व्यक्तित्व का विलोम शब्द, व्यक्तित्व शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, व्यक्तित्व का उल्टा vyaktitva vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
व्यक्तित्व | व्यक्तित्वहीन |
vyaktitva | vyaktitvaheen |
Personality | non Personality |
व्यक्तित्व का अर्थ है कि हर इंसान के अंदर कुछ गुण और विशेषताएं होती हैं। यह गुण और विशेषताएं दूसरे व्यक्ति से भिन्न होती हैं। इनका सामुच्य ही व्यक्तित्व कहलाता है।
व्यक्तित्व एक मनोवैज्ञानिक चीज होता है। और यह कोई स्थिर तत्व ना होकर गतिशील तत्व होता है जोकि बदलता रहता है। किसी इंसान के अंदर की विशेषताएं और गुण कई तरह से प्रभावित होते हैं।
जैसे उसके आस पास के परिवेश के अंदर क्या हो रहा है ? इसके अलावा वह खुद भी कुछ गुणों का त्याग कर देता है। तो हम कह सकते हैं कि व्यक्तित्व हमेशा बदलता रहता है। हालांकि आप जितना बदलाव की इसके अंदर उम्मीद कर रहे हैं इसमे उतना बदलाव नहीं होता है। लेकिन बदलाव जरूर होता है। सुविधा की दृष्टि से गिलफोर्ड (Guilford] 1959) ने इन परिभाषाओं को चार वर्गों में बांट दिया है
1. संग्राही (Ominbus) परिभाषाएं
2. समाकलनात्मक (Integrative) परिभाषाएं
3. सोपानित परिभाषाएं (Hierarchical Definitions)
4. समायोजन (Adjustment) आधारित परिभाषाएं।
इंसान का व्यक्तित्व को निर्धारित करने के पीछे मुख्य तौर पर दो कारक काम करते हैं।एक जैविक कारक होता है और दूसरा पर्यावरण्रिय कारक होता है। जैविक कारक के अंदर इंसान के जैविक अंग व्यक्तित्व को निर्धारित करते हैं । और पर्यावरणिय कारक के अंदर पर्यावरण व्यक्तित्व को निर्धारित करता है।
व्यक्तित्व को निर्धारित करने का आनुवांशिकता जैविक तरीका है। आमतौर पर इंसान के शरीर की बनावट उसके माता पिता से मिलती है। जैसे कि इंसान कितना लंबा होगा ? कितना बड़ा उसका शरीर होगा और किस प्रकार की उसकी शक्ल सूरत होगी यही सब जैविक व्यक्तित्व के अंदर आता है। और माता पिता से मिलता है। सिर्फ इतना ही नहीं है। बुद्धि और अन्य मानसिक गुण भी अपने माता पिता के गुणों के अनुरूप हो सकते हैं। कई बार यह देखा गया है कि मानसिक बीमारियां भी अपने पिता से बच्चों के अंदर आ जाती हैं। यह कई वैज्ञानिक अध्ययन के अंदर साबित हो चुका है।
शारीरिक गठन के अन्तर्गत व्यक्ति की लम्बाई, बनावट, वर्ण, बाल, आंखें व नाक नक्शा आदि अंगों की गणना होती है। और कई बार यह शारीरिक विशेषताएं इतनी अधिक स्पष्ट होती हैं कि यह कहा जाता है कि अमुख इंसान उसके जैसा है।
व्यक्ति के शारीरिक गठन का भी व्यक्तित्व के उपर काफी प्रभाव पड़ता है। यदि कोई इंसान शारीरिक रूप से अच्छा है तो दूसरे लोग उसकी प्रसंसा करते हैं जिससे उसके अंदर आत्मविश्वास आता है और वह खुद पर गर्व भी कर सकता है। इसके अलावा यदि किसी का शारीरिक गठन ठीक नहीं है तो उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता है।व्यक्तित्व विकास व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है।यदि व्यक्ति स्वस्थ है तो वह सभी तरह के कार्यों को आसानी से कर सकता है। इस वजह से उसका मानसिक विकास होता है लेकिन अस्वस्थ व्यक्ति का व्यक्तित्व काफी प्रभावित होता है।
अन्तःस्रावी ग्रंथियां भी व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करती हैं। यह मानव शरीर के अंदर पाई जाती हैं। यह हार्मोन को स्त्रावित करती हैं।इन हार्मोनों की वजह से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक ढांचा पूरी तरह से प्रभावित होता है।
1. पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland)
2. पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland)
3. गल ग्रंथि (Thyroid Gland)
4. उपगल ग्रंथि (Parathyroid Gland)
5. थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland)
6. अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland)
7. अग्न्याशय ग्रंथि (Pancreas Gland)
8. जनन ग्रंथि (Gonad Gland)
मनुष्य जिस प्रकार की जलवायु के अंदर रहता है। उसका प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पड़ता है।जलवायु मनुष्य के शारीरिक और मानसिक ढांचे को प्रभावित करती है। जैसे अधिक गर्मी के अंदर रहने वाले लोग काले होते हैं तो सर्दी वाले इलाकों के अंदर रहने वाले लोग गौरी चमड़ी के होते हैं। भौगोलिक परिस्थितियां भी व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं। जैसे यदि किसी क्षेत्र के अंदर भूकम्प अधिक आते हैं तो वहां के लागों के अंदर सुरक्षा की भावना अधिक होती है लेकिन जिन क्षेत्रों के अंदर भूकंप नहीं आते हैं उनके अंदर ऐसा नहीं होता है।
इसी प्रकार से यदि गर्म इलाकों के अंदर रहने वाले इंसान को यदि ठंडे स्थानों पर भेज दिया जाए तो उनकी कार्य क्षमता घट जाएगी और वे बीमार हो सकते हैं। इसी प्रकार से ठंडे स्थानों पर रहने वाले लोगों को गर्म स्थानों पर भेजा जाता है तो यह उनके लिए असहज हो सकता है।
यदि हम सामाजिक निर्धारक की बात करें तो मनुष्य समाज के अंदर रहता है। वह जिस प्रकार के माहौल के अंदर रहता है उसका व्यक्तित्व उसी प्रकार का हो जाता है। जैसे यदि उस इंसान के घर मे अधिक झगड़े होते हैं तो वह भी इसी किस्म का बन जाएगा ।
यदि बच्चे के माता पिता उसे अच्छे संस्कार देते हैं तो वह आगे चलकर अच्छा संस्कारी ही बनता है लेकिन यदि माता पिता खुद ही निराशावादी और अकर्मण्य होते हैं तो वही बच्चा आगे चलकर अच्छा नहीं बन पाता है वरन उसी प्रकार का बन जाता है। अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ मां बाप अपने बेटों को गालियां देते हैं तो उन्हीं का बेटा भी वैसा ही बनकर बाद मे अपने मां बाप को ही गालियां देने लग जाता है।
vyaktitva ka vilom shabd व्यक्तित्व का विलोम शब्द है?
व्यक्तित्व का विलोम शब्द, व्यक्तित्व शब्द का विपरीतार्थक
शब्द है, व्यक्तित्व का उल्टा vyaktitva vilom shabd
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