मी कम लगती है । और यह रेगिस्तान में भी बडे आराम से अपने जीवन को गुजार सकते है ।
ऊंट के पूरे शरीर का वजन 680 किलो होता है । इनकी भौहें 10 सेंटिमीटर लम्बे होते हैं भौहें का लंबे होने का मुख्य कारण यही होता है की यह रेगिस्तान में रहते है जहां पर समय समय पर रेत उडती हुई दिखाई देती है । जिसके कारण से रेत के कण ऊंट की आंखो में घुस सकते है । मगर भौहे के लंबे होने के कारण से ऐसा नही होता है ।
ऊंट के दो कान पाए जाते है । जिनमें भी बाल होते है । ऊंट के कानो में बाल पाए जाने का कारण ही रेगिस्तान की रेत का होता है । क्योकी रेत ऊंट के कान में भी जा सकती है । जिसे रोकने के लिए ऊंट के कान में पाए जाने वाले बाल सहायक होते है ।
ऊंट के शरीर का उपर का हिस्सा कुछ उपर निकला होता है जिसे कुबड़ी कहा जाता है । कुछ ऊंट ऐसे भी होते है जिनमें दो कुबड़ी पाई जाती है। इतना अधिक बड़ा और भारी होने के बाद भी ऊंट इतना अधिक तेज दोड़ता है की इसे रेगिस्तान का जहांज कहा जाता है ।
विश्व में अलग अलग तरह के ऊंट पाए जाते है । और इनका आकार और रहन सहन अलग अलग होता है । जिसके कारण से ऊंट को प्रकारो में बाटा जा सकता है । ऊंट मुख्य रूप से सात प्रकार के होते है जो है –
यह वह ऊंट होता है जिसे एक कूबड़ वाला ऊंट कहा जाता है क्योकी इसके शरीर पर एक ही कूबड़ पाया जाता है । यह ऊंट मुख्य रूप से उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में देखे जाते है । इन ऊंटो का वजन ज्यादा से ज्यादा 600 किलोग्राम तक होता है । मगर कुछ ऊंट 400 किलोग्राम के आस पास भी देखे जाते है
ऊंट के शरीर पर जो कूबड़ पाया जाता है उसके शरीर पर कुछ बाल भी देखे जाते है जो की लंबे होते है । जो की रंग में भूरे रंग के होते है । जब दिन उगता है तो ऊंट अपने झूंड को बनाते है जिसमे लगभग 20 ऊंट होते है और फिर रेगिस्तान में पाए जाने वाले पत्ते और रेगिस्तानी वनस्पति की तलाश करते है और इनको अपने भौजन के रूप में उपयोग लेते है।
यह एशिया में पाया जाने वाला एक ऊंट होता है । जिसके शरीर पर दो कुबड़ पाए जाते है । लद्दाख में गश्त में भी इन्ही ऊंटो का उपयोग होता है जो की हमारे भारत की सेना करती है। यह ऊंट हमारे आस पास पाए जाने वाले एक कुबड़ वाले ऊंटो से अच्छा कार्य करते है।
यह जंगल में पाया जाने वाला बैक्टि्रयन ऊंट होता है । इन ऊंटो को पश्चिमोत्तर चीन और पश्चिमी मंगोलिया में देखा जा सकता है । यह जंगली ऊंट होते है जिसके कारण से ही इन्हे जंगली बैक्टि्रयन ऊंट कहाजाता है। इन ऊंटो की जीवित सख्या 1,000 के लगभग है । आपकी जानकारी के लिए बता दे की यह वे ऊंट होते है जो अधिकतम 40 वर्ष तक ही जीवित रहते है। इससे अधिक उम्र के बाद में यह ऊंट जीवित नही रहते है ।
यह ऊंट कृत्रिम गर्भाधान के साथ बनाया गया है जो की नर नर ड्रोमेडरी और मादा लामा नामक दो प्रजाति के ऊंटो के संकर से बनाए गए थे । यह ऊंट दुबई में विकसित किए गए थे । जिसके कारण से इनकी उत्पत्ति दुबई में हुई है यह कहा जा सकता है । इन ऊंट को बनाने के बाद में यह देखा गया की जीस तरह से लामा ऊंट होते है उनसे बहुत ही अधिक ताक्तवर कामा ऊंट होते है ।
इसके साथ ही कामा ऊंट का शरीर भी बड़ा होता है । अक्सर ऊंट का उपयोग उन के लिए भी किया जाता है और यह भी कामा ऊंट और लामा ऊंट में फर्क देखने को मिलने लगा था । क्योकी कामा ऊंट अधिक मात्रा में उन दे सकता है । कामा ऊंट का जन्म 14 जनवरी, 1998 को हुआ था ।
यह एक विलुप्त प्रजाति होती है । यह एक ऐसा ऊंट था जिकका शरीर 3 मीटर लंबा था और इसी आधार पर कहा जा सकता है की यह ऊंट अन्य ऊंटो में से एक था । क्योकी जो ऊंट बड़े ऊंटो की श्रेणी में आते थे उनका आकार भी इस ऊंट के समान ही था । यह ऊंट भी अन्य ऊंटो की तरह टहनियाँ और पत्ते ही खाते थे ।
जब से विज्ञान के बारे में वैज्ञानिको ने नई नई खोज की है तो विज्ञान बहुत ही शक्तिशाली बन गया है । और इसी तरह से विज्ञान के सकर जाती बनाने के बारे में न केवल ज्ञान हासिल किया बल्की इसका प्रयोग कर कर कई तरह के जीवो को जन्म दिया गया था । इसी तरह से जीस ऊंट की हम बात कर रहे है यह सकर के फलसवरूप बनने वाला एक ऊंट होता है । जो की ड्रोमेडरी ऊंट और बैक्ट्रियन ऊंट नामक दो ऊंटो से मिलकर बना होता है । इस कारण से कहा जाता है की यह ऊंट बैक्ट्रियन और ड्रोमेडरी ऊंट का सकर होता है ।
हालाकी इस ऊंट को अनेक नामो से जाना जाता है । क्योकी अलग अलग क्षेत्रो में इसका नाम अलग अलग रखा गया है ।
यह वह ऊंट है जो की आज इस धरती पर नही पाया जाता है । क्योकी यह ऊंट आज विलुप्त हो चुका है । असल में यह ऊंट उत्तरी अफ्रीका के अर्ली-मिड प्लीस्टोसिन में पाए जाते थे । और इस बारे में अवशेष प्राप्त हुए है । ऊंट रेगिस्तान में कैसे रहते है
ऊंट का आकार और इसके शरीर पर बहुत कुछ ऐसा होता है जिसके कारण से रेगिस्तान की रेतिली और तपति हुई हवाए ऊंट का कुछ नही बिगाड़ सकते है । इस तरह से ऊंट में अनेक तरह की अनुकूलनता है जिसके कारण से यह रेगिस्तान में आसानी से रह सकते है –
दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की ऊंट की आंखो पर लंबे लंबे बाल पाए जाते है जिन्हे बौहें कहा जाता है । जीस तरह से हमारी आंखो पर बाल होते है उसी तरह से ऊंट की आंखो पर होते है । मगर ऊंट की आंखो पर पाए जाने वाले भौंहे अधिक घने और लंबे बाल होते है । जिसके कारण से ऊंट की आंखो में रेत नही जाती है । और ऊंट का बचाव होता है ।
दोस्तो ऊंट के शरीर पर काफी अधिक मोटी त्वचा पाई जाती है । जिसके कारण से ऊंट को पसिना नही आता है और गर्मी नही लगती है और पानी की क्षति नही होती है । यही कारण होता है की ऊंट लगातार सात दिनो तक पानी के बिना रह सकता है । और यही मोटी त्वचा पैर में पाई जाने के कारण से तपती हुई रेत से पैर नही जलते है ।
दोस्तो ऊंट के शरीर का भार अधिक होता है । जिसके कारण से यह जब चलता है तो जमीन पर वजन पड़ता है । जिसके कारण से रेत फैल जाती है और ऊंट आसानी से आगे बढता जाता है ।
दोस्तो ऊंट के पैर चौड़े होने के कारण से यह आसानी से धरती पर चल सकते है और आगे की तरफ बढ सकते है ।
दोस्तो रेगिस्तान में लंबे पेड़ पौधे पाए जाते है और ऊंट के शरीर पर गर्दन लंबी होती है जिसके कारण से यह आसानी से भौजन ग्रहण कर लेता है और रेगिस्तान में भी अपना पेट भर कर रखता है ।
इस तरह से ऊंटा के पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द होते है ।
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