दोस्तो इस लेंख में हम यमुना का पर्यायवाची शब्द yamuna ka paryayvachi shabd या यमुना का समानार्थी शब्द yamuna ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे । इसके अलावा यमुना के इतिहास के बारे में जानेगे की यमुना का जन्म कैसे हुआ और इसके महत्वपूर्ण रोचक तथ्य कौनसे है । तो इस लेख को देखे ।
शब्द shabd} | पर्यायवाची शब्द / समानार्थी शब्द { paryayvachi shabd / samanarthi shabd } |
यमुना | यमी, सूर्यपुत्री, सूर्यसुता, रवितनया, तरणिजा, सूर्यतनया, कालिन्दी, शमनस्वसा, कृष्णा, अर्कजा, तरणिजा, कालगंगा, जमुना, श्यामा, कलिंदशैलजा । |
Yamuna in hindi | Suryaputri, Suryasuta, Ravitanaya, Taranija, Suryatanaya, Kalindi, Shamanaswasa, Krishna, Arkaja, Taranija, Kalganga, Jamuna, Shyama, Kalindasailja. |
Yamuna in English | sun daughter, daughter of sun, sister of yamraj, sister of shani. And – Suryasuta, Ravitanaya, Taranija, Suryatanaya, Kalindi, Shamanaswasa, Krishna, Arkaja, Taranija, Kalganga, Jamuna, Shyama, Kalindasailja. |
1. यमी (Yami)
2. सूर्यपुत्री (Suryaputri)
3. सूर्यसुता (Suryasuta)
4. रवितनया (Ravitanya)
5. तरणिजा (Taranija)
6. सूर्यतनया (Suryatanaya)
7. कालिन्दी (Kalindi)
8. शमनस्वसा (Shamanasvasa)
9. कृष्णा (Krishna)
10. अर्कजा (Arkaja)
11. तरणिजा (Taranija, repeated)
12. कालगंगा (Kalaganga)
13. जमुना (Yamuna)
14. श्यामा (Shyama)
15. कलिंदशैलजा (Kalindashailaja)
यमुना को हिंदी भाषा में दो रूपो में जाना जाता है । जिनमें से एक नदी का रूप बताया जाता है तो वही एक रूप सूर्य की पुत्री के रूप में बताया जाता है । जो की यमराज की बहन होती है । इस कारण से यमुना के अनेक अर्थ है जैसे –
इसके अलावा यमी रूप में भी यमुना को बताया जाता है जैसे –
इस तरह से यमुना शब्द के दो रूपो में अर्थ होते है जो की एक नदी का होता है तो दूसरा एक कन्या के रूप में होता है।
पार्वती के साथ साथ बालक गणेश भी यमुना के दर्शन करना चाहता था जिसके कारण से वह अपनी माता से जीद कर कर उनके साथ यमुना चला गया ।
प्रौराणिक कथाओ के अनुसार, यमुना को यमी के नाम से भी जाना जाता है जो की सूर्य देव की बेटी और माता संज्ञा देवी की पुत्री है । इसके अलावा सूर्य की एक पत्नी और थी जिसका नाम माता छाया था । छाया सूर्य के तेज को सहन नही कर सकती थी जिसके कारण से सूर्य से छाया दूर चली गई ।
इसके अलावा सूर्य की पत्नी श्यामल भी थी और इसका असर यमी और यमराज पर हुआ क्योकी इनाका जन्म श्याम वर्ण में हुआ । इसी तरह से संज्ञा जो की सूर्यदेव की पत्नी थी वह उत्तरी ध्रुव प्रदेश मे छाया के रूप मे रहती थी क्योकी वह सूर्य देव के तेज को सहन नही कर पा रही थी ।
इस तरह से संज्ञा के गर्भ से तो शनिदेव का जन्म हुआ था और छाया से यम और यमी का जन्म हुआ । मगर यह सभी अपने पिता सूर्य देव के पास ही रहते थे । जिसके कारण से यम और यमी व शनिदेव का आपस में व्यवाहर सही नही रहता था ।
जिससे यम सूर्यदेव के पास से चले गए और अपनी एक नगरी बना दी जिसे यमपुरी के नाम से जाना गया । अपने भाई यम को देख कर यमी भी गोलोक मे चली गई । और गौलोक में यह यमुना नदी के रूप मे रहने लगी थी । यही कारण है की बताया जाता है की जब कृष्ण का जन्म हुआ तो यमुना भी वही थी जो की एक नदी का रूप धारण कर चुकी है। और यही कारण है की यमुना नदी के एक स्थान पर सूर्यकुंड पाया जाता है ।
यमुना नदी को ब्रजवासी अपनी जननी के रूप मे देखते है क्योकी श्री कृष्ण को उनका जनक कहा जाता है और श्री कृष्ण की पत्नी के रूप मे ही यमुना है जिसके कारण से ही यमुना को जननी बताया जाता है । यही कारण है की कृष्ण की तरह यमुना की भी पूजा की जाती है ।
ब्रजधाम के लोग यमुना नदी को अपनी मां के रूप में दखते हुए बडी धूम धाम से पूजा की जाती है । यहां के लोग यमूना को चूनरी भी उढाते है जिसके लिए बहुत ही चुनरीयों को एक साथ जोड कर यमुना नदी पर उढाया जाता है ।
यमुना तट पर अनेक दियो को जलाना भी एक तरह की यमुना की पूजा है और इस पानी को इतना अधिक पवित्र मानते है की स्वयं भगवान कृष्ण को यमुना नदी के पानी से ही नहलाने का काम करते है ।वृन्दावन के केशी घाट पर माता यमुना यानि यमुना नदी की बडी धूम धाम से पूजा आरती की जाती है ।
यमुना नदी भगवान सूर्य देव की पूत्री है जिसके कारण से उसमे तेज भी समया हुआ है । मगर जब यमुना नदी के रूप मे धरती पर आ गई और एक दिन वहां पर भगवान कृष्ण आए थे और उस दिन उन दोनो का विवाह हुआ था ।
प्रौराणिक कथा के अनुसार, बताया जाता है की एक बार अर्जुन कृष्ण के साथ जंगल की और चले जा रहे थे । भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ बाते करते हुए जंगल की खूबसुरती का आनन्द ले रहे थे । इसी तरह से काफी समय तक जंगल मे टहलने के कारण से भगवान कृष्ण और अर्जुन थक गए और एक पेड के निचे बैठ कर आराम करने लगे थे ।
कुछ समय बित जाने के बाद में अर्जुन ने देखा की कृष्ण जी तो ध्यान करने के लिए बैठ गए है । यह देख कर अर्जुन ने कृष्ण जी को ध्यान से जगाना उचित नही समझा और अकेला ही टहलते हुए नदी तट जा पहुचा । वह नदी तट यमुना का था मगर अर्जुन ने उस नदी मे यमुना को देख लिया था जिसके कारण से अर्जुन ने कहा की देवी आप कोन हो और यहां क्या कर रही हो ।
तब यमुना ने कहा की मेरा नाम यमुना है और मैं भगवान सूर्य की पूत्री हूं । यह सुन कर अर्जुन ने कहा की तो आप यहां क्या कर रही हो । तब यमुना ने कहा की मैं नदी के रूप में रहती हूं और यहां पर भगवान कृष्ण को पाने के लिए आई हूं उनसे विवाह करना चाहती हूं ।
इतना सुन कर अर्जुन ने कुछ नही कहा और कुछ समय के बाद में वापस कृष्ण के पास जा पहुंचे । अब कृष्ण जी ध्यान से जाग गए थे तो अर्जुने ने कृष्णजी को इस बारे मे बताया । यह जान कर कृष्ण यमुना के पास चले गए और उनसे बाते करते हुए सूर्यदेव के सामने ही यमुना से कृष्ण जी ने विवाह कर लिया था । इस तरह से कृष्ण और यमूना का विवाह हुआ था । और यही कारण है की यमुना को जननी और कृष्ण को जनक कहा जाता है ।
यमुना नदी का उद्गम जिस स्थान से होता है उसे यमुनोत्री के नाम से जाना जाता है । जो की इसका जल हिमालय के कालिंद पर्वत से होकर आगे बढता है । इसी कारण से यमुना नदी को एक अन्य नाम से जाना जाता है जो की कालिंद पर्वत पर ही कालिंदी है ।
इसके आगे की और बढने के बाद में कई तरह के पर्वत आते है जिससे होकर यमुना नदी आगे की और बढती जाती है । जब यमुना हिमालय को छोड देती है तो एक अन्य स्थान पर पहुंचती है जिसे दून की घाटी कहा जाता है । इस घाटी के बाद में नदी कई किलोमिटर तक दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है । इसके बाद में यमुना फैजाबाद के एक मैदान मे आती है । इस तरह से यमुना का उद्गम यमुनोत्री से होता है ।
एक दिन की बात है यमराज यम द्वितीया जिसे भाईदूज भी कहा जाता है उस दिन अपनी बहन यमुना के घर गए थे । अपने भाई को आते देख कर यमुना बहुत ही खुश हुई और उनके आने की खुशी में यमुना ने तरह तरह के पकवान बनाए थे ।
जिसका सेवन करने के कारण से यमराज बडे ही खुश हो गए और बहन के प्रेम को देख देख कर बहुत प्रशन्न हुए । अंत में जब यमराज वापस अपनी नगरी जाने लगे तो उन्होने अपनी बहन यमी या यमुना को कहा की बहन मैं तुम्हारे इस प्रेम में बहुत खुश हुआ हूं मागो तुम्हे क्या चाहिए ।
अपने भाई के ऐसा कहने पर यमुना ने कहा की आज के दिन जो भी कोई व्रत करेगा और यमुना नदी मे स्नान करेगा उसकी आयु लंबी हो जाएगी । अपनी बहन के ऐसा कहने पर यम ने कहा की निश्चित ऐसा ही होगा मैं तुम्हे वरदान देता हूं की जो भी इस दिन यमुना नदी मे स्नान करेगा उसके प्राणों के संकट दूर हो जाएगे ।
यानि उसे अपने प्राणो की फिक्र नही रहेगी और उसकी आयु लंबी हो जाएगी । इस तरह से कहने के बाद में यम वहां से चले गए । मगर अपने इस वरदान के कारण से आज भी जो कोई यम द्वितीयाके दिन अपने भाई के लिए व्रत करता है और पानी मे स्नान करता है तो उसके व उसके भाई के प्राणो के संकट दूर हो जाते है ।
जी हां, यमुना जो होती है वह असल में मानव के लिए उपयोगी है । क्योकी पहले तो इसे एक नदी के रूप में जाना जाता है जो की देखने पर ही पता चलता है । क्योकी नदी के अंदर पानी की अधिकतम मात्रा होती है और पानी का उपयोग कई तरह से होता है जो की मानव भी अपने जीवन में करता है । तो इसका मतलब हुआ की यमुना नदी मानव के लिए उपयोगी है ।
वही पर दूसरे रूप में यमुना को माता माना जाता है और एक देवी के रूप में जाना जाता है तो यह भी एक तरीका हो सकता है जब कहा जा सकता है की यमुना मानव के लिए उपयोगी है ।
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