यशोदा का पर्यायवाची शब्द और यशोदा का सामानार्थी शब्द (yashoda ka paryayvachi shabd / yashoda ka samanarthi shabd) के बारे मे इस लेख मे हम पढेगे साथ ही जानेगे की यशोदा कोन थी और इसका जन्म कैसे हुआ इसके अलावा और भी बहुत कुछ जानकारी हासिल करेगे तो लेख को आराम से देखे ।
शब्द | यशोदा का पर्यायवाची शब्द और यशोदा का सामानार्थी शब्द (yashoda ka paryayvachi shabd / yashoda ka samanarthi shabd) |
यशोदा | नंदरानी, यशुदा, नंदमहरि, यशोमति, जसुमति, जसोदा, मैया, कृष्णजन्नी, कृष्ण माते, दुर्गा जन्नी, वृंदावन रानी , नंदपत्नी, कृष्णपालनहारी । |
यशोदा in Hindi | Yashoda, Nandrani, Yashuda, Nandamahari, Yashomati, Jasumati, Jasoda, Maiya, Krishnajanni, Krishna Mata, Durga Janni, Vrindavan Rani, Nandapatni, Krishnapalanhari. |
यशोदा in English | Yashoda, Nandrani, Yashuda, Nandamahari, Yashomati, Jasumati, Jasoda, Maiya, Krishnajanni, Krishna Mata, Durga Janni, Vrindavan Rani, Nandapatni, Krishnapalanhari. |
1. नंदरानी – Nandarani
2. यशुदा – Yashuda
3. नंदमहरि – Nandamahari
4. यशोमति – Yashomati
5. जसुमति – Jasumati
6. जसोदा – Jashoda
7. मैया – Maiya
8. कृष्णजन्नी – Krishna Janani
9. कृष्ण माते – Krishna Maate
10. दुर्गा जन्नी – Durga Janani
11. वृंदावन रानी – Vrindavan Rani
12. नंदपत्नी – Nandpatni
13. कृष्णपालनहारी – Krishna Palanhari
1.भगवान कृष्ण ने दिखाया माता यशोदा को अपने मुख मे भ्रमाण्ड – बालरूपी कृष्ण को मक्खन बडा अच्छा लगता था जिसके कारण से वे जब भी मक्खन देखते तो उसे खाने लग जाते थे । साथ ही कहा जाता है की माता यशोदा तो मक्खन की देवी थी । जिसके कारण से उसके पास मक्खन की कोई कमी नही थी ।
मगर कृष्ण इतना मक्खन खाते थे की माता यशोदा को उसके स्वास्थ्य की चिंता रहती । जिसके कारण से माता यशोदा कृष्ण को मक्खन कम दिया करती थी । मगर कृष्ण का मन नही भरता और वे मक्खन चुरा कर खा जाते ।
इसी तरह से चुराते हुए एक बार यशोदा को पता चला तो उसने कृष्ण के मुख मे मक्खन है की नही, यह पता लगाने के लिए कृष्ण का मुख खुलवाया । मगर कृष्ण का मुख देख कर यशोदा चोक गई क्योकी यशोदा को कृष्ण ने संपूर्ण ब्रहमाण्ड का दर्शन अपने मुख से करवा दिया ।
2. कृष्ण नही थे माता यशोदा के बेटे फिर भी माता यशोदा ने उसका अपने बेटे की तरह पालन पोषण किया – कृष्ण की माता यशोदा नही थी बल्की उनकी माता देवकी थी जो कंस की बहन थी । मगर कंस से बचाने के लिए कृष्ण की लिला के कारण से ही वासुदेव (जो देवकी का पति था) कृष्ण को यशोदा के पास छोड कर चला जाता है मगर यशोदा कृष्ण को अपने बेटे की तरह पालन पोषण करती है उसे एक बार भी अपना बेटा समझने से दूर नही जाती ।
3. यशोदा मैया ने नही होने दिया कृष्ण और राधा का विवाह – कुछ पुराणो मे पढने को मिलता है की कृष्ण राधा से छोटे थे । जिसके कारण से राधा बडी हो गई मगर बडी लडकी से विवाह नही किया जाता यह बात यशोदा की सोच में भी थी । जब कृष्ण ने राधा से विवाह करने की बात अपनी मैया यशोदा से कही तो यशोदा ने इस बारे मे मना कर दिया । इसका कारण यह था की राधा का विवाह रायाण से होना तय किया जा चुका था ।
4.आखिर किसकी बेटी थी यशोदा – माता यशोदा के बारे मे यह तो सभी जानते है की वह कृष्ण की मैया थी मगर यह नही जानते की माता यशोदा के माता पिता कौन थे तो यशोदा के पिता का नाम गिरिभानु था और माता का नाम पद्मावती था । यशोदा ने इनके घर मे जन्म लिया और फिर वह नंद से विवाह कर कर गोकूल चली गई थी ।
5.यशोदा बालरूपी कृष्ण को अपने हाथो से स्नान करवाती थी – यह तो सभी को पता है की जब बच्चा छोटा होता है तो मां उसे अपने हाथो से स्नान करवाती है । मगर यशोदा के साथ ऐसा नही था क्योकी कृष्ण उनका बेटा नही था फिर भी कृष्ण का पालन पोषण यशोदा ने अपना बेटा समझ किया और इस बिच यशोदा उसे स्नान करवाती थी ।
6. कृष्ण छोटी सी रस्सी से बंध गए – जब माता यशोदा कृष्ण को सजा देने के रूप मे रस्सी से बांध रही थी तो हर बार रस्सी छोटी रहती थी । मगर यशोदा ने कृष्ण को बांधने की ठानी तो उसने और रस्सी मगवाई मगर सफल न हो सकी इस बार भी रस्सी छोटी रहती थी । अत मं कृष्ण स्वयं ही छोटी सी रस्सी से बंध गए ।
7.जब हर बार रस्सी छोटी रहती तो माता इस लिला को नही समझ सकी और वह कृष्ण को बांधते जा रही थी । मगर वह स्वयं सफल नही हो सकी । बल्की कृष्ण ने ही यह मुमकिन किया था ।
8. कार्तिक महिने में यशोदा ने बांधा कृष्ण को रस्सी से – कृष्ण की शरारत को देखते हुए यशोदा ने कृष्ण को सजा देने के लिए रस्सी से बांध दिया । उस दिन से कृष्ण का नाम दामोदर पडा और इस महिने को भी दामोदर कहा जाने लगा ।
यशोदा के बारे मे सुनते ही कृष्ण का पालनहार करने वाली देवी की याद आती है । यह यशोदा वही है और यशोदा ने कृष्ण को जन्म नही दिया मगर वह उसाक पालनहार करती थी और अपना बेटा ही कृष्ण को मानती थी । यशोदा ने गिरिभानु पिता और माता पद्मावती के घर मे जन्म लिया था ।
पौराणिक ग्रंथों में बताया जाता है की जब माता यशोदा बडी हुई तो उसका विवाह गोकुल के नंद के साथ तय हुआ था और नंद के साथ उसका विवाह हो गया । जिसके बाद में यशोदा नंद के साथ गोकूल मे रहने लगी थी । पौराणिक ग्रंथों में यह भी बताया जाता है की यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ मगर के जन्म के बाद में कन्या और कृष्ण एक दूसरे के स्थान पर आ गए और कन्या कंस के पास पहुंच गई ।
मगर कंस कन्या को कोई हानि नही पहुचा पाया था । इधर यशोदा कृष्ण को ही अपना बेटा मानती और सोचती की इसी ने मेरे गर्भ से जन्म लिया है । इस तरह से फिर यशोदा कृष्ण को पालने लगी थी । अब पौराणिक ग्रंथों में यशोदा का कृष्ण के साथ बडा उल्लेख किया गया । जिसके कारण से यशोदा हर किसी के मन मे छा गई और आज उन्हे कृष्ण की माता के रूप मे जाना जाता है ।
पौराणिक ग्रंथों में यशोदा के जन्म के बारे में भी बताया जाता है की यशोदा अपने पिछले जन्म मे बडी तपस्या करती थी । इसी कारण से उसने एक बार भगवान विष्णु की बडी घोर तपस्या की जिसके कारण से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और यशोदा के पास जाकर कहा की मांगो क्या मागती हो ।
तब यशोदा ने कहा की प्रभु आप सृष्टी के दुखो को हरने के लिए पृथ्वी पर जन्म लेते हो मगर इस बार आप मेरे गर्भ से ही जन्म लेना मुझे माते सुख भोगना है । यह सुन कर विष्णु ने कहा की यह नही हो सकता मैं इस बार किसी और के गर्भ से जन्म लेने वाला हूं ।
मगर यशोदा नही मानी और कहने लगी की नही प्रभु जब आप मुझे माता समझ कर मेरे पास बडे नही होगे तो मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगेगा । साथ ही कहा की अगर आपको मुझे कुछ देना ही है तो यही वरदान दो । तब विष्णु ने कहा ठिक है । मगर मैं तुम्हारे गर्भ से जन्म नही लूगा बल्की तुम्हारे पास ही रहुगा और तुम्हे माता का सुख प्रदान करूगा ।
इस तरह से फिर विष्णु जी ने वरदान दे दिया । इसी के चलते जब यशोदा का यशोदा के रूप मे जन्म हुआ और उसके पिता गिरिभानु व मात पद्मावती थी । इसी के साथ उसका विवाह नंद के साथ हुआ और इसी तरह से बाद मे कृष्ण ने उसके पास जन्म लिया । इस तरह से यशोदा माता का जन्म हुआ ।
कृष्ण ने अपने जन्म के समय ही बहुत से चमतकार किए थे जिन्हे देख कर हर कोई हैरान रह जाता मगर जन्म के समय केवल वासुदेव और देवकी ही ये देख सके । यानि कृष्ण के जन्म के समय कारागारो के ताले टूटना । सभी सेनिको के निंद्रा अवस्था मे चले जाना , नदी का पानी अपने आप शांत हो जाना आदी ।
इसके अलावा जब कृष्ण यशोदा के पास रहने लगे तब भी यशोदा के साथ बहुत से चमतकार किए थे । जिन्हे यशोदा और कृष्ण की लिला कहा जाता है। इन लिलाओ को देख कर और सुनकर बडा ही अच्छा लगता है जो है –
कृष्ण को मक्खन बडा अच्छा लगता था । जिसके कारण से वे बहुत अधिक मक्खन खा जाते थे । मगर बालरूपी होने के कारण से वे कभी कभार मिट्टी भी खाया करते थे । मगर इस बारे मे किसी को पता नही था । बताया जाता है की एक दिन कृष्ण ने मिट्टी खा ली और यह कुछ गोपीयो ने देख लिया । यह देख कर उन्हे लगा की यशोदा को बताना चाहिए तभी वे यशोदा के पास गई और इस बारे मे कहने लगी की तुम्हार बेटा मिट्टी खाता है ।
तब यशोदा ने कहा की वह भला मिट्टी क्यो खाएगा वह तो अपना पेट मक्खन खाने से भर लेता है । मगर कृष्ण ने सच मे मिट्टी खाई थी जो गोपिकाओ ने देख लिया था तब फिर से गोपिकाओ ने कहा की नही यशोदा जी वह सच मे मिट्टी खा चुका है ।
जब गोपिकाओ से फिर से ऐसा सुना तो यशोदा को लगा की सच हो सकता है । यही जानकारी लेने के लिए कृष्ण को यशोदा ने अपने पास बुलाया और कहा की बेटा जरा अपना मुह तो खोल कर दिखाना । मगर कृष्ण ने मुह न खोला, तब फिर से यशोदा ने कहा की तुमने मिट्टी खाई है क्या जरा मुह दिखाना ।
मगर अब भी कृष्ण मुह नही खोल रहा था । तब यशोदा को लगा की गोपिका सही कह रही है । यह शोच कर यशोदा ने कृष्ण से जीद करते हुए कहा की मुख खोला । तब कृष्ण ने अपना मुख खोला मगर अब मुख मे मिट्टी तो थी नही बल्की ब्रहमाण्ड था जिसे देख कर यशोदा डर गई ।
क्योकी उसे पता नही था की यह ब्रह्माण्ड है । जिसके कारण से यशोदा ने नंद से भी कहा । मगर नंद ने जब देखा तो उसे कुछ दिखाई नही दिया । इस तरह से कृष्ण ने केवल ब्रहमांड के दर्शन यशोदा को हिद दिए थें ।
पौराणिक कथाओ के आधार पर बताया जाता है की एक बार यशोदा ने अपनी भग्ती के कारण से कृष्ण के असली रूप का दर्शन किया था । तब यशोदा को पता चला की यह तो मेरा लला नही है बल्की स्वयं मेरे प्रभु है जिन्हे मैं अपना लला समझती थी वे मेरे प्रभु है ।
साथ ही उस समय यशोदा को अपना पूर्व जन्म और किस तरह से यशोदा ने कृष्ण के जन्म के लिए वरदान मागा सब याद आ गया । मगर इसके चलते हुए यशोदा अपने बेटे के साथ लिला नही रच सकत थी यह प्रभु को पता था । जिसके कारण से अगले ही पल कृष्ण ने यशोदा को जो ज्ञान दिया वह योग माया से भूला दिया था ।
जिसके कारण से फिर कृष्ण और यशोदा के बिच मे मां और बेटे का सबंध रहा । ऐसा कृष्ण ने क्यो किया इसका उतर यही है की मनुष्य जब अपने पिछले जन्म को जान जाता है तो वह अपने इस जन्म को सही तरह से जीवन नही जी पाता है और अपने इस जन्म के कर्मो को नही कर पाता है । मगर जब कुछ भी याद नही होता तो वह अपने जीवन की नए रूप से शुरूआत करता है । यही कारण है की कृष्ण ने यशोदा को यह बात वापस भूला दी ।
जी हां, आपको यह तो पता है की माता यशोदा भगवान श्री कृष्ण जी की मां थी । हालाकी उन्होने जन्म तो नही दिया था मगर पालहार के रूप में होने के कारण से वे मां के रूप में जानी जाती है ।
और इस बात से समझ में आता है की जो कोई महिला किसी बालक या बालिका को जन्म न देकर उसका पालन करती है तो वह महिला भी मां होती है । और माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण जी की लीलाओ को याद कर कर यह समझा जा सकता है की माता यशोदा मानव के लिए जरूरी है ।
क्योकी इन सभी बातो से काफी कुछ सिखने को मिलता है एक तो यह की जो पालनहार करती है वह मां होती है और इसके अलावा भी काफी कुछ है जो की माता यशोदा से सिखा जा सकता है ।
और यही कारण है की कहा जाता है की मां यशोदा मानव के लिए जरूरी है ।
इस तरह से दोस्तो इस लेख में मुख्य यशोदा का पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द ही था । मगर इसके अलावा हमने कुछ ज्ञान और हासिल कर लिया है ताकी यशोदा के बारे में भी कुछ पता चल सके ।
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