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vidwan ka vilom shabd विद्वान का विलोम शब्द?

विद्वान  का विलोम शब्द, विद्वान का विपरीतार्थक शब्द है, विद्वान  का उल्टा vidwan ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
विद्वान मूर्ख
vidwanmurk

vidwan ka vilom shabd विद्वान का विलोम शब्द?

‌‌‌दोस्तों यदि हम विद्वान  के विलोम शब्द की बात करें तो इसका विलोम शब्द मूर्ख होता है। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।विद्वान एक मानद उपाधि है जो उन व्यक्तियों को दी जाती है जिन्होंने अपने अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विद्वान की परिभाषा स्रोत के आधार पर अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सामान्य तौर पर, एक विद्वान वह होता है जिसने खुद को सीखने और नया ज्ञान प्राप्त करने के लिए समर्पित किया है। उनके पास अपने क्षेत्र में डिग्री या प्रमाणन हो सकता है, या वे इसके बारे में बेहद जानकार हो सकते हैं।

विद्वान की परिभाषा को लेकर बहुत ही बड़ी भ्रांतियां हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। कोई इंसान दो किताबें पढ़ लेने से ही विदृवान नहीं हो जाता है आप इस बात को समझ सकते हैं। विदवान का मतलब होता है एक ऐसा इंसान जो सत्य का ज्ञान रखता है और सत्य आचरण है।

‌‌‌दोस्तों आजकल काफी अलग किस्म के विदवान आ चुके हैं जिनके बारे मे हम क्या ही कहें । यह लोग अपने मन पसंद इतिहास लिखते हैं और बच्चों को भ्रमित करने का काम करते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और यहां तक कि किताबों के अंदर भी ऐजेंडा चलाया जाता है।

‌‌‌इस तरह के विदवान असल मे विदवान नहीं होते हैं अपने आपको विदवान साबित करने पर तुले रहते हैं। हम हमेशा चाइना को भारत से अच्छा इसलिए मानते हैं क्योंकि चाइना के अंदर इस तरह के विदवानों के पर कतर दिये जाते हैं। और किसी की देश के खिलाफ बोलने की हिम्मत ही नहीं हो पाती है। आप इस बात को समझ ‌‌‌ सकते हैं। आज वहां पर जैसा भी शासन है वहां के लोग कम से कम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और वहां का सिस्टम ऐसा नहीं है कि कोई अपराध करने के बाद जेल से बाहर घूमता मिले । और यहां तो रेप करने के बाद भी अपराधी दूसरे दिन जेल से बाहर आ जाता है। कोर्ट कचहरी सरकार के नियंत्रण मे होती है और जो सरकार ‌‌‌चाहती है वही होता है। लेकिन भारत के अंदर कोर्ट अलग तरह से काम करती है और सरकार अलग तरह से काम करती है । सरकार कानून बनाती है और कोर्ट उसको रद्ध कर देती है। एक तरह से लगता है कि सरकार कोर्ट चला रहा है। और बहुत हद तक सही भी है।

‌‌‌मुझे नहीं समझ नहीं आता है कि लोकतंत्र जैसी अवधारणा किसी इंसान ने दी थी।और इस तरह के विद्धान ने ही भारत का दिवाला निकाल दिया । भारत की जनता को लुटा जा रहा है और कोई सुनने वाला नहीं है।

‌‌‌जनता का जनता के लिए शासन भले ही यह शब्द सुनने मे काफी अच्छा लगता है लेकिन यह बेहद ही घटिया है। कारण यह है कि लोकतंत्र के अंदर मूर्ख लोग भी सत्ता तक पहुंच जाते हैं और इसकी वजह से देश का पतन होता है।

‌‌‌और इसकी वजह से ही भारत की दशा हो रही है। दुनिया के अंदर जितने भी लोकतंत्र हैं सबका बुरा हाल होने वाला है। इसके अंदर कोई शक नहीं है। आने वाले कुछ सालों के अंदर अमेरिका का भी यही हाल होगा । दोनों पक्ष सत्ता हाशिल करने के लिए देश को दाव पर लगाने के लिए नहीं चुकेंगे ।

‌‌‌यह भारत देश मे ही आपको मिलेगा कि जेल के अंदर भी अपराधी आपको मौज करते हुए मिलेंगे ।अब आप खुद सोच सकते हैं कि सिस्टम को कितनी दिमग लग चुकी है। इसको जब तक बदला नहीं जाएगा आम लोग ऐसे ही पिसते रहेंगे । और भ्रष्टाचारियों का बोल बाला होगा ।

‌‌‌आपको बता है कि साउदी के अंदर बड़े अपराधों के लिए मौत की सजा दी जाती है। चाइना के अंदर भी यही है। लेकिन भारत के महान लोग अपराधी को सर पर बैठाकर रखते हैं और उसके बाद टेक्स के पैसे से सरकारें उसका पेट भरती है आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌भारत के सिस्टम को आप तब तक नहीं सुधार सकते  हैं जब तक कि लोकतंत्र मौजूद है। लोकतंत्र समाप्त होते ही सब कुछ सुधर जाएगा । और ऐसा नहीं है कि भारत के अंदर लोकतंत्र समाप्त नहीं होगा । एक दिन ऐसा आएगा जब भारत के अंदर लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा और उसके बाद फिर से वही राजाशाही वाला शासन आ जाएगा ।

‌‌‌उसके बाद देखना जितने भी दलाल हैं सबका नंबर आ जाएगा । लेकिन इसके अंदर कितना वक्त लगेगा इसके बारे मे आपको जानकारी नहीं है। यदि आप दुनिया के सबसे पॉवर फुल देश बनना चाहते हैं तो लोकतंत्र ही इसके अंदर सबसे बड़ी बाधा है आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌आपको यह पता होना चाहिए कि यह अवधारण किसी भारतिये की दी हुई नहीं है यह सब अंग्रेजों की अवधारणा है जो देश का बंटाधार कर रही है। यदि आप इस्लाम को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि उनके यहां पर भी लोकतंत्र जैसी कोई चीज नहीं है। बड़े मुस्लिम देशों के अंदर लोकतंत्र नहीं है।

‌‌‌इस तरह से दोस्तों लोकतंत्र के अंदर जब सरकार को बार बार जनता के पास वोट मांगने के लिए जाना होता है तो उसे अपने वोट की चिंता होती है वह कभी भी कड़े फसले नहीं ले सकती है आप इस बात को समझना चाहिए ।

‌‌‌एक सरल उदाहरण से आप लोकतंत्र को समझ सकते हैं कि यह कैसे बेकार है। यदि आपके घर के अंदर 100 कर्तो धर्ता हो जाएंगे तो क्या वे सही तरह से आपके घर को चला पाएंगे । एक इधर खीचेंगा दूसरा उधर । और इसी तरह की खींचातान चलती रहेगी । लेकिन यदि एक होगा तो उसके बाद ‌‌‌ वह आपको घर से चला पाएगा । यही बात पूरी तरह से लोकतंत्र के उपर लागू होती है। भारत के अंदर लोकतंत्र देश के विकास के अंदर सबसे बड़ी बाधा है और देश के अंदर काफी तेजी से बढ़ते अपराध का कारण भी लोकतंत्र ही है आप इस बात को समझ सकते हैं। ‌‌‌इसलिए जब तक लोकतंत्र है सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा ।

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