उर्वशी अप्सरा साधना ,उर्वशी अप्सरा साधना अनुभव ,उर्वशी अप्सरा साधना विधि ,उर्वशी अप्सरा साधना कैसे करें urvashi sadhana mantra
उर्वशी अप्सरा का नाम तो आपने भी सुना होगा । उर्वशी के बारे मे यह कहा जाता है कि यह स्वर्ग की सुंदर अप्सरा है।और इसकी साधना के बारे मे यह कहा जाता है कि यह आज भी सिद्ध की जा सकती है। अनेक प्रकार के योगी आज भी इसको सिद्ध करते हैं और अपने जीवन का आनन्द उठाते हैं।
पुराणाऔर साहित्य के अनुसार उर्वशी की उत्पति को नारायण की जांघ से माना गया है।पद्म पुराण के अनुसार इनका जन्म कामदेव के उरू से हुआ। श्रीमदभागवत के अनुसार वह स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा थी। कहा जाता है कि बह्रमा के शाप की वजह से उर्वशी को मनुष्य शरीर को धारण करके धरती पर आना पड़ा था।पुरुरवा उस समय धरती पर राजकुमार थे और वे कामदेव के समान सुंदर भी थे ।जब उर्वशी को यह पता चला कि पुरूरवा काफी सुंदर इंसान है तो उर्वशी ने उनसे शादी करने का निश्चय किया। उधर पुरूरवा भी उर्वशी के जितनी सुंदरता को देखकर इतना अधिक मंत्र मुग्ध हो गया कि वह उसकी हर बात मानने को तैयार हो गया ।
उर्वशी ने पुरुरवा को पति के रूप मे चुना लेकिन इसके साथ ही कुछ शर्त भी रखी और यदि पुरुरवा उन शर्तों को नहीं मानेंगे तो वह छोड़कर चली जाएगी । जिसके अंदर शर्त कुछ इस प्रकार से थी। मैं केवल घी का ही सेवन करूंगी । इसके अलावा जब मैं मैथुन करूंगी तभी आपको वस्त्रहीन देखूंगी अन्यथा ऐसा नहीं करूंगी ।मेरे सकाम होने पर आप सहवास करेंगे । इसके अलावा उर्वशी के पास दो स्वर्ग से लाई हुई भेंडे भी थी।जिसके बारे मे उसने कहा कि यह दोनों हम जहां पर सोते हैं वहीं पर बंधेगी । और इनकी रक्षा तुमको करनी होगी । और पुरूरवा यह सब मान गए ।
और उसके बाद श्रेष्ठ अप्सरा महाराज पुरुरवा के यहां रहने लगी। उधर गंर्धवों को उर्वशी की चिंता होने लगी । सभी गंधर्व ने आपस मे विचार विमर्श किया और अंत मे यह तय हुआ कि वे राजा की प्रतिज्ञा गंधर्व ने कुछ अपने सहायकों को लिया और राजा के नगर के अंदर आ गए । उसके बाद रात के अंधेरे मे गंधर्व ने राजा के पलंग के पास बंधी हुई भेड़ों को चुरा लिया । फिर क्या था उर्वशी ने राजा से कहा कि उसका बेटा चोरी हो गया है। उधर राजा बिना कपड़ों के लेटा था । तो वह प्रतिज्ञा भंग होने की वजह से उठ नहीं सकता था। उसके बाद गंधर्वों ने दूसरी भेड़ को भी चुरा लिया ।
यह देखकर उर्वशी को क्रोध आ गया और वह बोली …..राजन मेरे दोनों पुत्रों की चोरी हो गई है और तुम कायरों की भांति बैठे हो धिक्कार है तुम्हारे पौरूष पर । और उसके बाद राजा उठा उधर गंधर्वों ने बिजली चमकाई और उर्वशी ने राजा को बिना कपड़ो के जैसे ही देखा वह शाप मुक्त हो गई और वापस स्वर्ग मे चली गई जब राजा उसकी भेड़ों को खोजकर लाया तो उसने देखा कि वहां पर कोई भी नहीं है।
राजा उर्वशी को ना पाकर विलाप करने लगा ।उसको कई जगहों पर तलासा लेकिन उसके बाद भी वह नहीं मिली ।उसके बाद राजा उर्वशी को धरती के अलग अलग स्थानों पर तलास करने लगा ।एक दिन उसने उर्वशी को हैमवती नामावली पुष्करिडी मे स्नान करते हुए देखा। उसके बाद जब उर्वशी ने राजा को विलाप करते हुए देखा तो वह उसके पास आई और बोली ……राजन मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकती हूं । तुमने अपनी प्रतीज्ञा नहीं निभाई लेकिन अब मेरे गर्भ मैं तुम्हारा बच्चा पल रहा है । और मैं सिर्फ इतना कर सकती हूं कि हर साल मे बस एक रात तुम्हारे साथ गुजार सकती हूं । और उसके बाद राजा काफी प्रसन्न हो गया ।
और उसके बाद राजा के पास एक रात बिताने के लिए उर्वशी आती और प्रतिवर्ष उर्वशी के एक पुत्र भी उत्पन्न होता था। इस प्रकार से यह क्रम कई सालों से चलता रहा । एक दिन उर्वशी ने राजा को बताया कि गंधर्व आपको राजन वर देना चाहते हैं आप वर मे गंधर्वों की समानता मांग लेना जिससे कि आप हमारे लोक मे आ जाएंगे और उसके बाद राज गन्धर्वो के समक्ष गए और फिर समानता का वर मांग लिया फिर गंधर्वों ने राजा को एक थाली मे अग्नि दी और कहा कि इस आग से यज्ञ करने पर आप हमारे लोक मे आ जाएंगे तो राज उस थाली को लेकर आया और उसे जंगल मे रखकर अपने पुत्रों को छोड़ने के लिए चला गया ।
लेकिन जब राजा वापस आया तो उसने देखा कि वहां पर कोई आग नहीं है लेकिन एक पीपल का पेड़ उग गया है। राजा ने गंधर्वों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि इस पपील की लकड़ी से आग जलाकर यज्ञ करों । राजा ने उनकी बात मान ली और फिर गन्धर्वो की समानता प्राप्त की। उसके बाद वह गंधर्व लोक पहुंच गया। पुरूरवा के पुत्रों के बारे मे समानता नहीं है। कुछ ग्रंथों मे यह बताया गया है कि राजा पुरूरवा के 9 पुत्र थे तो कुछ मे केवल 7 का ही जिक्र किया गया है।
वैसे हम आपको बतादें कि जिस उवशी अप्सरा की हम बात कर रहे हैं वह कोई भौतिक जगत की अप्सरा नहीं है। वरन सूक्ष्म जगत की अप्सरा है। और उसकी रचना भी सूक्ष्म जगत के अंदर हुई है।
दोस्तों यदि आप उर्वशी अप्सरा साधना कर रहे हैं तो आपके पास एक योग्य गुरू भी होना चाहिए । क्योंकि इससे कई बार नुकसान भी हो सकता है।यह साधना 49 दिनों की साधना है और पूर्णमासी के दिन इस साधना को आरम्भ किया जाता है।सबसे पहले घर के किसी कोने के अंदर सफेद आसन बिछाकर बैठ जाएं और उसके बाद
उत्तर की तरफ मुंह करे घी का दीपक जलाएं और अपने अंदर गुलाब का इत्र वैगरह छिड़के ।और सफेद कपड़ों को पहले उर्वशी यंत्र या फिर फोटो रखकर मोती की माला से नीचे दिये गए मंत्र का जाप करें ।और उसके बाद जब मंत्र समाप्त हो जाए तो वहीं पर सो जाएं ।
ओम श्रीं क्लीं आगच्छागच्छ स्वाहा ।
जब साधना का समय चल रहा हो तो किसी से बोलें नहीं और केवल रूम से बाहर तभी जाएं जब जरूरी हो खास कर पेशाब और शौच के लिए ही जाएं । लगभग 7 दिन तक आपको कोई अनुभव नहीं होगा लेकिन 7 दिन बाद आपको घुंघरू की आवाज सुनाई देगी । लेकिन आपको इस दौरान विचलित नहीं होगा । अपनी साधना को निरंतर जारी रखना होगा । उस समय आपको एक मधुर सुगंध सी आने लगेगी । फिर आपके साथ यह रोज ही होने लगेगा ।उसके बाद जब आपको साधना करते हुए 36 दिन बीत जाएंगे तो वह स शरीर आएगी और साधक के पास सटकर बैठ जाएगी । इसके अलावा 47 वे दिन वह पूरी तरह से सजधज कर आएगी और साधक की गोद मे बैठ जाएगी लेकिन इस दौरान बिल्कुल भी विचलित नहीं होना है । वरना साधना खंड़ित हो सकती है। और अंतिम दिन वह सजधज कर आएगी और साधक की गोद मैं बैठकर पूछेगी कि उसके लिए क्या आज्ञा है।
उसके बाद साधक को यह कहना चाहिए कि वह उसकी पत्नी या प्रेमिका के रूप मे सिद्ध हो ।यदि वह एक बार सिद्ध हो जाएगी तो साधक को जीवन भर काम और सुख प्रदान करेगी ।
यह एक आजमाया हुआ तंत्र है।और आज भी काम करता है। लेकिन आपको चाहिए कि आप साधना करते वक्त 49 दिन तक कुछ ना बोलें और उर्वशी सिद्ध हो जाने के बाद परस्त्री गमन नहीं करना चाहिए । इसके अलावा उर्वशी सिद्ध होने के बाद जो कुछ भी चाहें प्राप्त करें लेकिन दुरूपयोग ना करें ।
आपको बतादें कि प्राचीन काल से ही भारत के अंदर सौंदर्य की साधना करना प्रमुख माना गया है। और आज भले ही सौंदर्य की परिभाषा बदल गयी हो लेकिन प्राचीन लोग सौंदर्य की परिभाषा अपने संदर्भ मे जानते थे ।
प्राचीन ग्रंथों के अंदर सौंदर्य का मूर्त रूप अप्सरा को माना गया और फिर उसकी उपासना की गई।क्योंकि नारी को ही तो सौंदर्य की मूर्ति माना गया है।संसार के अंदर सबसे सुंदर तीन अप्सराओं को माना गया है। जिसमे मेनका ,रंभा और उर्वशी प्रमुख हैं।
ऐसा कहा जाता है कि यह सुंदरियां देवताओं की संभा मे नाच गाना करती हैं और उनके मन को बहलाने का काम करती हैं।उर्वशी के बारे मे यह कहा जाता है कि वह चिरयौवना है और 18 साल की युवती की भांति हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी मदमस्त ही रहती है।और उसके यौवन को देखते ही बनता है।
उसकी सुंदरता को देखकर देवता भी ठगे से रह जाते हैं।ऐसी स्थिति मे पुरूष भला उसके वश मे कैसे ना होगा ?उर्वशी के केश काफी लंबे होते हैं। बहुत ही सुंदर चेहरा होता है।कैस जैसे बादलों मे कोई घटा उमड़ आई हो ।
इसके अलावा उसकी बड़ी बड़ी सुंदर आंखे होती हैं जो हमेशा इधर उधर मटकती ही रहती हैं।इस प्रकार से ऐसी सुंदरता वाली स्त्री अपनी सुंदरता के माध्यम से सारे संसार को मोहित किये हुए है।
विश्वमित्र ने जब सुना की उर्वशी इंद्र के दरबार मे नाचती है और उसकी नाच के सामने पानी भी ठहर जाए तो विश्वमित्र नें इंद्र को संदेश भिजवाया कि उसके यहां पर भी उर्वशी को भेजा जाए । लेकिन इंद्र ने यह सब करने से मना कर दिया ।
विश्वमित्र हठ योगी थे ।उन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से उर्वशी को अपने यहां पर बुलालिया और कहा कि उसे उसके शिष्यों के सामने नाचना होगा लेकिन उर्वशी सुंदर और जवान थी ही उसने मना कर दिया और वापस चली गई विश्वमित्र ने उसी समय प्रतिज्ञा की कि वे ऐसे तंत्र की रचना करेंगे कि जब चाहें उर्वशी को अपने यहां पर बुला लेंगे ।
दोस्तों उर्वशी साधना ,मां ,बहन और प्रेमिका व पत्नी रूप मे की जा सकती है। लेकिन यदि आप उर्वशी साधना करते हैं तो प्रेमिका या पत्नी के रूप मे ही करना सार्थक रहता है।
दोस्तों अब तक हमने यह जाना कि उर्वशी साधना किस प्रकार से की जाती है। अब जानते हैं कि उर्वशी साधना करने के क्या क्या फायदे होते हैं? इसके बाद विस्तार से इसके अनुभवों की चर्चा भी हम करने वाले हैं।
दोस्तों उर्वशी साधना करने वालो ने बताया है कि जो साधक एक बार उर्वशी साधना को कर लेता है उसके बाद वह जब चाहे उसे बुला सकता है और यहां तक की उसका डांस भी देख सकता है। कुल मिलाकर यह आपकी प्रेमिका से भी काफी बेहतर ढंग से काम करती है।
यदि आप अपनी रियल प्रेमिका को बुलाएंगे वह हो सकता है कि आपके पास आने मे आना कानी करे या उसे कोई काम हो जाए लेकिन उर्वशी जरूर आएगी तो यह भी उर्वशी साधना का बड़ा फायदा है।यदि आप खुद को काफी बोरियत महसूस कर रहे हैं तो फिर आप उर्वशी को बुला सकते हैं और उसके साथ अपना समय बीता सकते हैं।
दोस्तों यदि आपने उर्वशी को सिद्ध कर लिया है तो आप उसका प्रेमिका के रूप मे रमण कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि आपने प्रेमी और प्रेमिका को बात करते हुए देखा होगा वे किस प्रकार से चिपक कर रोमांटिक बातें करते हैं। आप ऐसा कर सकते हैं। उर्वशी आपको वो सारे सुख प्रदान करती है जोकि एक प्रेमिका प्रदान करती है।तो आप उसको अपनी एक प्रेमिका बना सकते हैं। कितना अच्छा है कि वह जब घर मे आए तो किसी को भी पता नहीं चलेगा क्योंकि आपके सिवाये उसे कोई नहीं देख पाएगा । तो आप समझ सकते हैं कि यह कितना अच्छा होगा ।
आप किसके साथ बातें कर रहे हैं ? क्या कर रहे हैं इस बारे मे कोई कुछ भी पता नहीं लगा पाएगा ।
दोस्तों उर्वशी के माध्यम से मनोरंजन कर सकते हैं। जैसे कि जैसे कि आप उसके साथ यादगार लम्हे बिता सकते हैं। जैसे किसी मजेदार बात को छेड़कर मनोरंजन कर सकते हैं या फिर वैसी बातें कर सकते हैं जिससे कि आपको काफी आनन्द मिलता है। इस प्रकार आप अपना टाइमपास आसानी से कर सकते हैं। यह काफी अच्छा कार्य होगा ।
दोस्तों यह भी कहा जाता है कि उर्वशी एक बार सिद्ध हो जाए तो इस प्रकार के इंसान के पास धन वैभव की कोई भी कमी नहीं होती है। इस प्रकार का इंसान अच्छा पैसा कमाता है क्योंकि वह जो भी कार्य करता है वह आसानी से सफल होता जाता है। तो यदि आपको धन वैभव की जरूरत है तो उर्वशी तंत्र आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
दोस्तों यह भी कहा जाता है कि जो साधक एक बार उर्वशी को सिद्ध कर लेता है उसके चेहरे पर काफी तेज आ जाता है और वह काफी समय तक जंवा ही दिखता है। कई साधकों ने बताया है कि उर्वशी सिद्ध करने के बाद उनके चेहरे पर अनोखी आभा आ जाती है और चेहरे की सुंदरता पहले की तुलना मे काफी बेहतर हो जाती है। इस प्रकार से यदि आप चाहते हैं कि आपके अंदर निखार आए तो उर्वशी साधना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है।
दोस्तों ऐसा माना जाता है कि इस धरती पर हम जितनी भी सुंदर महिलाओं को देखते हैं या सुंदर स्त्री को देखते हैं। उर्वशी उससे भी कहीं अधिक सुंदर है। और कहा तो यहां तक जाता है कि इतनी सुंदर स्त्री को आपने आज तक कहीं भी नहीं देखा होगा तो सुंदरता के दर्शन करने के लिए भी आप यह साधना कर सकते हैं।जिससे कि आपको पता चलता है कि संसार के अंदर कौन कितना सुंदर हो सकता है।तो सुंदरता के यही मायेने हैं।
दोस्तों उर्वशी एक अदभुत क्षमता वाली स्त्री है। और इसका फायदा कई लोगों ने उठाया । हालांकि उनका मकसद यह कतई नहीं था कि वे स्त्री का भोग करें लेकिन उन्होंने इसके माध्यम से कई चीजों को सीखा ।विश्वमित्र के बाद उनके कई शिष्य जैसे चिन्मय ,देवसुत ,गंधर और रत्न प्रभा ने भी उर्वशी को सिद्ध किया था।इसके अलावा गोरखनाथ ने भी उर्वशी को सिद्ध कर चिरयौवना को प्राप्त किया था।इसके अलावा अपने हजारों शिष्यों के सामने उर्वशी को बुलाकर नृत्य भी करवाया था।
इसके अलावा स्वामी शंकराचार्य नें अपने शिष्य पदमपाद को अतुल धन संपति का स्वामी बना दिया था। यह भी इसी साधना की वजह से संभव हो पाया था।इसके अलावा शंकरा चार्य ने उर्वशी को बुलाकर ही काम कला की बारिकियों को सीखा था।
इसके अलावा विशुद्धान्द ने नरमुड़ी के अंदर उर्वशी से नृत्य करवाया जोकि आश्चर्यचकित कर देने वाला था। उसके बारे मे यह कहा गया कि इतनी अच्छी सुंदरी तो किसी ने नहीं देखी थी।
कानन शीला को मैंने पहली बार देखा था। यह एक अद्धितिय वरदान है। मैंने जब इसको छूआ तो शरीर के अंदर करंट सा दौड़ गया । यह एक मंत्र सिद्ध है क्योंकि इसके उपर बैठकर उच्च कोटी के योगियों ने साधना की थी ।इस शीला को देखकर ही व्यक्ति सुख और शांति का अनुभव करता है। इस प्रकार का अनुभव वास्तव मे कहीं नहीं मिलता है।
विज्ञानन्द योगी ने भी कानन शीला पर बैठकर ही साधना की थी। वो भी एक उच्च कोटी के योगी हैं।और मैंने देखा कि 25 दिन बीत जाने के बाद भी वे उसी तरह से शीला पर ध्यान मग्न रहे । इस प्रकार से ध्यान करना किन्हीं उच्च कोटी के योगियों के लिए ही संभव होता है।
मैं रोजाना सुबह जाकर मानसरोवर तट पर साधना करता और उसके बाद कानन शीला पर बैठकर अपनी पूजा पाठ को सम्पन्न करता था।साधना काल मे अपने गुरू के पास ही रहता था ।क्योंकि उनकी आज्ञा थी कि साधना मे उनके पास ही रहा जाए तो मैं ऐसा ही करता था।इस प्रकार से साधना करते हुए मुझे 26 दिन बीत चुके थे और अब साधना के 4 दिन ही बचे हुए थे । आज वर्षा की वजह से मौसम काफी सुहाना हो चुका था।जब मैं स्नान करके आया और शीला पर बैठा तो किसी के घुंघरू की आवाज मेरे कानों मे आई तो मेरी एकाग्रता भंग हो गई ।
उसके बाद देखा तो सामने एक बहुत ही सुंदर युवती खड़ी थी। ऐसी सुंदर युवती मैंने आज तक कहीं पर भी नहीं देखी थी।मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि इतने घने वन के अंदर यह सुंदरी कहां से आई । लेकिन सच कहूं तो मैं उस सुंदरी के रूप को देखकर काफी मोहित हो गया था । और अपने होश हावास भी खो बैठा था।मैं खुद को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि यह अप्सरा है या फिर कोई पिशाचनी जो अपनी माया से मुझे छल रही है।उस समय मैं कुछ सोचने विचारने की स्थिति मे नहीं था क्योंकि वह मुझसे 7 से ’ फीट की दूरी पर खड़ी थी। और मुझे ही एककट ही देख रही थी।
उसकी देह की सुंदरता के बारे मे जो कुछ भी सुन रखा था वह सब कुछ ही तो था उसके अंदर पहली बार मेरा मन अनियंत्रित हुआ और मेरे मन मे कामवासना जागी । और मुझे लगा कि मैं उसके पास बैठ कर बातें करूं।
उसके बाद मैंने किसी तरह से खुद को काबू मे किया और अपने मन को नियंत्रित किया । और उसके बाद वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगी ।उसके मुस्कुराने से सब तरफ मानों सब कुछ खिल सा ही गया हो । मुझे इसके अंदर बहुत ही आनन्द आया ।उसके बाद मैंने गहरी सांस ली और चैतन्य होकर देखा कि साल की एक सुंदर युवती मेरे सामने खड़ी है जो दिखने मे बहुत ही सुंदर लग रही है।सुंदर चेहरे के साथ ही यौवन के रस से भरी वह अब मेरे सामने खड़ी थी।इसके अलावा उसके उभरे हुए वक्ष ऐसे प्रतीत हो रहे थे कि मानों दो सुंदर फूल है।वक्षस्थल पर कुंचकी बंधी हुई थी और नाभी के पास नीले कलर के वस्त्र बंधे हुए थे ।उसका पहनावा भी काफी आकर्षक लग रहा था।उसके पैरों मे छोटे छोटे घुंघरू बंधे हुए थे जो काफी सुंदर लग रहे थे ।
उसका शरीर मानों कामदेव ने बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया है।ऐसा लग रहा था विधाता ने उसको बहुत ही फुर्सत से बनाया है।उसके गौरे रंग पर गुलाबी आवरण चढ़ा हुआ था। और उसकी एक मुस्कान पर सौ कानन वन भी न्योछावर हो जाएं ।निश्चय ही उर्वशी एक बहुत ही सुंदर स्त्री थी । जिसकी सुंदरता का सामना किसी भी पृथ्वी की स्त्री तो कम से कम नहीं कर सकती थी।
मैं अब तक उसको अपलक देख ही रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि उस आगंतुक का स्वागत कैसे करें और उसके बाद गुलाबी पंखुडियों से कंपन हुआ और उसने खुद ही अपना परिचय देते हुए कहा कि — मैं स्वर्ग के अंदर रहने वाली अप्सरा उर्वशी हूं ।
और मेरे मन मे स्वामी विज्ञानान्द छा गए हैं। वह बोली । जोकि मेरे सामने ही साधना कर रहे थे ।उसने बताया कि इनकी श्रेष्ठता मुझपर हावी हो गई है। और मैंने इंद्र के यहां पर सब कुछ छोड़ दिया है। हालांकि यह संभव नहीं था कि सुंदरी और विज्ञानानंद दोनों एक साथ ही रहें । क्योंकि वे खुद एक उच्च कोटी के साधक थे ।और यह संभव नहीं है कि यह उर्वशी का वरण करें ।लेकिन यह बेचारी क्या करें । यह भी अपने दिल के हाथों मजबूर है। जो सब कुछ भोग विलास को छोड़कर आ गई है।वैसे विज्ञानानंद से कौन यह सब कहें । मैंरे लिए यह तो सबसे बड़ा पाप ही है ।
मैं उसे अपलक देख ही रहा था। उसके बाद बोला ….मेरे स्वामी अभी ध्यान की अवस्था मे हैं और जब वे कुछ दिन बाद चैतन्य हो जाएंगे तो फिर आपकी बात उनके सामने रख दूंगा ।आप उर्वशी हैं और चिरयौवना हैं और अद्धितिय सुंदरी हैं निश्चय ही आपको प्रणय निवेदन करने का अधिकार है। और उसके बाद उसने मुझे गहरी निगाहों से देखा और फिर धीरे धीरे उसके पैरों मे गति आने लगी ।उसके पैरों से घुंघरोओं की छन छन की आवाज निकलने लगीं जिससे कि सारा हिमालय गुंजने लगा ।
उर्वशी विज्ञानान्द की समाधी को तोड़ने का निश्चय कर चुकी थी। उसके बाद मुझे सारे वेद पुराण याद आ गए । इस उर्वशी ने तो बड़े बड़े संतों की समाधी को तोड़ दिया था तो यह आसानी से विज्ञानान्द की समाधी को भी तोड़ सकती है।उर्वशी को अपने प्यार का इजहार करने का अधिकार है। और मैं भी इसमे उसकी मदद करूंगा।उसके बाद मैंने देखा कि सुंदर उर्वशी के पैर तेजी से गतिशील हैं और उसके पैरों की ध्वनी पूरे वातावरण के अंदर गूंज रही है।धीरे धीरे उसके पैरों मे तेजी आ रही है। और आज प्रकृति भी उसी के साथ दिखाई देती है।वह अपना अदभुत नृत्य दिखा रही है। जिसकी वजह से यहां का सारा वातावरण सुगंधित हो चुका है।
उसके बाद उर्वशी के पैरों की गति बढ़ चुकी थी और वे विशेष लय के साथ थिरक रहे थे ।वह उसी तरह अपना नृत्य करती रही । शाम ढल चुकी थी पता नहीं कब लेकिन उसके बाद भी उर्वशी रूकी नहीं थी । लेकिन उसके माथे पर पसीना आ चुका था जिसके अंदर उसका सारा शरीर भीग चुका था।लेकिन उर्वशी रूक नहीं रही थी और ना ही विज्ञानान्द चैतन्य हो रहे थे । और वहीं यदि कोई आम इंसान होता तो कब का अपनी आंखे खोल लेता ।
उसके बाद देखा कि धीरे धीरे रात होने लग गई और चंद्रमा अपने स्थान पर आ गया । लेकिन उस वक्त उर्वशी थक चुकी थी। और वह सामने ही एक शीला पर बैठ गई । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें । उसके बाद वह झुंझला भी रही थी।
वैसे उर्वशी को यह गुमान था कि वह अपनी सुंदरता के दम पर सब कुछ करने मे सक्षम हो जाएगी । लेकिन कुछ समय बाद वह कहीं चली गई। उसके बाद दूसरे दिन सुबह वह जल्दी ही विज्ञानान्द के सामने आकर बैठ गई ।उसका चेहरा देखकर यह लग रहा था कि आज वह पक्का समाधी को तोड़ने मे सफल हो जाएगी ।
उसके बाद उसने नृत्य को जल्दी ही शूरू कर दिया और खुद को वह बहुत अधिक मनमोहक बनाकर आई थी।जैसे जैसे दिन चढ़ रहा था वह और अधिक बेहतरीन नृत्य करती जा रही थी। विज्ञानानन्द की साधना का भी आज अंतिम दिन था।उसके बाद दोपहर हुई और शाम होने के बाद चंद्रमा भी आकाश मे आ गया ।लेकिन उसके बाद भी उर्वशी के पैर बराबर गतिशील बने रहे । लेकिन फिर भी वह रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसके पैरों से रक्त निकलने लगा और वह निढाल होकर एक महायोगी के सामने गिर गई लेकिन उसके बाद कुछ समय वह ऐसे ही पड़ी रही और उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी कि महायोगी को छू सके लेकिन उसकी पराजय
उसके चेहरे से ही झलक रही थी।उसके बाद वह हाथ जोड़कर बोली …मैं इंद्र की सभा के अंदर रहने वाली उर्वशी आज एक महायोगी के सामने पराजित हो चुकी हूं । मेरा सौदंर्य योग के सामने कुछ भी नहीं है।
दोस्तों उर्वशी साधना के संबंध मे बहुत सारी भ्रांतिया हो चुकी है। और कई लोगों को इस साधना की वजह से भयंकर परेशानियां होने लगी थी। यहां पर हम आपको बताएंगे ।
खैर बात करें अनुभव की तो अनुभव निर्भर करता है कि आप खुद कितने सामर्थ्यवान हैं। यदि आपकी द्रष्टि खुली हुई है तो आसानी से वह आपके सामने प्रत्यक्ष हो जाएगी । क्योंकि उस समय आप सूक्ष्म जगत की चीजों को देखने के लिए काबिल हो जाएंगे । लेकिन यदि आपकी द्रष्टि खुली नहीं है तो वह आपके सामने इतनी आसानी से नहीं आएगी । और आएगी तो वह आपको दिखाई नहीं देगी ।
और कुछ लोग तो उर्वशी अप्सरा साधना करने के चक्कर मे खुद ही मुश्बित मौल ले लेते हैं। एक व्यक्ति ने अपना अनुभव लिखा कि वह उर्वशी साधना करने के लिए जंगल मे गया और बिना कपड़ों के मंत्र का जाप करने लगा । उसके बाद उसे एक बहुत ही सुंदर महिला का अनुभव हुआ । उसे लगा कि उर्वशी सिद्ध हो गई है।लेकिन पहले पहले वह काफी खुश हुआ लेकिन वह उर्वशी नहीं एक प्रेतनी थी जो उसके पास आ गई और अब वह उसके साथ हर समय संबंध बनाने की कोशिश करने लगी । जिसकी वजह से वह काफी परेशान हो गया ।
बाद मे उसने कहीं पर पता किया तो उसे पता चला कि यह उर्वशी नहीं है वरन एक प्रेतनी है जो अपनी इच्छा को संतुष्ट करने के लिए आ गई है। तो आप समझ सकते हैं कि गलत तरीकों से साधना करने पर ऐसा भी हो ही जाता है।
इसी प्रकार से मनु धाम के अंदर एक ऐसा लड़का आया जिसने उर्वशी साधना करी थी। उसकी आंखें काफी लाल थी और वह बोला कि उसे उर्वशी साधना करने के बाद दिन रात घुंघरूओं की आवाज सुनाई देती है। और डर भी लगता है। इस वजह से वह कई दिनों तक सही तरीके से सो नहीं पा रहा है।
इन सब घटनाओं को बताने का मकसद यही है कि आप कहीं पर ही पढ़कर उर्वशी साधना करने के लिए ना बैठें क्योंकि ऐसा करने से उल्टा आपको ही नुकसान हो सकता है। आप किसी प्रेतनी को उर्वशी समझ सकते हैं जिससे कि आपका विनाश हो सकता है।
बेहतर यही है कि काशी और ऑनलाइन भी कुछ तांत्रिक हैं जो उर्वशी साधना करवाते हैं लेकिन वे इसके बदले कुछ पैसा लेते हैं पर आप इसके अंदर सुरक्षित रहेंगे । क्योंकि वे अनुभवी होते हैं और यदि आपके साथ कोई भी समस्या आती है तो वे आसानी से ही उसे हेडल कर लेंगे ।उर्वशी साधना हो या कोई और साधना बिना
गुरू के करने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए ।
खैर आजकल यूटुब पर उर्वशी साधना की बहुत अधिक चर्चा होती है और इस वजह से बहुत से युवा सोच रहे हैं कि अप्सरा मिल रही है तो फिर फालतू मे लड़कियों के पीछे घूमने का क्या फायदा ?
लेकिन आपको बतादें कि साधना करने मे कोई बुराई नहीं है लेकिन सही तरीके से करेंगे तो फायदे में रहेंगे । क्योंकि नए लोगों को तो यह भी पता नहीं होता है कि अप्सरा प्रकट हो तो उसे क्या बोलना है। उल्टे वचन लेने पर बाद मे आपको पछताने के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगेगा ।
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Iska samay kya hai,mantra kitni der tak padhte hai
Sadhna karne key Liya guru ya sahi guidelines kahan milaigi
Sadhana karvane ke liye yogya guru kaha or kon hai..Jo sahi marg darshan de sake or surakhsa bhi...???