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यमराज का पर्यायवाची शब्द और रोचक तथ्य

‌‌‌दोस्तो आपको यहां पर यमराज का पर्यायवाची शब्द yamaraj paryayvachi shabd या यमराज का समानार्थी शब्द yamaraj ka samanarthi shabd के बारे मे जानकारी मिलेगी । इसके अलावा यमराज कोन है और वे क्या करते थे इस बारे मे बहुत जानकारी दी गई है तो लेख को आराम से देखे ।

यमराज का पर्यायवाची शब्द या यमराज का समानार्थी शब्द yamaraj paryayvachi shabd ya yamaraj ka samanarthi shabd

शब्द {shabd}पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd}
यमराजयम, वैवस्वत, दंडधार, मृत्युपति, सूर्यपुत्र , महिषध्वज, काल, नरदण्डधर, जीवनपति, अन्तक, कृतान्त, धम्रराज, कोपन्त, शमन, पितृपति, यमुनाभ्राता, मृत्यु देवता , समवर्ति, श्राद्धदेव, परेतराट्, धर्म, धर्मदेव, जीवितेश, यमदेव, औदुम्बर, दण्डाधर, कीनाश, दघ्न, महिषवाहन, शीर्णपाद, मीमशासन, कड्क, हरि, कर्मकर , मृत्युपति, अर्कज, अर्कतनय, यमा, ‌‌‌मौत के देव, नकर का अधिष्ठाता, मृत्युदूत, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र, चित्रगुप्त
Yamrajyam, vaivasvat, dndadhar, mrtyupati, suryaputr , mahishadhvaj, kaal, nardandadhar, jivanapati, antak, krtaant, dhamraraj, kopant, shaman, pitrpati, yamunaabhrata, mrtyu devata , samavarti, shraddhadev, paretarat, dharm, dharmadev, jeevitesh, yamadev, audumbar, dandadhar, kinash, daghn, mahishavahan, shirnapad, mimashasan, kadk, hari, karmakar , mrtyupati, arkaj, arkatanay, Yama, ‌‌‌maut ke dev, nakar ka adhishthaata, mrtyudoot
angel of deathangel of death, god of hell, king of terrors, Yama, penalty god, deathhusband, son of sun, death machine, Mahish Flag, period, Era, male judge, life husband, end,  Mitigation, paternal husband, Yamuna Brother, death god , concurrent, Religion, Yama Dev , angel, death note,

यमराज कोन है Who is Yamraj –

हिंदू धर्म के अनुसार मृत्यु के देवता जो होता है जो मनुष्य के प्राणो को लेता हो वह यमराज होता है ।  और फिर मनुष्य के कर्मो के अनुसार उसकी आत्मा को सजा मिलती है जो यमराज ही तय करता है ।  यह यमुना यानी यमी का जुडवा भाई भी है । ‌‌‌ये सुर्य पुत्र है । जिनकी सवारी भैंसे की होती है ।

यमराज का हिंदी मे अर्थ क्या होते है || what is the meaning of yamraj in hindi

  • मृत्यु का देवता ।
  • ‌‌‌ऐसा राजा जो यमो पर राज करता हो यानि यमो के राजा ।
  • ‌‌‌ऐसा देव जो धर्म को बनाए रखता है यानि धर्म के देवता यानि धर्मराज ।
  • ‌‌‌मनुष्य के मरने के बाद मे उसके कर्मो के हिसाब से दंड देने वाला ।
  • ‌‌‌यमपुरी का राजा ।
  • कर्मो का स्वामी जो कर्म के अनुसार दंड देता हो ।
  • ‌‌‌ऐसा देव जो नर्क मे चलने वाली हल चल को अपने वस मे रखता हो यानि नर्क का देवता ।
  • ‌‌‌नर्क मे सजा देने वाला ।
  • ऐसा देवता जो मृत्यु लेता हो यानि मृत्यु का देवता ।
  • ऐसा देवता जो काल बन कर आता हो यानि कालदूत ।
  • मृत्यु लेने के लिए आने वाला देव मृत्युदूत ।

‌‌‌यमराज के पर्यायवाची शब्द के वाक्य में प्रयोग || Use of synonyms of Yamraj in a sentence

  • कल पुलेराम को यमराज नजर आ गए है लगता है अब उसके कुछ ही दिन बचे है उसके प्राण नष्ट होन वाले है ।
  • यमपूरी का देवता जो होता है उसे यमराज कहा जाता है ।
  • अरे भाई कुशल अच्छे अच्छे कर्म करो क्योकी यमराज उपकर सभी कर्मो को हिसाब लगाता रहता है ।
  • मरने के ‌‌‌बाद मे बुरी आत्मा को यमराज सजा सुनाते है ।
  • महेश ने नाटक मे यमराज का बडा ही अच्छा रूप निखारा है।
  • नाटकमंडी मे और तो सभी है मगर यमराज नजर नही आ रहे आखिर वे कहा रह गए ।
  • अब और कोई चारा नही है प्रताब को ही यम बनाना होगा क्योकी और कोई नाटक वाला बचा भी नही है ।
  • ‌‌‌कल यमराज ने दुष्ट लूटेरे के प्राण लेकर बडा अच्छा किया ।

‌‌‌यमराज से जुडे रोचक तथ्य || Interesting facts related to Yamraj

  • ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की यमराज एक तरफ दूत बनता है तो दूसरी और धर्मराज बनता है जो धर्म का साथ भी देता है ।
  • यमराजा यम लोक के देवता को कहा जाता है ।
  • हिंदू धर्म के लोगो का मानना है की जब मनुष्य के प्राण निकलने वाले होते है तो उसे यम या यमराज के यमदुत नजर आते है ।
  • आपको जान कर हैरानी होगी की ‌‌‌यमराज कोई और नही बल्की यमुना का भाई और सुर्यदेव का पुत्र है ।
  • पुराणो मे बताया जाता है की यमराज जिस जगह पर रहते है वह कुल 48 और 24 हजार किलोमिटर की दूरी में फैली हुई है ।
  • यमराज जिन्हे मृत्यु के देवता के नाम से जाना जाता है इनकी सवारी काला भैंसा होता है ।
  • मार्कडेय ‌‌‌पुराण में बताया गया है की सूर्य देव को देख ‌‌‌कर उनकी  पत्नी ‌‌‌या विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के अपने नेत्र बंद करने के कारण से उसे श्राप मिला था की तुम्हारा बेटा लोगो के प्राण लेने वाला होगा ।
  • ‌‌‌आपको पता होगा की दीपावली से पूर्व दिन यमदीप देकर तथा दूसरे पर्वो में भगवान यमराज की पुजा की जाती है ।
  • ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की पापी लोगो को अपने कर्म नष्ट कराने के लिए ही यमराज उन्हे यमलोक ले जाकर सजा देते है ।
  • बताया जाता है की यमराज बहुत ही क्रुर है जो यमलोक मे रहने वाली आत्माओ को तरह तरह से कष्ट देते है ।
  • ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की यमराज ने अपनी बहन से वादा किया था की जो भी भाईदूज का ‌‌‌व्रत करेगा उसे और उसके भाई को मेरा डर ‌‌‌कभी न रहेगा।
  • वैदिक काल मे जब भी यज्ञ होता तो यमराज की भी पूजा होती थी और यह पूजा कोई ऐसी वैसे नही होती थी बल्की उस पूजा मे हवन के लिए बली देनी पडती थी ।
  • ‌‌‌आपको जान कर हैरानी होगी की वैदिक काल के लोग यमराज को मृत्यु से पूरी तरह से भिन्न मानते थे मगर फिर लोग इन्हे मृत्यु लेने वाले के रूप मे मानने लगे ।

‌‌‌यमराज का जन्म कैसे हुआ || How Yamraj was born

‌‌‌भगवान यमराज के एक नही बल्की 14 जन्म हुए थे । यानि कुल 14 यमराज हुए है । जिनके जन्म के बारे मे अनेक बाते बताई जाती है । जो है

संज्ञा के गर्भ से यमराज का जन्म || Yamraj was born from the womb of a noun

विश्वकर्मा की पुत्री का नाम संज्ञा था । ‌‌‌और भगवान सुर्य देव और माता संज्ञा का विवाह विश्वकर्मा ने तय किया था । जब इन दोनो का विवाह हो गया तो माता संज्ञा सुर्यदेव के सामने गई । मगर सूर्य देव के तेज के कारण से वह उन्हे देख नही पा रही थी । बल्की जैसे ही सुर्य देव माता संज्ञा के सामने आए तो माता के नेत्र बंद हो गए । जब सुर्यदेव ने ‌‌‌माता संज्ञा ‌‌‌को नेत्र बंद करते देख तो उन्हे अपना अपमान नजर आया ।

जिसके कारण से उन्होने क्रोध मे माता संज्ञा को श्राप दिया की तुम्हारे गर्भ से जन्म लेने वाला बच्चा यमराज होगा जो यमलोक का स्वामी बनेगा और वह प्राण लेने वाला होगा । यह श्राप सुन कर माता को बहुत ही बुरा लगा । मगर अब क्या हो सकता ‌‌‌था । इस तरह से समय के साथ माता के गर्भ मे यमराज थे मगर माता को अभी भी चिंता थी की सूर्यदेव का श्राप सच हो जाएगा । इस तरह से माता संज्ञा के गर्भ से भगवान यमराज का जन्म हुआ । जो की श्राप के अनुसार ही ऐसा बन गए थे ।

‌‌‌पृथ्वी पर यमराज का जन्म || Birth of Yamraj on earth

‌‌‌इस कथा के अनुसार बताया जाता है की एक बार यमराज ने एक महान ऋषि ‌‌‌के 12 वर्ष में किए गए एक छोटे से अपराध की बडी सजान देने लगे तो उस ऋषि ने यमराज को श्राप दिया । जिसके कारण से यमराज की यमलोम मे मोत हुई और फिर उनका दूसराज जन्म पृथ्वी पर एक छोटे बाल के रूप में हुआ था । इस बार यमराज का जन्म ‌‌‌किसी देव या राजा महाराज के घर न होकर एक ऋषि के पास रहने के लिए आई दासी के गर्भ से हुआ ।

उस ऋषि का नाम वेदव्यास था । इनके पास एक दासी रहने के लिए आई थी जिसके कारण से वह गर्भवति हो गई और पृथ्वी पर यमराज का जन्म हो गया । ‌‌‌अब यमरा का नाम महात्मा विदुर पडा और वह जग मे महात्मा बिदुर के रूप मे जाने जाना लगा । जन्म के बाद मे यमराज ने अपनी शिक्षा वेदव्यास से ही ली थी और उन्होने सही और गलत के बारे मे जाना ।

साथ ही बताया जाता है की उन्होने शिक्षा के साथ साथ कर्मो के कष्टो का भी गुण जान लिया था । की अगर कोई कैसा ‌‌‌जुर्म करता है तो उसे कितना कष्ट दिया जा सकता है की उसका प्रायश्चित हो जाए । इस तरह से ज्ञान के बाद में ही यमराज फिर यमराज के नाम से जाने जाते थे ।

‌‌‌यमराज किस जगह पर रहते है || Where does Yamraj live

अनेक पुराणो जैसे मार्कण्डेय पुराण में बताया जाता है की यमराज दक्षिण दिशा मे वास करते है ‌‌‌और गरूड़ पुराण में बताया गया है की यमराज यमपूरी मे रहते है जो की मृत्युलोक से 86 हजार योजन तक की दूरी पर है । इस लोक में यमराज ‌‌‌अपना जीवन गुजारते है और मनुष्य की आत्मा मरने के बाद मे सबसे पहले इसी लोक मे आती है ।

यमपुरी के कुल 4 दरवाजे बनाएग गए है । बताया जाता है की इन दरवाजो मे से एक को छोड कर सभी में कुछ न कुछ कष्टो का समाना करना ही पडता है तब जाकर यह दरवाजा पार हो ‌‌‌सकते है । बाकी बचा एक तो वह बहुत ही सही दरवाजा है उसे ‌‌‌आसानी से कोई भी पार कर सकता है । ‌‌‌मगर इसे पार करने के लिए व्यक्ति के कर्म अच्छे होने जरूरी है ।

 इसके अलावा यहां एक महल भी बना हुआ बताया जाता है जहां पर यमराज रहते है । महल को बडा ही अच्छा बनया गया है जिसमे यमराज रहने के अलावा अपने अन्य कार्य भी करते है । मगर कभी कभी यमराज नरक मे भी रहते है और उनका सही स्थान इसे ही बताया जाता है । क्योकी पुराणो मे सुनने ‌‌‌को मिलता है की इस स्थान पर यमराज चित्रगुप्त के साथ वाली आत्मा को कर्म के अनुसार दंड देने का कार्य करते है । जिसके लिए यमराज के दूत तैयार रहते है ।

‌‌‌यमराज आत्मा को दंड क्यो देते है || Why does Yamraj punish the soul

‌‌‌यमराज के पिता का नाम सूर्यदेव है और उनकी माता का नाम देवी संज्ञा है । देवी ने एक बार अपने पति यानि सूर्य देव को देख कर अपने नेत्र बंद किए थे जिसके कारण से उन्हे श्राप मिला की तुम्हारे गर्भ से जन्म लेने वाला बेटा लोगो के प्राण हर करने का काम करेगा । उस दिन के बाद मे जब यमराज का जन्म हुआ ‌‌‌तो श्राप के अनुसार यमराज को दंड देने का काम करना पडा था ।

मगर यमराज इसे कभी दूर नही गए क्योकी यह एक पुण्य का काम माजा जाता है क्योकी जब आत्मा को कष्ट मिलेगे तो उसके कर्म नष्ट हो जाएगे और धर्म की स्थापना बनी रहेगी । उस दिन के बाद मे यमराज मनुष्य के कर्मो के अनुसार उसे दंड देते आ रहे है । कहते है की इनके दंड से आज तक कोई नही बचा है मगर जो अच्छे कर्म करते है इन्हे ये स्वयं ही स्वर्ग का रास्ता दिखा देते है मगर जो बुरे कर्म करते है उन्हे सजा तो दी ही जाती है ।

जिसके लिए उन्हे नरक में भेजा जाता है । ‌‌‌जहां पर यमराज के दूत वहां तैयार रहते है और आत्मा को दंड देते है । मगर जब आत्मा के दंड का समय पूरा हो जाता है तो उसे या तो पृथ्वी पर जन्म के लिए वापस भेज दिया जाता है या फिर उन्हे स्वर्ग लोक भेज दिया जाता है यह सब आत्मा के कर्मो के अनुसार होता है ।

‌‌‌अनेक पुराणो और ग्रंथो की बात करे तो यमलोक के राजा यमराज है और मनुष्य को मरने के बाद मे स्वर्ग या नकर का रास्ता दिखाने वाले भी यम है । साथ ही हिंदुओ का मानना है की यमराज लोगो के प्राण भी हरते है । इन सब के साथ में आत्मा को कर्म के अनुसार दंड देना मुल कारण है । मगर धरती पर हर मनुष्य एक जैसा ‌‌‌नही होता है और न ही वह एक जैसे कर्म करता है ।

जिसके कारण से यमराज आंख ‌‌‌बंद करकर सभी को दंड देने लग जाए या उन सभी को स्वर्ग भेज दिया जाए । ऐसा नही होता है बल्की हर किसी के कर्म अलग अलग होते है और उनके कर्मो के बारे मे सही जानकारी पता कर कर ही उन्हे दंड या स्वर्ग में भेजा जाता है । इसके लिए ‌‌‌यमराज के यहां चित्रगुप्त रहता है जिन्हे हमेशा ‌‌‌मोटी किताब लिए दिखाया जाता है ।

यह किताब कोई साधारण नही है बल्की यह वह किताब है जिसके कारण से मनुष्य के कर्मो और उसकी मृत्यु कब होगी यह पता लगाया जाता है । इस पुस्तिका में कर्मो का पता लगा कर यमराज अलग अलग आत्मा को उनके कर्मो के अनुसर ‌‌‌दंड देने का काम करते है । मगर जो अच्छे होते है उन्हे कोई दंड नही दिया जाता बल्की उन्हे तो सिधे स्वर्ग में भेज दिया जाता है । इस तरह से यमराज सभी के साथ धर्म पूर्वक न्याय करते हे जिसके कारण से इन्हे धर्मराज भी कहा जाने लगा ।

इसका कारण यही था की की यमराज धर्म के साथ होकर धर्म के कार्य ‌‌‌में लगे रहते है । क्योकी जो पृथ्वी पर जन्मा है उसे मरना भी जरूर है वरना यहां पर कितना जीवन होगा और यह सब कहा रहेगा यह सब समस्या का कारण बन सकता है जिसके कारण से धर्म पुरी तरह से नष्ट हो सकता है  । मगर इन सब समस्यो को सही बनाए रखने के लिए व मनुष्य को धर्म के रास्ते पर जाने के लिए ही इस तरह के दंड दिए जाते है । इस तरह से यमराज को धर्मराज भी कहा जाने लगा । और यहां तक की इनकी पूजा भी की जाती है ।

यमराज मानव के लिए कैसे उपयोगी है || How Yamraj is useful for humans

दोस्तो आपको सबसे पहले बता दे की हम भगवान यमराज के बारे में जानते है और यह वही देव है जो की मनुष्य के कर्मों के अनुसार उन्हे सजा देते है । और यमराज भगवान को ही असल में नरक का देव कहा जाता है।

तो अब आप कहोगे की यह आखिर मानव के लिए उपयोगी कैसे हो सकते है । मगर आपको बता दे की इस सृष्टि को सही तरह से चलाने के​ लिए हिंदू धर्म के अनुसार भगवान यमराज भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते है । क्योकी यह मानव को सही और गलत करने के बारे में बताते है और जो गलत करता है उनके पापो को नष्ट करने के लिए उन्हे सजा देते है ताकी अगला जन्म हो और जीवन में कुछ अलग किया जा सके ।

तो इस तरह से बहुत से ऐसे कारण है जिनके आधार पर कहा जा सकता है की भगवान यमराज मानव के लिए जरूरी है ।

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