vibhajan ka vilom shabd विभाजन का विलोम शब्द ?
विभाजन का विलोम शब्द, विभाजन शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, विभाजन का उल्टा vibhajan ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
विभाजन | अविभाजन |
vibhajan | avibhajan |
विभाजन का विलोम शब्द और मतलब
दोस्तों विभाजन का मतलब होता है बंटवारा ।जब हमारे यहां पर भाइयों भाइयों के अंदर झगड़ा होता है तो फिर उनका बंटवारा करना पड़ता है। और उसके बाद ही झगड़ा शांत होता है। हालांकि कई बार तों झगड़ा उसके बाद भी शांत नहीं होता है।
भारत के अंदर बंटवारे की समस्या बहुत अधिक होती है।कई बार तो यह देखा गया है कि भाइयों के अंदर धन के बंटवारे के चक्कर मे खून तक हो जाते हैं। यह सब आम है। हालांकि समय के साथ साथ बंटवारे का झगड़ा भी काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है।
जब हम बंटवारे शब्द का नाम सुनते हैं तो फिर तुरंत ही हमारे दिमाग के अंदर यह आ जाता है कि धन का बंटवारा होने वाला है दंगा होगा । इसी प्रकार से जब हमारे पड़ोसी ने बंटवारा किया था तो दंगा हुआ था।
दो पक्ष आपस मे भिड़ गए ।और काफी भयंकर गाली गलौच्च हुआ । और उसके बाद बंटवारा हो गया। भारत मे इस प्रकार की घटनाएं बंटवारे के समय काफी आम होती हैं।
हालांकि बंटवारा शब्द काफी अधिक व्यापक होता है।इसके अंदर कई सारी चीजें आती हैं। इसमे सिर्फधन और दौलत का बंटवारा ही नहीं आता है। वरन सारी चीजों का विभाजन आता है। जैसे गैस ,बच्चे , दवाइयां आदि का विभाजन भी आता है।
वैसे यदि हम देखें तो सबसे अधिक चर्चा होती है बंटवारे की जिसके अंदर दंगा होता ही है। आप अपने गांव के अंदर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि बंटवारे के नाम से ही भाई भाई आपके सर को काटने के लिए दौड़ आते हैं। क्योंकि बंटवारा होता ही ऐसा है।
तो बंटवारे की लड़ाई से बचने के लिए कई लोग एकत्रित होकर बंटवारा करते हैं और उसके बाद भी झगड़ा हो जाता है तो जमीन का बंटवारा करने के लिए पटवारी को लाया जाता है।
अविभाजन का मतलब
दोस्तों विभाजन का उल्टा अविभाजन होता है।यदि हम बात करें अविभाजन की तो इसका अर्थ है जिसका विभाजन नहीं हुआ है या किया नहीं जा सकता है। वह अविभाज्य है। वैसे आपको बतादें कि वैज्ञानिक रूप से एक अविभाज्य चीज को खोजना काफी कठिन होता है। असल मे सब चीजों को विभाजित किया जा सकता है।
बंटवारे की कहानी
दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक जम्मीदार हुआ करता था। उस जम्मीदार के 3 बेटे थे। जमींदार ने तीनों बेटों की शादी करदी थी। वह चाहता था कि जल्दी से सारे भार से मुक्त हो जाउं तो गंगा स्नान करलूं । क्योंकि वह बूढ़ा हो चुका था और चाहता था कि अब सबकुछ छोड़ दे ।
एक दिन जब वह बहुत अधिक बीमार हो गया तो उसे याद आया कि बंटवारा नहीं किया है।उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और उसके बाद बोला कि ………सुनों मैं अब मरने वाला हूं और मैंने तीनों का बंटवारा नहीं किया है। लेकिन तीनों बंटवारे के लिए लड़ना मत और सभी चीजों को आधी आधी करके ले लेना । और उसके कुछ ही दिनों के अंदर जमींदार मर गया ।जम्मीदार के मरते ही उसका बड़ा बेटा मोहन चिल्लाने लगा कि बापू ने बंटवारा खुद किया है। उसे अधिक जमीन दी है। जब यह बात छोटे बेंटो रोहन और टोहन को पता चली तो वे इसको गलत बताने लगे और कहने लगे ……नहीं बापू ने सबको समान जमीन के बारे मे बोला था।
एक तरफ अपने बाप की लाश को रखा गया था दूसरी तरफ बड़ा बेटा मोहन और छोटा रोहन आपस मे एक दूसरे पर झगड़ रहे थे । उसके बाद कुछ आस पास के लोगों ने उनको बचाव किया और किसी तरह से जमींदार की लाश को अग्नि दी ।
लेकिन जैसे ही मोहन घर आया वह चिल्लाते हुए बोला …….रोहन तेरी सारी जमीन मुझे देदे । वरना जान से मार दूंगा और ऐसा कहने से रोहन को भी काफी गुस्सा आया वह अपने भाई की तरफ लठ लेकर दौड़ा और दो से तीन वार किये जिससे वह घायल हो गया ।
इतने मे लोग वहां पर आ गए और रोहन को पकड़ लिया ।मोहन के सर से खून बहने लगा तो यह देख उसकी पत्नी चिल्लाते हुए आई …….हारे रे राक्षस ने इनको मार दिया सत्यानाश हो राक्षस तेरा ।
जब यह रोहन की पत्नी ने सुना तो वह भी गुस्से से लाल हो गई और मोहन को भला बुरा कहने लगी ।
उधर मोहन का खून बंद नहीं हो रहा था तो उसे अस्पताल लेकर जाया गया और वहां पर उसको पट्टी वैगरह की । फिर उसे वापस घर लाया गया । इस प्रकार से अब तीनों ने आपस मे बोलना ही बंद कर दिया । कुछ दिन इसी प्रकार से बीते फिर एक दिन रोहन बंटवारे के लिए खेत के अंदर आस पास के लोगों को एकत्रित करके लेकर गया । फिर सभी दूसरे भाई भी आएं बंटवारा शूरू हुआ लेकिन अब मोहन ने उस बंटवारे को मानने से इंकार कर दिया । ऐसी स्थिति के अंदर बंटवारे को बंद करना पड़ा । मोहन की मंशा थी कि वह अधिक जमीन लेना चाहता था। जबकि रोहन और टोहन उसे अधिक देना नहीं चाहते थे ।
इस प्रकार से बंटवारे का हल नहीं निकल सका । कुछ दिन इसी प्रकार से लड़ाई चलती रही । एक दिन टोहन से मोहन का भयंकर झगड़ा हुआ और उसके बाद टोहन ने अपने भाई को कुल्हाडी से काट डाला और जिंदा दफन कर दिया । इस प्रकार से जब कुछ दिन तक मोहन का पता नहीं चला तो उसकी पत्नी ने पुलिस के अंदर केस दर्ज करवा दिया ।
पुलिस को टोहन पर शक हो गया । क्योंकि वह बहुत अधिक घबरा रहा था । तो पुलिस ने उसको उठाया और कडाई से पूछताछ की तो पता चला ही टोहन ने उसको काट डाला और बाद मे उसकी बोड़ी को भी बरामद किया गया ।
उसके बाद टोहन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और इस मामले मे टोहन और मोहन की पत्नी की बुरी दशा हुई अंत मैं दोनो को घर छोड़कर जाना पड़ा ।
असल मे जब इंसान अपने दिमाग का यूज करना बंद कर देता है तो यही हाल होता है। वह कुत्ते की मौत मारा जाता है।इसलिए जो भी हो जाए आपस मे ना लड़ें। जहां पर जरूरत है वहीं लड़ना चाहिए । फालतू मे लड़ना गलत है।