विद्यालय का पर्यायवाची शब्द या विद्यालय का समानार्थी शब्द (vidyalay ka paryayvachi shabd / vidyalay ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में जानेगे । इसके साथ ही हम विद्यालय से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
विद्यालय | पाठशाला, गुरुकुल, गुरुगृह, मदरसा, चटशाला, विद्यामन्दिर, सरस्वतीभवन, स्कूल, विद्यापीठ, |
विद्यालय in Hindi | pathashala, gurukul, gurugrh, madrasa, chtashala, vidyamandir, sarasvatibhavan, School, vidyaapeeth. |
विद्यालय in English | School, Pathshala, Gurukul, Gurugriha, Madrasa, Chatshala, Vidyamandir, Saraswati Bhavan, Vidyapeeth. |
वह स्थान जहां पर शिक्षा का ज्ञान दिया जाता है और बच्चो के बौद्धिक एवं नैतिक गुणों और शारीरिक और मानसिक विकाश को बढाया जाता है ऐसे सस्थान को विधालय कहा जाता है ।
हिंदी भाषा में विधालय का अर्थ एक होता है मगर उसे अनेक रूपो मे समझाया जा सकता है । जैसे –
वर्तमान में मनुष्य के जीवन में शिक्षा का बढा महत्व होता जा रहा है । जिसके कारण से हर किसी को शिक्षा की जरूरत होती है । और इसी जरूरत को पूरा करने वाली संस्था को विद्यालय कहा जाता है ।
इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की एक ऐसा स्थान जहां पर किसी शिक्षक के द्वारा शिक्षा का ज्ञान दिया जाता है । विद्यालय कहलाता है । शिक्षा अनेक प्रकार की हो सकती है यानि शिक्षा सामाजिक जीवन से जुडी हो सकती है और अपने धर्म से जुडी हो सकती है । इस तरह से शिक्षा के प्रकार बाटे जा सकते है ।
हालाकी यहां पर हम विद्यालय के बारे में बात कर रहे है जिसका साधारण अर्थ स्कूल से होता है । अगर हम स्कूल के अर्थ की बात करे तो अवकाश होता है और इसे ही आत्म विकास के रूप में जाना जाता है । और आत्म विकाश तभी होता है जब शिक्षा प्राप्त होती है। और यही कारण है की एक स्कूल को विद्यालय कहा जाता है ।
प्राचीन समय से लेकर अब तक विद्यालयो की बनाटव व पढाई लिखाई के तरीको में काफी अधिक बदलाव हुआ है । क्योकी प्राचीन समय में न तो लोग इतना अधिक देश विदेश के बारे में जानते थे और न ही जानना चाहते थे । उस समय अपने धर्म के बारे में ज्ञान हासिल हो सके यह काफी होता था । और यही शिक्षा गुरूकुल में दि जाती थी ।
गुरूकुल में हिंदु अपनी शिक्षा ग्रहण कर सकता था । इसी के साथ मुश्लीम लोग मदरासा के अंदर शिक्षा लेते थे और आज भी ले रहे है । मगर हिंदू का आज गुरूकुल की छवी बंद होती जा रही है और वह शिक्षा भी अब धीमी पडती जा रही है । बल्की विद्यालय में धर्म के बारे में नही बताया जाता है की गीता में क्या लीखा है रामायण में क्या लीखा है ।
वहा तो सिर्फ राज्य देश विदेश के बारे में बताया जाता है । मगर विद्यालय एक ऐसा स्थान होता है जहां पर हिंदू और मुस्लिम दोनो ही एक साथ शिक्षा ग्रहण करते है । जीस तरह से गुरूकुल हुआ करते थे और वहा पर शिक्षा दी जाती थी ठिक उसी तरह से आज का गुरूकुल विद्यालय है । मगर समय के साथ साथ शिक्षा में परिवर्तन आ गया है और आज विद्यालय में गुरूकुल की तरह शिक्षा नही दी जाती है ।
विद्यालय में शिक्षा निति और रूप व आकार के आधार पर इन प्रकारो को विभाजित किया जा सकता है । और इस तरह से विद्यालय को कुल 10 भागो में बाटा जा सकता है ।
इन कुल दस विद्यालयो में अलग अलग तरह की शिक्षा होती है और सभी एक दूसरे से क्षेत्र के आधार पर विभाजित हो सकती है ।
दोस्तो आप भले ही किसी भी राज्य में रहते हो आपने कभी न कभी C.B.S.E. का नाम जरूर शुना होगा । जिसका पूरा नाम केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड होता है और इस बोर्ड के द्वारा मान्यता प्राप्त होने वाली विद्यलयो को केन्द्रीय विद्यालय के नाम से जाना जाता है ।
इस तरह की विद्यालय किसी एक निश्चित राज्य में नही होती है बल्की यह केंद्रीय स्तर पर संचालित होने के कारण से सभी राज्यो में होती है । जैसे आपके आस पास भी कोई ऐसा विद्यालय होगा जो आपके राज्य के बोर्ड के रूप में मान्यता नही प्राप्त है जैसे अगर आप यूपी के है तो यूपी बोर्ड लगता है और वही अगर आप राजस्थान से है तो rbse board लगता है
वही अगर आप देश के स्तर पर पढाई करते है तो उस बोर्ड में C.B.S.E. बोर्ड लगता है जो सभी राज्यो में मोजूद है । इस बोर्ड के पेपर अपने राज्य के अनुसार नही होता है क्योकी इसका सिलेबस भी अलग होता है । और यह केंद्रीय रूप में संचालित रहता है ।
दोस्तो आपने कभी न कभी इस विद्यालय का नाम भी सुना होगा जो की C.B.S.E. बोर्ड से मान्यता प्राप्त होती है । जिससे पता चलता है की यह भी एक केन्द्र सरकार के द्वारा चलाया जाने वाला विद्यालय है । यह विधालय देश के सभी बच्चो के लिए काफी उपयोगी होती है ।
क्योकी इसमें अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को किसी प्रकार की फिस नही देनी पडती है यहा तक की विद्यार्थी को खाने के लिए तक पैसे नही देने पडते है । और इस तरह से विद्यार्थी को जो भी सूविधा चाहिए होती है यह विद्यालय उसे पूरा कर देता है।
इस कारण से ऐसा कह सकते है की नवोदय विद्यालय एक नि:शुल्क विद्यालय है ।
मगर इसमें प्रवेश लेने के लिए एक कठिन प्रक्रिया होती है जोकी बालक को 5 वी कक्षा का पेपर देने के बाद में एक एग्जाम लगता है जिसे देना होता है । अगर उस एग्जाम में विद्यार्थी का नम्बर आ जाता है तो फिर वह इस विद्यालय में अध्ययन कर सकता है ।
दोस्तो यह वह विद्यालय होता है जो विशेष रूप से कन्याओ के लिए बनाया जाता है । इस तरह के विद्यालयों को कन्या विद्यालय या कन्या महाविद्यालय तक कहा जा सकता है । इसमें लडके कभी अध्ययन नही करते है बल्की केवल लडकिया ही अध्ययन करती है । यह सभी राज्यों में मोजूद होती है ।
हमारे देश कें अनेक सेनिक इस समय बोडर पर हमारी रक्षा के लिए तैयार खडे है । इस तरह के वीर सेनिको के बच्चो को अच्छी सुविधा मिलना बहुत ही उपयोगी होता है क्योकी सेनिक अपने प्राणो और परिवार की फिक किए बिना हमारी रक्षा करते है तो उनके परिवार को हमसे भी अच्छी सुविधा मिले यह जरूरी होता है और इसी कमी को दूर करने के लिए इस तरह के विद्यालय बनाया जाता है ।
जिसका प्रशासन न तो राज्य के पास होता है और न ही देश के पास बल्की रक्षा मंत्रालय के पास होता है और ऐसे सेनिको के बच्चो को इन विद्यालय में फ्रि मे अध्ययन दिया जाता है । इसमें पुलिस जैसे सनिको के बच्चो को भी सामिल किया जाता है जिनके लिए अलग से विद्यालय बनाई जाती है ।
दोस्तो प्राचीन समय में विद्यार्थी को अपने धर्म के बारे में भी शिक्षा दी जाती थी । और मुस्लिम समुदाय के लोग आज भी ऐसा करते है और जहां पर यह शिक्षा प्रदान की जाती है उसे मदरासे कहा जाता है ।
यहां पर केवल मुस्लीम बच्चे ही अध्ययन कर सकते है और किसी अन्य धर्म को इस शिक्षा को प्राप्त करने का अधिकार नही है । यही कारण है की आपने देखा होगा की बच्चे मदरासे में भी अध्ययन करने के लिए जाते है ।
यहां पर एक व्यक्ति रहता है जो की शिक्षित होता है जिसे मोलवी कहा जाता है इस शिक्षा को प्रदान करने का काम उसी का होता है । यहा पर कोई भी मुस्लीम शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ सकता है । भले ही वह दुसरे शहर का क्यो न हो ।
यह वे स्कूले होती है जो की ईशाई धर्म से जुडी है ।
दोस्तो आपने भी अपने आस पास ऐसी बहुत सी स्कुलो के बारे में जानकारी हासिल की होगी क्योकी यहां पर आपका या आपके आस पास में कोई न कोई बच्चा अध्ययन करता है । जिसके लिए एक निश्चित फिस लगती है जैसे 10 हजार से 50 हजार तक । इस निश्चित राशि को लेकर बच्चो को शिक्षा प्रदान की जाती ऐसे विद्यालयो को निजी विद्यालय कहा जाता है ।
इसे इस तरह से भी समझा जाता सकता है की ऐसा विद्यालय जो की किसी एक सगठन या एक व्यक्ति समुदाय के आधार पर चलाया जाता है और एक तरह के व्यापार का काम करता है निजी विद्यालय की श्रेणी में आते है ।
इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की वर्तमान में लोग जीन स्कुलो को पराईवेट स्कूल के नाम से जानते है उन्हे ही नीजी विद्यालयो की श्रेणी में रखा जाता है ।
क्योकी ऐसे विद्यालय में बहुत से बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है । तो ऐसे विद्यालयो को जरूर मान्यता प्राप्त होती है और यह सत्य भी है क्योकी इनको भी एक मान्यता प्रदान की जाती है ।
दोस्तो हिंदू धर्म के लोगो के लिए भी कुछ स्कुले है जो की संचालित है ऐसे स्कूलो को आदर्श विद्या मंदिर विद्यालय कहा जाता है । ये विद्यालय पूर्ण रूप से हिंदू धर्म के लोगो पर आधारीत होती है ।
इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की वर्तमान में जो ज्ञान मदरासा में प्रदान किया जाता है कुछ इसी तरह का यहां पर दिया जाता है मगर यह हिंदू धर्म से जुडा होता है ।
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने एक हिंदू सुधार आंदोलन की शुरूआत की थी जिसे आर्य समाज के नाम से जाना जाता है । और यह इसी समाज के बच्चो के लिए बनाई गई विशेष प्रकार की स्कूल होती है ।
जीस तरह से आर्य समाज के लिए एक विद्यालय होता है और जीस तरह से मुस्लीम लोगो के लिए मदरासे होते है उसी तराह से बौध धर्म के लोगो के लिए भी एक विद्यालय होता है जिसे बौद्ध मठ के नाम से जाना जाता है ।
दोस्तो इस तरह से हमने इस लेख में विद्यालय के पर्यायवाची के बारे में जनकारी हासिल कर ली है । साथ ही हमें यहां पर बॉनस मिला है की हमने विद्यालय से जुडी विभिन्न तहर की जानकारी प्राप्त हुई है ।
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